उत्तर :प्रश्न विच्छेद Show
♦ उपनिवेशवाद से औपनिवेशिक भारतीय समाज में होने वाले मौलिक परिवर्तनों को दिखाना है। हल करने का दृष्टिकोण ♦ उपनिवेशवाद का संक्षिप्त परिचय दें।
जहाँ तक भारतीय औपनिवेशिक समाज की बात है तो उपनिवेशवाद ने इसे निम्नलिखित संदर्भो में मौलिक रूप से परिवर्तित किया जैसे: राजनीतिक स्तर पर स्वतंत्रता, समानता एवं जनतंत्र के विचारों का प्रसार हुआ। फलत: भारतीयों ने भी परंपरागत वंशानुगत शासन प्रणाली के स्थान पर लोकतांत्रिक शासन प्रणाली में अपनी आस्था व्यक्त की। प्रशासन के स्तर पर भी वंशानुगत एवं कुलीन प्रशासक के स्थान पर योग्यता का महत्त्व स्थापित हुआ। शक्ति के पृथक्करण के सिद्धांत के आधार पर प्रशासन एवं न्याय को अलग-अलग देखा जाने लगा। विधि के शासन का महत्त्व स्थापित हुआ। संचार एवं परिवहन के साधनों के विकास तथा प्रशासनिक एकरूपता के कारण एकीकरण एवं राष्ट्रवाद की भावना के विकास को बढ़ावा मिला, जो अंतत: भारतीय राष्ट्र बनने की प्रक्रिया में महत्त्वपूर्ण सहायक सिद्ध हुआ। उपनिवेशवाद से पाश्चात्य शिक्षा एवं चितंन का प्रचार-प्रसार हुआ, जिससे तार्किकता एवं मानवतावादी दृष्टिकोण का उदय हुआ। इसके आधार पर परंपरागत रूढ़ियों, धार्मिक एवं जातीय कुरूतियों में सुधार के प्रयास आरंभ हुए। इसी क्रम में राजा राममोहन राय, ईश्वरचन्द्र विद्यासागर, रमाबाई एवं सर सैबयद अहमद खाँ जैसे समाज सुधारक सामने आए। जहाँ तक विश्व पूंजीवाद व्यवस्था के अंग बनने की बात है तो अंग्रेज़ों ने मातृ देश के हित में कई नीतियाँ लागू कीं, जैसे: अंग्रेज़ों ने भारतीय कृषि को परिवर्तित करने के प्रयास में जमींदारी व्यवस्था का सूत्रपात किया जो मुगल काल में भारत में विद्यमान नहीं थी। ज़मीन को व्यक्तिगत संपत्ति बनाने से इसमें पूंजीवादी तत्त्व जुड़ गए, जो बड़े पैमाने पर स्वतंत्र रूप से खरीदी एवं बेची जाती थी। कृषि के वाणिज्यीकरण से भारतीय अर्थव्यवस्था विश्व अर्थव्यवस्था से जुड़ गई तथा कृषि का पूंजीवादी रूपातंरण हुआ। उदाहरण के लिये अमेरिकी क्रांति के दौरान भारत से कपास के निर्यात में वृद्धि हुई। पूंजीवाद से ही प्रभावित होकर ब्रिटिश निवेशकों ने भारत में रेलवे, जूट उद्योग एवं चाय बगानों आदि में निवेश किया। लेकिन पूंजीवाद का यह स्वरूप मुख्यत: औपनिवेशिक शक्ति के ही हित में था तथा यह उपनिवेश के विकास में सहायक की बजाय अवरोधक ही था। इसका कारण औपनिवेशिक शक्ति द्वारा अपने मातृ देश के हित में नीतियाँ बनाना था। इसी का परिणाम था कि भारत विश्व पूंजीवाद का अभिन्न अंग होते हुए भी अपनी स्वतंत्रता के समय विऔद्योगीकरण एवं कृषि में पिछड़े देश के रूप में सामने आया। निष्कर्षत: कह सकते हैं कि उपनिवेशवाद ने औपनिवेशिक भारतीय समाज में राजनीतिक, प्रशासनिक एवं सामाजिक दृष्टि से मौलिक परिवर्तन किया तथा इसे विश्व पूंजीवादी व्यवस्था का अंग बना दिया। इस पूंजीवाद का स्वरूप औपनिवेशिक शक्ति के ही हित में था। उपनिवेशवाद – यूपीएससी परीक्षा के लिए आधुनिक इतिहास के नोट्स यहां प्राप्त करें!Gaurav Tripathi | Updated: जुलाई 22, 2022 23:53 IST This post is also available in: English (English) उपनिवेशवाद (Colonialism in Hindi) एक व्यापक रूप से समस्याग्रस्त विचार है। उपनिवेशवाद (Colonialism in Hindi) वाक्य का अर्थ क्या है और इसे कैसे परिभाषित किया जा सकता है, इसकी कई अलग-अलग व्याख्याएं हैं। उपनिवेशवाद (Colonialism) एक सामाजिक निर्माण है जिसमें उत्पादन के कई रूप सह-अस्तित्व में हैं, जैसे सामंतवाद, क्षुद्र वस्तु उत्पादन, कृषि, औद्योगिक और वित्तीय पूंजीवाद। पूंजीवाद के विपरीत, जहां उत्पादन के साधनों के स्वामित्व के आधार पर अधिशेष को जब्त कर लिया जाता है, अधिशेष को राज्य सत्ता पर नियंत्रण के आधार पर उपनिवेशवाद के तहत विनियोजित किया जाता है। उपनिवेशवाद (Colonialism in Hindi) की ये सभी विशेषताएं सिविल सेवाओं और एसएससी, राज्य सिविल सेवाओं आदि जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण हैं। विषय को विस्तार से समझने के लिए, टेस्टबुक सिविल सेवा उम्मीदवारों के लिए सर्वोत्तम गुणवत्ता वाले नोट्स तैयार करता है। यूपीएससी परीक्षा के दृष्टिकोण से इतिहास के प्रमुख विषयों का अध्ययन टेस्टबुक से करें। उपनिवेशवाद (यूपीएससी परीक्षा के लिए आधुनिक इतिहास नोट्स) : यहां पीडीएफ डाउनलोड करें!
उपनिवेशवाद क्या है? | What is Colonialism?
उपनिवेशवाद की बुनियादी विशेषताएं | Basic Features of Colonialism
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सरदार उधम सिंह के बारे में पढ़ें! उपनिवेशवाद के प्रकार | Types of Colonialism
उपनिवेशवाद के कारण | Causes of Colonialism
उपनिवेशवाद, साम्राज्यवाद और नया साम्राज्यवाद | Colonialism, Imperialism and New Imperialism
ब्रिटिश औपनिवेशिक भारत | British Colonial India
प्रथम चरण | First Stage
दूसरा चरण | Second Stage
तीसरा चरण | Third Stage
भारत पर उपनिवेशवाद का प्रभाव | Impact of Colonialism on India
उपनिवेशवाद पर यूपीएससी अभ्यास प्रश्न | UPSC Practice Questions on Colonialismप्रश्न1. पुर्तगाली पहले भारत आए, लेकिन अंत तक भारत में नहीं रह सके, इसके पीछे क्या कारण था? समझाइये। हम आशा करते हैं कि इस लेख को पढ़ने के बाद उपनिवेशवाद (Colonialism in Hindi) विषय के बारे में आपके सभी संदेह दूर हो गए होंगे। टेस्टबुक विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए व्यापक नोट्स का एक सेट प्रदान करता है। टेस्टबुक हमेशा अपने सर्वोत्तम गुणवत्ता वाले उत्पाद जैसे लाइव टेस्ट, मॉक, कंटेंट पेज, जीके और करंट अफेयर्स वीडियो और बहुत कुछ के कारण सूची में सबसे ऊपर है। UPSC के लिए आधुनिक इतिहास से अधिक विषयों का अध्ययन करने के लिए, अभी टेस्टबुक ऐप डाउनलोड करें! उपनिवेशवाद – FAQsQ.1 उपनिवेशवाद कितने प्रकार के होते हैं? Ans.1 उपनिवेशवाद और शोषण उपनिवेशवाद उपनिवेशवाद के दो मुख्य रूप हैं। बसने वाले उपनिवेशवाद में धार्मिक, आर्थिक या राजनीतिक कारणों से बड़े पैमाने पर आप्रवासन शामिल है। औपनिवेशिक शोषण में व्यापार और व्यवसाय शामिल हैं जैसे उत्पादों का निर्यात या यहां तक कि दास व्यापार। Q.2 उपनिवेशवाद का लक्ष्य क्या है? Ans.2 उपनिवेशवाद एक व्यक्ति या सत्ता का अभ्यास या नीति है जो अक्सर उपनिवेशों की स्थापना के माध्यम से और अक्सर आर्थिक वर्चस्व के लक्ष्य के साथ दूसरे लोगों या क्षेत्र पर नियंत्रण करता है। उपनिवेशवादी अपने धर्म, भाषा, अर्थव्यवस्था और अन्य सांस्कृतिक मानदंडों को उपनिवेशीकरण प्रक्रिया के दौरान लागू कर सकते हैं। Q.3 उपनिवेशवाद वास्तव में क्या है? Ans.3 उपनिवेशवाद एक नीति है जिसमें एक सरकार दूसरे देश के लोगों और भौतिक क्षेत्र पर राजनीतिक या आर्थिक प्रभुत्व का विस्तार करने का प्रयास करती है। सामान्य तौर पर, औपनिवेशिक सत्ता का प्रमुख लक्ष्य आर्थिक नियंत्रण और संसाधनों का दोहन है। Q.4 उपनिवेशवाद की विशेषताएं क्या हैं? Ans.4 उपनिवेशवाद की विशेषता एक विदेशी आबादी पर राजनीतिक और कानूनी प्रभुत्व, आर्थिक और राजनीतिक निर्भरता, शाही शक्तियों और उपनिवेश के बीच शोषण और नस्लीय और सांस्कृतिक असमानता है। Q.5 उपनिवेशवाद का उद्देश्य क्या है? Ans.5 उपनिवेश के प्राकृतिक धन का आर्थिक शोषण, उपनिवेशवादियों के लिए नए बाजारों का निर्माण, और उपनिवेशवादियों के जीवन के तरीके का अपनी राष्ट्रीय सीमाओं से परे विस्तार, ये सभी उपनिवेशवाद के लक्ष्य थे।
उपनिवेशवाद का मुख्य आधार क्या है?Ans. 3 उपनिवेशवाद एक नीति है जिसमें एक सरकार दूसरे देश के लोगों और भौतिक क्षेत्र पर राजनीतिक या आर्थिक प्रभुत्व का विस्तार करने का प्रयास करती है। सामान्य तौर पर, औपनिवेशिक सत्ता का प्रमुख लक्ष्य आर्थिक नियंत्रण और संसाधनों का दोहन है।
उपनिवेशवाद की प्रमुख विशेषताएं क्या है?उपनिवेशवाद की दूसरी विशेषता में औपनिवेशिक अर्थव्यवस्था के आंतरिक अलगाव के असमान विनिमय तथा इसके विभिन्न हिस्सों के जुड़ाव की जुड़वा अवधारणा सम्मिलित है और यह व्यवस्था महानगरीय व्यवस्था के साथ वैश्विक बाजार तथा साम्राज्यवादी वर्चस्व के माध्यम से चलती है ।
उपनिवेशवाद से क्या समझते हैं?उपनिवेशवाद का अर्थ है - किसी समृद्ध एवं शक्तिशाली राष्ट्र द्वारा अपने विभिन्न हितों को साधने के लिए किसी निर्बल किंतु प्राकृतिक संसाधनों से परिपूर्ण राष्ट्र के विभिन्न संसाधनों का शक्ति के बल पर उपभोग करना।
उपनिवेशवाद की उत्पत्ति कैसे हुई?स्पेन को अमेरिका रूपी एक ऐसी धन की कुंजी मिली कि वह समृद्धि के चरमोत्कर्ष पर पहुँच गया। ईसाई-धर्म-प्रचारक भी धर्म प्रचार हेतु नये खोजे हुए देशों में जाने लगे। इस प्रकार अपने व्यापारिक हितों को साधने एवं धर्म प्रचार आदि के लिए यूरोपीय देश उपनिवेशों की स्थापना की ओर अग्रसर हुए और इस प्रकार यूरोप में उपनिवेश का आरंभ हुआ।
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