HomeHindi Literatureप्रगतिवादी काव्य की प्रमुख विशेषताएँ (प्रवत्तियाँ) । Pragativad kavya ki visheshta January 04, 2022 Show
प्रगतिवादी काव्य की विशेषताएँ (Pragativad kavya ki visheshta)प्रगतिवादी काव्य की प्रमुख प्रवत्तियाँ
प्रगतिवादी काव्यधारा की प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं1. रूढ़ियों का विरोध-
2. शोषकों के प्रति विद्रोह, शोषितों के प्रति सहानुभूतिः
"श्वानों को मिलता वस्त्र, दूध बच्चे अकुलाते हैं, माँ की हड्डी से चिपक ठिठुर, जाड़ों की रात बिताते हैं।”
"वह आता दो टूक कलेजे के करता, पछताता पथ पर आता।" 3. क्रांति की भावना
“कवि कुछ ऐसी तान सुनाओ, जिससे उथल-पुथल मच जाए।" 4 यथार्थ चित्रण-
"सड़े घूर की गोबर की बदबू से दबकर, महक जिन्दगी के गुलाब की भर जाती है।" -केदारनाथ अग्रवाल
"हाय मत्यु का ऐसा अमर अपार्थिव पूजन जब विषण्ण निर्जीव पड़ा हो जग का जीवन।" इसी प्रकार भारत के ग्रामों का वर्णन करते हुए कवि पंत लिखते हैं "यह तो मानव लोक नहीं है, यह है नरक अपरिचित । यह भारत का ग्राम सभ्यता संस्कृति से निर्वासित।" 5. मानवतावादी दष्टिकोण-
"जिसे तुम कहते हो भगवान जो बरसाता है जीवन में रोग, शोक, दुःख- दैन्य अपार उसे सुनाने चले पुकार ।" उसे ईश्वर पर आस्था नहीं है। 6. मार्क्स का गुणगान
"धन्य मार्क्स चिर तमाच्छन्न पथ्वी के उदय शिखर, तुम त्रिनेत्र के ज्ञात चक्षु से प्रकट हुए प्रलयंकर ।" उपर्युक्त पंक्तियों में पंत जी ने मार्क्स को प्रलयंकारी शिव का तीसरा नेत्र बताया है तो नरेन्द्र शर्मा रूस का गुणगान करते हुए कहते हैं- "लाल रूस है ढाल साथियों सब मजदूर किसानों की। " 7. सांस्कृतिक समन्वय
"एक दिन न्यूयार्क भी मेरी तरह हो जाएगा जिसने मिटाया है मुझे, वह भी मिटाया जाएगा।" प्रगतिवादी कवि की दृष्टि में हिन्दु, मुसलमान, सिक्ख, ईसाई सभी मानव के नाते बराबर हैं। 8 नारी भावना-
“योनि नहीं रे नारी, वह भी मानव प्रतिष्ठित है। उसे पूर्ण स्वाधीन करो, वह रे न नर पर अवसित ।। " कवि पंत पुनः कहते हैं- “मुक्त करो नारी को।" 9. वेदना चित्रण-
"बाप बेटा बेचता है, भूख से बेहाल होकर, धर्म धीरज प्राण खोकर, हो रही अनरीति बर्बर राष्ट्र सारा देखता है। " नागार्जुन आज की थोथी आजादी पर अपनी वेदना व्यक्त करते हुए कहते हैं- "कागज की आजादी मिली ले लो दो-दो आने में।" 10. शिल्प योजना-
प्रगतिवाद की विशेषताएं क्या है?प्रगतिवाद अर्थ, अवसर तथा संसाधनों के समान वितरण के द्वारा ही समाज की उन्नति में विश्वास रखता है। सामान्य जन की प्राण प्रतिष्ठा, श्रम की गरिमा, सामाजिक लोगों के सुख-दुख आदि को प्रस्तुत करना प्रगतिवादी काव्य का प्रमुख लक्ष्य है। प्रगतिवादी काव्य में शोषित वर्ग के प्रति सहानुभूति का भाव व्यक्त किया गया है।
प्रगतिवादी काव्य क्या है?प्रगतिवाद काव्य मे शोषितों के प्रति सहानुभूति देखने को मिलती है। प्रगतिवादी कवियों ने व्यक्तिगत सुख-दुःख के भावों की अपेक्षा समाज की गरीबी, भुखमरी, अकाल, बेरोजगारी आदि सामाजिक समस्याओं की अभिव्यक्ति पर बल दिया। प्रगतिवादी काव्य मे "कला को कला के लिए" न मानकर कला को जीवन के लिए' का सिद्धांत अपनाया गया है।
प्रगतिवादी युग की दो विशेषताएं क्या है?1. शोषितो के प्रति सहानुभूति -प्रगतिवादी कवियों ने किसानों मजदूरों पर किए जाने वाले पूंजी पतियों के अत्याचारों के प्रति अपना विद्रोह व्यक्त किया है। 2. सामाजिक यथार्थ का चित्रण- प्रगतिवादी कवियों ने सामाजिक यथार्थ का चित्रण किया है उन्होंने गरीबी भुखमरी अकाल और बेरोजगारी आदि विभिन्न समस्याओं का वर्णन किया है .
प्रगतिवाद रचना का मुख्य उद्देश्य क्या है?प्रगतिवादी कविता का मूल उद्देश्य है : वर्गविहीन शोषणविहीन समाज की स्थापना करना।
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