विधि : गौमूत्र 25 लीटर व नीम की पत्तियां 2.5 किलोग्राम। पत्तियों को गौमूत्र में भिगोकर इतना उबालें कि वह 15 लीटर रह जाए। इसे ठंडा कर कैन में भरकर रख लें। Show उपयोग: उपयोग के लिए पहले गमलों और क्यारियों को पानी देकर तर करें। अब 100 लीटर पानी में 1 लीटर उपरोक्त घोल मिला कर पूरे पौधे और जड़ों के पास क्यारी में छिड़कें। 8 से 10 दिनों के बाद फिर दो बार छिड़कें। फायदा : यह कीड़ों को मारता नहीं, आने से रोकता है। गोबर की खाद : प्रवाही खाद बनाने के लिए मटके या टंकी में 12 लीटर पानी लेकर उसमे आधा किलो नीम खली और 3 किलो ताजा गोबर मिलाकर 15 दिनों तक ढंक कर रखें। इस दौरान मिश्रण को एक या दो बार हिलाएं। इसमें 10 गुना पानी मिलाकर इसे पतला करें और क्यारी या गमलों में छोड़कर खुरपी से मिट्टी पलट दें। -शेष पेज III पर इंदौर | गमलों की मिट्टी तैयार करने से लेकर पेड़ों को पानी देने का सही तरीका और घर में ही पत्तियों व गौमूत्र से ऑर्गेनिक खाद बनाना सिखाई गई इस वर्कशॉप में। टेरेस गार्डनिंग विषय पर महिला प्रकोष्ठ अग्रवाल केंद्रीय समिति की ओर से शनिवार को महिलाओं के कराई गई इस वर्कशॉप में एक्सपर्ट सुस्मित व्यास ने बागवानी की बारीकियां बताईं। ऐसे तैयार करें मिट्टी • गमले में पौधा सीमित जगह में बढ़ता है। इसलिए उसे भरपूर पोषण देने के लिए मिट्टी में पोषक तत्वों का उपयोग ज़रूरी है। • किसी बगीचे में मुख्यतः 2 आकार के गमलों का उपयोग होता है - 12 इंच के गमले या 15 इंच के नांद। इनमें क्रमशः 20 लीटर और 30 लीटर मिट्टी समाती है। 12 इंच गमले के मिट्टी एेसे तैयार करें • डेढ़ तगारी बगीचे की काली मिट्टी • पौन तगारी गोबर की सड़ी हुई खाद • आधा तगारी छनी हुई मोटी रेत जो ईंटों की जुड़ाई के काम आती है • 100 ग्राम नीम खली • 50 ग्राम स्टेरी मील और बोनमील • इन सभी चीजों को मिलाकर थोड़ा पानी छिड़क दें और पत्तियों से ढंक कर एक सप्ताह के लिए छोड़ दें। नांद के लिए इसकी डेढ़ गुनी मात्रा में सामग्री लें। • गमले की पेंदी के छेद को टूटे गमले के टुकड़े से बंद करें। इस पर 2-3 इंच मोटी घासफूस या सूखी पत्तियों की तह बिछाएं। • फिर मिट्टी का तैयार मिश्रण गमले की ऊपरी सतह तक भरें। गमले को किसी ठोस स्थान पर हलके से ठोंकने पर मिट्टी गमले के अंदर उतर जाएगी। इस प्रकार गमले की ऊपरी किनार से 1-2 इंच जगह ख़ाली रहेगी। इसे ख़ाली ही रखें। • गमले में मिट्टी का मिश्रण भरते समय गमला सूखा हो, उसे गीला न करें। • पौधा लगाने के बाद गमला कभी भी सीधा भूमि पर न रखें। उसे ईंट के ऊपर रखे। इससे गमले के पानी से आपके फर्श पर काई नहीं जमेगी। पाइप से सीधे न दें पानी • सिंचाई के पानी की बचत के लिए क्यारी और गमलो में देर शाम के समय पानी दें। इससे भाप बनकर उड़ने वाले पानी में कमी आएगी और पानी बचेगा। • पाइप से सीधे क्यारी और गमलो को न सीचें। इसके लिए पाइप के सिरे पर छोटे छेदो वाली जालीदार झब्बी लगाएं और पानी के हज़ारे से पानी दें। Horticulture Tips: अधिकतर लोगों को बागवानी का शौक होता है। पेड़-पौधे न केवल ऑक्सीजन ही देते हैं बल्कि खूबसूरती बढ़ाते हैं और फल, फूल भी देते हैं। बागवानी के लिए अच्छी मिट्टी जितनी जरूरी है उतनी ही जरूरी है खाद भी क्योंकि खाद से ही पेड़-पौधों को ग्रोथ के लिए आवश्यक पोषक तत्व मिलते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि चाय की इस्तेमाल की हुई चायपत्ती से आप काफी बेहतर खाद बना सकते हैं। चाय की पत्तियां नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम का अद्भुत स्रोत हैं। ये तीनों पौधे की वृद्धि के लिए आवश्यक तत्व हैं। एक शोध के अनुसार, विश्व स्तर पर हम वर्ष में लगभग 3,00,000 टन चाय की पत्तियों का उपभोग करते हैं। लेकिन हम जैविक उर्वरकों के इस संभावित स्रोत का उपयोग नहीं कर रहे हैं। हम चाय की पत्तियों को अपशिष्ट पदार्थों के साथ फेंकने की आदत में हैं। लेकिन क्या होगा अगर हम उनका इस्तेमाल करना शुरू कर दें? वर्मी कम्पोस्ट जैसे जैविक खाद की तुलना में चाय पत्ती की खाद तैयार करना बहुत आसान है। चाय की पत्तियां मिट्टी की गुणवत्ता को भी बढ़ाती हैं और पूरी तरह से जैविक होती हैं। इसलिए यदि हम चाय की पत्ती की खाद बनाना शुरू कर दें तो हम उपयोगी अपशिष्ट पदार्थों का पुन: उपयोग कर पाएंगे। इससे बागवानों के साथ-साथ छोटे पैमाने के किसानों को भी काफी पैसा बचाने में मदद मिलेगी। सूखी चाय की पत्तियां नाइट्रोजन से भरपूर जैविक खाद का बड़ा स्रोत हैं। चाय की पत्तियों में 4% नाइट्रोजन होता है। इसके अलावा इसमें 0.25% पोटेशियम, 0.24% फास्फोरस, टैनिक एसिड और अन्य उपयोगी तत्व भी होते हैं। इससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ाने में मदद मिलती है। आप चाय की पत्तियों को सूखे रूप में उपयोग कर सकते हैं या आप उन्हें खाद बिन में भी डाल सकते हैं। आप इस जैविक खाद का उपयोग पौधे की वानस्पतिक वृद्धि के दौरान कर सकते हैं। लेकिन मैं आपको फूलों के मौसम के दौरान उन्हें जोड़ने के लिए बढ़ावा नहीं दूंगा। चूंकि चाय पत्ती खाद में नाइट्रोजन की मात्रा अधिक होती है इसलिए यह पौधे के तेजी से वनस्पति विकास को बढ़ावा देगा। हालाँकि, यह उपज के साथ भी जुड़ा हुआ है। शाखाओं की संख्या अधिक होने से पुष्प उत्पादन में वृद्धि होती है। लेकिन भारी फूल पाने के लिए आपको फास्फोरस और पोटेशियम युक्त उर्वरकों को जोड़ने की जरूरत है। इसलिए यदि आप फूल, सब्जियां और फल उगा रहे हैं तो आप पौधे के वानस्पतिक विकास के दौरान जोड़ सकते हैं। यह पौधे के आकार को बढ़ाने में मदद करेगा। और एक बार जब आपका पौधा फूलने की अवस्था में पहुँच जाता है तो आपको पोटेशियम और फास्फोरस से भरपूर उर्वरकों को मिलाना होगा। इसके लिए आप या तो केले के छिलके की खाद और प्याज के छिलके की खाद का इस्तेमाल कर सकते हैं। चाय पत्ती की खाद (Organic Manure) कैसे बनाते हैं? चाय बनाने के लिए हम चाय की पत्तियों का उपयोग करते हैं। या तो हम चाय की पत्तियों को सीधे उबलते पानी में डाल देते हैं या फिर चाय बनाने के लिए टी बैग्स का इस्तेमाल करते हैं। दोनों ही स्थिति में चाय की पत्तियों को बारीक छलनी से छान लें। चायपत्ती को छलनी में अच्छे से धो लीजिये. अन्य उपयोग की गई सामग्री जैसे तुलसी के पत्ते, अदरक, या इलायची को निकाल लें। अगर आप चाय बनाने के लिए दूध का इस्तेमाल कर रहे हैं तो आपको इस्तेमाल की गई चाय की पत्तियों को अच्छी तरह से धोना चाहिए। अंत में चायपत्ती को छलनी में दबाकर अतिरिक्त पानी निकाल दें। आप या तो एक मध्यम आकार का मिट्टी का बर्तन या प्लास्टिक का कंटेनर ले सकते हैं। ऊपर से 2 से 4 छेद कर लें। यह अच्छा वातन सुनिश्चित करने में मदद करेगा। छेद का व्यास एक से दो सेंटीमीटर होना चाहिए। इस्तेमाल की हुई चाय की पत्ती को रोजाना बर्तन में डालें। जब बर्तन भर जाए तो डालते रहें। इस बर्तन को छाया में रखें। 60 से 90 दिनों के बाद यह इस्तेमाल के लिए तैयार हो जाएगा। जब आप देखें कि सूखी चाय की पत्तियों की मात्रा शुरुआती मात्रा से आधी है तो उन्हें निकाल लें। उन्हें 2 से 4 दिनों के लिए सीधे धूप में सुखाएं और फिर यह उपयोग के लिए तैयार है। हालाँकि यह एक और बहुत ही सरल तरीका है जिसे आप आजमा सकते हैं। खाद के रूप में चाय की पत्तियां प्रक्रिया शुरुआत में लगभग समान है। लेकिन चाय की पत्तियों को धोने, छानने और इकट्ठा करने के बाद आप इस तेज़ और आसान तरीके को भी आज़मा सकते हैं। चाय की पत्तियों को 24 घंटे के लिए सीधे धूप में सुखाएं। आप बगीचे की मिट्टी + सूखी चाय पत्ती खाद + जैविक खाद डाल सकते हैं। पानी छिड़कें और उन्हें अच्छी तरह मिला लें। इस मिश्रण को प्लास्टिक शीट से ढककर 4 से 5 दिन के लिए छाया में रख दें। 5वें दिन के बाद आप इस चाय पत्ती की खाद का उपयोग वैसे ही शुरू कर सकते हैं जैसे आप कोई अन्य भारी जैविक खाद डालते हैं। हालांकि, मैं आपको चाय पत्ती खाद के साथ अपशिष्ट डीकंपोजर या संजीवक का उपयोग करने का सुझाव दूंगा। चाय की पत्ती पौधों में कैसे डालें?आप इस्तेमाल की हुई चायपत्ती को अच्छे से धोकर व पानी को निचोड़कर धूप में एक दो दिन के लिए रख दें, जब चायपत्ती अच्छे से सूख जाए तो आप इसको डायरेक्टली मिट्टी में मिलाकर पौधे की जड़ों में डाल सकते हैं।
पौधों में चाय पत्ती डालने से क्या होता है?वहीं इन सब के अलावा चायपत्ती भी पौधों की ग्रोथ के लिए काफी फायदेमंद होती है। इसमें पाए जाने वाले गुण पौधों को बीमारियों से लड़ने की ताकत देते हैं। यही नहीं चायपत्ती की खाद मिट्टी की पीएच को एसिडिक बनाती है, जो पौधों के लिए जरूरी होता है।
चाय की पत्ती की खाद कैसे बनाई जाए?चायपत्ती से खाद ऐसे बनाएं:
- चायपत्ती से खाद बनाने के लिए इसे इस्तेमाल के बाद पानी से धोकर अच्छे से निचोड़ दें और पहले से ही रखे मिट्टी के घड़े या खाद बनाने के बर्तन में इसे रोजाना डालते जाएं. ध्यान रखें कि खाद वाला बर्तन ऐसे जगह रखें जहां सीधे बारिश और धूप की गर्मी ना आती हो.
क्या चाय का पानी पौधों के लिए अच्छा होता है?सूखी चायपत्ती में 4.4 % नाइट्रोजन , . 25 % पोटेशियम , 0.24 % फास्फोरस , 0.6 % कैल्शियम और 0.5% मैग्निशियम पाया जाता है । जैसा कि आपको पता ही होगा यह सभी तत्व पौधों कि अच्छी growth के लिए आवश्यक हैं ।
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