द्वितीयक क्षेत्र में क्या क्या शामिल है? - dviteeyak kshetr mein kya kya shaamil hai?

इस क्षेत्र की क्षेत्र II शोध गतिविधियाँ दो विभिन्न दृष्टिकोणों पर ध्यान केन्द्रित करती हैं: (ए) भौमिक एवं जलीय वातावरण में वर्तमान भूगर्भीय एवं भूरासायनिक प्रक्रियाओं की समझ और,  (बी) विभिन्न आंकलन माध्यमों पर आधारित दक्षिण भारतीय क्रस्ट का स्त्रोत, जिसमें भूरासायनिक तथा भूकालानुक्रमिक शामिल हैं . एक अखिल भारतीय रूप से संचालित परियोजना होने के रूप में, एक अध्ययन भारत उत्तरी एवं पश्चिमी समुद्रतटों में होने वाले समुद्री स्तर के बदलावों की विभिन्न स्थितियों पर आधारित है . डेटाबेस में चुने हुए स्थान पर ऐतिहासिक एवं वर्तमान पर्यवेक्षण, जो कि मुख्य मानदंडों जैसे अवसाद की हलचल आदि का प्रयोग करते हैं, शामिल हैं . कई अध्ययन वर्तमान से होलोसीन समय की भूरासायनिक एवं जैविक भूरासायनिक पक्रियाओं से जुड़े हुए कई विषयों से सम्बन्ध रखते हैं . महत्वपूर्ण अध्ययन राजस्थान कीएफ समस्याएं, यमुना घाटी में भारी धातु प्रदूषण तथा जैविक भूरसायन में पर्यावरणिक जानकारी प्रणाली (एन्विस) पर ध्यान केन्द्रित करते हैं . इन अध्ययनों में कई तरह के साधनों का प्रयोग किया जाता है जिनमें डीएनए तथा पॉलेन की जांच शामिल है . दक्षिण भारित क्रस्ट की सृष्टि एवं खनिज के भण्डार के निर्माण पर भूरासायनिक एवं आइसोटोपिक आंकड़ों का प्रयोग करके कार्य जारी है . वेदरिंग एवं मिट्टी के निर्माण, तत्व स्थानान्तरण एवं जुड़े हुए भूरासायनिक विशिष्टीकरण की समझ के लिए भी सतह की धरती की प्रक्रियाओं की मदद से कार्य शुरू किया गया है . बाढ़ पठार अवसादों के उपजाऊपन की समझ के लिए भूरासायनिक शोध, जिसके लिए कावेरी नदी घाटी को चुना गया है, शुरू किया गया है . गढ़वाल हिमालय के हिमालयी ग्लेशियर की भूरासायनिकता एवं जलविज्ञान भी अध्ययन का एक और भाग है . यह कार्य रासायनिक एवं अवसाद के गंगा जल विभाजक में स्थानान्तरण के सन्दर्भ से डोकरीयानि बमक एवं गंगोत्री ग्लेशियर पर ध्यान केन्द्रित करता है. यह अध्ययन हिमालयी ग्लेशियर पर अखिल भारतीय संचालन शोध का एक हिस्सा है . विद्यालय रिमोट सेंसिंग तकनीक से शोध गतिविधियों का विकास कर रहा है जिसमें भौम जलस्तर एवं खनिज स्त्रोत विशेष रूप से संदर्भित हैं .यह कार्य राष्ट्रीय रिमोट सेंसिंग एजेंसी के सौजन्य से किया जा रहा है.

द्वितीय क्षेत्र संकाय

प्रोफेसर एस मुख़र्जी

रोफेसर ए एल रामनाथन

प्रोफेसर एन जनार्धना राजू

डॉक्टर नीलम सिवा सिद्दैया

 

प्राथमिक क्षेत्र अर्थव्य्वस्था का वह क्षेत्र है जो प्राकृतिक संसाधनों का सीधा उपयोग करता है। इसमें कृषि, वानिकी, मछली पकड़ना और खनन भी शामिल हैं। इसके विपरीत, द्वितीयक क्षेत्र वस्तुओं का विनिर्माण करता है और तृतियक  सेवाएं प्रदान करता है। प्राथमिक क्षेत्र आमतौर पर कम विकसित देशों में सबसे महत्वपूर्ण होता है जबकि विकसित देशों में प्रायः कम महत्वपूर्ण है।

विनिर्माण उद्योग जो कच्चे माल को पैक या शुद्धिकरण करते हैं उन्हें प्राथमिक क्षेत्र के करीब माना जाता है।

विकसित देशों में, प्राथमिक क्षेत्र अधिक तकनीकी रूप से उन्नत हो गया है, उदाहरण के लिए खेती का मशीनीकरण, गरीब देशों में हाथ से लेने और रखने के साथ तुलना में।  अधिक विकसित अर्थव्यवस्थाएँ उत्पादन के प्राथमिक साधनों में अतिरिक्त पूँजी का निवेश कर सकती हैं: उदाहरण के लिए, संयुक्त राज्य में मकई की पेटी में , हार्वेस्टर को मिलाकर मकई का छिड़काव करें, और स्प्रेयर कीटनाशक , शाकनाशी और कवकनाशी की बड़ी मात्रा में स्प्रे करें। कम पूंजी-गहन तकनीकों का उपयोग करके अधिक उपज का उत्पादन संभव है। ये तकनीकी प्रगति और निवेश प्राथमिक क्षेत्र को एक छोटे कार्यबल को नियुक्त करने की अनुमति देते हैं, इसलिए विकसित देश अपने कार्यबल का एक छोटा प्रतिशत प्राथमिक गतिविधियों में शामिल करते हैं, बजाय उच्चतर माध्यमिक और तृतीयक क्षेत्रों में शामिल प्रतिशत के ।

विकसित देशों में प्राथमिक उद्योग तकनीक रूप से अधिक उन्नत बन गया है , उदाहरण के लिए, खेती में हाथों से रोपण की जगह मशीनीकरण का उपयोग। अधिक विकसित अर्थव्यवस्थाओं में प्राथमिक उपादन के साधन के लिए अनवरत पूंजी का निवेश किया गया है।    [1]

इसे सुनेंरोकेंद्वितीयक क्षेत्र में विद्युत उपकरण निर्माण, खाद्य निर्माण, कपड़ा उत्पादन, हस्तशिल्प और उद्योग शामिल हैं। उदाहरण के लिए – लौह अयस्क का उपयोग करके विनिर्माण की प्रक्रिया के जरिए हम कार, बसें, रेल बनाते हैं। विकसित देशों में माध्यमिक क्षेत्र मध्यम वर्ग के लिए अच्छी तनख्वाह वाली नौकरियों का बहुत महत्वपूर्ण स्रोत है।

इसे सुनेंरोकेंद्वितीयक क्षेत्र को हम माध्यमिक क्षेत्र के नाम से भी जानते है। द्वितीयक क्षेत्र में विद्युत उपकरण निर्माण, खाद्य निर्माण, कपड़ा उत्पादन, हस्तशिल्प और उद्योग शामिल हैं। उदाहरण के लिए – लौह अयस्क का उपयोग करके विनिर्माण की प्रक्रिया के जरिए हम कार, बसें, रेल बनाते हैं।

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विद्युत छेत्र रेखा क्या है?

इसे सुनेंरोकेंविद्युत क्षेत्र-रेखा विद्युत-क्षेत्र में खींचा गया वह काल्पनिक, निष्कोण वक्र (smooth curve) है जिस पर एक स्वतन्त्र व पृथक्कित (isolated) एकांक धन आवेश चलता है। विद्युत-बल रेखा के किसी भी बिन्दु पर खींची गई स्पर्श-रेखा उस बिन्दु पर स्थित धन आवेश पर लगने वाले बल की दिशा बताती है।

गतिशील आवेश में कौन कौन से क्षेत्र उत्पन्न होते हैं?

इसे सुनेंरोकेंएक गतिशील आवेश का परिणाम धारा का प्रवाह होता है। हम जानते हैं कि धारा ले जाने वाला चालक अपने चारों ओर एक चुंबकीय क्षेत्र का निर्माण करता है। इसलिए गतिशील आवेश एक विद्युत क्षेत्र और एक चुंबकीय क्षेत्र दोनों निर्माण करता है।

क्षेत्रफल कैसे निकाले जाते हैं?

यहाँ पर हर आकृति के क्षेत्रफल का सूत्र दिया गया है:

  1. वर्ग का क्षेत्रफल = भुजा2 = a2
  2. आयत का क्षेत्रफल = लम्बाई x चौड़ाई = w x h.
  3. समलंब चतुर्भुज का क्षेत्रफल = [(भुजा 1 + भुजा 2) x ऊंचाई]/2 = [(a + b) x h]/2.
  4. त्रिभुज का क्षेत्रफल = आधार x ऊंचाई x 1/2 = (b + h)/2.
  5. अर्धवृत्त का क्षेत्रफल = (π x त्रिज्या2)/2 = (π x r2)/2.

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द्वितीयक क्षेत्र का क्या अर्थ है?

इसे सुनेंरोकेंद्वितीयक क्षेत्र की गतिविधियों के अंतर्गत प्राकृतिक उत्पादों को विनिर्माण प्रणाली के जरिए अन्य रूपों में परिवर्तित किया जाता है। यह प्राथमिक क्षेत्र का अगला कदम है । कपास से कपड़ा, गन्ने से चीनी तथा लौह अयस्क से इस्पात बनाना इस गतिविधि के कुछ महत्त्वपूर्ण उदाहरण हैं।

द्वितीय क्षेत्र का दूसरा नाम क्या है?

इसे सुनेंरोकेंअर्थव्यवस्था के प्राथमिक क्षेत्र में उत्पादन मुख्यतः प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग से होता है, जबकि द्वितीय क्षेत्र में विनिर्माण प्रणाली के उपयोग से उत्पादों को अन्य रूपों में परिवर्तित किया जाता है । प्राथमिक क्षेत्र को प्राइमरी सेक्टर और द्वितीय क्षेत्र को सेकंडरी सेक्टर के नाम से जाना जाता है।

प्राथमिक द्वितीय तृतीय क्षेत्र क्या है?

इसे सुनेंरोकें(i) प्राथमिक क्षेत्रक – प्राथमिक क्षेत्रक में कृषि, वानिकी, पशुपालन, मत्स्यपालन, मुर्गीपालन और खनन एवं उत्खनन शामिल हैं। (ii) द्वितीयक क्षेत्रक -द्वितीयक क्षेत्रक में विनिर्माण शामिल है। (iii) तृतीयक क्षेत्रक- तृतीयक क्षेत्रक में व्यापार, परिवहन, संचार, बैंकिंग, शिक्षा, स्वास्थ्य, बीमा, बैंकिंग आदि सेवाएं शामिल है।

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तृतीय क्षेत्रक अन्य क्षेत्रकों से कैसे भिन्न है उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर : तृतीयक क्षेत्रक अन्य क्षेत्रकों से भिन्न है क्योंकि इस की गतिविधियां अन्य क्षेत्रकों (प्राथमिक एवं द्वितीयक) के विकास में मदद करते हैं। यह गतिविधियां स्वयं वस्तुओं का उत्पादन नहीं करती है बल्कि उत्पादन प्रक्रिया में सहायता करती है। इस क्षेत्र को सेवा क्षेत्र भी कहते हैं क्योंकि यह सेवाओं का सृजन करती हैं।

द्वितीय क्षेत्र में कौन कौन शामिल है?

द्वितीयक क्षेत्र में विद्युत उपकरण निर्माण, खाद्य निर्माण, कपड़ा उत्पादन, हस्तशिल्प और उद्योग शामिल हैं। उदाहरण के लिए – लौह अयस्क का उपयोग करके विनिर्माण की प्रक्रिया के जरिए हम कार, बसें, रेल बनाते हैं। विकसित देशों में माध्यमिक क्षेत्र मध्यम वर्ग के लिए अच्छी तनख्वाह वाली नौकरियों का बहुत महत्वपूर्ण स्रोत है।

तृतीय क्षेत्र में क्या क्या शामिल है?

तृतीयक क्षेत्र का विकास २०वीं शताब्दी के आरम्भ में शुरू हुआ। इसके अन्तर्गत व्यापार, यातायात, संप्रेषण (कमुनिकेशन्स), वित्त, पर्यटन, सत्कार (हॉस्पितैलिटी), संस्कृति, मनोरंजन, लोक प्रशासन एवं लोक सेवा, सूचना, न्याय, स्वास्थ्य, शिक्षा आदि आते हैं।

द्वितीय गतिविधि का उदाहरण क्या है?

कपास से कपड़ा, गन्ने से चीनी तथा लौह अयस्क से इस्पात बनाना इस गतिविधि के कुछ महत्त्वपूर्ण उदाहरण हैं। ये सब द्वितीयक क्षेत्र की गतिविधियाँ हैं क्योंकि तेयार माल सीधे प्रकृति से उत्पादित नहीं होता, वरन् उसे बनाना पड़ता है, इसलिए विनिर्माण की कोई प्रक्रिया आवश्यक है

द्वितीयक क्षेत्र का अर्थ क्या है?

Solution : द्वितीयक क्षेत्र वह क्षेत्र है जिसमें उद्यम एक प्रकार की वस्तु को दूसरे प्रकार में परिवर्तित करता है, जैसे- गन्ने से चीनी बनाना। इसे विनिर्माण क्षेत्र भी कहते हैं। इसमें उद्योग निर्माण आदि शामिल किए जाते हैं।