दधीचि की हड्डी से क्या बनता है? - dadheechi kee haddee se kya banata hai?

गुजरात विधानसभा चुनाव में शानदार जीत हासिल कर निर्दलीय विधायक बने युवा दलित नेता जिग्नेश मेवाणी का एक बयान राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय होना चाहिए. दरअसल, आज तक पर अंजना ओम कश्यप से जिग्नेश ने कहा, 'मोदी जी को हिमालय पर चले जाना चाहिए और वहां जाकर हड्डियां गलाना चाहिए. अब लोगों को मोदी पर नहीं, बल्कि हार्दिक, अल्पेश, कन्हैया कुमार पर भरोसा है.' इससे पहले अटल बिहारी वाजपेयी ने अपनी एक चर्चित कविता में हड्डियां गलाने के प्रसंग और दधीचि का जिक्र किया है.

जिस तरह से जिग्नेश ने उदाहरण दिया, राजनीति में नव दधीचि या हड्डियां गलाने का ऐसा प्रसंग हाल-फिलहाल नजर नहीं आता. जिग्नेश से पहले पूर्व प्रधानमंत्री और वरिष्ठ बीजेपी नेता अटल बिहारी वाजपेयी की एक चर्चित कविता में 'नवनिर्माण' के लिए दधीचि की हड्डियों को गलाने का प्रसंग है. कविता में अटल जी ने अपने दौर की मौजूदा समाज-राजनीति पर टिप्पणी करते हुए दधीचि का इस्तेमाल किया है. ये कविता अटलजी की किताब 'मेरी इक्यावन कविताओं' में भी संकलित है. उन्होंने लिखा-

'आहुति बाकी यज्ञ अधूरा

अपनों के विघ्नों ने घेरा

अंतिम जय का वज़्र बनाने-

नव दधीचि हड्डियां गलाएं

आओ फिर से दिया जलाएं'

तो क्या जिग्नेश के नव दधीचि नरेंद्र मोदी हैं?

तो क्या इशारों-इशारों में हड्डियां गलाने के लिए जिग्नेश ने अटल जी की कविता का जो 'नव दधीचि' खोजा है, वो नरेंद्र मोदी हैं? दरअसल बातचीत में जिग्नेश ने कहा, 'उन्हें (मोदी) नए लोगों के लिए दधीचि बन जाना चाहिए. जिग्नेश ने कहा, 'पीएम मोदी अब बूढे़ हो गए हैं, वह पुराने बोरिंग भाषण लोगों को सुना रहे हैं. उन्हें अब ब्रेक लेना चाहिए और रिटायर हो जाना चाहिए.'

और मुहावरे में क्या है मतलब...

'हड्डियां गलाना' हिंदी में एक प्रचलित मुहावरा भी है. मुहावरे में इसका मतलब किसी काम में पूरी तरह खप जाना है.

पुराणों में क्या है दधीचि का संदर्भ?

हड्डियां गलाने का प्रसंग हिंदू पुराणों में है. इसके मुताबिक़ 'वृत्रासुर' नाम के दानव से ऋषि, मनुष्य और देवता त्रस्त थे. उसके संहार के लिए दधीचि की अस्थियों को गलाकर वज्र का निर्माण किया गया था. इंद्र ने इसी वज्र से वृत्रासुर का संहार किया था.

चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये।

महर्षि दधीचि की हड्डी से बना हुआ शिव का धनुष था जो कि सीता स्वयंवर में तोड़ा गया था राम के द्वारा

maharshi dadhichi ki haddi se bana hua shiv ka dhanush tha jo ki sita sawamber mein toda gaya tha ram ke dwara

महर्षि दधीचि की हड्डी से बना हुआ शिव का धनुष था जो कि सीता स्वयंवर में तोड़ा गया था राम के

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दधीचि की हड्डी से क्या बनता है? - dadheechi kee haddee se kya banata hai?
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आपका प्रश्न है दधीचि की हड्डियों से कुल कितने अस्त्र बने थे महर्षि दधीचि की हड्डियों से देवों ने अनेकों अस्त्र बनाए थे लेकिन उनमें से चार प्रमुख अतिथि पहला था भगवान इंद्र कवच जिससे उन्होंने वृत्रासुर का वध किया था उसके बाद गांधी जो अर्जुन का धनुष पिनाक जो शिवजी का धनुष था जिन्हें राम कीरतपुर दिया था और सारंग जो भगवान श्री विष्णु का धनुष था इसके अलावा दधीचि की हड्डियों से बहुत सारे अंकित अस्त्र शस्त्र बनाए गए थे जो देवताओं ने ससुर के खिलाफ इस्तेमाल किए थे

aapka prashna hai dadhichi ki haddiyon se kul kitne astra bane the maharshi dadhichi ki haddiyon se Devon ne anekon astra banaye the lekin unmen se char pramukh atithi pehla tha bhagwan indra kavach jisse unhone vritrasur ka vadh kiya tha uske baad gandhi jo arjun ka dhanush pinak jo shivaji ka dhanush tha jinhen ram kiratpur diya tha aur sarang jo bhagwan shri vishnu ka dhanush tha iske alava dadhichi ki haddiyon se bahut saare ankit astra shastra banaye gaye the jo devatao ne sasur ke khilaf istemal kiye the

दधीचि हड्डी से क्या बना?

इन्हीं की हड्डियों से बने वज्र से इंद्र ने वृत्रासुर का संहार किया था।

दधीचि के हड्डियों से कितने धनुष बने?

दिव्य धनुष और तरकश : दधीचि ऋषि ने देश के हित में अपनी हड्डियों का दान कर दिया था। उनकी हड्डियों से 3 धनुष बने- 1.

दधीचि का अर्थ क्या होता है?

दधीचि का हिंदी अर्थ (पुराण) एक परोपकारी और उदार ऋषि जिनकी रीढ़ की हड्डी से इंद्र ने वज्र नामक शस्त्र बनाकर वृत्रासुर नामक दैत्य को मारा था; दधीच।

दधीचि ने क्या त्याग किया था?

इस दौरान उन्होंने कहा कि वैसे तो भारतीय इतिहास में कई दानी हुए। कितु मानव कल्याण के लिए अपनी अस्थियों का दान करने वाले मात्र महर्षि दधीचि ही थे। देवताओं के मुख से यह जानकर की मात्र दधीचि की अस्थियों से निर्मित वज्र से ही असुरों का संहार किया जा सकता है। महर्षि दधीचि ने अपना शरीर त्याग कर अस्थियों का दान कर दिया था