दांतों में मसाला भरने के नुकसान - daanton mein masaala bharane ke nukasaan

फिट शरीर के कुंजी हैं फिट दांत। डॉ. ज्योति सिंह बता रही है उन 10 गलतियों के बारे में जिनकी वजह से दांतों को भारी नुकसान पहुंचता है :

1.रेग्युलर चेकअप से परहेज : नियमित रूप से अपने दांतों का चेकअप करना दांतों की देखभाल के लिए बहुत जरूरी है। आपको अपने दांतों में दर्द, सड़न, सेंसिटिविटी होने तक का इंतज़ार नहीं करना चाहिए। साल में एक बार डेंटिस्ट से चेकअप कराएं। इससे होने वाली परेशानी को पहले ही रोक सकेंगे।

2. परेशानी को भूल जाना : किसी भी परेशानी को जरा आराम मिलते ही भूल जाना दांतों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। फॉलोअप यानी जांच , इलाज के बाद और बीच में बहुत जरूरी होती हैं, आपका ट्रीटमेंट कुछ भी हो लेकिन अगर डेंटिस्ट ने आपको फिर से चेकअप के लिए कहा है तो जरूर कराएं। खासतौर पर अगर रूट कैनाल, दांत निकलवाना. मसूड़ों की सर्जरी जैसी स्थिति में घाव भरते और कंडिशन के पूरी तरह से नॉर्मल होते वक्त लगता है इसलिए रेग्युलर फॉलोअप करें।

3.खुद बने दांत का डॉक्टर : किसी भी दवा के बिना डॉक्टरी सलाह के लेना नुकसानदायक हो सकता है। इसलिए जब भी आपको दांत, मुंह या शरीर के किसी अन्य हिस्से में कोई परेशानी महसूस हो तो डॉक्टर के पास जाएं न कि पुराने नुस्खों को ही आजमाएं।

4.पहले का इलाज हुआ पुराना : अगर दांतों का इलाज कराने जाने से पहले इस बात को अपने डेंटिस्ट को बताएं कि आपका पहले किस-किस बीमारी में क्या इलाज हो चुका है। इसके अलावा अगर आप कोई दवाई खा रहे हैं या लंबे वक्त तक खाते रहे हैं तो उसके बारे में भी बताएं। अगर किसी दवा से अलर्जी या रिएक्शन है तो डेंटिस्ट को बताएं। आपके दांत भी शरीर का ही अंग हैं इसलिए बाकी शरीर के बारे में दी गई जानकारी आपके लिए फायदेमंद हो सकती है।

5.फर्राटा सफाई : लोग दांतों को साफ करने में या तो वक्त बिताना ही नहीं चाहते या फिर बहुच कम वक्त देना चाहते हैं। कुछ लोगों को दिन में 2 बार दांतों की सफाई झंझट लगती है। हालांकि दांतों को हेल्थी बनाए रखने के लिए जरूरी है कि दांतों को 2 से 3 बार कायदे से साफ किया जाए। एक बात ध्यान रखें कि दांतों को ज्यादा बार और तेज ब्रश करने से दांतों की ऊपरी परत यानी इनेमल कमजोर हो जाती है।

इससे दांतों की जड़े दिखने लगाती हैं। इसलिए दांतों की सफाई सही तरीका बहुत अहम होता है। मुलायम ब्रश से दांतों की ऊपरी और भीतरी दोनों की तरफ सफाई करें। मुंह के हर कोने तक पहुंचने की कोशिश करें। जब दांतों के ब्रशल्स खराब हो जाएं या 3-4 महीने में ब्रश जरूर बदल दें।

6.डेंटल फ्लॉस और एंटीसेप्टिक माउथवॉश : ब्रशिंग के साथ माउथवॉश और फ्लॉसिंग भी जरूरी हैं । आपके दांतों के बीच में जो खाना फंसता है वो दांतों की सड़न और मसूड़ों के इंफेक्शन का एक बड़ा कारण होता हैं। इसलिए स्वस्थ मसूड़ों और दांतों के लिए डेंटल फ्लॉस या इंटरडेंटल ब्रश का इस्तेमाल दांतों के बीच की जगह को साफ़ रखने के लिए किया जाता है। मुंह के कीटाणुरहित रखने के लिए रात में सोने से पहले एंटीसेप्टिक माउथवॉश से एक बार कुल्ला कर लेना चाहिए।

7.जंक फूड की ओवर डोज : मार्केट में मिलने वाले कई प्रॉडक्ट्स आपके दांतों को नुकसान पहुंचा सकते हैं, जैसे ज्यादा मात्रा में सोडा , कोल्ड ड्रिंक आदि पीना दांतों के लिए नुकसानदायक साबित ह सकता है। इन्हें ज्यादा लेने से दांतों की ऊपरी परत यानी इनेमल को नुकसान पहुंचता है और दांत सेंसेटिव हो जाते हैं जिससे कुछ भी गर्म-ठंडा दांतों में लगने लगता है।

अधिक मात्रा में मीठे और चिपकने वाली चीजें जैसे कैंडीज ,चिप्स, क्रीम बिस्कुट आदि खाने से दांतों में सड़न पैदा होने लगाती है। इन चीजों को कम खाना चाहिए। अगर बच्चे अधिक जिद करें तो बच्चों को हफ्ते में एक दिन तय करके यह चीजें खाने को दें। जब भी खाने को दें तो उसके बाद दांतों को ब्रश करवाना न भूलें। सोडा ,कोल्डड्रिंक लेने के तुरंत बाद ब्रश न करें, कुछ वक्त बाद ही ब्रश करें जिससे दांतों के इनेमल को कम नुकसान हो।

8. हरी सब्जियों और फल न खाना : हरी सब्जियां और फल दोनों ही आपके शरीर के साथ दांतों के लिए भी बहुत जरूरी होते हैं। इन्हें लेने से जरूरी विटामिन शरीर को मिलते हैं जो दांतों के लिए भी जरुरी हैं। विटामिन C और विटामिन D दोनों ही दांतों के लिए बहुत फायदेमेंद हैं। विटामिन C स्वस्थ्य मसूड़ों के लिए जरुरी हैं। विटामिन D आपकी हडिड्यों और दांतों के लिए जरूरी है। सा देखने में आया है कि जो लोग लगभग 800mg/दिन विटामिन D लेते हैं उनमें मसूड़ों की परेशानी कम देखी गई है। विटामिन D मुख्तया चीज़,दूध,दही में पाया जाता हैं।

9.तंबाकू का नशा : तंबाकू को किसी भी तरह लेने से (बीड़ी ,सिगरेट,जर्दा आदि) हेल्थ के साथ-साथ दांतों और मसूड़ों को नुकसाना पहुंच सकता है। दांतों से जुड़े मसूड़ों को कमजोर करता हैं । तंबाकू को किसी भी तरीके से लेने पर दांतों पर भूरी, लाल ,पीली परत जमा हो जाती है।

10.कुछ बुरी आदतें : कुछ अनचाही आदतें जेसे रात को सोते वक्त दांतों का कटकटाना, मुंह में पेंसिल या पिन को लागतार चबाते रहना, बर्फ चबाना आदि दांतों पर अधिक दवाब डालते हैं जिसकी वजह से दांतों की इनेमल और जुड़ी हड्डियों पर बुरा असर पड़ता है। इसलिए अगर आपको रात में ही दांतों को कटकटाने की आदत है तो डेंटिस्ट से सलाह लेकर रात को पहने जाने वाले माउथगार्ड बनवा सकते हैं। इसी तरह अगर स्विमिंग करते हैं तो माउथगार्ड दांतों को पानी में मिली क्लोरिन से बचाता है। क्लोरीन के असर से दांतों का रंग पीला पड़ता है और इनेमल का भी नुकसान होता है।

दांतों की मैल या कीड़ों के खाने के कारण जब कोई दाढ़ खोखली हो जाती है तब एक ही उपाय रह जाता है कि रोगी की दाढ़ की पूरी तरह सफाई करके उसमें मसाला (Dental Cement) भरा जाएं। लेकिन भारत में दांत में मसाला भरने का खर्च (Tooth Filling Price) बहुत ज्यादा है। वैसे चिकित्सक के पास दांत में मसाला भरने की विधि बहुत सारी है। लेकिन कई वजह से बहुत से लोग दांत में मसाला भरने का खर्च नहीं उठा पाते हैं।  यहां पर एक बात गौर करने वाली है कि दाढ़ के कीड़े और जीवाणुओं को नष्ट करने के बाद ही उसमें मसाला भरा (dant me masala bharna) जाता है।

 

बाजार में बने दांत भरने के मसाले

दाढ़ साफ करने और दांत में मसाला भरने की विधि का वर्णन सुपरथर्टी के कई लेख में किया जा चुका है। चलिए यहां पर मसाले तैयार करने के लिए चुने हुए फार्मूले की बात की जाए। बाजार के बने-बनाए मसाले का प्रयोग करने की अपेक्षा स्वयं मसाले और Dental Cement बनाकर प्रयोग करना अधिक अच्छा रहता है। ये सभी मसाले और Dental Cement दो अलग-अलग भागों में तैयार किए जाते हैं सूखा पाउडर अलग और उसे घोलने वाला बाइण्डर अलग रखा जाता है।

दांत में भरते समय आवश्यकतानुसार मसाला (Dental Cement) लेकर उसमें इतना बाइण्डर मिलाते है कि गाढ़ा पेस्ट तैयार हो जाए और तुरंत ही इसे दाढ़ या दांत में भर देते हैं। कुछ मिनट में हवा लगते ही यह मिश्रण सूखकर पत्थर की तरह कठोर हो जाता है। यदि आप इसे किसी प्लेट आदि में बनाएंगे तो यह सख्ती के साथ उस पर जम जाएगा और छूटेगा ही नहीं। इसलिए इसे कागज के टुकड़े पर समय तैयार करें।

 

Table of Contents

  • एमल्गमों का निर्माण (Amalgam Making)
  • स्थाई डेंटल सीमेंट (Permanent Cement)
  • अस्थाई डेंटल सीमेंट (Temporary Cement)
  • सबसे मजबूत डेंटल सीमेंट (A Tough Cement)
  • मजबूत फिलर (Strong Filler)
  • दंत चिकित्सा से संबंधित अन्य लेख

एमल्गमों का निर्माण (Amalgam Making)

एमल्गमों का निर्माण शुद्ध पारे (Mercury) में किसी धातु को मिलाकर किया जाता है। दांतों में भरने के लिए सोना, चांदी, तांबा, कलई अथवा जस्ता (Gold, Silver, Copper, Nickle of Zinc) धातुओं के एमल्गम ही अधिक प्रयोग किए जाते हैं। आमतौर पर गोल्ड एमल्गम बनाते समय शुद्ध सोने के स्थान पर उसमें तांबे, जस्ते और चांदी, मिलावट भी कर दी जाती है। तांबे की मिलावट करने से एमल्गम का रंग लाल होने लगता है और चांदी की मिलावट करने से एमल्गम का रंग हल्का पीला होने लगता है। इसलिए ये दोनों मिलावटें आसानी से पहचान में आ जाती हैं। 60 प्रतिशत जिंक और 40 प्रतिशत तांबा एक जगह मिला देने पर इनका रंग पीतल के समान हो जाता है जो सोने के रंग से मिलता-जुलता है। एमल्गम बनाने के लिए किसी भी धातु का पाउडर अथवा बारीक बुरादा ही लें। इससे जिससे घुटाई में आसानी रहती है।

एमल्गम घोंटने के लिए भी औषधियां घोटने वाले छोटे खरल का ही प्रयोग किया जाता है। घोंटने वाली मूसली और खरल कांच या चीनी मिट्टी का ही लें, धातु का नहीं, क्योंकि धातु के खरल को पारा आसानी से काट देता है जिससे उस धातु के अंश एमल्गम में मिल जाते हैं और एमल्गम दूषित हो जाता है। इसके अलावा चिकनी खरल के स्थान पर हल्की खुरदरी सतह की खरल प्रयोग करें। एमल्गम तैयार करने के लिए पारे और धातु का अनुपात 8 और 5 होता है। यहां ध्यान रखने की बात यह है कि पारा संसार का सबसे भारी पदार्थ है। इसलिए 8 ग्राम पारे का घनत्व 5 ग्राम धातु के चूर्ण से कम ही होता है।

एमल्गम तैयार करने के लिए सबसे पहले चीनी मिट्टी या कांच का साफ-सुथरा खरल लेकर उसमें धातु और पारे के चूर्ण को डाल दें। इसके बाद इसे बहुत हल्के से धीमे-धीमे मूसली (Pestle) से रगड़ें। इस पर चोट तो मारी ही नहीं जाती मूसली (Pestle) से दबाव भी नहीं दिया जाता है। इसलिए मूसली (Pestle) को केवल हिलाते-डुलाते और घुमाते रहते हैं।

मूसली (Pestle) को पैन या पेंसिल पकड़ने के समान अंगूठे और उंगलियों से ही पकड़ें जिससे भूलवश भी दबाव न पड़ सके। इस प्रकार पारे और धातु के मिश्रण को कई घंटे तक घोटा जाता है परन्तु दबाव नहीं दिया जाता है। इसके विपरीत यदि आप दबाव देकर रगड़ेंगे अथवा कम समय तक घुटाई करेंगे तो सही और मजबूत एमल्गम नहीं बनेगा जिससे वह दांतों में अच्छी तरह नहीं जमेगा। अधिक समय की रगड़ाई और घुटाई के बाद धातु और पारा मिलकर एकसार हो जाते हैं।

जब यह घुटकर एकसार हो जाते हैं तो भी रगड़ने की प्रक्रिया चालू रखी जाती है। धीरे-धीरे इस पर चमक आने लगती है। जब यह पूरी तरह से चमकीला हो जाए तब घुटाई बंद कर दें। इसमें जल्दबाजी या लापरवाही न करें नहीं तो सारी मेहनत बेकार हो जायेगी।

इसके बाद इस तैयार मिश्रण को बारीक और मुलायम मलमल के कपड़े पर सलाई (Bar) या लम्बे तार के रूप में फैला दें और कपड़े को गोलाई में इस प्रकार लपेटें कि यह पतले धागे या तार के समान हो जाए। फिर इसके छोटे-छोटे टुकड़े काटकर प्रत्येक टुकड़े को अलग-अलग कपड़े में लपेटकर किसी बक्से अथवा पेटी में रख लें और आवश्यकता पड़ने पर दाढ़ों के खोड़ भरने के लिए प्रयोग करें।

 

स्थाई डेंटल सीमेंट (Permanent Cement)

इस सीमेंट को सूखे रचक मिलाकर पाउडर के रूप में तैयार करके रख लिया जाता है और प्रयोग करते समय जिंक क्लोराइड के गाढ़े घोल (Zinc Chloride Solution) का प्रयोग बाइण्डर के रूप में किया जाता है। अतः जिंक क्लोराइड सोल्यूशन तो एक हवा बन्द शीशी में रख लीजिए और निम्नलिखित रचक मिलाकर मिश्रण तैयार कर लीजिए।

  • सिलिका (Silica): 10 ग्राम
  • जिंक ऑक्साइड (Zinc Oxide): 100 ग्राम
  • सुहागा (Boric Acid) : 5 ग्राम

सारे रचकों को महीन पाउडर के रूप में पीसकर एयर टाइट बोतल में भरकर रखें। जब इस पाउडर मिश्रण से Dental Cement तैयार करना हो तो इसमें से आवश्यकतानुसार पाउडर मिश्रण लेकर उसमें जिंक क्लोराइड का गाढ़ा घोल इतनी मात्रा में मिलाएं कि पेस्ट जैसा बन जाये। इसके बाद इसे दाढ़ के खोखले स्थान में भर दें। कुछ ही क्षणों में यह मसाला जम जाएगा।

 

अस्थाई डेंटल सीमेंट (Temporary Cement)

पीडित दांत या दाढ़ में स्थाई सीमेण्ट भरने से पूर्व इस सीमेण्ट को भरा जाता है। इसको भरने से यह सुनिश्चित हो जाता है कि दांत या दाढ़ की जड़ आदि में कोई गंदगी, पस, जीवाणु या कीड़ा तो नहीं है। यदि ऐसा होता है तो दांत में मसाला भरने के कुछ दिन बाद बहुत तेज दर्द होता है। यदि आप मजबूत और स्थाई सीमेण्ट का मसाला (Dental Cement) भर देंगे तो फिर उस दांत को तुरंत उखाड़ने के अलावा अन्य कोई उपाय नहीं रहेगा। इसीलिए अच्छे कुशल दंत चिकित्सक हमेशा पहले अस्थाई मसाला या Dental Cement दाढ़ अथवा दांत में भरते हैं और दो-तीन हफ्ते तक कोई परेशानी न होने पर अस्थाई मसाले या डेंटल सीमेंट को निकालकर स्थाई मसाले या डेंटल सीमेंट भरते हैं। इसकी प्रयोग विधि एवं फार्मूला इस प्रकार है-

  • ऐसीटिक एसिड (Acetic Acid): 15-16 बूंदें
  • यूजीनॉल (Eusinol): 99.5 मि.लि.
  • जिंक ऑक्साइड (Zinc Oxide): 150 ग्राम

एसिटिक एसिड और यूजिनाल का प्रयोग मुख्य रूप से कृत्रिम सुगन्ध-मिश्रणों के निर्माण में किया जाता है। एसिटिक एसिड तेज उड़नशील और जीवाणुनाशक भी होता है। इसमें सिरके के समान गंध आती है जबकि यूजीनॉल में कारनेशन के फूलों की तरह सुगन्ध आती है। उपरोक्त रचकों से दांतों का मसाला तैयार करने के लिए सबसे पहले दो साफ शीशियां लें। इसके बाद एक शीशी में जिंक आक्साइड भरकर रख दें। दूसरी शीशी में 100 मिलीलीटर यूजीनॉल और आधा मिलीलीटर एसीटिक एसिड मिलाकर रख दें। जब प्रयोग करना हो एक कागज के टुकड़े पर 15 ग्राम जिंक आक्साइड रखकर इसमें 10 मिलीलीटर यूजीनॉल और एसीटिक एसिड का मिश्रण डालें। इसके तुरंत बाद इसमें बाइण्डर मिलाकर पेस्ट बना लें और खोखली दाढ़ में भर दें। यह मिश्रण एक मिनट से भी कम समय में सूख कर पत्थर की तरह कठोर हो जाएगा।

 

सबसे मजबूत डेंटल सीमेंट (A Tough Cement)

एल्यूमीनियम फॉस्फेट और कांच के मिश्रण के कारण यह डेंटल सीमेंट बहुत ही कठोर होता है। इसके साथ ही बाइण्डर के रूप में जिंक क्लोराइड के गाढे घोल का प्रयोग किया जाता है और बनाने एवं प्रयोग करने की विधि भी उपरोक्त फार्मूलों के समान ही है। मजबूत स्थाई और अत्यन्त कठोर सीमेंट का एक अच्छा और सन्तुलित फार्मूला यह भी है-

  • सिलिका (Silica): 5 ग्राम
  • एल्युमीनियम फास्फेट (Aluminum Phosphate): 5 ग्राम
  • बारीक पिसा हुआ कांच (Glass): 5 ग्राम
  • सुहागा (Boric Acid): 8 ग्राम
  • जिंक ऑक्साइड (Zinc Oxide): 150 ग्राम

इनमें से जिंक ऑक्साइड के स्थान पर ऑक्सी फॉस्फेट ऑफ कॉपर (Oxy-Phosphate of Copper), ऑक्सीफॉस्फेट ऑफ जिंक, (Oxi-Phosphate of Zinc) अथवा ऑक्सी क्लोराइड ऑफ जिंक (Oxy-Chloride of Zinc) का प्रयोग भी कर सकते हैं।

 

मजबूत फिलर (Strong Filler)

बारीक पिसे कांच का प्रयोग किए जाने के कारण इस सीमेंट से भरी हुई दाढ़ कठोर भोजन चबाने में समर्थ रहती है। इसमें भी बाइण्डर के रूप में जिंक क्लोराइड के घोल का प्रयोग किया जाता है। सूखे रचकों का अनुपात इस प्रकार से है-

  • बारीक पिसा कांच (Glass): 5 से 6 ग्राम
  • जिंक ऑक्साइड (Zinc Oxide): 200 ग्राम
  • सुहागा (Boric Powder): 4 से 5 ग्राम

सभी रचक बारीक पिसे हुए लेकर मिला लीजिए और मैदा छानने की छलनी अथवा मलमल के कपड़े में छानकर शीशी में रख लिजिए। प्रयोग की विधि पिछले फार्मूलों की तरह ही है।

 

दंत चिकित्सा से संबंधित अन्य लेख

  1. दंत मंजन बनाने का तरीका
  2. खोखले दांत का इलाज
  3. दांत तोड़ने का आसान तरीका
  4. दांत उगाने की दवा
  5. दांतों में पायरिया की दवा

हम आशा करते हैं कि Dental Cement क्या होता है यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा। यदि आपके पास कोई इससे संबंधित अन्य जानकारी है तो हमारे साथ साझा करें। हम अवश्य ही उसे यहां पर प्रकाशित करेंगे। धन्यवाद!

दांतों में मसाला भरने के नुकसान - daanton mein masaala bharane ke nukasaan

Indu Singh

I am Indu Singh a simple housewife. I love working in the kitchen and experimenting with cooking different types of food. I love reading and writing about Ayurvedic medicine and treatment. In my spare time I write articles for SuperThirty.com. I am happy to be a part of Super 30 team. To read articles related to food recipes and health knowledge, click on the link given below-

दांतों का कैंसर कैसे होता है?

डॉक्टर कामिला का कहना है, 'माउथ या ओरल कैंसर तब होता है जब होंठ, जीभ, मसूड़े या टॉन्सिल में ट्यूमर बन रहा हो. मुंह के छाले लगातार हो रहे हों, इनमें दर्द या गांठ हो और दांत कमजोर हो रहे हों तो ये मुंह का कैंसर भी हो सकता है. कभी-कभी इससे मुंह या जीभ पर लाल या सफेद पैच भी बन सकते हैं.

दांत के कैंसर के क्या लक्षण है?

मुंह के कैंसर के संकेत और लक्षणों में शामिल हैं:.
मुंह में ऐसा घाव हो जो भर नहीं रहा हो.
घाव जिससे आसानी से खून निकलने लगे.
मुंह के टिशू (ऊतकों) के रंग में बड़ा बदलाव नज़र आए.
मुंह में कोई गांठ या खुरदरा दाग.
मुंह या होंठो में दर्द होना, होंठों का नरम पड़ना या सुन्न पड़ना.

दांत भरने के बाद क्या खाएं?

इसके अलावा हो सके तो दलिया, दाल या भोजन को पेय स्थिति में लें, चबाने वाले भोजन का इस्तेमाल न करें । इसके अलावा आपको इस बात का ध्यान रखने की बहुत ज़रुरत है कि दांत निकलवाने के बाद कुछ समय तक किसी तकीए, चादर की सहायता लेकर अपने मुंह को ऊपर उठा कर रखें ।

दांतों में मसाला कैसे भरते हैं बताइए?

सबसे पहले आपके दांत के जिस हिस्से में कैविटी लगी है उसे ड्रिल करके निकाल दिया जाता है और उसके बाद दांतों में सेम कलर का कोई भी फिलिंग मटेरियल भर दिया जाता है.