प्रेम में कोई किसी को
रोक ही नहीं सकता। जिससे तुम प्रेम करते हो, वह भी नहीं रोक सकता तुम्हें प्रेम में। कैसे रोक सकता है? प्रेम तो तुम्हारा दान है। <<Back प्रेम शब्द जितना मिसअंडरस्टुड है, जितना गलत समझा जाता है, उतना शायद मनुष्य की भाषा में कोई दूसरा शब्द नहीं! प्रेम के संबंध में जो गलत-समझी है, उसका ही विराट रूप इस जगत के सारे उपद्रव, हिंसा, कलह, द्वंद्व और संघर्ष हैं। प्रेम की बात इसलिए थोड़ी ठीक से समझ लेनी जरूरी है। जैसा हम जीवन जीते हैं, प्रत्येक को यह अनुभव होता होगा कि शायद जीवन के
केंद्र में प्रेम की आकांक्षा और प्रेम की प्यास और प्रेम की प्रार्थना है। जीवन का केंद्र अगर खोजना हो, तो प्रेम के अतिरिक्त और कोई केंद्र नहीं मिल सकता है। <<Back मोह और प्रेम में क्या अंतर होता है?प्रेम ऊपर उठाता है पर मोह नीचे गिराता है। अर्थात प्रेम में इंसान महान हो जाता है और मोह में पड़ कर गिर जाता है। प्रेम अटूट है कभी भंग नहीं होता, जबकि मोह भंग हो जाता है। मोह में पाने की इच्छा होती है, प्रेम में केवल समर्पण का भाव होता है।
ओशो के अनुसार प्रेम क्या है?प्रेम एक प्रतीक्षा है, एक अवेटिंग है। लेकिन वह कभी आता, कभी नहीं आता, तो वृक्ष उदास हो जाता। प्रेम की एक ही उदासी है, जब वह बाँट नहीं पाता, तो उदास हो जाता है। जब वह दे नहीं पाता, तो उदास हो जाता है।
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