सदस्याअों ने सुनाईं रचनाएं- उन्होंने कहा कि एक फौजी का अर्थ है अनुशासन और लक्ष्य। वह पक्के इरादों वाले परिवार का अनुशासित व्यक्ति होता है। यदि हम फौज में नहीं हैं, तो देश में रहकर उसके कर्तव्यों की तरह अपना कर्तव्य निभाएं। वरिष्ठ साहित्यकार कृष्णा अग्निहोत्री ने भी संबोधित किया। इस मौके पर मंच की सदस्याओं के पर्यावरण संरक्षण पर लिखे गए स्लोगन की पुस्तिका का विमोचन भी किया गया। निरुपमा नागर ने लघुकथा और अंजू निगम, इंदु पाराशर, सरला मेहता, मंजू मिश्रा, हंसा मेहता ने कविताएं सुनाईं। संचालन कविता वर्मा ने किया और ज्योति जैन ने आभार माना। Show
हमारा देश हमारा सम्मान होता है, जिसपर हम बहुत ज्यादा प्यार करते है। हमारा देश हमारे अच्छे जीवन के लिए हमे कई सारी सुविधाएं प्रधान करता है। हमारे देश में हम स्वतंत्रता से रह सकते है, जहा हम बिना किसी दबाव और परेशानी के जैसा चाहे वैसा जीवन जी सकते है। इसलिए हमे भी अपने देश के प्रति अपने कर्तव्यों को पूरे दिल से निभाना होगा। जहा देश में रहने वाले हर एक व्यक्ति का कर्तव्य होता है की, वो अपने देश के प्रति अपने दायित्वों को पूरा करे। लेकिन इन दायित्वों को मजबूरी में नहीं बल्कि पूरे मन से पूरा करना चाहिए। देशभक्ति का महत्वहमारे देश का विकास तभी हो सकता है, जब हम अपने देश के प्रति सभी कर्तव्यों को पूरे दिल से और ईमानदारी से निभाएंगे। जिसके लिए हमारे अंदर हमारे देश के प्रति देशभक्ति होनी बहुत जरूरी है। उस देशभक्ति के लिए हमारे दिल में हमारे देश के प्रति प्यार होना चाहिए। हमारे देश में कई सारे ऐसे महान लोग होकर गए है, जो हमारे देश को बहुत ज्यादा प्यार करते थे। इसलिए उन्होंने हमारे देश की आजादी के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। इसी तरह हमे भी हमारे देश के विकास के लिए देशभक्ति के महत्व को समजना होगा और देश के प्रति सभी कर्तव्यों को निभाना होगा। एक विकसित देशअगर हमे अपने देश को एक विकसित देश के रूप में बदलना है, तो हमे अपने देश के प्रति हमारे सभी कर्तव्यों का निर्वहन करना चाहिए। जिसमे हमे सभी सामाजिक, आर्थिक और धार्मिक कर्तव्यों का पालन करना चाहिए। तभी हम अपने देश को एक विकसित देश के रूप में बदल सकते है। महत्वपूर्ण अधिकारहर एक देश अपने नागरिकों को कुछ महत्वपूर्ण अधिकार प्रदान करते है। इन महत्वपूर्ण अधिकारों में राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और धार्मिक अधिकार होते है। यह सभी अधिकार हमे स्वतंत्रता प्रदान करते है। इसलिए हमे इन अधिकारों को अपने जीवन में कर्तव्यों के रूप में अपनाना होगा और उनका पालन करना होगा। एक जिम्मेदार नागरिकहमे अपने देश के प्रति हर तरह के कर्तव्य को निभाने के लिए एक जिम्मेदार नागरिक बनना होगा। जिसके लिए हमे कई सारी महत्वपूर्ण और सकारात्मक गतिवधियाँ करनी होंगी। जैसे की हमे बच्चों को देशभक्ति का महत्व सिखाना होगा, क्योंकि देश के बच्चे ही एक देश का आने वाला भविष्य होता है। हमे राजनीतिक कर्तव्य को निभाते हुए मतदान प्रक्रिया में भाग लेना होगा और देश के अच्छे भविष्य के लिए एक अच्छे नेता का चुनाव करना होगा। हमारे देश के हित के लिए बनाए गए सभी नियमों और कानूनों का एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में पालन करना होगा। हमे सामाजिक कर्तव्य को निभाते हुए समाज में हो रही कई सारी सामाजिक बुराइयों को रोखने का प्रयत्न करना होगा। जैसे की लैंगिक भेदभाव, बाल श्रम, महिलाओं और बच्चों का शोषण और अन्य कई सारी सामाजिक बुराइयाँ। इस तरह हमे एक जिम्मेदार नागरिक बनकर देश के प्रति सभी कर्तव्यों को निभाना होगा। देश के किसी भी व्यक्ति के कर्तव्यों का आशय उसके/उसकी सभी आयु वर्ग के लिये उन जिम्मेदारियों से हैं जो वो अपने देश के प्रति रखते हैं। देश के लिये अपनी जिम्मेदारियों को निभाने की याद दिलाने के लिये कोई विशेष समय नहीं होता, हांलाकि ये प्रत्येक भारतीय नागरिक का जन्मसिद्ध अधिकार हैं कि वो देश के प्रति अपने कर्तव्यों को समझे और आवश्यकता के अनुसार उनका निर्वाह या निष्पादन अपनी दैनिक दिनचर्या में शामिल करें। अपने देश के प्रति मेरे कर्त्तव्य पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on My Duty towards my Country in Hindi, Apne Desh ke Prati Mera Kartavya par Nibandh Hindi mein)एक जिम्मेदार नागरिक के कर्त्तव्य – निबंध 1 (300 शब्द)भारत एक धार्मिक, सांस्कृतिक और परंपरागत देश हैं और विवधता में एकता के लिये प्रसिद्ध हैं। हांलाकि, इसे विकास के लिये स्वच्छ, भ्रष्टाचार, सामाजिक संघर्षों, महिलाओं के खिलाफ अपराधों, गरीबी, प्रदूषण, ग्लोबल वॉर्मिंग आदि के अन्त के लिये अपने नागरिकों के और अधिक प्रयासों की आवश्यकता हैं। लोगों को सरकार पर चिल्लाने और दोषी ठहराने के स्थान पर देश के प्रति अपने कर्त्तव्यों को समझना चाहिये। देश की वृद्धि एवं विकास के लिये सभी व्यक्ति व्यक्तिगत रुप से जिम्मेदार हैं। लोगों को लाओं तुज़ के प्रसिद्ध कथन,“हजारों कोसो की यात्रा एक कदम से शुरु होती हैं” को कभी नहीं भूलना चाहिये। सभी को अपने मौलिक कर्त्तव्यों के बारे में जानकारी रखनी चाहिये और उन्हें नजरअंदाज किये बिना अनुकरण करना चाहिये। देश के अच्छे और जिम्मेदार नागरिक होने के कारण, सभी को अपने कर्त्तव्य वफादारी से निभाने चाहिये जैसे:
एक नागरिक होने के नाते देश के लिये मेरा कर्त्तव्य – निबंध 2 (400 शब्द)परिचय किसी भी व्यक्ति के कर्त्तव्य उसकी वो जिम्मेदारी हैं जिन्हें उसे व्यक्तिगत रुप से निभाना होता हैं। एक नागरिक जो समाज, समुदाय या देश में रहता हैं, वो देश, समाज या समुदाय के लिये बहुत से कर्त्तव्यों और जिम्मेदारियों को रखता हैं जिन्हें उसे सही तरीके से निभाना होता हैं। लोगों को अच्छाई में विश्वास रखना चाहिये और देश के प्रति महत्वपूर्ण कर्त्तव्यों को कभी भी नजअंदाज नहीं करना चाहिये। देश का एक नागरिक होने के नाते मेरा देश के लिये कर्त्तव्य हमारे देश को ब्रिटिश शासन से आजादी मिले बहुत वर्ष बीत गये जो बहुत से महान स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान और संघर्ष से प्राप्त हुई थी। वो देश के प्रति अपने कर्त्तव्यों के वास्तविक अनुसरणकर्त्ता थे जिन्होंने लाखों लोगों के साथ अपना अमूल्य जीवन गवाकर स्वतंत्रता के सपने को हकीकत बनाया। भारत की स्वतंत्रता के बाद, अमीर लोग और राजनेता केवल अपने खुद के विकास में लग गये न कि देश के विकास में। ये सत्य हैं कि हम ब्रिटिश शासन से आजाद हो गये हैं हांलाकि, लालच, अपराध, भ्रष्टाचार, गैर-जिम्मेदारी, सामाजिक मुद्दों, बाल श्रम, गरीबी, क्रूरता, आतंकवाद, कन्या भ्रूण-हत्या, लिंग-असमानता, दहेज-मृत्यु, सामूहिक दुष्कर्म और अन्य गैर-कानूनी गतिविधियों से आज-तक आजाद नहीं हुये। केवल सरकार द्वारा नियम, कानून, प्राधिकरण, अधिनियम, अभियान या कार्यक्रमों को बनाना काफी नहीं हैं, वास्तविकता में सभी गैर-कानूनी गतिविधियों से मुक्त होने के लिये इन सभी का प्रत्येक भारतीय नागरिकों के द्वारा कड़ाई से अनुसरण किया जाना चाहिये। भारतीय नागरिकों को वफादारी के साथ देश के प्रति अपने कर्त्तव्यों को पालन गरीबी, लिंग असमानता, बाल श्रम, महिलाओं के खिलाफ अत्याचार और अन्य सामाजिक मुद्दों के उन्मूलन के साथ ही सभी के भले के लिये करना चाहिये। भारतीय नागरिकों को अपना राजनीतिक नेता चुनने के अधिकार हैं जो देश के विकास को सही दिशा में आगे ले जा सके। इसलिये, उन्हें अपने जीवन में बुरे लोगों को दोष देने का कोई अधिकार नहीं हैं। उन्हें अपने राजनीतिक नेता को वोट देते समय अपनी आँखे खुली रखनी चाहिये और एक ऐसा नेता चुनना चाहिये जो वास्तव में भ्रष्ट मानसिकता से मुक्त हो और देश का नेतृत्व करने में सक्षम हो। निष्कर्ष ये भारत के नागरिकों के लिये आवश्यक है कि वो वास्तविक अर्थों में आत्मनिर्भर होने के लिये अपने देश के लिये अपने कर्त्तव्यों का व्यक्तिगत रुप से पालन करें। ये देश के विकास के लिये बहुत आवश्यक हैं जो तभी संभव हो सकता है जब देश में अनुशासित, समय के पाबंद, कर्तव्यपरायण और ईमानदार नागरिक हो। भारतीय नागरिकों के विभिन्न पदों के कर्त्तव्य – निबंध 3 (500 शब्द)देश के प्रति नागरिकों के कर्त्तव्य भारतीय नागरिकों के विभिन्न पदों के लिये निम्नलिखित जिम्मेदारियाँ हैं:
कुछ लालची माता-पिता (चाहे गरीब हो या अमीर) के कारण, हमारा देश आज भी गरीबी, लिंग असमानता, बाल-श्रम, बुरे सामाजिक और राजनीतिक नेता, कन्या भ्रूण-हत्या जैसी सामाजिक बुराईयों को अस्तित्व में रखता हैं और जिससे देश का भविष्य बेकार है। सभी माता-पिता को देश के प्रति अपने कर्त्तव्यों को समझना चाहिये और अपने बच्चों (चाहे लड़की हो या लड़का) को उचित शिक्षा के लिये स्कूल अवश्य भेजना चाहिये, इसके साथ ही अपने बच्चों के स्वास्थ्य, स्वच्छता और नैतिक विकास की देखभाल करनी चाहिये, उन्हें अच्छी आदतें, शिष्टाचार, और देश के प्रति उनके कर्त्तव्यों को सिखाना चाहिये।
अपने देश के लिये मेरे क्या कर्त्तव्य है – निबंध 4 (600 शब्द)परिचय एक व्यक्ति अपने जीवन में अपने, परिवार, माता-पिता, बच्चों, पत्नी, पति, पड़ोसियों, समाज, समुदाय और सबसे अधिक महत्वपूर्ण देश के प्रति बहुत से कर्त्तव्यों को रखता हैं। देश के प्रति एक व्यक्ति के कर्त्तव्य इसकी गरिमा, उज्ज्वल भविष्य बनाये रखने और इसे भलाई की ओर अग्रसर करने के लिये बहुत महत्वपूर्ण हैं। मैं कौन हूँ मैं एक भारतीय नागरिक हूँ क्योंकि मैनें यहाँ जन्म लिया हैं। देश का/की एक जिम्मेदार नागरिक होने के कारण मैं अपने देश के प्रति बहुत से कर्त्तव्यों को रखता/रखती हूँ जो सभी पूरे किये जानी चाहिये। मुझे अपने देश के विकास से संबंधित विभिन्न पहलुओं के कर्त्तव्यों का पालन करना चाहिये। कर्त्तव्य क्या हैं कर्त्तव्य वो कार्य या गतिविधियाँ हैं जिन्हें सभी को व्यक्तिगत रुप से दैनिक आधार पर देश की भलाई और अधिक विकास के लिये करनी चाहिये। अपने कर्त्तव्यों को पालन वफादारी से करना ये प्रत्येक भारतीय नागरिक की जिम्मेदारी हैं और ये देश के लिये आवश्यक माँग भी हैं। देश के लिये मेरे क्या कर्त्तव्य है देश का एक नागरिक वो होता है जो न केवल अपना बल्कि उसके/उसकी पूर्वजों ने भी लगभग पूरा जीवन उस देश में व्यतीत किया हो, इसलिये प्रत्येक राष्ट्र के लिये कुछ कर्त्तव्य भी रखते हैं। एक घर का उदाहरण लेते है जहाँ विभिन्न सदस्य एक साथ रहते हैं हांलाकि, प्रत्येक घर के मुखिया, सबसे बड़े सदस्य द्वारा बनाये गये सभी नियमों एवं प्रतिनियमों का अनुसरण घर की भलाई और शान्तिपूर्ण जीवन के लिये करते है। उसी तरह, हमारा देश भी हमारे घर की तरह ही है जिसमें विभिन्न धर्मों के लोग एक साथ रहते है हांलाकि उन्हें कुछ नियमों और कानूनों का अनुसरण करने की आवश्यकता होती है जो सरकार ने देश के विकास के लिये बनाये हैं। देश के कर्त्तव्यों के प्रति वफादार नागरिकों का उद्देश्य सभी सामाजिक मुद्दों को हटाकर, देश में वास्तविक स्वतंत्रता लाकर देश को विकासशील देशों की श्रेणी में लाना होता हैं। सरकारी या निजी क्षेत्र के कार्यालयों में, कार्य करने वाले कर्मचारियों को समय से जाकर बिना समय व्यर्थ में गवाये अपने कर्त्तव्यों को वफादारी के साथ निभाना चाहिये क्योंकि इस सन्दर्भ में सही कहा गया हैं कि, “यदि हम समय बर्बाद करेंगें तो समय हमें बर्बाद कर देगा।” समय किसी के लिये भी इंतजार नहीं करता, ये लगातार भागता रहता हैं और हमें समय से सीखना चाहिये। हमें तब तक नहीं रुकना चाहिये जब तक कि हम अपने लक्ष्य तक न पहुँच जाये। हमारे जीवन का सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य अपने देश को वास्तविक अर्थों में महान बनाना हैं। हमें स्वार्थी नहीं होना चाहिये और अपने देश के प्रति अपने कर्त्तव्यों को समझना चाहिये। ये केवल हम है, न कि कोई और, जो इससे लाभान्वित हो सकते हैं और शोषित भी। हमारी प्रत्येक गतिविधि सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह से (यदि हम सकारात्मक कार्य करेंगें तो लाभान्वित होंगे और यदि नकारात्मक कार्य करेंगें तो शोषित होंगें) प्रभावित करती हैं। इसलिये, क्यों न आज ये प्रतिज्ञा करें कि अपने ही देश में शोषित बनने से खुद को बचाने के लिये आज से हम प्रत्येक कदम सही दिशा में सकारात्मकता के साथ उठायेगें। ये हम ही हैं जिन्हें अपने देश के लिये सही नेता को चुनकर उस पर राज्य करने का अधिकार प्राप्त हैं। तो हम दूसरों और नेताओं को क्यों दोष दे, हमें केवल खुद को दोष देना चाहिये न कि दूसरों को क्योंकि वो हम हीं थे जिन्होंने माँग के अनुसार अपने कर्त्तव्यों का पालन नहीं किया। हम केवल अपनी ही दैनिक दिनचर्या में लगे रहे और दूसरों के जीवन, पाठ्येतर गतिविधियों, देश के राजनीतिक मामलों, आदि से कोई मतलब नहीं रखा। ये हमारी गलती हैं कि हमारा देश आज भी विकासशील देशों की श्रेणी में हैं न कि विकलित देशों की श्रेणी में। निष्कर्ष ये बहुत बड़ी समस्या हैं हमें इसे हल्कें में नहीं लेना चाहिये। हमें लालची और स्वार्थी नहीं होना चाहिये; हमें खुद और दूसरों को स्वस्थ्य और शान्तिपूर्ण जीवन जीने देना चाहिये। अपने देश का उज्ज्वल भविष्य हमारे अपने हाथ में हैं। अभी भी खुद को बदलने का समय हैं, हम और भी अच्छा कर सकते हैं। खुली आँखों से जीवन जीना शुरु करके अपने देश के प्रति अपने कर्त्तव्यों का पालन करना चाहिये। हमें अपने हृदय, शरीर, मस्तिष्क और चारों तरफ के क्षेत्रों को साफ करके एक नयी व अच्छी शुरुआत करनी चाहिये। देश के प्रति हमारी जिम्मेदारियां क्या है?सभी को देश और संगी नागरिकों के प्रति ईमानदार और वफादार होना चाहिये। उन्हें एक-दूसरे के लिये सम्मान की भावना रखनी चाहिये और देश के कल्याण के लिये बनायी गयी सामाजिक व आर्थिक नीतियों का भी सम्मान करना चाहिये। लोगों को अपने बच्चों को शिक्षा में शामिल करना चाहिये और उनके स्वास्थ्य और बचपन की देखभाल करनी चाहिये।
देश के प्रति हमारा क्या कर्तव्य होना चाहिए?प्रत्येक नागरिक का सबसे पहला कर्तव्य है कि वह संविधान का पालन करे और उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्र ध्वज और राष्ट्र गान का आदर करें। स्वतंत्रता संग्राम के आदर्शों के प्रति सम्मान रखे। भारत की एकता, अखंडता और संप्रभुता की रक्षा करे। देश की रक्षा करे।
हमारा कर्तव्य क्या है?सभी युगों में समस्त संप्रदायों और देशों के मनुष्यों द्वारा मान्य कर्तव्य का सार्वभौमिक भाव यही है- 'परोपकारः पुण्याय, पापाय, परपीड़नम् अर्थात परोपकार ही पुण्य है और दूसरों को दुख पहुंचाना पाप है। अतः अपनी सामाजिक अवस्था के अनुरूप एवं हृदय तथा मन को उन्नत बनाने वाला कार्य ही हमारा कर्तव्य है।
हमारे अपने देश के लिए क्या करना चाहिए?आप छोटा परिवार रखकर देश की तरक्की मे योगदान दे सकते है।. आप अपने आसपास सफाई रखकर देश को साफ रखने मे योगदान दे सकते है।. खुले मे शौच न करके देश को बीमारी से मुक्ति दिलाने में मदद कर सकते हैं।. खाना बर्बाद न करके आप देश सेवा कर सकते हैं।. पानी जितनी जरूरत हो उतना ही खर्च करे।. |