तिरंगे का अपमान करने पर क्या सजा है? - tirange ka apamaan karane par kya saja hai?

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राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने वालों की अब खैर नहीं

लुधियाना/अमृतसर। अटारी बार्डर पर भारत व पाकिस्तान के बीच बीएसएफ व पाकिस्तान रेंजर्स जो रिट्रीट सैरामनी करते हैं उसे देखने के लिए भारतीय खेमे में देश-विदेश से प्रतिदिन ३० हजार या फिर इससे भी ज्यादा पर्यटक आते हैं। यह पर्यटक जेसीपी के बाहर सजी दुकानों से प्लास्टिक व कपड़े के झंडे खरीद लेते हैं, परंतु उनको यह पता नहीं होता है कि तिरंगे को पकडऩे के क्या नियम हैं इसलिए न चाहते हुए भी उनसे तिरंगे का अपमान हो जाता है। अब राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने वालों की खैर नहीं है। जिला प्रशासन ने तिरंगे का अपमान करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के आदेश जारी किए गए हैं। जिला मैजिस्ट्रेट व डिप्टी कमिश्नर रवि भगत ने बताया कि राष्ट्रीय ध्वज हमारे देश के सम्मान का प्रतीक है और इसका सत्कार करना हम सभी का कर्तव्य है। परंतु देखने में आया है कि कुछ स्थानों पर लोग राष्ट्रीय ध्वज का आदर नहीं करते हैं। ऐसे लोगों के खिलाफ भारतीय ध्वज आचार संहिता 2002 व राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम 1971 की धारा-2 के तहत कार्रवाई की जाएगी जिसमें ३ वर्ष की सजा व जुर्माने का प्रावधान है या फिर दोनों ही हो सकते हैं।

समाज सेवक व आरटीआई एक्टिवस्ट एडवोकेट पीसी शर्मा ने कहा कि उन्होंने केन्द्र सरकार के साथ सितम्बर 2014 में पत्र-व्यवहार शुरू किया और तिरंगे का अपमान करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की वहीं तिरंगे के सत्कार के लिए सरकार द्वारा बनाए गए नियमों की भी जानकारी हासिल की और जिला प्रशासन को इससे अवगत किया।

डीसी के अनुसार केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने निर्देश दिए हैं कि महत्वपूर्ण स्थानों पर कागज के झंडे के स्थान पर प्लास्टिक के झंडे का प्रयोग किया जाए जो लंबे समय तक नष्ट नहीं होते हैं। कुछ लोग इसको जला देते हैं जिससे राष्ट्रीय ध्वज का अपमान तो होता ही है वहीं वातावरण भी प्रदूषित होता है। अत: यदि कोई व्यक्ति राष्ट्रीय ध्वज को जलाता है या फिर इसका अपमान करता है तो उसके खिलाफ उपरोक्त कानून के तहत कार्रवाई की जाएगी।

अब पीसी शर्मा ने मांग की है कि जिन लोगों ने तिरंगे का अपमान किया है उनके खिलाफ पर्चा दर्ज किया जाए। उन्होंने डीसी से मांग की कि वह पुलिस कमिश्नर व एसएसपी देहाती को आदेश जारी करें कि तिरंगे का अपमान करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें क्योंकि लोगों को यह पता ही नहीं होता है कि तिरंगे का सत्कार कैसे करना है। बेशक रिट्रीट सैरामनी के दौरान लोग प्लास्टिक व कपड़े से बने तिरंगे इसलिए खरीदते हैं क्योंकि वे अपने देश से प्यार करते हैं लेकिन लोगों को तिरंगे के सत्कार के बारे में भी जानकारी होना जरूरी है।

तिरंगे के सत्कार के लिए बनाए गए अधिनियम के बारे में समाज सेवक व आरटीआई एक्टिविस्ट एडवोकेट पीसी शर्मा का कहना है कि तिरंगे को जलाना राष्ट्रीय ध्वज का अपमान है, तिरंगे को कमर के नीचे नहीं किया जा सकता है, पहनने वाले वस्त्रों पर तिरंगे की छपाई नहीं की जा सकती है, कार में या फिर चौपहिया वाहन में तिरंगा नहीं लगाया जा सकता है।

तिरंगे के सत्कार संबंधी अटारी बार्डर पर लगाई जाएगी डिस्पले: अटारी बार्डर पर रिट्रीट सैरामनी देखने के लिए आने वाले कुछ लोगों से तिरंगे का अपमान इसलिए हो जाता है क्योंकि उनको तिरंगे के सत्कार के लिए बनाए गए कानून संबंधी जानकारी नहीं होती है और वे न चाहते हुए भी तिरंगे का अपमान करते नजर आते हैं।

इस संबंध में डीसी रवि भगत ने कहा कि जल्द ही अटारी रिट्रीट सैरामनी स्थल पर तिरंगे के सत्कार के लिए बनाए गए अधिनियम की जानकारी संबंधी डिस्पले बोर्ड लगाया जाएगा। इस संबंध में जल्द ही बीएसएफ के अधिकारियों के साथ बैठक की जाएगी ताकि लोग तिरंगे का अपमान न कर सकें। ट्रैफिक पुलिस के अधिकारियों को भी निर्देश दिए जाएंगे कि वे वाहनों में तिरंगा लगाने वालों के खिलाफ उपरोक्त कानून के तहत कार्रवाई करें।

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    राष्‍ट्रध्‍वज का अपमान न होने पाए

    तिरंगा लहराकर आजादी के 75 साल पूरे होने का जश्‍न देशभर में मना। अब नागरिकों की जिम्‍मेदारी है कि वे राष्‍ट्रध्‍वज का अपमान न होने दें। तिरंगे के डिस्‍पोजल से जुड़े कुछ नियम हैं जिनका ध्‍यान रखना जरूरी है।

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    तिरंगे को सही तरीके से डिस्‍पोज करना जरूरी

    भारतीय ध्वज संहिता (Flag Code Of India) के अनुसार, फटा या डैमेज तिरंगा एकांत में दफनाया या जलाया जाना चाहिए। यह बेहद सावधानी से होना चाहिए क्‍योंकि राष्‍ट्रध्‍वज का अपमान नहीं होने देना है। सभी लोग ऐसा नहीं कर सकते इसलिए कई सिविक अथॉरिटीज ने नागरिकों से अपील की है कि वे अपमान करने के बजाय तिरंगा उन्‍हें दे दें।

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    सिविक अथॉरिटीज की नागरिकों से अपील

    देहरादून की सिविक एजेंसियों और सरकारी विभागों ने लोगों से अपील की है कि तिरंगे को उन्‍हें सौंप दें ताकि वे डिस्‍पोज कर सकें। गारबेज कलेक्‍शन से जुड़े स्‍टाक को ताकीद की गई है कि रास्‍ते में कई तिरंगा पड़ा मिले तो कलेक्‍ट कर लें।

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    क्या है फ्लैग डिस्‍पोजल के नियम?

    केंद्रीय गृह मंत्रालय और भारतीय ध्वज संहिता, 2002 के पैरा 2.2 के नियम के मुताबिक राष्ट्रीय ध्वज के डैमेज होने के बाद उसे डिस्पोज करने के दो तरीके हैं - दफनाना या जलाना। इन दोनों में से किसी भी प्रक्रिया को चुनते वक़्त सख्त नियमों का पालन करना पड़ता है। डेमेज हुए झंडों को दफनाने के लिए सभी डैमेज हुए झंडों की तह बनाकर लकड़ी के बॉक्स में रखा जाता है। फिर उसे सुरक्षित स्थान पर जमीन में दफनाया जाता है। ऐसा करते वक्त शांतिपूर्ण माहौल होना चाहिए। दूसरा तरीका जलाने का है। झंडे को जलाने के लिए सुरक्षित जगह चुनें, झंडे को ढंग से तह करें और उसे ध्यान से आग पर रख दें। झंडों को फेंके नहीं, कूड़ेदान में भी नहीं डालें।

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    घर पर लगे झंडों को तह बनाकर घर में रखें

    'हर घर तिरंगा' अभियान के तहत लोगों ने अपने घरों में झंडे लगाए हैं। ऐसे में लोग सम्मान के साथ इन तिरंगों को साफ करके प्रेस करके घर के अंदर उन्हें संभालकर रख सकते हैं। इन झंडों का इस्तेमाल अगले साल के लिए किया जा सकता है।

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    सड़क, सार्वजनिक स्थल वाले झंडों की देखभाल

    सड़कों के किनारे, पार्कों, चौराहों और पब्लिक वाली जगहों पर लगे झंडों की देखभाल करने की जिम्मेदारी स्थानीय प्रशासन की है। वे उनका सम्मान सहित निस्तारण करेंगे।

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    राष्ट्रीय ध्वज के अपमान पर जेल का प्रावधान

    राष्ट्रीय ध्वज के अपमान पर राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम 1971 और भारतीय झंडा संहिता, 2021 के तहत कार्रवाई हो सकती है। कोई व्यक्ति राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करते, इसे जलाते, दूषित करते, कुचलते या नियम के खिलाफ ध्वजारोहण करते हुए पाया जाता है तो उसे तीन साल की जेल या जुर्माना, या दोनों दंड के रूप में मिल सकते हैं।

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    झंडा फहराने के लिए सही समय

    नए नियमों के मुताबिक, झंडे को दिन-रात 24 घंटे फहराया जा सकता है। पहले राष्ट्रीय ध्वज को सूर्योदय से सूर्यास्त तक यानी दिन में ही फहराया जा सकता था। सूर्यास्त यानी शाम होने के बाद तिरंगे को उतार देना जरूरी था।

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    तिरंगे पर नए नियमों में छूट

    26 जनवरी 2002 में बने नियमों के अंतर्गत मशीन से बने और पॉलिस्टर से बने झंडे को फहराने की अनुमति नहीं थी। लेकिन दिसंबर 2021 में इसकी अनुमति दे दी गई। अब हाथ या मशीन से बना हुआ कपास/पॉलिस्टर/ऊन/ रेशमी खादी से बना तिरंगा भी अपने घर पर फहराया जा सकता है। पर ‘हर घर तिरंगा’ अभियान के तहत सरकार ने 20 जुलाई 2022 को फिर इस कानून में संशोधन किया है। सरकार ने इस बार तिरंगे को किसी भी वक्त फहराने की अनुमति दे दी है। अब इसे दिन रात 24 घंटे फहराया जा सकता है।

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    इन बातों का ख्याल रखा जाना जरूरी

    नियमों के मुताबिक, झंडे का आकार आयताकार(रेक्टैंगुलर) होना चाहिए। इसकी लंबाई और चौड़ाई का अनुपात 3:2 का होना चाहिए। तिरंगा कभी भी फटा या मैला-कुचैला नहीं फहराया जाना चाहिए। हालांकि, अशोक चक्र का कोई माप तय नही है। सिर्फ इसमें 24 तिल्लियों का होना जरूरी है। झंडे के किसी भाग को जलाने, नुकसान पहुंचाने के अलावा मौखिक या शाब्दिक तौर पर इसका अपमान करने पर तीन साल तक की जेल या जुर्माना, या दोनों हो सकते हैं। झंडे पर कुछ भी बनाना या लिखना गैरकानूनी है। तिरंगे को किसी भी प्रकार के यूनिफॉर्म(वर्दी) में इस्तेमाल में नहीं लाया जा सकता। किसी भी स्थिति में तिरंगा जमीन को छूना नहीं चाहिए। किसी अन्य झंडे को राष्ट्रीय ध्वज से ऊंचा नहीं रख या लगा सकते। साल 2002 से पहले राष्ट्रीय ध्वज को आम लोग सिर्फ स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर ही फहरा सकते थे लेकिन साल 2002 में इंडियन फ्लैग कोड में बदलाव किया गया जिसके तहत कोई भी नागरिक किसी भी दिन झंडे को फहरा सकता है। झंडा अगर फट जाए या फिर मैला हो जाए तो उसे एकांत में मर्यादित तरीके से नष्ट करना चाहिए।

तिरंगे का अपमान करने पर कौन सी धारा लगती है?

ऐसे लोगों के खिलाफ भारतीय ध्वज आचार संहिता 2002 व राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम 1971 की धारा-2 के तहत कार्रवाई की जाएगी जिसमें ३ वर्ष की सजा व जुर्माने का प्रावधान है या फिर दोनों ही हो सकते हैं।

तिरंगे का अपमान कब होता है?

भारतीय ध्वज संहिता (Flag Code Of India) के अनुसार, फटा या डैमेज तिरंगा एकांत में दफनाया या जलाया जाना चाहिए। यह बेहद सावधानी से होना चाहिए क्‍योंकि राष्‍ट्रध्‍वज का अपमान नहीं होने देना है। सभी लोग ऐसा नहीं कर सकते इसलिए कई सिविक अथॉरिटीज ने नागरिकों से अपील की है कि वे अपमान करने के बजाय तिरंगा उन्‍हें दे दें।

तिरंगे का नियम क्या है?

ध्वजारोहण के नियम कानून भारतीय झंडा हाथ से काते गए, हाथ से बुने गए ऊनी/ सूती/ सिल्क या खादी के कपड़े से बना होना चाहिए। झंडे की लंबाई और चौड़ाई का अनुपात 3:2 ही होना चाहिए। ध्वजारोहण करते समय झंडे को आधा झुकाकर नहीं फहराना चाहिए। बिना आदेश तिरंगे को आधा नहीं फहराया जा सकता।

तिरंगे को नष्ट कैसे करें?

खंडित तिरंगा का क्या करें? आपको बता दें कि भारतीय ध्वज संहिता के खंड 2.2 के अनुसार, यदि तिरंगा झंडा क्षतिग्रस्त हो या बदरंग हो जाए या फिर कट फट जाए तो उसे अलग ले जाकर पूरी तरह नष्ट कर देना चाहिए. यानी एक तरह से जलाकर या फिर किसी ऐसे तरीके से, जिसमें कि राष्ट्रीय ध्वज की गरिमा को कोई ठेस ना पहुंचे.