तुलसी माता की पूजा की विधि - tulasee maata kee pooja kee vidhi

Kartik Maas Tulsi Pooja: कार्तिक का महीना शुरू हो गया है. इस महीने तुलसी पूजा का विषेश महत्व होता है. ऐसी मान्यता है कि कार्तिक माह में जो लोग नियमित तुलसी की पूजा करके भगवान विष्णु के भोग में तुलसी दल अर्पित करते हैं, उन्हें 10,000 गौ दान के बराबरा पुण्य मिलता है. कार्तिक माह में भगवान विष्णु ने शालीग्राम स्वरूप में वृंदावन महारानी यानी तुलसी जी से विवाह किया था. इसलिए जो लोग कार्तिक माह में भगवान विष्णु की पूजा करते हैं. उनके जीवन में कभी किसी चीज की कमी नहीं होती है. आइए जानते हैं कार्तिक माह में कैसे करें तुलसी जी की पूजा और क्या है महत्व...

तुलसी पूजा महत्व
कार्तिक माह में तुलसी पूजा बहुत शुभ माना जाता है. यदि आपके घर में तुलसी का पौधा नहीं तो कार्तिक माह में इसे गुरुवार के दिन लगा लें. इसे लगाते समय इस बात का ध्यान रखें कि इसे हमेशा ईशान कोण या घर के बीच आंगन में लगाएं. ऐसी मान्यता है कि जो लोग कार्तिक माह में तुलसी जी की पूजा विधि विधान से करते हैं और नियमित सुबह तुलसी के पौधे में जल डालकर उसकी परिक्रमा करते हैं. साथ ही शाम को तुलसी के पौधे के नीचे घी का दीपक जलाते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है.

तुलसी के पत्तों से करें ये सिद्ध उपाय

  • यदि आप नौकरी या कारोबार में तरक्की चाहते हैं तो कार्तिक माह के गुरुवार के दिन तुलसी के पौधे में पीला कपड़ा बांधकर अपने कार्यस्थल पर रखें और रविवार को छोड़कर हर दिन उसमें जल चढ़ाएं. साथ ही शाम को घी का दीपक जलाएं. ऐसा करने से शीघ्र ही नौकरी व कारोबार में प्रमोशन मिल जाएगा.
  • यदि आपके घर की तरक्की रुक गई है या परिवार में हमेशा कलह की स्थिति उत्पन्न होती है तो गुरुवार के दिन तुलसी के 11 पत्ते तोड़ें, ध्यान रहे पत्ते तोड़ने से पहले तुलसी जी से क्षमा याचना जरुर मांग लें. इसके बाद इस पत्ते को भगवान विष्णु के प्रतिमा पर अर्पित कर दें. ऐसा करने से आपके घर की सभी नकारात्मका ऊर्जा दूर हो जाएगी और आपको कार्यों में सफलता मिलनी शुरू हो जाएगी.

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(disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और विभिन्न जानकारियों पर आधारित है. zee media इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

Tulsi Vivah 2022 Date Puja Vidhi Shubh Muhurat: हिंदू धर्म में तुलसी विवाह का विशेष महत्व है. तुलसी को माता लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को भगवान विष्णु अपनी योग निद्रा से 4 महीने के बाद जागते हैं. जिसके बाद द्वादशी तिथि को तुलसी विवाह होता है. इस दिन तुलसी माता का विवाह भगवान विष्णु के स्वरूप शालीग्राम के साथ कराया जाता है. इस साल तुलसी विवाह 5 नवंबर 2022 को है. आइए जानते हैं तुलसी विवाह के मुहूर्त, महत्व और पूजन विधि के बारे में....

तुलसी विवाह की तिथि व शुभ मुहूर्त 
कार्तिक द्वादशी तिथि आरंभ- 05 नवंबर 2022, शाम 06:08 बजे से (शनिवार)
कार्तिक द्वादशी तिथि समाप्त- 06 नवंबर 2022, शाम 05:06 बजे तक (रविवार)

तुलसी विवाह पूजन विधि 
इस दिन महिलाएं सुबह उठकर स्नान कर नए वस्त्र पहनें. इसके बाद पूजा स्थल तो अच्छी तरीके से सजाएं. फिर शुभ मुहूर्त पर पूजा करें. एक चौकी पर तुलसी का पौधा और दूसरी चौकी पर शालिग्राम को स्थापित करें. इनके बगल में कलश में जल भरकर रखें और उसके ऊपर आम के पांच पत्ते रखें. तुलसी के गमले में गेरू लगाएं. तुलसी और शालिग्राम को गंगाजल से स्नान कराएं. इसके बाद रोली, चंदन का टीका लगाएं. तुलसी के गमले में गन्ने से मंडप बनाएं. अब तुलसी मां को लाल चुनरी ओढ़ाएं. गमले में साड़ी लपेटें. चूड़ी चढ़ाएं और उनका दुल्हन की तरह श्रृंगार करें. इसके बाद शालिग्राम को चौकी समेत हाथ में लेकर तुलसी की सात बार परिक्रमा की जाती है. इसके बाद घी का दीपक जलाएं. और आरती करें. तुलसी विवाह संपन्न होने के बाद सभी लोगों को प्रसाद बांटे.

तुलसी विवाह का महत्व
मान्यता है कि कार्तिक महीने में जो भक्त तुलसी और भगवान शालिग्राम का विवाह करते हैं, उनके पिछले जन्मों के सब पाप नष्ट हो जाते हैं. साथ ही पुण्य की प्राप्ति होती है. इस दिन घर-घर में स्त्रियां शालिग्राम और तुलसी का विवाह रचाती हैं. तुलसी जी को विष्णुप्रिया भी कहा जाता है. कार्तिक मास की नवमी, दशमी और एकादशी को व्रत एवं पूजन कर तुलसी विवाह किया जाता है. इसके अगले दिन तुलसी का पौधा किसी ब्राह्मण को दान करना शुभ माना जाता है. तुलसी विवाह संपन्न कराने वालों को वैवाहिक सुख मिलता है. 

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Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. Zeeupuk इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.

तुलसी माता की पूजा की विधि - tulasee maata kee pooja kee vidhi
Tulsi vivah 2022

Tulsi Viva 2022: इस साल 5 नवंबर को तुलसी जी का विवाह कराया जाएगा। हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष यानी देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी विवाह किया जाता है। लेकिन इस बार द्वादशी के दिन तुलसी विवाह संपन्न होगा। दरअसल, कुछ लोग कार्तिक द्वादशी के दिन भी तुलसी शालिग्राम का विवाह करते हैं। इस बार देवउठनी एकादशी  4 नवंबर और कार्तिक द्वादशी 5 नवंबर को पड़ रहा है। तुलसी विवाह के दिन माता तुलसी, भगवान शालिग्राम का दूल्हा और दुल्हन की तरह श्रृंगार किया जाता है। 

तुलसी विवाह पूजा विधि

  1. तुलसी पूजा के दिन प्रात:काल स्नान कर साफ-सुथरे वस्त्र धारण कर लें। संभव हो तो इस दिन काला रंग न पहनें।
  2. तुलसी विवाह के दिन व्रत भी रखा जाता है। तो पूजा से पहले व्रत का संकल्प लें।
  3. अब पूजा के लिए तुलसी के पौधे को आंगन, मंदिर या छत पर रखें और वहीं पर विवाह संपन्न कराएं।
  4. तुलसी के गमले में एक गन्ना लगाएं और फिर उस पर लाल चुनरी अच्छे से लगाएं।
  5. तुलसी के गमले में शालिग्राम पत्थर को रखना बिल्कुल भी न भूलें। 
  6. माता तुलसी और भगवान शालिग्राम को दूध में भिगी हल्दी लगाएं। गन्ने के मंडप पर भी हल्दी का लेप जरूर लगाएं।
  7. पूजा में आंवला, सेब, केला और अन्य मौसमी फल के साथ मिठाई चढ़ाएं।
  8.  तुलसी पौधे की पत्तियों में सिंदूर लगाएं और चुनरी समेत श्रृंगार का सामान चढ़ाएं।
  9. हाथ में शालीग्राम रखकर तुलसी जी की परिक्रमा करें।
  10. तुलसी और शालीग्राम जी की आरती करें। आरती करने के बाद तुलसी की 11 बार परिक्रमा करें।
  11. भगवान विष्णु के मंत्र का जाप करें और फिर पूजा पूरी होने का बाद प्रसाद बांटे।
  12.  शालिग्राम पर तिल चढ़ाए क्योंकि शालिग्राम में चावल नही चढ़ाए जाते हैं। 

इन मंत्रों के साथ करें तुलसी पूजा

1. 'महाप्रसाद जननी सर्व सौभाग्यवर्धिनी, आधि व्याधि हरा नित्यं तुलसी त्वं नमोस्तुते'

2. उत्तिष्ठ गोविन्द त्यज निद्रां जगत्पतये

त्वयि सुप्ते जगन्नाथ जगत्‌ सुप्तं भवेदिदम्‌
उत्थिते चेष्टते सर्वमुत्तिष्ठोत्तिष्ठ माधव
गतामेघा वियच्चैव निर्मलं निर्मलादिशः
शारदानि च पुष्पाणि गृहाण मम केशव

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इंडिया टीवी इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है। इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है।)

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प्रतिदिन तुलसी पूजा कैसे करें?

तुलसी पूजन विधि- प्रतिदिन प्रातः जल्दी उठकर स्नानादि करने के पश्चात पूजाघर में पूजन के साथ तुलसी का भी पूजन करना चाहिए। तुलसी के नीचे हमेशा गाय के शुद्ध घी का दीपक प्रज्वलित करना चाहिए, इसी के साथ नियमित रुप से संध्या के समय भी तुलसी में दीपक जरूर जलाना चाहिए।

तुलसी पूजा में क्या क्या चढ़ता है?

पूजा में मूली, शकरकंद, सिंघाड़ा, आंवला, बेर, मूली, सीताफल, अमरुद और अन्य ऋतु फल चढ़ाएं जाते हैं. श्रृंगार के सामान, चुनरी, सिंदूर से तुलसी माता का श्रृंगार किया जाता है. गन्ने की मदद से मंडप सजाए जाते हैं. फूलों की लड़ियों से मंडप को सजाया जाता है.

तुलसी में दीपक कब नहीं चलना चाहिए?

तुलसी पूजा की सावधानियां रविवार के दिन तुलसी के नीचे दीपक नहीं जलाने चाहिए.

तुलसी की पूजा करते समय कौन सा मंत्र बोलना चाहिए?

1-तुलसी स्तुति मंत्र : नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये।। तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी। धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया।। लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्।