शरणार्थियों को किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है ? - sharanaarthiyon ko kin kathinaiyon ka saamana karana padata hai ?

शरणार्थियों को किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है ? - sharanaarthiyon ko kin kathinaiyon ka saamana karana padata hai ?

By: Shweta Mishra | Updated Date: Sun, 10 Sep 2017 10:09:09 (IST)

शरणार्थी शब्‍द से शायद ही कोई अंजान हो। इसका एक व‍िशेष समूह के लोग जब अपना घर छोड़कर कहीं और रहने को मजबूर होते हैं तो उन्‍हें शरणार्थी कहा जाता है। नई जगह पर भी शरणार्थि‍यों को एक नहीं कई समस्‍याओं का सामना करना पड़ता है। आज यह समस्या दुन‍िया की बड़ी समस्‍याओं में से एक हैं। आइए जानें दुनिया में 5 शरणार्थी समस्‍याएं जो मानवता को शर्मसार कर रही हैं...

भाषाई ज्ञान न होने से बोलने में असमर्थ:

शरणार्थियों में सबसे पहली समस्या भाषा की आती है। जरूरी नहीं कि उन्हें जिस किसी क्षेत्र में उन्हें शरण मिलती है, वहां की भाषा आती हो। कई बार तो ऐसे देशों में पहुंच जाते हैं जहां पर मुख्य तौर पर अंग्रेजी भाषा का चलन होता है। जिसे सीखना उनके लिए बड़ा ही मुश्िकल होता है। ऐसे में भाषा की समस्या के चलते वे न दूसरों की बात समझ पाते हैं और न समझा पाते हैं। जिससे उन्हें भोजन खरीदने से अपने इलाज तक में परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

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रहने के लिए सुरक्षित आवास न होना:

शरणार्थियों के लिए एक निश्चित आवास न होना भी एक बड़ी समस्या है। कई बार मजबूरी में कई परिवारों को एक साथ एक बड़े कमरे में गुजारा करना पड़ता है। शरणार्थियों का आवास आदि के लिए भी काफी शोषण होता है। कई बार उनके मकान मालिक उनसे जरूरत से ज्यादा शुल्क वसूलते हैं। नियम कानून का ज्ञान न होने से वह मजबूरी में सब सह रहे होते हैं क्योंकि उन्हें डर होता है कि पता नहीं कब मालिक उन्हें यहां रहने के लिए मना कर दे।

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बच्चों को शिक्षित करना भी बड़ा टास्क:

कई बार देखा जाता है कि शरणार्थी जिस देश में रह रहे होते हैं। वे अपने बच्चों को वहीं के हिसाब से शिक्षा-शिक्षा दिलाते हैं। इस दौरान बच्चे वहीं स्कूल के माहौल से एडजस्ट होने लगते हैं। इस दौरान बच्चों को स्कूल और घर में दो अलग-अलग स्थितियों से गुजरना पड़ना है। इसके अलावा बच्चों को समाज में भी काफी भेदभाव झेलना पड़ता है। वहीं इतना कुछ होने के बाद जब वे कहीं और जाते हैं तो उन्हें फिर से समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

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गैर-दस्तावेज से रोजगार मिलना मुश्िकल:

शरणार्थियों के लिए अक्सर दूसरी जगहों पर जाकर रहने में सबसे बड़ी समस्या उनके दस्तावेज का वहां मान्य न होना होता है। इस समस्या से शरणार्थियों को रोजगार मिलना मुश्किल होता है। जिसके चलते वे कई बार भुखमरी की कगार पर भी पहुंच जाते हैं। सही से खान-पान न मिलने से उनके बच्चे बीमार व कुपोषण का शिकार हो जाते हैं। शरणार्थियों को सही से ज्ञान न होने की वजह से  हिंसा, बलात्कार जैसी दूसरी यातनाओं का सामना करना पड़ता है।

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सांस्कृतिक बाधाएं और धार्मिक विषमताएं:

अक्सर शरणार्थियों को इस समस्या से भी बड़े स्तर पर जूझना पड़ता है। कई परेशानियों के बाद भी अपने धर्म और संस्कृति के मुताबिक चलने की कोशिश करते हैं। वहीं अक्सर उन्हें उस स्थानीय संस्कृति के हिसाब से रहने को कहा जाता है। जो लोग मान जाते हैं उन्हें तो कोई परेशानी नहीं होती हैं लेकिन जो लोग नहीं मानते हैं उन्हें भी दूसरे तरीकों से विवश किया जाता है। कई बार उन्हें वहां भेजने की भी कोशिश होती है जिस जगह से वे आए होते हैं।

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प्रवासी और शरणार्थी

प्रवासी और शरणार्थी

लंबी अवधि के नज़रिए से देखें तो सबूत साफ़ नज़र आते हैं और वो ये कि प्रवासन के संबंधित चुनौतयों के मुक़ाबले फ़ायदे कहीं ज़्यादा हैं. और, प्रवासन के बारे में पूरी समझ विकसित किए बिना, प्रवासियों के बारे में नकारात्मक दृष्टिकोण और कहानियाँ बहुत नज़र आते हैं.

लुई आर्बर, अंतरराष्ट्रीय प्रवासन मामलों के लिए महासचिव की विशेष दूत,

21 फ़रवरी 2018 को एक महत्वपूर्ण सम्मेलन में की गई टिप्पणी
 

संक्षिप्त विवरण ( Overview)

दुनिया भर में करोड़ों की संख्या में लोग जबरन विस्थापित होते हैं जिससे ये एक विश्व संकट बन चुका है. इसकी चुनौतियों का सामना करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय की एकजुटता के साथ प्रयासों की ज़रूरत है जिसका नेतृत्व भी विश्व नेताओं के हाथों में हो. संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने शरणार्थियों और प्रवासियों की चुनौतियों का सामना करने के लिए एक कारगर रास्ता निकालने के लिए विश्व व्यापी पुकार लगाई है. ऐसा रास्ता जो अन्तरराष्ट्रीय शरणार्थी क़ानून, मानवाधिकर और मानवीय क़ानूनों के सिद्धांतों से निर्देशित हो. 

वैश्विक प्रतिक्रिया (Global Response)

शरणार्थियों को किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है ? - sharanaarthiyon ko kin kathinaiyon ka saamana karana padata hai ?

दुनिया भर में अंतरराष्ट्रीय सीमाएँ पार करने वाले शरणार्थियों और प्रवासियों की संख्या सारे रिकॉर्ड तोड़ चुकी है. यानी इतनी बड़ी संख्या में पहले कभी शरणार्थी या प्रवासी नहीं बने. इसके बहुत से कारण हैं. बहुत से लोग अपने स्थानों पर संघर्ष, हिंसा, युद्ध से बचने के लिए सुरक्षा के लिए भाग रहे हैं तो कुछ किसी अन्य वजहों से अपने ऊपर होने वाले ज़ुल्मो-सितम से बचने के लिए. कुछ लोग ग़रीबी से तंग आकर बेहतर हालात की उम्मीद में अन्य स्थानों के लिए निकल जाते हैं तो कुछ अपनी ज़िन्दगी के लिए दरपेश ख़तरनाक़ हालात से बचने के लिए. कुछ लोग अन्य स्थानों या देशों में श्रमिकों की कमी पूरी करने या अपने कौशल के लिए कामकाज की तलाश में अपना स्थान छोड़ देते हैं. कुछ लोग जीवन में कुल मिलाकर बेहतर हालात की उम्मीद में ही अपना स्थान छोड़कर देश के भीतर या अन्य देशों में भी जाने में नहीं झिझकते.

ज़रूरी नहीं कि उनका ये सफ़र उनके लिए बेहतरी लाने वाला ही साबित हो, अक्सर उनके लिए बहुत से ख़तरे भी पैदा हो जाते हैं. अक्सर हम ख़बरों में सुनते हैं कि बेहतर हालात की तलाश में निकले शरणार्थी या प्रवासी किन-किन मुसीबतों में फँस जाते हैं. इनमें जल मार्ग से छोटी-छोटी नावों में बेतहाशा संख्या में भरकर जाने वाले लोग अक्सर नाव डूबने के शिकार हो जाते हैं. इनमें से जो लोग अपनी मंज़िल तक पहुँच भी जाते हैं तो उन्हें वहाँ अदावत, ख़तरनाक़ और असहिष्णु हालात और बर्ताव का सामना करना पड़ता है. जो मेज़बान लोग या समुदाय शरणार्थियों या प्रवासियों की मदद करना चाहते हैं, वो भी अक्सर चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार और सक्षम नहीं होते हैं क्योंकि शरणार्थियों और प्रवासियों की संख्या अक्सर बहुत ज़्यादा होने लगी है. 

ज़िम्मेदारियों का बँटवारा भी सही तरीक़े से नहीं हो रहा है. शरणार्थियों, प्रवासियों और व्यक्तिगत कारणों की वजह से पनाह (Asylum) मांगने वालों की बहुत बड़ी संख्या सिर्फ़ मुट्ठी भर देशों और समुदायों में रहने को मजबूर है. शरणार्थियों और प्रवासियों के मुश्किल सफ़र के दौरान होने वाली मौतों से आगे नज़र डालें तो इतनी बड़ी संख्या में आबादी के विस्थापित होने से बहुत सी जटिलताएँ पैदा हो रही हैं जिनके व्यापक सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक प्रभाव होते हैं.  

शरणार्थियों और प्रवासियों की समस्याओं को समझने और चुनौतियों का सामना करने के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया और ज़्यादा सहानुभूतिपूर्वक और दरियादिली वाली होनी चाहिए. इतनी बड़ी संख्या में शरणार्थियों और प्रवासियों की स्थिति और ज़रूरतों को समझने और उनकी मदद करने के लिए विभिन्न साझीदारों को मिलजुलकर तालमेल के साथ काम करना होगा. संयुक्त राष्ट्र की व्यवस्था, ग़ैर-सरकारी संगठन (NGO) और तमाम साझीदार संगठन शरणार्थियों और प्रवासियों के हालात का मुद्दा उठाने की भरपूर कोशिश कर रहे हैं. इस चुनौती या यूँ कहें कि संकट का सामना करने के लिए संबंद्ध पक्षों से मदद के वायदे लेना और उन्हें एकजुटता पर आधारित क़दमों और उपायों के लिए तैयार करना भी शामिल है. 

ग्लोबल रिस्पाँस

कॉम्पैक्ट फ़ॉर माइग्रेशन

कॉम्पैक्ट ऑन रैफ्यूजीज़

न्यूयॉ़र्क घोषणा-पत्र

रिपोर्ट्स व दस्तावेज़

वक्तव्य

शरणार्थियों और प्रवासियों पर संयुक्त राष्ट्र का सम्मेलन

संयुक्त राष्ट्र व्यवस्था ( UN System)

शरणार्थियों और प्रवासियों पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन

शरणार्थियों को किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है ? - sharanaarthiyon ko kin kathinaiyon ka saamana karana padata hai ?

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने शरणार्थियों और प्रवासियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए 19 सितंबर 2016 को एक उच्च स्तरीय सम्मेलन आयोजित किया.

इस सम्मेलन का मक़सद शरणार्थियों और प्रवासियों के हालात और चुनौतियों का सामना ज़्यादा मानवीय नज़रिए से करने के लिए देशों को एकजुट करना था.

शरणार्थी और प्रवासी इतनी बड़ी संख्या में स्थान बदल रहे हैं कि किसी एक देश के लिए इस स्थिति का सामना करना आसान नहीं है.

इस चुनौती का टिकाऊ समाधान निकालने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय को एकजुट होकर काम करना होगा.

संयुक्त राष्ट्र के पदाधिकारी

कनाडा मूल की लुई आर्बर अंतरराष्ट्रीय प्रवासन मामले पर महासचिव की विशेष प्रतिनिधि हैं.

शरणार्थियों को किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है ? - sharanaarthiyon ko kin kathinaiyon ka saamana karana padata hai ?


विशेष प्रतिनिधि लुई आर्बर 19 सितंबर 2016 के सम्मेलन के बाद प्रवासन संबंधी तमाम गतिविधियों पर नज़र रखती हैं.

इसमें शरणार्थियों और प्रवासियों की बड़ी संख्या के एक स्थान से दूसरे स्थानों पर जाने के दौरान पेश आने वाली चुनौतियों को समझना और उन्हें आसान बनाने के लिए प्रयास करना भी शामिल है.

इससे पहले वरिष्ठ नेतृत्व प्रदान कर चुके व्यक्तियों का ब्यौरा:

पीटर सदरलैंड (आयरलैंड), उन्होंने प्रवासन पर विशेष प्रतिनिधि के रूप में 2006 से 11 से भी अधिक वर्षों तक काम किया.


कैरेन अबू ज़ायद (अमरीका), इन्होंने बड़ी संख्या में शरणार्थियों और प्रवासियों के विस्थापन के मुद्दे पर आयोजित सम्मेलन के विशेष सलाहकार के तौर पर जनवरी से अक्तूबर 2016 तक काम किया.


इज़ूमी नाकामीत्सू (जापान), इन्होंने शरणार्थियों और प्रवासियों के बड़ी संख्या में विस्थापन के मुद्दे पर 2016 में हुए सम्मेलन के प्रावधानों को आगे बढ़ाने और उनकी प्रगति पर नज़र रखने के लिए नवंबर 2016 से फ़रवरी 2017 तक विशेष सलाहकार के रूप में काम किया.
 

संबंधित घटनाक्रम

महत्वपूर्ण घटनाएँ व समय

प्रवासन से संबंधित प्रमुख शब्दावली

प्रवासन से संबंधित संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्टें और प्रस्ताव (1999 – 2014)

प्रवासन पर संयुक्त राष्ट्र में आई ओ एम के वक्तव्य (2013 - 2016)

विश्व प्रवासन रिपोर्ट (2015)

प्रवासन पर पहल (2016)

सफ़र पर निकले बेसहारा बच्चे (रिपोर्ट, 2011)

अंतरराष्ट्रीय प्रवासन और विकास मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र द्वारा आयोजित उच्चस्तरीय डायलॉग (2013)

विश्व मानवीय सहायता सम्मेलन (इस्तांबुल, 23-24 मई 2016)

एनेनबर्ग फ़ाउंडेशन फ़ोटो प्रदर्शनी – “REFUGEE” (लॉस एंजलिस, 23 अप्रैल से 21 अगस्त 2016)

कमेटी का 24वाँ सत्र (जिनीवा, 11-22 अप्रैल 2016)

मानवीय प्रतिक्रिया और विकास के लिए प्रवासन पर आँकड़ों की जानकारी (न्यूयॉर्क, 5 अप्रैल 2016)

अंतरराष्ट्रीय प्रवासी दिवस (18 दिसंबर)

भूमध्य सागर के रास्ते से आने वाले शरणार्थियों के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक (न्यूयॉर्क, 20 नवंबर 2015)

शरणार्थी और मानवीय संकट की चुनौती से निपटने के लिए महासभा की अनौपाचिरक बैठक (न्यूयॉर्क, 19 नवंबर 2015)

अंतरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन की प्रवासियों और शहरों के मुद्दे पर बैठक (जिनीवा, 26-27 अक्तूबर 2015)

प्रवासन और विकास पर वैश्विक फ़ोरम (तुर्की, 14-16 अक्तूबर 2015)

प्रवासन और शरणार्थियों के मुद्दे पर उच्च स्तरीय बैठक (न्यूयॉर्क, 30 सितंबर 2015)

ग्लोबल माइग्रेशन ग्रुप का प्रवासियों के आर्थिक योगदान पर सम्मेलन (न्यूयॉर्क, 25-26 मई 2015)
 

संबंधित वीडियो

शरणार्थियों की समस्याएं क्या है?

शरणार्थी समस्या वर्तमान में दुनिया के समक्ष एक गंभीर विषय बनकर उभरा है, जिसका कोई पुख्ता समाधान नहीं दिख रहा। आतंकवाद से संघर्ष कर रहा सीरिया एक देश हो गया है, जहाँ प्रत्येक नागरिक के मन में पलायन का विचार एक बार अवश्य आता है। वर्तमान में शरणार्थियों के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती आवास या निवास स्थान की है।

शरणार्थी समस्या के प्रभाव क्या है?

शरणार्थी राज्य के लिये एक समस्या बन जाते हैं क्योंकि इससे देश के संसाधनों पर आर्थिक बोझ बढ़ जाता है साथ ही लंबी अवधि में जनसांख्यिकीय परिवर्तन में वृद्धि कर सकता है इसके अतिरिक्त सुरक्षा जोखिम भी उत्पन्न हो सकता है। हालाँकि शरणार्थियों की देखभाल मानवाधिकार प्रतिमान का मुख्य घटक है।

शरणार्थियों के लिए कौन सी दो समस्या सबसे महत्वपूर्ण है?

Answer: शरणार्थियों के लिए मुख्य दो समस्या है : (1) शरणार्थियों के पुनर्वास की समस्या उत्पन्न । (2) शरणार्थियों द्वारा छोड़ी गई सम्पत्ति के क्षतिपूर्ति की समस्या सबसे महत्वपूर्ण मानी गई।

शरणार्थियों की समस्या क्या है वैश्विक नागरिकता की अवधारणा किस प्रकार उनकी सहायता कर सकती है?

शरणार्थियों की समस्या इतनी गम्भीर है कि संयुक्त राष्ट्र ने शरणार्थियों की जाँच करने और सहायता करने के लिए उच्चायुक्त नियुक्त किया हुआ है। विश्व नागरिकता की अवधारणा अभी साकार नहीं हुई है। फिर भी इसके आकर्षणों में से एक यह है कि इससे राष्ट्रीय सीमाओं के दोनों ओर की उन समस्याओं का मुकाबला करना सरल हो सकता है।