राजा जयचंद की मृत्यु कैसे हुई थी? - raaja jayachand kee mrtyu kaise huee thee?

राजा जयचंद्र कौन थे, जीवन परिचय, जन्म कब हुआ, मृत्यु कैसे हुई, कहानी, लड़ाई, इतिहास, पृथ्वीराज चौहान से रिश्ता, संयोगिता के पिता (Raja Jai Chandra Biography in Hindi) (Kaun Tha)

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राजा जयचंद्र कौन थे (Raja Jai Chandra Kaun Tha)

जयचंद्र, राजा विजयचंद्र के वेटे और राज्य के उतराधिकारी थे। कन्नौज के राजा जयचंद्र को गहड़वाल वंश का अंतिम शक्तिशाली शासक माना जाता है। उनका शासनकाल 1170 से 1194 ईस्वी के बीच माना गया है।

उनके शासनकाल की विस्तृत जानकारी हसन निजाम के लेख, मेरुतुंग के चिंतामणी ग्रंथ और पृथ्वीराज रासो से प्राप्त होती है। कहा जाता है की जयचंद्र के धर्मगुरु बौद्ध धर्म के प्रसिद्ध विद्वान थे जो मित्रयोगी के नाम से जाने जाते थे।

यह भी कहा जाता है की जयचंद्र के सेनापति का नाम धनुआ था।  इतिहासकार जयचंद्र और पृथ्वीराज चौहान के शत्रुता का प्रसिद्ध कारण दिल्ली की सत्ता को मानते हैं। क्योंकि उस समय हर राजा दिल्ली का ताज पहनना चाहता था।

लेकिन पृथ्वीराज रासो में जयचंद्र और पृथ्वीराज चौहान के दुश्मनी का कारण उनकी बेटी संयोगिता को बताया गया है। क्योंकि पृथ्वीराज द्वारा जयचंद्र की बेटी संयोगिता का हरण को इतिहासकार निराधार मानते हैं।

अगर पृथ्वीराज रासो के बात को छोड़ दे तो मेरुतुंग के चिंतामणी ग्रंथ अथवा हरिश्चंद्र के जौनपुर लेख या हसन निजामी के लेखों में कहीं भी जयचंद्र की बेटी संयोगिता का जिक्र नहीं है।

तराइन के द्वितीय युद्ध जिसमें पृथ्वीराज चौहान की हार हुई थी उसका जममेवार जयचंद्र को ठहराया जाता है। जयचंद्र को गद्दार कहा गया है। समाज में जब भी कोई किसी से धोखेबाजी करता है तो उसे लोग जयचंद्र कहकर संबोधित करते हैं।

कुछ लोग राजा जयचंद्र को मध्यकालीन भारत के गद्दार समझते हैं। लेकिन क्या सचमुच में राजा जयचंद्र गद्दार थे। कुछ इतिहास अपने शोध के आधार पर इस बात से सहमत नहीं दिखते।

लेकिन इतिहास में इस बात को कोई ठोस प्रमाण नहीं मिलता है जिस आधार पर कहा जाय की राजा जयचंद्र सचमुच में गद्दार थे। कुछ इतिहासकारों राजा जयचंद और पृथ्वीराज चौहान को आपस में संबंधी मानते हैं।

राजा जयचंद रिश्ते में पृथ्वीराज चौहान के मौसेरे भाई लगते थे। जबकि कुछ लोग इन सब से अलग बिचार रखते हैं और कहा जाता है की राजा जयचंद और पृथ्वीराज चौहान के बीच पहले से कोई संबंध नहीं थी।

बल्कि पृथ्वीराज चौहान ने राजा जयचंद्र की बेटी संयोगिता को उनके स्वयंवर से भागकर से प्रेम विवाह कर लिया था। जिस कारण राजा जयचंद्र और पृथ्वीराज चौहान के बीच कट्टर दुश्मनी हो गई थी।

राजा जयचंद की मृत्यु कैसे हुई थी? - raaja jayachand kee mrtyu kaise huee thee?
राजा जयचंद्र कौन थे ( Raja Jai Chandra Biography in Hindi)

राजा जयचंद्र संक्षिप्त परिचय Raja Jai Chandra Biography in Hindi

पूरा नाम – राजा जयचंद्र राठौड़ (raja jaichand)
जन्म स्थान birth palace – कन्नौज
पिता का नाम Father’s Name – विजयचंद्र
दादा जी का नाम Grandfather’s Name – गोविंदचंद्र
वंश – गहडवाल वंश
संतान – पुत्र- हरिश्चन्द्र और पुत्री – संयोगिता
राजगद्दी   – 21 जून 1170 ईस्वी।
शासनकाल – 1170 ईस्वी से 1194 तक
उत्तराधिकारी – हरिश्चंद्र

राजा जयचंद का जीवन परिचय

इतिहासकारों के अनुसार राजा जयचंद उत्तर भारत में स्थित कन्नौज के बहुत ही प्रतापी राजा थे। गढ़वाल वंश के राजा जयचंद्र के पिता का नाम विजय चंद्र और उनके दादा का नाम गोविंदचंद्र था।

राजा जयचंद का विवाह दिल्ली के राजा अंगद पानी की पुत्री के साथ हुआ था। उनकी बेटी का नाम संयोगिता थी जो पृथ्वीराज चौहान से प्यार करती थी। राजा जयचंद के पुत्र का नाम हरिश्चंद्र था। इसका वर्णन पृथ्वी राज रासो में भी मिलता है।

महाराजा जयचंद का इतिहास और साम्राज्य ( Raja jaichand history & Empaire)

कन्नौज के राजा जयचंद का इतिहास और उनका शासनकाल 1170 से लाकर 1194 तक माना जाता है। वे अपने समय के बहुत शक्तिशाली और प्रतापी राजा कहलाये। कहा जाता है की उनके शासन काल में उनके राज्य का खूब विस्तार हुआ।

उनके नेतृत्व में कन्नौज विस्तार और उन्नति बहुत तेजी से हुआ। उत्तर भारत में उनका साम्राज्य बिहार तक फैला था। उन्होंने अपने शासन काल में कई किलो का निर्माण कराया था।

पृथ्वीराज चौहान और जयचंद का रिश्ता

कहते हैं की पृथ्वीराज चौहान और जयचंद का रिश्ता आपस में मौसेरे भाई का था। अगर यह बात सत्य है तो जयचंद के बेटी संयोगिता के साथ पृथ्वीराज चौहान का प्रेम और उसका हरण मिथ्या लगती है। इस दोनों के बीच में दुश्मनी का भी कोई ठोस प्रमाण नहीं मिलता है।

राजा जयचंद की कहानी (Raja Jai Chandra Story)

राजा जयचंद्र की कहानी उनका पृथ्वीराज चौहान के साथ मतभेद के बाद इतिहास में काफी चर्चित हो गया। आइये राजा जयचंद और पृथ्वीराज चौहान के बीच मतभेद का कारण के बारें में जानते हैं।

राजा जयचंद की पुत्री संयोगिता और पृथ्वीराज चौहान की प्रेम कहानी

इतिहास में पृथ्वीराज चौहान और संयोगिता की प्रेम कहानी के किस्से बहुत सुनने को मिलते हैं। संयोगिता कन्नौज के राजा जयचंद की इकलौती बेटी थी। उसी समय पृथ्वीराज चौहान की वीरता और पराक्रम की चर्चा तेजी से फैल रही थी।

पृथ्वीराज चौहान का तेजी से साम्राज्य का विस्तार हो रहा था। जब संयोगिता को पृथ्वीराज चौहान के सुरवीरता के बारें में पता चला तो वे मन ही मन उनसे प्यार करने लगी।

उन्होंने अपने संदेश के माध्यम से पृथ्वीराज चौहान को भी अपने प्रेम के बारें में अवगत करा चुकी थी। लेकिन जब राजा जयचंद को अपनी बेटी संयोगिता का पृथ्वीराज चौहान के साथ प्यार के बारें में पता चल तो इसके सख्त खिलाफ हो गए।

पृथ्वीराज चौहान द्वारा संयोगिता का स्वयंव से अपहरण

राजा जयचंद्र अपनी बेटी के प्रेम के खिलाफ उनका विवाह करने का निश्चय कर लिया। इसके लिए उन्होंने अपने राज्य में अश्वमेध यज्ञ किया। इस यज्ञ के अंत में अपनी बेटी के लिए स्वयंवर की भी घोषणा की थी।

इस स्वयंवर में भाग लेने के लिए दूर दूर तक अनेकों बड़े बड़े राजा महाराजा को संदेश भिजवाया गया। लेकिन राजा जयचंद्र ने जानबूझ कर पृथ्वीराज चौहान को संदेश नहीं भिजवाया।

स्वयंवर का आयोजन हुआ और अनेकों सारे राजा महाराज आए। लेकिन जयचंद्र ने स्वमवर के एक द्वारपाल की जगह पृथ्वीराज चौहान की लोहे की मूर्ति लगवा दी।

जब पृथ्वीराज चौहान को स्वमवर के बारें मे पता चला तब वे चुपके से वहाँ पहुँच गए। उन्होंने भरी सभा में स्वमवर के बीच से संयोगिता का अपहरण का लिया और घोड़े पर बैठकर वहाँ से भाग गए।

स्वमवर में अपने अपमान से राजा जयचंद्र काफी गुस्से हो गए। उन्होंने पृथ्वीराज चौहान के साथ युद्ध का एलान कर दिया। दोनों राजाओं के बीच जमकर लड़ाई हुई जिसमें जयचंद्र की हार हो गई।

इस कारण से दोनों के बीच मतभेद गहराता गया और दोनों के दूसरे के कट्टर दुश्मन हो गए। साथ ही कहा जाता है की पृथ्वीराज चौहान द्वारा संयोगिता को इस तरह से उठा ले जाना दूसरे की राजाओं को भी पसंद नहीं आया था। जिस कारण और भी कई राजाओं ने उनसे मुह मोड लिया।

अपमान का बदला ( Raja jaichand history)

इधर जयचंद अपनी बेटी का भरी सभा में अपहरण और पृथ्वीराज चौहान के साथ युद्ध में हार का अपमान सहन नहीं कर पा रहे थे। वे पृथ्वीराज चौहान से हर हाल में अपने अपमान का बदला लेने के फिराक में थे।

दूसरी तरफ मुहम्मद गौरी का भी पृथ्वीराज चौहान के कई बार युद्ध हो चुके थे जिसे गोरी की हार हुई थी। फलतः गौरी भी पृथ्वीराज चौहान से अपने हार का बदला लाना चाहते थे।

जब जयचंद्र को पृथ्वीराज चौहान के सबसे बड़े दुश्मन मोहम्मद गौरी के बारें में पता चला तब वे उनसे हाथ मिला लिया। मोहम्मद गौरी भी पृथ्वीराज चौहान से अनेकों बार हार चुका था और हरबार पृथ्वीराज चौहान ने उन्हें माफ कर दिया था।

लेकिन मोहम्मद गौरी को जयचंद्र का साथ मिल गया। वे जयचंद्र की सहायता से पृथ्वीराज चौहान को हराकर उनका विशाल साम्राज्य हासिल करना चाहता था।

इस प्रकार राजा जयचंद ने मोहम्मद गौरी को पृथ्वीराज चौहान के खिलाफ युद्ध के लिए आमंत्रित किया। साथ ही उन्होंने गौरी को अपना सैन्य बल का साथ देने का वादा किया।

जयचंद की मदद से मोहम्मद गौरी का पृथ्वीराज पर चढ़ाई

मोहम्मद गौरी ने राजा जयचंद की सैन्य वल की मदद से अपनी विशाल सेना के साथ पृथ्वीराज पर चढ़ाई कर दी। उधर पृथ्वीराज ने गौरी के विशाल सेना के बारें में जानकार अन्य राजपूत राजाओं से मदद का संदेश भेजवाया।

लेकिन उस बक्त कोई भी राजा उनका साथ देने से इनकार कर दिया। दोनों राजाओं के बीच भयंकर लड़ाई हुई दोनों तरफ से हजारों सैनिक मारे गए। लेकिन पृथ्वीराज के विशाल सेना के आगे मोहम्मद गौरी टिक नहीं सके।

फलतः 1192 ईस्वी में तराइन की दूसरी लड़ाई में मुहम्मद गौरी ने पूरी तैयारी के साथ पृथ्वीराज चौहान पर चढ़ाई कर दी। इस युद्ध में पृथ्वीराज चौहान के पास 3 लाख सेना थी जबकि मुहम्मद गौरी के मात्र 1 लाख 20 हजार। फिर भी इस युद्ध में पृथ्वीराज की हार हुई।

मोहम्मद गौरी ने पृथ्वीराज चौहान को बंदी बना लिया और उनके दोनों आँख निकालकर कारागार में डाल दिया। इस युद्ध के बाद मुगलों के लिए एक रास्ता खुल गया। उन्होंने कुतुबुद्दीन को दिल्ली की गद्दी पर बैठा दिया। बाद में जयचंद्र को भी मार डाला।

मुहम्मद गौरी ने राजा जयचंद को भी नहीं छोड़ा

जयचंद्र ने पृथ्वीराज चौहान के लिए मोहम्मद गौरी को आमंत्रित किया और अपने डाल-वल के साथ उसके साथ दिया था। लेकिन मोहम्मद गौरी धोखेबाज निकला। राजा जयचंद्र को मोहम्मद गौरी रूपी सांप को दूध पिलाना बहुत महंगा पड़ा।

पृथ्वीराज चौहान को हराने और बंदी बनाने के बाद मोहम्मद गौरी का हौसला और भी बुलंद हो गया। उसने भारत में अपने साम्राज्य विस्तार करने के लिए जयचंद को ही निशाना बना शुरू कर दिया।

इस प्रकार एक दिन उन्होंने राजा जयचंद्र के कन्नौज सामराज्य पर चढ़ाई कर दी।

राजा जयचंद को गद्दार क्यों कहा जाता है।

मोहम्मद गौरी और राजा जयचंद्र के बीच भयंकर युद्ध हुआ। इस युद्ध में राजा जयचंद हाथी पर सवार होकर युद्ध का नेतृत्व कर रहे थे। इसी दौरान एक तीर राजा जयचंद्र के गले में आकार लगी और उनकी मृत्यु हो जाती है।

इसी कारण से कई इतिहासकार राजा जयचंद को गद्दार कहते हैं। क्योंकि उनही के कारण पृथ्वीराज चौहान को बंदी बनाया गया, खुद भी मृत्यु को प्राप्त हुए और भारत में मुगलों के साम्राज्य की शुरुआत हुई। 

क्या सचमुच राजा जयचंद गद्दार नहीं थे ?

जयचंद्र का इतिहास पढ़ने और कुछ लोगों की बातों को माने तो कहा जाता है की राजा जयचंद गद्दार थे। उन्होंने अपने देश के राजाओं के साथ गद्दारी कर मुहम्मद गौरी को भारत आकार चढ़ाई का न्योता दिया।

लेकिन ढेर सारे इतिहासकार इस बात से सहमत नहीं है। उनका मानना है की किसी ठोस प्रमाण के बिना राजा जयचंद को गद्दार नहीं ठहराया जा सकता।

क्योंकि इतिहास में इस बात का को ठोस सबूत नहीं मिलता जिससे पता चलता हो की राजा जयचंद ने मुहम्मद गौरी को भारत पर चढ़ाई के लिए बुलाया था। दूसरी तरफ कुछ इतिहासकार मानते हैं की संयोगिता राजा जयचंद की पुत्री नहीं थी।

बल्कि राजा जयचंद्र और पृथ्वीराज चौहान मौसेरे भाई थे। अगर यह बात सही है तो पृथ्वीराज चौहान और संयोगिता के बीच का प्रेम को लेकर राजा जयचंद और पृथ्वीराज चौहान के बीच मतभेद वाली बात गलत साबित होती है।

इन से बातों से लगता है की लोगों ने दंतकथाओं के आधार पर ही राजा जयचंद्र को गद्दार कहा जबकि इतिहास में इसके को कोई प्रमाण नहीं मिलता है।

राजा जयचंद की मृत्यु कैसे हुई

जयचंद ने जिस सांप को दूध पिलाया उसी ने बाद में उसे डस लिया। जयचंद्र ने मुहम्मद गौरी को पृथ्वीराज चौहान के विरुद्ध युद्ध हेतु बुलाया। उन्होंने मुहम्मद गौरी को मदद की भी की।

लेकिन बाद में पृथ्वीराज चौहान के पराजय के बाद गौरी ने राजा जयचंद पर भी चढ़ाई कर दी। दोनों के मध्य इटावा एंव कन्नौज के बीच स्थित चंदावर नामक स्थान पर भयंकर युद्ध हुआ।

चंदावर के युद्ध मे राजपूतों की पराजय हुई और जयचंद मारा गया। उसके बाद मोहम्मद गोरी ने आगे बढ़कर वाराणसी को लूटा और राजा जयचंद के राज्य को अपने अधीन कर लिया।

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F.A.Q

Q. जयचंद की मृत्यु कब हुई थी।

Ans. जयचंद की मृत्यु चंदावर के युद्ध में हुई थी। यह युद्ध मुहम्मद गौरी और जयचंद्र के बीच लड़ी गई थी। जहां हाथी पर सवार जयचंद्र की तीर लगने से मौत हो गई।

Q. जयचंद को गद्दार क्यों कहा जाता है

Ans. कहा जाता है की जयचंद्र ने मोहम्मद गौरी को राजपुत् राजा पृथ्वीराज चौहान के बिरुद्ध लड़ाई के लिए उकसाया और भारत बुलाया था। इसी सब कारण से जयचंद को गद्दार क्यों कहा जाता है। लेकिन इतिहास में इस बात को कोई ठोस प्रमाण उपलबद्ध नहीं है।

Q. जयचंद और मोहम्मद गौरी के बीच क्या संधि हुई ?

Ans. राजा जयचंद और मोहम्मद गौरी के बीच पृथ्वीराज चौहान के साथ लड़ने की संधि हुई। इसी संधि के तहद जयचंद्र ने अपने सैन्य वल के साथ मुहम्मद गौरी को पृथ्वीराज चौहान के विरुद्ध युद्ध मे साथ दिया था।

Q. मोहम्मद गौरी को पराजित करने वाला भारत का पहला शासक कौन था

Ans. पृथ्वीराज चौहान मुस्लिम शासक मोहम्मद गौरी को पराजित करने वाला भारत का पहला शासक था।

Q. राजा जयचंद के कितने पुत्र थे

Ans. राजा जयचंद के एक पुत्र हरिश्चंद्र थे।

बाहरी कड़ियाँ :-

जयचन्द – विकिपीडिया

कन्नौज के राजा जयचंद की मृत्यु कैसे हुई?

16 वीं शताब्दी के इतिहासकार फरिश्ता के अनुसार, जयचंद्र एक हाथी पर बैठे हुए थे, जब कुतुब उद-दीन ने उसे एक तीर से मार दिया था।

जयचंद ने पृथ्वीराज चौहान को धोखा क्यों दिया?

मोहम्मद गोरी को सन 1191 में तराइन के प्रथम युद्ध में पृथ्वीराज चौहान ने हराया था। मोहम्मद गोरी को पृथ्वीराज चौहान ने 13 बार लगातार हराया था और हर बार माफ कर दिया। दूसरी तरफ राजा जयचंद की पृथ्वीराज चौहान से नफरत करते थे क्योंकि उन्हें पृथ्वीराज चौहान और उनकी पुत्री संयोगिता का रिश्ता पसंद नहीं था।

राजा जयचंद और पृथ्वीराज चौहान में क्या रिश्ता था?

बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, पृथ्वीराज रासो की कहानी में लिखा है, 'पृथ्वीराज अजमेर के राजा सोमेश्वर के बेटे थे और उनकी मां दिल्ली के राजा अनंगपाल की बेटी कमला थीं. वहीं, कमला की बहन और सोमेश्वर की दूसरी बेटी की शादी कन्नौज के राजा विजयपाल से हुई जिनसे जयचंद पैदा हुए. '

जयचंद की पत्नी का नाम क्या था?

कान्यकुब्ज (कनौज) के स्वामी जयचन्द की संयोगिता नामिका कन्या है। मैं उसके सौन्दर्य का क्या वर्णन करूं ?