भीष्म पितामह को बाणों की शैया क्यों मिली? - bheeshm pitaamah ko baanon kee shaiya kyon milee?

महाभारत युद्ध में भीष्म को बाणों की शय्या मिलने के पीछे थी यह वजह

श्रीकृष्ण ने भीष्म पितामह को बताया कि आप 101वें जन्म में जब शिकार करके लौट रहे थे, उस वक्त एक कर्केटा पक्षी आपके रथ से गलती से टकरा गया था। इस पर आपने उसे अपने बाण से नीचे गिरा दिया था।

नई दिल्ली

Updated: April 18, 2018 5:08:24 pm

भीष्म पितामह को बाणों की शैया क्यों मिली? - bheeshm pitaamah ko baanon kee shaiya kyon milee?

गंगापुत्र भीष्म पितामह।

महाभारत युद्ध में भीष्म पितामह के बाणों की शय्या पर लेटे होने का प्रसंग बहुत ही प्रसिद्ध है। इस प्रसंग के मुताबिक भीष्म को बाणों की शय्या पर लेटकर अपनी मौत का इंतजार करना पड़ा था। महाभारत युद्ध से जुड़े प्रसंगों में भीष्म पितामह को बाणों की शय्या मिलने के वजह के बारे में भी बताया गया है जिसकी जानकारी बहुत कम लोगों को है। यह प्रसंग जानना हम सबके के लिए इसलिए भी जरूरी है ताकि हम यह समझ सकें कि हमारे बुरे कर्मों का फल हमें अगले जन्मों तक भी मिलता रहता है। भीष्म पितामह बड़े ही तपस्वी थे। वे पराक्रमी थे। उनका मानना था कि उन्होंने अपने कई जन्मों में कोई बुरा काम नहीं किया है। लेकिन सच यह नहीं था।

कहा जाता है कि महाभारत युद्ध समाप्त हो जाने के बाद भीष्म ने भगवान श्रीकृष्ण से अपने बाणों की शैय्या पर पड़े होने की वजह पूछी थी। भीष्म का कहना था कि मैंने अपने पिछले 100 जन्मों तक कोई गलत काम नहीं किया है। मैंने सदा दूसरों की मदद की है। इसलिए मुझे यह नहीं समझ आ रहा कि आखिर मुझे किस पाप का फल मिल रहा है। इस पर श्रीकृष्ण ने भीष्म से कहा कि आपने पिछले 100 जन्मों में कोई अपराध नहीं किया है, लेकिन पिछले 101वें जन्म में आपने एक अपराध अवश्य किया है। और आपको उसी अपराध की सजा मिल रही है।

श्रीकृष्ण ने बताया कि आप 101वें जन्म में जब शिकार करके लौट रहे थे, उस वक्त एक कर्केटा पक्षी आपके रथ से गलती से टकरा गया था। इस पर आपने अपने बाण से उस कर्केटे को नीचे गिरा दिया था। वह पक्षी नीचे कांटों की झाड़ियों में जा गिरा था जो उसमें 18 दिन तक फंसा रहा। उस पक्षी ने आपको श्राप दिया था कि आप भी एक दिन यह दर्द झेलेंगे। इसके अलावा इस बात का भी उल्लेख मिलता है कि द्रौपदी के चीरहरण के समय चुपचाप सिर झुकाकर बैठे रहने की वजह से भी भीष्म पितामह को बाणों की शैय्या मिली थी।

भीष्म पितामह को बाणों की शैया क्यों मिली? - bheeshm pitaamah ko baanon kee shaiya kyon milee?

पढें Religion (Religion News) खबरें, ताजा हिंदी समाचार (Latest Hindi News)के लिए डाउनलोड करें Hindi News App.

First published on: 18-04-2018 at 05:02:35 pm

वैसे तो महाभारत के मुख्य पात्र और कुरुवंश के स्तम्भ पितामह भीष्म को धर्म का प्रतीक  माना जाता है लेकिन कुछ  विद्वानो का मानना हैं की भीष्म के कारण ही महाभारत युद्ध हुआ।साथ ही विद्वानों का ये भी कहना है की भीष्म ने पूर्व जन्म में कई अपराध किए थे जिसकी वजह से उनकी मृत्यु  बाणों की शय्या पर हुई। पाठकों तो आइये जानते हैं की उन्होंने कौन कौन से घोर पाप किये थे।

पूर्वजन्ममेंवसुथेभीष्म

महाभारत में वर्णित कथा के अनुसार भीष्म अपने पिछले जन्म में एक वसु थे।आठ वसु भाइयों में से एक ‘द्यु’ नामक वसु ने एक बार वशिष्ठ ऋषि की कामधेनु नाम के गाय का हरण कर लिया।इससे क्रोधित होकर वशिष्ठ ऋषि ने आठों वसुओं को मनुष्य योनि में जन्म लेने का श्राप दे दिया।ऋषि के श्राप से वसुओं ने घबराकर महर्षि वशिष्ठजी से क्षमा के लिए प्रार्थना की।वसुओं की प्रार्थना पर महर्षि वशिष्ठ ने कहा कि, ” द्यु को छोड़ अन्य सारे वसु जन्म लेने के तुरंत बाद श्राप से मुक्त हो जाओगे।लेकिन ‘द्यु’ को अपनी करनी का फल जीवनभर भोगना होगा।”यही द्यु अपने अगले जन्म में गंगा की कोख से देवव्रत के रूप में जन्म लिया और देवव्रत ही आगे चलकर अपने भीषण प्रतिज्ञा के कारण भीष्म कहलाए।

भीष्म के घोर पाप

ऐसा माना  जाता है की प्रतिज्ञा लेने के बाद भीष्म ने हस्तिनापुर की गद्दी पर कुरुवंश का शासन बरकरार रखने के लिए कई तरह के अपराध किए थे। सत्यवती के कहने पर ही भीष्म ने काशी नरेश की 3 पुत्रियों अम्बा, अम्बालिका और अम्बिका का अपहरण किया था।बाद में अम्बा को छोड़कर सत्यवती के पुत्र विचित्रवीर्य से अम्बालिका और अम्बिका का विवाह करा दिया था।गांधारी और उनके पिता सुबल की इच्छा के विरुद्ध भीष्म ने धृतराष्ट्र का विवाह गांधारी से करवाया था।माना जाता है की इसीलिए गांधारी ने भी अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली थी।

भरी सभा में जब द्रौपदी को निर्वस्त्र किया जा रहा था तो भीष्म चुप बैठे थे।भीष्म ने जान बूझकर दुर्योधन और शकुनि के अनैतिक और छलपूर्ण खेल को चलने दिया।शरशैया पर भीष्म जब मृत्यु का सामना कर रहे थे तब भीष्म ने द्रौपदी से इसके लिए क्षमा भी मांगी थी।महाभारत युद्ध में जब कौरवों की सेना जीत रही थी तो भीष्म ने ऐन वक्त पर पांडवों को अपनी मृत्यु का राज़ बताकर कौरवों के साथ धोखा किया था और युद्ध में भीष्म को बाणों की शय्या पर लेटना पड़ा था जो उनके पूर्व जन्म के अपराध के कारण मिला।

https://www.youtube.com/watch?v=NrtmB84_SG4&t=40s

क्यों मिली बाणो की शय्या?

जब भीष्म बाणो की शय्या पर लेटे थे तो श्रीकृष्ण उनसे मिलने आये।तब भीष्म ने श्रीकृष्ण से पूछा, “हे मथुसुदन मेरे ये कौन से कर्मों का फल है जो मुझे बाणों की शय्या मिली?”तब श्रीकृष्ण ने कहा, “पितामह आप कुछ  जन्म पूर्व जब एक राजकुमार थे तब आप एक दिन शिकार पर निकले।उस वक्त एक करकैंटा एक वृक्ष से नीचे गिरकर आपके घोड़े के अग्रभाग पर बैठा था। आपने अपने बाण से उठाकर उसे पीठ के पीछे फेंक दिया।”

 उस समय वह कांटेदार पेड़ पर जाकर गिरा और कांटे उसकी पीठ में धंस गए।करकैंटा जितना निकलने की कोशिश करता उतना ही कांटे उसकी पीठ में चुभ जाते और इस प्रकार करकैंटा अठारह दिन जीवित रहा और यही ईश्वर से प्रार्थना करता रहा “हे युवराज जिस तरह से मैं तड़प-तड़प कर मृत्यु को प्राप्त हो रहा हूं, ठीक इसी प्रकार तुम्हारी भी मृत्यु हो।”इसी कारण आपको इस जन्म में बाणों की शय्या पर लेटना पड़ा है और यही शय्या आपको आपके श्राप से मुक्त भी करवाएगा।”

भीष्म पितामह बाणों की शैया पर क्यों सोए?

भीष्म पितामह छः महीने तक बाणों की शैय्या पर लेटे थे। शैय्या पर लेटे-लेटे वे सोच रहे थे कि मैंने कौन-सा पाप किया है जो मुझे इतने कष्ट सहन करने पड़ रहे हैं। भगवान श्रीकृष्ण ने तब उन्हें उनके उस पाप के बारे में बताया था, जिसके कारण उन्हें यह कष्ट झेलना पड़ा।

भीष्म पितामह बाणों की शैया पर कितने दिन थे?

इस बार ये पर्व 8 फरवरी दिन मंगलवार को है. इस दिन सूर्य देव उत्तरायण होते हैं. इसी दिन महाभारत के बाद 8 दिनों तक बाणों की शैया पर लेटे रहे भीष्म पितामह ने अपनी देह का त्याग किया था. भीष्म पितामह को इच्छा मृत्यु का वरदान प्राप्त था.

भीष्म पितामह को क्या श्राप था?

जब महर्षि वसिष्ठ अपने आश्रम आए तो उन्होंने दिव्य दृष्टि से सारी बात जान ली। वसुओं के इस कार्य से क्रोधित होकर ऋषि ने उन्हें मनुष्य योनि में जन्म लेने का श्राप दे दिया। महाभारत के अनुसार गंगापुत्र भीष्म वह द्यौ नामक वसु थे। श्राप के प्रभाव से वे लंबे समय तक पृथ्वी पर रहे तथा अंत में इच्छामृत्यु प्राप्त की।

भीष्म की शय्या किसकी थी?

गंगापुत्र भीष्म पितामह। महाभारत युद्ध में भीष्म पितामह के बाणों की शय्या पर लेटे होने का प्रसंग बहुत ही प्रसिद्ध है। इस प्रसंग के मुताबिक भीष्म को बाणों की शय्या पर लेटकर अपनी मौत का इंतजार करना पड़ा था।