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भारत रत्न भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है।[1][2][3] यह सम्मान राष्ट्रीय सेवा के लिए दिया जाता है। इन सेवाओं में कला, साहित्य, विज्ञान, सार्वजनिक सेवा और खेल शामिल है। इस सम्मान की स्थापना 2 जनवरी 1954 में भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति श्री राजेंद्र प्रसाद द्वारा की गई थी। अन्य अलंकरणों के समान इस सम्मान को भी नाम के साथ पदवी के रूप में प्रयुक्त नहीं किया जा सकता।[4] [5] प्रारम्भ में इस सम्मान को मरणोपरांत देने का प्रावधान नहीं था, यह प्रावधान 1966 में बाद में जोड़ा गया। तत्पश्चात 15 व्यक्तियों को यह सम्मान मरणोपरांत प्रदान किया गया। एक वर्ष में अधिकतम तीन व्यक्तियों को ही भारत रत्न दिया जा सकता है।[6] उल्लेखनीय योगदान के लिए भारत सरकार द्वारा दिए जाने वाले सम्मानों में भारत रत्न के पश्चात् क्रमशः पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्मश्री हैं। श्री सचिन तेंदुलकर जी एकमात्र ऐसे खिलाड़ी हैं जिन को भारत रत्न प्राप्त हुआ है और वह भारत रत्न प्राप्त करने वाले सबसे कम उम्र के व्यक्ति भी हैं इसके पश्चात भारत रत्न श्री अटल बिहारी वाजपेई जी को भी प्राप्त हुआ है यह उनको भारत को समर्पित अत्यंत प्रभावशाली राजनीतिक जीवन के लिए दिया गया है पदक[संपादित करें]मूल रूप में इस सम्मान के पदक का डिजाइन ३५ मिमि गोलाकार स्वर्ण मैडल था। जिसमें सामने सूर्य बना था, ऊपर हिन्दी में भारत रत्न लिखा था और नीचे पुष्प हार था। और पीछे की तरफ़ राष्ट्रीय चिह्न और मोटो था। फिर इस पदक के डिज़ाइन को बदल कर तांबे के बने पीपल के पत्ते पर प्लेटिनम का चमकता सूर्य बना दिया गया। जिसके नीचे चाँदी में लिखा रहता है "भारत रत्न" और यह सफ़ेद फीते के साथ गले में पहना जाता है। भारत रत्न से सम्मानित होने वाली पहली गायिका श्रीमती एम। एस। सुब्बुलक्ष्मी हैं जिसको सन् 1998 में दिया गया। आमतौर पर भारत में जन्मे नागरिकों को ही भारत रत्न से सम्मानित किया जाता है, लेकिन मदर टेरेसा और दो गैर-भारतीयों, पाकिस्तान के राष्ट्रीय खान अब्दुल गफ्फार खान और दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला को प्रदान किया गया है। 25 जनवरी 2019 को, सरकार ने सामाजिक कार्यकर्ता नानाजी देशमुख (मरणोपरांत), गायक-संगीत निर्देशक भूपेन हजारिका (मरणोपरांत) और भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को पुरस्कार देने की घोषणा की।
1992 में नेताजी सुभाषचन्द्र बोस को भारत रत्न से मरणोपरान्त सम्मानित किया गया था। लेकिन उनकी मृत्यु विवादित होने के कारण पुरस्कार के मरणोपरान्त स्वरूप को लेकर प्रश्न उठाया गया था। इसीलिए भारत सरकार ने यह सम्मान वापस ले लिया। उक्त सम्मान वापस लिये जाने का यह एकमेव उदाहरण है। भारत के प्रथम
शिक्षा मंत्री श्री
मौलाना अबुल कलाम आज़ाद को जब भारत रत्न देने की बात आयी तो उन्होंने जोर देकर मना कर दिया, कारण कि जो लोग इसकी चयन समिति में रहे हों, उनको यह सम्मान नहीं दिया जाना चाहिये। बाद में १९९२ में
उन्हें मरणोपरांत दिया गया।[7] सन्दर्भ[संपादित करें]
बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]
भारत रत्न देने का क्या कारण है?भारत का सबसे बड़ा नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' (Bharat Ratna ) है। यह उन महानुभावों को दिया जाता है, जिन्होंने कला, साहित्य, विज्ञान, समाज सेवा और खेल के क्षेत्र में उल्लेखनीय और असाधारण योगदान के जरिए राष्ट्र सेवा की हो। भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने 2 जनवरी 1954 को 'भारत रत्न' को संस्थापित किया था।
किसी को भारत रत्न कब मिलता है?यह सम्मान राष्ट्रीय सेवा के लिए दिया जाता है। इन सेवाओं में कला, साहित्य, विज्ञान, सार्वजनिक सेवा और खेल शामिल है। इस सम्मान की स्थापना 2 जनवरी 1954 में भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति श्री राजेंद्र प्रसाद द्वारा की गई थी। अन्य अलंकरणों के समान इस सम्मान को भी नाम के साथ पदवी के रूप में प्रयुक्त नहीं किया जा सकता।
भारत रत्न मिलने से क्या फायदा होता है?भारत रत्न पाने वालों को भारत सरकार की ओर से सिर्फ़ एक प्रमाणपत्र और एक तमगा मिलता है. इस सम्मान के साथ कोई रकम नहीं दी जाती. इसे पाने वालों को सरकारी महकमे सुविधाएं मुहैया कराते हैं. उदाहरण के तौर पर भारत रत्न पाने वालों को रेलवे की ओर से मुफ़्त यात्रा की सुविधा मिलती है.
भारत रत्न प्राप्त करने वाले प्रथम भारतीय कौन थे?देश के दूसरे राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन को 1954 में मिला। प्रथम भारत रत्न पुरस्कार किसे मिला? प्रथम भारतरत्न संयुक्त रुप 1954 में राजनीतिज्ञ राजगोपालाचारी, दार्शनिक डाॅ सर्वपल्ली राधाकृष्णन और वैज्ञानिक सी वी रमन को मिला।
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