सड़क पर दुर्घटना होने पर प्राथमिक उपचार क्या करना चाहिए *? - sadak par durghatana hone par praathamik upachaar kya karana chaahie *?

सड़क पर दुर्घटना होने पर प्राथमिक उपचार क्या करना चाहिए *? - sadak par durghatana hone par praathamik upachaar kya karana chaahie *?
road accidents

Highlights

  • तेजी से बढ़ रहे हैं सड़क हादसे
  • समय पर बहुत कम मिल पाती है मदद
  • प्राथमिक चिकित्सा का प्रशिक्षण जरूरी

Road Accident: भारत में हर साल 4.4 लाख सड़क हादसे होते हैं, जिनमें से एक चौथाई में मौत होती हैं। ये जानकारी नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों में सामने आई है। टाटा संस के पूर्व चेयरमैन साइरल मिस्त्री की महाराष्ट्र के पालघर में सड़क हादसे में मौत होने के बाद से इस मुद्दे पर चर्चा तेज हो गई है। ऐसे में हर किसी के लिए ये जानना जरूरी है कि सड़क हादसा होने पर क्या करना चाहिए और इस दौरान मौत को कैसे रोका जा सकता है।  

सड़क दुर्घटनाओं में फंसने और गंभीर रूप से घायल होने का सबसे अधिक जोखिम किसे होता है?

सड़क सुरक्षा पर 2019 की डब्ल्यूएचओ ग्लोबल स्टेटस की रिपोर्ट के अनुसार, पैदल चलने वालों और दोपहिया या तिपहिया वाहनों की सवारी करने वालों की सड़क यातायात दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों की आशंका अधिक होती है, यानी कुल सड़क हादसों का 40 फीसदी। रिपोर्ट के अनुसार, सड़क यातायात दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों में 12 फीसदी कार सवारों की होती है। कार में सवार लोगों के पास बचने के लिए कई तरह के सुरक्षा फीचर होते हैं। जिससे वो गिरने या टक्कर होने की स्थिति में बच जाते हैं। जैसे, सीट बेल्ट, एयरबैग। लेकिन दो पहिया वाहन चलाने वालों के पास केवल हेलमेट होता है। जबकि पैदल चलने वालों के पास अपनी सुरक्षा के लिए कोई साधन नहीं होता। यही वजह है कि अधिकतर सड़क हादसों का शिकार पैदल लोग और दो पहिया वाहन वाले बनते हैं। ये जानकारी एम्स ट्रॉमा सेंटर के डॉक्टर राजेश मल्होत्रा के हवाले से इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में दी गई है।  

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Image Source : INDIA TV

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सड़क दुर्घटनाएं क्यों होती हैं?

शराब के नशे में धुत होने, तेज गति से वाहन चलाने और यातायात नियमों का पालन नहीं करने की वजह से सड़क हादसे होते हैं। इसके अलावा नाबालिग का गाड़ी चलाना, ड्राइवर की कमजोर आंखें और सड़क की खराब स्थिति भी हादसों के कारणों में शामिल हैं। ज्यादातर हादसे देर रात और तड़के सुबह होते हैं। क्योंकि लोगों को लगता है कि अगर वह यातायात नियमों का पालन नहीं करेंगे, तो भी उनके साथ कुछ नहीं होगा। वो इस दौरान सतर्क नहीं रहते हैं। 

सबसे आम और सबसे घातक चोटें कौन सी होती हैं?

अगर शख्स ने हेलमेट नहीं पहना है या सीट बेल्ट नहीं लगा रखी, तो उसे सिर में चोट का खतरा सबसे अधिक रहता है। विशेषज्ञों का कहना है कि इसके अलावा छाती और पेट पर चोट लग सकती है। हाथ, पैर और श्रोणि की हड्डी टूट सकती है। इस तरह की चोट आना सड़क हादसों में आम बात है। होली फैमिली अस्पताल में क्रिटिकल केयर विभाग के प्रमुख डॉ सुमित रे ने बताया है कि मौत होने का खतरा कब होता है। उनका कहना है, 'मौत कई कारणों से होती है, पहला- घटनास्थल पर मौत, दूसरा- मरीज का सड़क किनारे देर तक पड़े रहना या देरी से अस्पताल लेकर आना और तीसरा- गंभीर चोट के कारण मरीज का कुछ दिनों बाद दम तोड़ देना। 

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तुरंत मौत तब होती है, जब सिर, लीवर पर गंभीर चोट लगी हो और खून न रुक रहा हो। अन्य कारणों में छाती और लीवर पर दबाव पड़ने से पसलियों का टूट जाना शामिल है। दूसरी वजह में अगर जल्द अस्पताल पहुंचा दिया जाए और अच्छी तरह इलाज हो, तो जान बच सकती है। वास्तव में, गंभीर सड़क दुर्घटनाओं में लगभग 40 फीसदी लोगों को बचाया नहीं जा सकता है। छाती, पेट और श्रोणि में आंतरिक चोटें सबसे खतरनाक होती हैं क्योंकि इन क्षेत्रों में बहुत अधिक जगह होती है, जिससे बिना किसी बाहरी रक्तस्राव के बहुत अधिक रक्त की हानि होती है। 

जहां तक ​​बाहरी चोट की बात है, तो सबसे अधिक संभावना शिराओं के प्रभावित होने की होती है। जहां व्यक्ति को रक्तस्राव का अधिक खतरा नहीं होता है, क्योंकि आंतरिक चोटें मुख्य रूप से धमनियों को प्रभावित करती हैं। ये स्थिति भी खतरनाक होती है।'

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अगर आप हादसे का शिकार हो जाएं तो क्या करना चाहिए?

सबसे पहली चीज जो विशेषज्ञ कहते हैं, वह है मदद मांगना। 

इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में इमरजेंसी प्रमुख डॉ प्रियदर्शिनी पाल सिंह का कहना है, 'मदद मांगो, जितना जल्दी हो सके घायल को अस्पताल लेकर जाओ। अगर आप पीड़ित को अपनी कार या रिक्शा से अस्पताल लेकर जा रहे हैं, तो ध्यान रखें कि उसका सिर और गर्दन स्थिर और एकदम सीधे रहें। अस्पताल जाने तक देखें कि उसका खून तो नहीं बह रहा और अगर बह रहा है, तो उसे रोकने के लिए उसपर कपड़ा बांध दें। नहीं तो लोगों को सीपीआर भी दिया जा सकता है, लेकिन बहुत से लोग नहीं जानते कि इसे कैसे देते हैं और इससे अधिक खतरा उत्पन्न हो सकता है।' 

वहीं डॉक्टर रे दुर्घटना का शिकार बने पीड़ितों, खासतौर पर वो जो अचेत अवस्था में हों, उन्हें सलाह देते हैं कि उन्हें तभी खुद को हिला डुलाकर या चलकर दूसरे स्थान पर जाना चाहिए, अगर उन्हें एक और दुर्घटना का शिकार होने का डर हो क्योंकि वह बीच सड़क पर होते हैं। उनका कहना है, 'एंबुलेंस का इंतजार करें और लोगों की मदद के लिए प्रशिक्षित कर्मी हों। अगर पीड़ित हिल पा रहा है, तो सुनिश्चित करें कि आप उसकी गर्दन को सहारा दे पाएं।' दोनों ही डॉक्टरों का कहना है कि मरीज को केवल 'गोल्डन आवर' में ही नहीं बल्कि जितना जल्दी हो सके उतना जल्दी अस्पताल पहुंचाना चाहिए, क्योंकि चंद मिनट भी काफी मायने रखते हैं। 

इसके अलावा अगर कोई तेज रफ्तार वाले वाहन के चलते दुर्घटना का शिकार हुआ है, या उसके साथ यात्रा करने वाले को गंभीर चोट लगी हैं, या फिर मामूली चोट लगी है, तब भी सभी को जितना जल्दी हो सके, अस्पताल जाना चाहिए। 

सड़क दुर्घटनाओं और इससे होने वाली मौतों की संख्या को कम करने के लिए लोग और सरकार क्या कर सकते हैं?

इसके लिए सात तरीके अपनाए जा सकते हैं, जिससे सड़क दुर्घटनाओं से बचा जा सकता है। या फिर मौत की संख्या कम हो सकती है।

पहला- नाबालिग द्वारा वाहन चलाए जाने पर सख्त जुर्माना हो और जांच की जाए।

दूसरा- इसी तरह का जुर्माना शराब के नशे में ड्राइविंग करने पर लगे।
तीसरा- यह बड़े कमर्शियल वाहनों के लिए जरूरी है। ड्राइवरों की स्वास्थ्य जांच हो, क्योंकि कई सड़क हादसे कमजोर नजर के कारण भी होते हैं। 
चौथा- सड़कों की गुणवत्ता में सुधार हो, स्पीड ब्रेकर लगें और गड्ढों का भराव किया जाए।
पांचवां- ऐसा कोई तरीका हो, कि हाइवे पर चलने वाले वाहनों को ट्रैक किया जाए। जैसे अगर कोई वाहन टोल प्लाजा को क्रॉस करके गया, लेकिन उसने वहां से एक्जिट नहीं किया, तो अधिकारियों को तुरंत सतर्क हो जाना चाहिए। इससे पीड़ित को जल्द ही बचाया जा सकता है। 
छठा- गुड समरिटिन कानून लागू हो। सड़क दुर्घटना के शिकार पीड़ितों को जल्दी मदद मिल सके, इसके लिए लोगों को ये बताने की जरूरत है कि अगर वह किसी की मदद करते हैं, तो वह किसी कानूनी झमेले में नहीं फंसेंगे।
सातवां- स्कूल, कॉलेज, दफ्तर, सभी जगहों पर लोगों को प्राथमिक उपचार का प्रशिक्षण देना चाहिए।

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सड़क दुर्घटना के लिए हमें क्या करना चाहिए?

सावधानियां.
वाहन चलाते समय वैद्य प्रपत्रों के साथ-साथ सदैव हेलमेट का प्रयोग करना चाहिए।.
बिना बीमा के वाहन नहीं चलाना चाहिए।.
चार पहिया वाहनों में सीट बेल्ट का प्रयोग करना चाहिए।.
निर्धारित गति से अधिक गति एवं नशे या नींद की हालत में वाहन नहीं चलाना चाहिए।.
चकाचौंध वाली तथा अनाधिकृत लाइटों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।.

किसी का एक्सीडेंट हो जाए तो क्या करना चाहिए?

एक्सीडेंट हो जाए तो इन बातों का खास ध्यान रखें. 112 पर करें डायलः हादसे के बाद 100 या 112 पर कॉल करें. हादसे की पूरी जानकारी दें और किसी के घायल होने या आपात स्थिति में मदद मांगें. ऐसा करने से आप पहली सूचना सही जगह तक पहुंचा देंगे. हैजर्ड लाइट ऑन करेंः एक्सीडेंट होते ही गाड़ी की हैजर्ड लाइट्स ऑन कर दें.

दुर्घटना में सबसे पहले क्या करना चाहिए?

सबसे पहले स्थिति को समझे,.
घायल के घाव पे साफ कपडा बांधे।.
घायल को अस्पताल ले जाये।.
पुलिस का इंतजार ना करें।.
यातायात व्यवस्था न होने पर एम्बुलेन्स को कॉल करे।.
कोई और आकार घायल को उठाये गा इस इंतेजार में न रहे।.
अगर कोई अस्पताल आस पास ही है तो वहाँ एडमिट कराये।.
पुलिस को कॉल करे।.
घायल को छोड़कर तभी जाये जब वहाँ पुलिस आ जाये।.

दुर्घटना होने पर प्राथमिक उपचार क्यों आवश्यक है कारण बताइए?

किसी रोग के होने या चोट लगने पर किसी अप्रशिक्षित व्यक्ति द्वारा जो सीमित उपचार किया जाता है उसे प्राथमिक चिकित्सा (First Aid) कहते हैं। इसका उद्देश्य कम से कम साधनों में इतनी व्यवस्था करना होता है कि चोटग्रस्त व्यक्ति को सम्यक इलाज कराने की स्थिति में लाने में लगने वाले समय में कम से कम नुकसान हो।