सांप मन ही मन में क्यों प्रसन्न होता था? - saamp man hee man mein kyon prasann hota tha?

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लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1: साँप के लिए गुफा कैसे जगह थी? उसके लिए सबसे बड़ा सुख क्या था?
उत्तर:
साँप के लिए गुफा सबसे आरामदायक जगह थी। यहाँ वह अपने आप को बिल्कुल सुरक्षित महसूस करता था। वह दुनिया की भागम-भाग से दूर था। उसे किसी से कुछ लेना-देना नहीं था।

प्रश्न 2: इस कहानी से क्या सन्देश मिलता है?
उत्तर:
मनुष्य को बहादुर बनकर स्वतन्त्रता के लिए संघर्ष करना चाहिए। साँप की तरह कायर नहीं बनना है बल्कि बाज की तरह साहसी बनने का प्रयास करना चाहिए।

प्रश्न 3: साँप का निवास कहाँ था? वह अपने जीवन से सन्तुष्ट था या नहीं यदि था तो क्यों?
उत्तर: साँप का निवास एक अंधेरी और सीलन भरी गुफा में था। वह अपने जीवन से सन्तुष्ट था, क्योंकि उसका मानना था कि वह अपनी गुफा में सुखी और सुरक्षित है। वह अपनी गुफा का मालिक है। यही उसका सबसे बड़ा सुख था।

प्रश्न 4: साँप मन-ही-मन क्यों हँस रहा था?
उत्तर:
साँप मन-ही-मन बाज को मूर्ख समझते हुए उसकी मूर्खता पर हँस रहा था। वह सोच रहा था कि आखिर उड़ने और रेंगने में कौन-सा भारी अंतर है। उसे आकाश लेकर क्या करना है? वह तो अपनी सुरक्षित गुफा में ही संतुष्ट है।

प्रश्न 5: गुफा के अंदर का दृश्य कैसा था?
उत्तर:
गुफा के अंदर चट्टानों में पड़ी दरारों से पानी टपक रहा था। सीलन एवं अँधरे में डूबी गुफा में एक भयानक दुर्गंध फैली हुई थी, मानों कोई चीज वर्षों से पड़ी-पड़ी सड़ गई हो।

प्रश्न 6: बाज के मरने के बाद साँप बेचैन क्यों हो गया?
उत्तर:
बाज के मरने के बाद साँप यह सोचकर बेचैन हो गया कि आखिर आकाश की असीम शून्यता में ऐसा कौन-सा आकर्षण छिपा है, जिसके लिए बाज ने अपने प्राण गँवा दिए? वहाँ कौन-सा खजाना रखा है?

प्रश्न 7: लहरों द्वारा गाया जाने वाला गीत किसके लिए था?
उत्तर: 
लहरों द्वारा गाया जाने वाला गीत उन दीवानों के लिए था, जो मर कर भी अपनी निर्भीकता एवं बहादुरी के कारण अमर हो जाते हैं, जो अपने प्राणों की बाजी लगाकर जिंदगी के हर खतरे का बहादुरी से सामना करते हैं। बाज ने ऐसा ही किया था। अतः लहरों ने उसकी प्रशंसा में गीत गाया।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1: साँप जिन्दा रहकर भी वह काम न कर सका जो बाज मरकर कर गया। बाज क्या सन्देश छोड़ गया?
उत्तर: 
साँप जिन्दा रहकर भी कायरता व परतन्त्रता का प्रतीक बना रहा जबकि बाज मरकर भी यह सन्देश छोड़ गया कि हमें हर कठिनाई का सामना वीरता व साहस से करना चाहिए इसके लिए सामने आई मृत्यु से भी नहीं डरना चाहिए।

प्रश्न 2: साँप ने बाज को उड़ने के लिए कैसे उत्साहित किया?
उत्तर: 
साँप ने बाज की उड़ने की इच्छा को देखते हुए उसे उत्साहित करते हुए कहा यदि तुम हिम्मत करके चट्टान के किनारे पर जाकर उड़ने का प्रयास करो। शायद अभी भी, तुम्हारे पंखों में ताकत बाकी हो तो तुम आकाश में उड़ सकोगे। तुम्हें एक बार कोशिश करके अवश्य देखना चाहिए।

प्रश्न 3: साँप सबसे बड़ा सुख किसे समझता था?
उत्तर:
साँप अपनी अँधेरी सीलन भरी गुफा में दुनिया की सभी गतिविधियों से दूर रहता था। वह सबसे दूर, सबसे अलग अपनी गुफा का स्वामी था। न किसी से लेना, न किसी को देना। दुनिया की भाग-दौड़, छीना-झपटी से दूर रहने में ही उसे आनंद आता था। वह एकांत प्रिय, कायर, संघर्ष से दूर रहने वाला तथा अपने जीवन में समझौता करने वाला प्राणी था। साँप को इसी में संतुष्टि मिलती थी, क्योंकि वह सुरक्षित एवं शांति से अपना जीवन व्यतीत कर रहा था। साँप के लिए यही सबसे बड़ा सुख था।

प्रश्न 4: बाज ने साँप को अपनी जिन्दगी के बारे में कौन सी बातें बताईं?
उत्तर:
बाज ने साँप को अपनी जिंदगी के बारे में बताते हुए कहा कि उसे अपनी जिंदगी से कोई शिकायत नहीं है। उसने अपनी जिंदगी को भरपूर जिया है। दुनिया का कोई ऐसा सुख नहीं था, जिसे उसने नहीं भोगा हो। वह दूर-दूर तक उड़ानें भर कर आकाश की असीम ऊँचाइयों को अपने पंखों से नाप आया है। वह अपनी व्यतीत की हुई जिंदगी से पूरी तरह संतुष्ट है।

प्रश्न 5: बाज के हवा में कूदने पर क्या हुआ? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
बाज अपने घायल शरीर की सारी शक्ति को एकत्रित कर स्वयं को एक चट्टान के किनारे तक खींच लाया। खुले आकाश को देखते ही वह अत्यधिक प्रसन्न हो गया। उसने एक गहरी, लंबी साँस ली और पंख फैलाकर हवा में कूद गया, किन्तु उसके घायल शरीर एवं टूटे हुए पंखों में इतनी शक्ति नहीं थी कि वे उसके शरीर का बोझ सँभाल सकते। अतः वह पत्थर-सा लुढ़कता हुआ नदी में जा गिरा। उसकी मृत्यु हो गई। एक लहर ने उसके पंखों पर जमे खून को धो दिया और उसके थके-माँदे शरीर को अपनी गोद में समेटकर उसे अपने साथ सागर की ओर ले चली।

प्रश्न 6: लहरें अपने गीत में क्या गा रही थीं? अपने शब्दों में उत्तर दीजिए।
उत्तर: 
समुद्र की लहरें मधुर स्वर में गा रही थीं। लहरों ने अपने गीत में बहादुर बाज की प्रशंसा की। लहरों ने अपने गीत में गाया: हे निडर बाज! तुमने जिस बहादुरी से अपने शत्रुओं से संघर्ष करते हुए अपना कीमती रक्त बहाया है, वह सभी के द्वारा हमेशा याद रखा जाएगा। तुम्हारे रक्त की एक-एक बूँद लोगों की जिंदगी में व्याप्त अँधेरे में प्रकाश फैलाएगी तथा साहसी, बहादुर दिलों में स्वतंत्रता एवं प्रकाश के लिए प्रेम पैदा करेगी। तुमने अपना जीवन बलिदान कर दिया फिर भी तुम अमर हो गए हो। हे निडर बाज! तुम्हारा नाम सदैव गर्व एवं श्रद्धा से लिया जाएगा तथा तुम्हारी वीरता के गीत सदा गाए जाएँगे।

प्रश्न 7: आकाश के असीम विस्तार में उड़ान भरने के प्रति साँप की सोच किस प्रकार की थी?
उत्तर:
आकाश के असीम विस्तार में उड़ान भरने के लिए ही बाज ने अपने प्राणों की बलि दे दी थी। इससे प्रभावित होकर साँप भी उड़ने के आनंद को प्राप्त करना चाहता था। अतः उसने भी हिम्मत बटोर कर अपने शरीर को आकाश की शून्यता में छोड़ दिया। भला रेंगने वाला साँप कैसे उड़ पाता! अतः वह नीचे छोटी-छोटी चट्टानों पर जा गिरा और अत्यधिक डर गया।

मूल्यपरक प्रश्न
प्रश्न 1: हमारा गीत जिंदगी के उन दीवानों के लिए है जो मर कर भी मृत्यु से नहीं डरते। लहरों ने किन दीवानों के लिए गीत गाया? इसका क्या अर्थ निकल सकता है?
उत्तर: 
लहरों ने उन दीवानों के लिए गीत गाया जो जान हथेली पर रखकर अर्थात् प्राणों की परवाह न करते हुए आगे की ओर वीरता से बढ़ते हैं। जिंदगी की हर मुश्किल का सामना बहादुरी से करते हैं। उनका सभी यशगान करते हैं। लहरों का यह गीत बाज के लिए था। बाज ने शत्रुओं से लड़ते हुए अपना खून बहाया था। वह साहस और वीरता का प्रतीक था। बाज ने मरकर भी लोगों को यही संदेश दिया कि मनुष्य को साहसी और बहादुर बनकर जीवन में स्वतंत्रता और प्रकाश हेतु संघर्ष करना चाहिए। मृत्यु तो अटल सत्य है जिसे बाज ने साहस के साथ हृदयंगम कर लिया था। इसलिए वह निर्भय होकर उत्साहपूर्वक पुरुषार्थ करता रहा और एक वीर योद्धा की मृत्यु को प्राप्त हुआ।

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साँप मन ही मन क्यों हँस रहा था?

प्रश्न 4: साँप मन-ही-मन क्यों हँस रहा था? उत्तर: साँप मन-ही-मन बाज को मूर्ख समझते हुए उसकी मूर्खता पर हँस रहा था। वह सोच रहा था कि आखिर उड़ने और रेंगने में कौन-सा भारी अंतर है।

बाज और सांप की कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है?

मित्र 'बाज और साँप' पाठ मनुष्य को शिक्षा देता है कि उसको जीवन में स्वतंत्रता और संघर्ष के मूल्य को समझना चाहिए। जो मनुष्य जीवन में अपनी स्वतंत्रता के प्रति जागरूक रहता है और संघर्ष करने से डरता नहीं है, वह आगे चलकर समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत बन जाता है

सांप किसकी कृपा से बच गया?

वो तो ईश्वर की उस पर कृपा रही कि वह मरते-मरते बच गया नहीं तो आज उस बाज़ के साथ मृत्यु को प्राप्त करता। अब तो साँप इस बात पर और भी अटल हो गया था कि उसकी गुफा से अधिक सुरक्षित जगह कहीं नहीं है और न ही गुफा से ज्यादा सुख और कहीं मिल सकता है। साँप के लिए यही बहुत था कि वह धरती पर रेंग लेता है।

साँप को अपनी गुफ़ा इतनी प्रिय क्यों थी?

अपनी गुफा में बैठा हुआ साँप सब कुछ देखा करता - लहरों का गर्जन, आकाश में छिपती हुई पहाड़ियाँ, टेढ़ी-मेढ़ी बल खाती हुई नदी की गुस्से से भरी आवाज़ें। वह मन ही मन खुश होता था कि इस गर्जन - तर्जन के होते हुए भी वह सुखी और सुरक्षित है। कोई उसे दुख नहीं दे सकता। सबसे अलग, सबसे दूर, वह अपनी गुफा का स्वामी है।