सुधारक चले जाते हैं और यह अपना काम करती रहती है - sudhaarak chale jaate hain aur yah apana kaam karatee rahatee hai

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श्रीमती एस. एस. अजमेरा हाईस्कुल एण्ड जुनियर कॉलेज, पिंपरी, पुणे, १८, दिनांक, प्रथम ईकाई परीक्षा, कक्षा बारहवीं २०२१-२२, विषय- हिंदी, गद्यखंड, कुल अंक -५०, २३.१०.२१, प्र.१ -:(अ) निम्नलिखित गद्यांश पढकर दी गयी सुचनाओं अनुसार, कृतियाँ कीजिए, के, (16), जॉर्ज ब्नाड शॉ का एक पैराग्राफ मैंने पढा है । वह टुटती-बिखरती नजर आती हैं पर हम देखते है कि सुधारक, उनके अपने ही संबंध में है : मै खुली सडक पर कोडे खाने चले जाते हैं और विडंबनाएँ अपना काम करती रहती हैं ।, से इसलिए बच जाता हूँ कि लोग मेरी बातों को दिल्लगी, समझकर उडा देते है । बात युँ है कि मेरे एक शब्द पर भी वे पुरूष, सुधारक, तीर्थंकर, अवतार, संत और पैगंबर आ, आखिर इसका रहस्य क्या है कि संसार से इतने महान, गौर करें, तो समाज का ढाँचा डगमगा उठे ।, चुके पर यह संसार अभी तक वैसा-का-वैसा ही चल रहा, वे मुझे बर्दाश्त नहीं कर सकते, यदि मुझपर हँसे, है । इसे वे क्यों नहीं बदल पाए? दूसरे शब्दों में जीवन के, पापों और विडंबनाओं के पास वह कौनसी शक्ति है।, नहीं । मेरी मानसिक और नैतिक महत्ता लोंगों के लिए, असहनीय है । उन्हे उबानेवाली खूबियों का पुंज लोगों के, गले के नीचे कैसे उतरे इसलिए मेरे नागरिक बंधु या तो, कान पर उँगली रख लेते है या बेवकूफी से भरी हँसी के, अंबार के नीचे ढँक देते हैं मेरी बात । शॉ के इन शब्दों में, जिससे वे सुधारकों के इन शक्तिशाली आक्रमणों को झेल, जाते है और टुकडे-टुकडे होकर बिखर नही जाते ?, शाँ ने इसका उत्तर दिया है कि मुझपर हँसकर और इस, रूप में मेरी उपेक्षा करके वे मुझे सह लेते है । यह मुहावरे कि, अहंकार की पैनी धार है, यह कहकर हम इन शब्दों में, भाषा मे सिर झुकाकर लहर को ऊपर से उतार देना है ।, उपेक्षा नहीं कर सकतें क्योंकि इनमें संसार का एक बहूत, शाँ कि बात सच है पर यह सच्चाई एकांगी है । सत्य, ही महत्वपुर्ण सत्य कह दिया है ।, इतना ही नही है । पाप के पास चार शस्त्र हैं, जिससे वह, संसार में पाप है, जीवन में दोष, व्यवस्था में अन्याय, सुधारक के सत्य को जीतता या कम-से कम असफल, है, व्यवहार में अत्याचार....और इस तरह समाज पीडित, और पीडक वर्गों में बँट गया है । सुधारक आते है, जीवन, की इन विडंबनाओं पर घनघोर चोट करते है । विडंबनाएँ, करता है । मैंने जीवन का जो थोडा-बहुत अध्ययन किया, हैं, उसके अनुसार पाप के ये चार शस्त्र इस प्रकार हैं :-, उपेक्षा, निंदा, हत्या और श्रध्दा ।, कृति : आकलन कृति, १., २., पाप के चार हथियार, ३., ४.

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कृति- २ : शब्द संपदा ।, निम्नलिखित शब्दों के विलोम लिखिये, (१) सत्य, (२) पाप, (३) सफल, (४)नैतिक, कृति- ३ : अभिव्यक्ति ।, (समाज सुधारक समाज मे व्याप्त बुराईयों को पूर्णत:, समाप्त करने में असफल रहें ।. इस कथन पर अपना मत, अभिव्यक्त किजिए ।, कृति- ४ : संक्षिप्त में उत्तर लिखिए ।, प्रस्तुत गद्यांश के आधार पर पाप के चार हथियार, पाठ का उद्देश स्पष्ट किजिए ।, (आ) निम्नलिखित गद्यांश पढकर दी गई सुचनाओं के अनुसार, कृतियाँ किजिए।, दोष अकेली रचना का है भी नहीं । दोष उसकी, एक अच्छी सहेली के नाते तुम उसकी पारिवारिक, नासमझ उम्र का है या उसके उस परिविश का है,जिसमें उस पृष्ठभूमि का अध्ययन करो । अगर लगे कि वह अपने, सँभल कर चलने के संस्कार नहीं दिए गये हैं । या यह उम्र ही परिवार से कटी हुई है तो उसकी इस टूटी कडी को जोडने, ऐसी है जब काई भावुक किशोरी किसी युवक कि प्यार, भरी, मीठी-मीठी बातों के बहकावें में आकर उसे अपना, का प्रयास करो । जैसे तुम मुझे पत्र में लिखती हो, उससे भी, कहो; वह अपनी माँ को पत्र लिखे । अपने घर की,, सब कुछ समझने लगती है और कच्ची, रोमानी भावनाओं, बहकर जल्दबाजी में मूर्खता कर बैठती है । पछतावा उसे, तब होता है जब पानी सर से गुजर चुका होता हैं ।, भाई-बहनो की बातों में रूचि ले। अपनी समस्याओं पर माँ, में, से खुलकर बात करें और उससे सलाह ले । यदि उसकी माँ, इस योग्य ना हो तो वह अपनी बडी बहन या भाभी से निर्देशन, इस अल्हड उम्र में अगर वह लडकि अपने परिवार के, ले । यह भी संभव न हो तो अपनी किसी समझदार सहेली, स्नेह संरक्षण से मुक्त हैं, आजादी के नाम पर स्वयं को, जरूरत से जादा अहमियत देकर अंतर्मुखी हो गयी है तो, उसके फिसलने की संभावना अधिक बढ जाती हैं । अपनें, या रिश्तेदार को राजदार बना ले । घर मे किसी से भी, बातचित का सिलसिला जोडकर वह अपनी समस्या से, में अकेली पड गई लडकी जैसे ही किसी लडके के संपर्क में, आती है, उसे अपना हमदर्द समझ बैठती है और उसके, अकेले जूझने से निजात पा सकती है । नही तो तुम तो हो, ही । ऐसे समय वह तुम्हारी बात न सुने, तुम्हें झटक दे,, तब भी उसकी वर्तमान मनोदशा देखकर तुम्हे उसकी बात, बहकनें की, उसके कदम भटकनें की संभावना और भी बढ, जाती है । लगता है अपने परिवार से कटी रचना के साथ, ऐसा ही है । यदि सचमुच ऐसा है तो तुम्हे भी सावधानी, से काम लेना होगा अन्यथा उसे समझाना मुश्किल होगा,, उलटे तुम्हारी दोस्ती में दरार आ सकती हैं।, का बुरा नही मानना है । उसका मुड देखकर उसका मन, टटोलो और उसे प्यार से समझाओ ।