उपसर्गोँ का अपना स्वतंत्र अर्थ नहीँ होता, मूल शब्द के साथ जुड़कर ये नया अर्थ देते हैँ। इनका स्वतंत्र प्रयोग नहीँ होता। जब किसी मूल शब्द के साथ कोई उपसर्ग जुड़ता है तो उनमेँ सन्धि के नियम भी लागू होते हैँ। संस्कृत उपसर्गोँ का अर्थ कहीँ–कहीँ नहीँ भी निकलता है। जैसे – ‘आरम्भ’ का अर्थ है– शुरुआत। इसमेँ ‘प्र’ उपसर्ग जोड़ने पर नया शब्द ‘प्रारम्भ’ बनता है जिसका अर्थ भी ‘शुरुआत’ ही निकलता है। Show ♦ विशेष— ♦ उपसर्ग के भेद – 1. संस्कृत के उपसर्ग संस्कृत मेँ कुल बाईस उपसर्ग होते है। वे उपसर्ग तत्सम शब्दोँ के साथ हिन्दी मेँ प्रयुक्त होते है। इसलिए इन्हेँ संस्कृत के उपसर्ग कहते हैँ। यथा— 2. हिन्दी के उपसर्ग उपसर्ग – अर्थ – उदाहरण 3. विदेशी उपसर्ग 4. उपसर्ग की तरह प्रयुक्त अव्यय कुछ अन्य शब्द जो उपसर्ग की तरह प्रयुक्त होते हैँ – D.K. 574265 प्र उपसर्ग का अर्थ क्या है?प्र उपसर्ग का अर्थ – आगे, अधिक.
प्र उपसर्ग से सही शब्द कौन सा है?'प्र' उपसर्ग से बना शब्द 'प्रयत्न' होगा। उपसर्ग : उपसर्ग (Prefix) वो शब्द होते हैं जो दो शब्दों से मिलकर बने होते हैं। किसी शब्द के आरंभ में कोई और शब्द लगा दिया जाता है तो उस शब्द का अर्थ ही बदल जाता है। उस आरंभिक शब्द को बाद वाले शब्द का उपसर्ग (Prefix) कहते हैं।
प्र उपसर्ग से कौन सा अर्थ ध्वनित होता है?जो शब्दों के आदि में जुड़कर उनके अर्थ में कुछ विशेषता लाते हैं, वे उपसर्ग कहलाते हैं। (1) हार' के पहले 'प्र' उपसर्ग लगा दिया गया, तो एक नया शब्द 'प्रहार' बन गया, जिसका नया अर्थ हुआ 'मारना' । (2) यत्न' के पहले 'प्र' उपसर्ग लगा दिया गया तो एक नया शब्द 'प्रयत्न' बन गया। इस नए शब्द का अर्थ होगा प्रयास करना।
उपसर्ग में शब्द का क्या अर्थ होता है?उपसर्ग ऐसे शब्दांश जो किसी शब्द के पूर्व जुड़ कर उसके अर्थ में परिवर्तन कर देते हैं या उसके अर्थ में विशेषता ला देते हैं। उप (समीप) + सर्ग (सृष्टि करना) का अर्थ है - किसी शब्द के समीप आ कर नया शब्द बनाना।
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