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Education Save Article from aplustopper.com लोप सन्धि - (Lop Sandhi) - विसर्ग का लोप - Lop Sandhi ke Udaharan - संस्कृत व्याकरणलोप सन्धि – Lop Sandhi Sanskrit Lop Sandhi Sanskrit: विसर्ग का लोप (लोप – सन्धि) ‘आतोऽशि विसर्गस्य लोपः’ अर्थात् आकार से परे विसर्ग का अश (स्वर या व्यंजन) परे होने पर लोप होता ह… MoreSandeep NCERT 55 followers More information Sanskrit Grammar Sanskrit Language Apl Essay Education Quick Onderwijs Learning More information #लोपसन्धि #LopSandhi #APlusToppercomMore like thisविसर्ग संधि Visarg sandhi : परिभाषा, नियम और उदाहरण Sanskrit grammarसंधि शब्द की व्युत्पत्ति :- सम् + डुधाञ् (धा) धातु = सन्धि “उपसर्गे धो: कि: “ सूत्र से कि प्रत्यय करने पर 'सन्धि' शब्द निष्पन्न होता है। सन्धि की परिभाषा –
“वर्ण-सन्धानं सन्धिः” इस नियम के अनुसार दो वणों के मेल का सन्धि कहते हैं। अर्थात् कि दो वर्णों के मेल जो विकार उत्पन्न होता है उसे 'सन्धि' कहते हैं। वर्ण सन्धान को संधि कहते हैं।
सन्धि के प्रकार (sandi ke parkar)संस्कृत में संधि के तीन मुख्य प्रकार होते हैं।
विसर्ग सन्धि (Visarg sandhi) जब विसर्ग के स्थान पर कोई भी परिवर्तन होता है, तब उसे विसर्ग-सन्धि कहा जाता है विसर्ग सन्धि के निम्नलिखित भेद होते हैं –नियम: अतोरोहप्लुतादप्लुते - यदि विसर्ग के पहले ह्रस्व 'अ' तथा बाद ह्रस्व 'अ' हो तो विसर्ग का “उ” हो जाता है और फिर इन दोनों (विसर्ग से पहले 'अ' + 'उ' = ओ) हो जाता है बाद वाले अ का पूर्व रूप अवग्रह (s) हो जाता है। अर्थात् उत्व सन्धि के बाद गुण-सन्धि और पररूप सन्धि होती है। नियम: उत्वसन्धिः -'हशि च' ह्रस्व अकार से परे हश् प्रत्याहार (वर्ग के 3, 4, 5 एवं ह्, य्, व्, र्, ल्) वर्ण
होने ह्रस्व अकार (अ) के आगे रेफ के स्थान पर उकार (उ) आदेश होता है। नियम:सत्व-सन्धि-'विसर्जनीयस्य सः।' यदि विसर्ग के सामने खर् वर्ण (वर्ग के 1, 2, श्, ष्, स्) हो, तो विसर्ग के स्थान पर सकार हो जाता है। नियम: विसर्ग संधि वा शरि' यदि विसर्ग के सामने शर् वर्ण (श् ष् स्) हो, तो विसर्ग के स्थान पर विकल्प विसर्ग आदेश होता है। यथा नियम: विसर्ग का रेफ (रुत्व सन्धि)-'इचोऽशि विसर्गस्य रेफः।'
इच् (अ, आ को छोडकर अधर्म स्वर) के आगे विसर्ग के सामने अश् (स्वर एवं व्यंजन) होने पर विसर्ग के स्थान पर रेफ आदेश होता है नियम: रुत्व सन्धि में अव्यय और ऋकारान्त शब्द के सम्बोधन और सम्बन्धी में अकार और आकार के सामने भी
विसर्ग के स्थान पर रेफ आदेश होता है। यथा विसर्ग का लोप (लोप-सन्धि)नियम: 'आतोऽशि विसर्गस्य लोपः' अर्थात् आकार से परे विसर्ग का अश् (स्वर या व्यंजन) परे होने पर लोप होता है नियम: 'एतत्तदोः सुलोपोऽकोरनञ्समासे हलि'
अर्थात् नञ्समास को छोडकर 'एष: स: इन दोनों पदों के विसर्ग के सामने अकार (अ) के अतिरिक्त अन्य वर्ण होने पर लोप होता है। कविः + रचयति = कवि + रचयति = कवी रचयति (विसर्ग का लोप तथा प्रथम पद के स्वर का दीर्घ होना) संस्कृत के विसर्ग का पाली में लोप होकर क्या हो जाता है?यदि विसर्ग से पहले आ हो और विसर्ग का मेल किसी अन्य स्वर अथवा वर्गों के तृतीय, चतुर्थ, पंचम अथवा य , र , ल , व वर्णो से हो तो विसर्ग का लोप हो।
संस्कृत में विसर्ग संधि कितने प्रकार की होती है?विसर्ग संधि के प्रकार. सत्व संधि. उत्व् संधि. रुत्व् संधि. विसर्ग लोप संधि. विसर्ग का उच्चारण स्थान कौन सा है?विसर्ग का उच्चारण स्थल - कंठ है। इन चारों का उच्चारण कंठ से होता है।
विसर्ग संधि की पहचान कैसे करें?विसर्ग संधि विसर्ग के साथ स्वर या व्यंजन मेल से जो विकार होता है उसे विसर्ग संधि कहते है। दूसरे शब्दों में- स्वर और व्यंजन के मेल से विसर्ग में जो विसर्ग होता है उसे विसर्ग संधि कहते है। हम ऐसे भी कह सकते हैं- विसर्ग ( : ) के साथ जब किसी स्वर अथवा व्यंजन का मेल होता है तो उसे विसर्ग-संधि कहते हैं।
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