plate tectonics theory in hindi , plate tectonics theory given by प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत क्या है , प्लेट विवर्तनिकी का सिद्धांत किसने दिया :- Show पृथ्वी से सम्बन्धित सिद्धान्त (theories related to earth in hindi) :
लघु प्लेटे :
दुर्बल मण्डल में रेडियोधर्मी पदार्थो के विघटन के कारण ऊष्मा ऊर्जा उत्सर्जित (मुक्त) होती है , इस ऊष्मा के कारण यहाँ स्थित चट्टानें पिघल जाती है तथा मेग्मा का निर्माण होता है। गर्म मैग्मा ऊपर उठता है जिससे ऊष्मीय संवहन धाराओ का निर्माण होता है। इन धाराओ के कारण प्लेटो पर बल लगता है तथा वे गति करती है। प्लेटों की गति के कारण प्लेट किनारों पर विभिन्न भू आकृतिक परिघटनाए घटती है अत: इस सिद्धांत के अंतर्गत मुख्यतः प्लेट किनारों का अध्ययन किया जाता है। प्लेटों की गति के आधार पर प्लेट किनारे तीन प्रकार के होते है –
1. अभिसारी प्लेट किनारे (convergent plate boundary ) : हल्की प्लेट – ग्रेनाईट से बनी महाद्वीपीय प्लेट भारी प्लेट – बसाल्ट से बनी महासागरीय प्लेट इन प्लेट किनारों पर दो प्लेटो का अभिसरण होता है। दोनों में से भारी प्लेट धँस जाती है जिस क्षेत्र में प्लेट धंसती है उसे बेनिओफ़ जोन कहते है। धंसने वाली प्लेट पिघलकर नष्ट हो जाती है अत: इन प्लेट किनारों को विशानात्मक प्लेट किनारे कहते है। इन प्लेट किनारों पर उच्च तीव्रता के भूकंप विस्फोटक ज्वालामुखी उद्भव तथा वलित पर्वत निर्माण आदि होता है , प्लेटो की प्रकृति के आधार पर अभिसारी प्लेट किनारे 3 प्रकार के होते है – 1. महाद्वीपीय-महाद्वीपीय प्लेट किनारे 2. महाद्वीपीय – महासागरीय प्लेट किनारे 3. महासागरीय – महासागरीय प्लेट किनारे
1. महाद्वीपीय-महाद्वीपीय प्लेट किनारे : इन प्लेट किनारों पर दो महाद्वीपीय प्लेटों का अभिसरण होता है , इससे इन प्लेट किनारों पर उच्च तीव्रता के भूकंप , विस्फोट ज्वालामुखी उद्भव व वलित पर्वत निर्माण होता है , परन्तु ज्वालामुखी उद्भव तभी होता है जब दोनों प्लेटों के बीच कोई जल स्रोत हो। उदाहरण :
हिमालय पर्वत
आल्पस पर्वत ज्वालामुखी चोटियाँ : स्ट्रौम्बोली , विसुवियस , एटना 2. महाद्वीपीय – महासागरीय प्लेट किनारे : इन प्लेट किनारों पर एक महाद्वीपीय प्लेट का अभिसरण महासागरीय प्लेट से होता है। महासागरीय प्लेट भारी होने के कारण धँस जाती है। अत: इन प्लेट किनारों पर उच्च तीव्रता के भूकम्प , विस्फोटक ज्वालामुखी उद्भव तथा महासागरीय गर्त एवं वलय/वलित पर्वत का निर्माण होता है। उदाहरण :
2. दक्षिणी अमेरिका प्लेट – नाजका प्लेट
3. महासागरीय – महासागरीय प्लेट किनारे : इन प्लेट किनारों पर दो महासागरीय प्लेटो का अभिसरण होता है अत: इन प्लेट किनारों पर उच्च तीव्रता के भूकंप , विस्फोटक ज्वालामुखी उद्भव तथा गहरी गर्त बनती है एवं द्वीपीय चापो का निर्माण होता है। उदाहरण : प्रशांत महासागरीय प्लेट – फिलीपींस प्लेट
2. अपसारी प्लेट किनारे : इन प्लेट किनारों पर दो प्लेटे एक दुसरे की विपरीत दिशा में गति करती है। प्लेटों के अपसरण के कारण महाद्वीपीय क्षेत्रो में भ्रंश घाटी का निर्माण होता है। उदाहरण : पूर्वी अफ़्रीकी भ्रंश घाटी। इन प्लेट किनारों पर मध्यम से निम्न तीव्रता के भूकंप तथा ज्वालामुखी उद्भव होता है। ज्वालामुखी उद्भव से निकलने वाले लावा के जमने से इन प्लेटो के बीच नयी क्रस्ट का निर्माण होता है। इसलिए इन प्लेट किनारों को रचनात्मक प्लेट किनारे भी कहते है। महासागरीय क्षेत्रो में इन प्लेट किनारों पर महासागरीय कटक का निर्माण होता है। उदाहरण : मध्य अटलांटिक कटक जो विश्व की सबसे लम्बी कटक है। 3. संरक्षित प्लेट किनारे : इन प्लेट किनारों पर दो प्लेटे एक दूसरे के समान्तर चलती है अत: इन प्लेट किनारों पर रूपान्तर भ्रंश का निर्माण होता है। इन प्लेट किनारों पर मध्यम से निम्न तीव्रता के भूकम्प आते है लेकिन कोई ज्वालामुखी उद्भव नहीं होते है। प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत से क्या समझते हैं?विवर्तन प्लेट सिद्धांत (1960) के प्रवर्तक हेस (Hess) के अनुसार स्थलमंडल आंतरिक रूप से दृढ़ प्लेट का बना हुआ है और महाद्वीप तथा महासागरीय तली विभिन्न प्लेट के ऊपर स्थित हैं। ये प्लेट विभिन्न रूपों में गतिशील तथा प्रवाहित होते हैं जिसके कारण महाद्वीप तथा महासागरीय तली भी विस्थापित होती है।
प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत कब और किसने दिया है?सर्वप्रथम हैरी हैस ने 1960 में इस सिद्धान्त का प्रतिपादन किया फिर 1967 में मैकेंजी, पारकर और मोर्गन ने उपलब्ध विचारों को समन्वित कर अवधारणा के रूप में प्रस्तुत किया।
प्लेट तकनीक सिद्धांत क्या है?इस सिद्धांत के अनुसार पृथ्वी की भू-पर्पटी अनेक छोटी-बड़ी प्लेटों में विभक्त है । ये प्लेटें 100 किमी. की मोटाई वाले स्थलमण्डल (लिथोस्फेयर) से निर्मित होती हैं एवं दुर्बलमण्डल (एस्थेनोस्फेयर) पर तैरती रहती हैं जो कि पूर्णतः SiMa का बना है व अपेक्षाकृत अधिक घनत्व का होता है ।
प्लेट विवर्तनिकी कितने प्रकार के होते हैं?प्लेट के सभी किनारे वाले भाग को प्लेट सीमा कहा जाता है। इन्ही प्लेट सीमाओं के सहारे भ्रंश, वलन, भूकंप, ज्वालामुखी, पर्वत, कटक, खाईयाँ आदि विवर्तनिकी क्रियाएं सम्पन्न होती है। ये प्लेटो के गति के अनुसार तीन प्रकार की होती है।
|