सूरज पश्चिम से क्यों निकलता है? - sooraj pashchim se kyon nikalata hai?

सभी अभी तक यही जानते थे कि सूरज पूरब से निकलता है, लेकिन भूगोल विशेषज्ञों की मानें तो इन दिनों यह सच्चाई बदल गई...

सूरज पश्चिम से क्यों निकलता है? - sooraj pashchim se kyon nikalata hai?

Sun, 13 Jan 2013 11:40 PM

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सभी अभी तक यही जानते थे कि सूरज पूरब से निकलता है, लेकिन भूगोल विशेषज्ञों की मानें तो इन दिनों यह सच्चाई बदल गई है। भौगोलिक बदलाव के कारण सूरज ने अपना चेहरा पूरब से घुमाकर दक्षिण-पूर्व की दिशा में कर लिया है। इस वजह से तापमान के उतार चढ़ाव के साथ सर्दी के मौसम और बारिश पर भी असर पड़ने लगा है। सूर्य की दिशा का यह परिवर्तन पूरे जैव मंडल को प्रभावित करने वाला है। धरती का उत्तरी ध्रुव, दक्षिण की ओर खिसक रहा है। इसके चलते सूर्य के उगने की दिशा दक्षिण की ओर परिवर्तित होने लगी है।

पूरब से सूरज के मुंह फेरते ही धरती का औसत तापमान भी आधा डिग्री सेल्सियस बढ़ गया है। मेरठ कॉलेज के भूगोल के विभागाध्यक्ष डॉ. कंचन बताते हैं कि 22 दिसंबर के बाद सूर्य दक्षिणायन में होता है। मगर मकर संक्रांति के बाद यह उत्तर दिशा की तरफ चला जाता है। उत्तरी और दक्षिणी दोनों गोलार्धों पर चार से छह सेंटीमीटर की परिवर्तित होती दिशा सूरज के दक्षिण से उगने का भ्रम पैदा करती है। लेकिन, इस साल सूरज ने छह सेंटीमीटर दक्षिण दिशा की ओर रुख किया है।

मेरठ के जिला विज्ञान केंद्र के समन्वयक दीपक शर्मा भी बताते हैं कि हर साल चार से छह सेंटीमीटर उत्तरी और दक्षिणी दोनों ध्रुवों पर बदलाव देखने को मिल रहा है। इस बदलाव से अब सूरज के उगने में भी परिवर्तन दिखने लगा है।

पद्मविभूषण विजेता भौतिक विज्ञानी प्रो. जयंत विष्णु नारलीकर ने कहा कि एक बार वे प्लेन से लंदन से शिकागो जा रहे थे। उनके बगल में खिड़की के पास एक एस्ट्रोनॉमर बैठे थे। वे टेलीस्कोप से बाहर का दृश्य देख रहे थे। उन्हें लगा कि सूर्य पश्चिम दिशा में क्षितिज से ऊपर की ओर बढ़ रहा है। यानी सूर्य पश्चिम दिशा में उदित हो रहा है। यह रोमांचक दृश्य था। स्ट्रोनॉमर ने मुझे भी वह दृश्य दिखाया। ऐसा कुछ क्षण के लिए हुआ था। प्रो. नारलीकर ने कहा कि पृथ्वी पश्चिम से पूर्व दिशा की ओर चक्कर लगाती है। इसलिए सूर्य पूरब की ओर उदित होता दिखाई पड़ता है। यदि पृथ्वी अपने अक्ष पर पूर्व से पश्चिम दिशा की ओर चक्कर लगाएगी तो सूर्य पश्चिम की ओर उदित होता दिखाई पड़ेगा, जो असंभव है।

सूर्य पश्चिम में उदित होता तभी दिखाई देगा, जब चार स्थितियां एक साथ हों। पहला जब सूर्य क्षितिज पर हो, दूसरा प्लेन ऊंचे अक्षांश पर उड़ रहा हो, तीसरा प्लेन पूर्व से पश्चिम दिशा की ओर जा रहा हो, चौथा प्लेन की गति पृथ्वी की घूर्णन गति से अधिक हो। प्रो. नारलीकर सोमवार को रांची यूनिवर्सिटी के आर्यभट्ट ऑडिटोरियम में इंट्रैक्शन प्रोग्राम में स्टूडेंट्स और फैकल्टी से बातचीत कर रहे थे।

कुलपति प्रो. रमेश कुमार पांडेय ने प्रो. नारलीकर के व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला। कहा कि प्रो. नारलीकर का जन्म महाराष्ट्र के कोल्हापुर में 19 जुलाई 1938 को हुआ था। स्नातक विज्ञान की शिक्षा बीएचयू से प्राप्त की। आगे की शिक्षा ग्रहण करने 1957 में कैंब्रिज चले गए। इन्होंने एस्ट्रोनॉमी एस्ट्रोफिजिक्स में स्पेशलाइजेशन किया। ये इंस्टीट्यूट आॅफ थ्योरिटिकल एस्ट्रोनॉमी के फाउंडर सदस्य रहे। इन्होंने कन्फर्मल ग्रेविटी थ्योरी को डेवलप किया जो हायले-नारलीकर थ्योरी के नाम से जानी जाती है। 26 वर्ष की उम्र में इन्हें 1965 में पद्म विभूषण मिला। 1972 में भारत आए और टाटा इंस्टीट्यूट आॅफ फंडामेंटल रिसर्च से जुड़ गए। इन्होंने ब्रह्मांड की उत्पत्ति के क्वासी स्टडी स्टेट के बारे में बताया। 100 किताबें लिखने वाले प्रो. नारलीकर को वर्ष 2014 में साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला।

कार्यक्रम में प्रो. नारलीकर से सवाल पूछते शोधार्थी।

ये थे समारोह में उपस्थित

कार्यक्रममें प्रो. नारलीकर की प|ी वैज्ञानिक मंगला नारलीकर, राज्यपाल के प्रधान सचिव एसके सत्यपथी, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव संजय कुमार, प्रोवीसी डॉ. कामिनी कुमार, डीएसडब्ल्यू डॉ. एससी गुप्ता, एचआरडीसी निदेशक प्रो. अशोक चौधरी, रजिस्ट्रार डॉ. अमर कुमार चौधरी, इक्वेक निदेशक प्रो. संजय मिश्रा, प्रिंसिपल डॉ. यूसी मेहता, प्रिंसिपल डॉ. मंजु सिन्हा, प्रिंसिपल डॉ. सिस्टर ज्योति, डॉ. अभिजीत दत्ता, डॉ. एसके सिन्हा, डॉ. प्रकाश झा अन्य थे।

{गति केसामने समय का महत्व नहीं है? गति अधिक होने से समय की उपयोगिता खत्म हो जाती है? -एसकेसिन्हा, विभागाध्यक्षपीजी बॉटनी।

-ब्रह्मांडअपनाकार्य सीमाओं में करता है। समय का महत्व तब भी बना रहता है, क्योंकि उसकी गति का आकलन करना अभी संभव नहीं हुआ है।

{क्याब्रह्मांडमें नए क्वासर उत्पन्न हो रहे हैं? -प्रो.उदय कुमार, पीजीजियोलॉजी।

-क्वासीस्टडी स्टेट सिद्धांत में ब्रह्मांड के सतत निर्माण की परिकल्पना की गई है। क्वासर की उत्पत्ति एक विशेष काल और परिस्थितियों में हुई थी।

ब्रह्मांडकी उत्पत्ति के लिए हाइड्रोजन कहां से आया?

-मूलभूतकणों न्यूट्रॉन प्रोटॉन के जुड़ने से तत्वों का निर्माण होता है।

{सूर्यमेंसंलयन अभिक्रिया होती है या विखंडन? - स्टूडेंट

-सूर्य के अंदर संलयन अभिक्रिया होती है। इसमें हाइड्रोजन-हाइड्रोजन संलयित होकर हीलियम का निर्माण करता है। इस अभिक्रिया में प्रकाश भारी मात्रा में ताप उत्सर्जित होता है।

{समानांतरयूनिवर्सका क्या कांसेप्ट है? -नीलांजनशील, पीएचडी,छात्र

-यहहाइपोथियोरिटिकल है। इस पर रिसर्च चल रहा है।

{हॉकिंसरेडिएशनक्या है? क्या उसे डिटेक्ट किया जा सकता है? -नीलांजनशील, पीएचडीछात्र

-ब्लैक होल के बाहरी सतह से हल्का रेडिएशन होता है, जिसे हॉकिंस रेडिएशन कहते हैं। ब्लैक होल जितना छोटा होगा उतना ही अधिक रेडिएशन डिटेक्ट किया जा सकता है।

{सभीग्रहोंकी उत्पति बिग-बैंग से हुई है तो सस्टेनेबल लाइफ अर्थ पर ही क्यों है?-स्टूडेंट

-पृथ्वी सूर्य से 14 करोड़ किलोमीटर की दूरी पर है। हम सूर्य से मंगल की ओर जाते हैं तो तापमान घटता है जबकि शुक्र की ओर जाने पर बढ़ता है जो जीवन के लिए अनुकूल नहीं है।

{पृथ्वीकेबाहर से आए बैक्टीरिया से जीवों की उत्पति की अवधारणा क्या है?

-प्रो.बीके सिन्हा, एसएसमेमोरियल कॉलेज

इसेनाभिकीय अनुपात के अध्ययन से समझा जा सकता है।

कार्यक्रम में प्रो. नारलीकर को मोमेंटो दिया गया। इस दौरान वैज्ञानिक मंगला नारलीकर, वीसी रमेश कुमार पांडेय और सीएम के सचिव संजय कुमार भी थे।

जब सूर्य पश्चिम में उगता है तो इसका क्या मतलब होता है?

अर्थ: जब लोग ऐसा कहते हैं, तो उनका मतलब होता है कि उन्हें कुछ होने की उम्मीद नहीं है

सूर्य पूर्व से पश्चिम जाता हुआ क्यों दिखाई देता है?

पृथ्वी पश्चिम से पूर्व की ओर घूमती है, यही कारण है। कि सूर्य पूर्व से पश्चिम की ओर जाता दिखाई देता है।

क्या सूरज पश्चिम से निकलता है?

सूरज भी सबसे पहले उठता है, इसीलिए वह पूर्व से आता है। सूरज की फेवरेट दिशा है पूर्व, इसलिए उसे कहीं और से आना पसंद नहीं है। उत्तर और दक्षिण में बर्फ है और सूरज को ठंड पसंद नहीं। पश्चिम में सूरज शाम बिताता है, इसलिए वह सुबह पूर्व से ही आता है।

सूर्य पश्चिम में क्यों है?

हम सूर्योदय और सूर्यास्त को पृथ्वी के अपनी धुरी पर घूमने के कारण देखते हैं। पृथ्वी अपनी धुरी पर पश्चिम से पूर्व की ओर घूम रही है। इसलिए, जब पृथ्वी से देखा जाता है, तो सूर्य पूर्व में उदय होता है और पश्चिम में अस्त होता है।