समाज कार्य के क्षेत्र क्या है? - samaaj kaary ke kshetr kya hai?

समाज कार्य एक सहायातामूलक कार्य है जो वैज्ञानिक ज्ञान, प्राविधिक निपुणताओं तथा मानवदर्शन का प्रयोग करते हुए व्यक्तियों की एक व्यक्ति, समूह के सदस्य अथवा समुदाय के निवासी के रूप में उनकी मनो-सामाजिक समस्याओं का अध्ययन एवं निदान करने के पश्चात् परामर्श, पर्यावरण में परिवर्तन तथा आवश्यक सेवाओं के माध्यम से सहायता प्रदान करता है ताकि वे समस्याओं से छुटकारा पा सकें, सामाजिक क्रिया में प्रभावपूर्ण रूप से भाग ले सकें, लोगों के साथ संतोषजनक समायोजन कर सकें, अपने जीवन में सुख एवं शान्ति का अनुभव कर सकें, तथा अपनी सहायता स्वयं करने के योग्य बन सकें।

समाज कार्य की परिभाषा

समाज कार्य की प्रमुख परिभाषायें हैं :

फ्रीडलैण्डर के अनुसार, ‘‘समाज कार्य वैज्ञानिक ज्ञान एवं मानवीय सम्बन्धों में निपुणता पर आधारित एक व्यावसायिक सेवा है जो व्यक्तियों की अकेले अथवा समूहों में सामाजिक एवं वैयक्तिक संतोष एवं स्वतन्त्रता प्राप्त करने में सहायता करती हैं।’’

इण्डियन कान्फ्रेन्स ऑफ सोशल वर्क के मत में, ‘‘समाज कार्य मानवतावादी दर्शन, वैज्ञानिक ज्ञान एवं प्राविधिक निपुणताओं पर आधरित व्यक्तियों अथवा समूहों अथवा समुदाय को एक सुखी एवं सम्पूर्ण जीवन व्यतीत करने में सहायता प्रदान करने हेतु एक कल्याणकारी क्रिया है।’’

चेनी के अनुसार, ‘‘समाज कार्य के अन्तर्गत ऐसी आवश्यकताओं जो सामाजिक सम्बन्धों से सम्बन्धित है तथा जो वैज्ञानिक ज्ञान एवं ढंगों का उपयोग करती हैं, के सन्दर्भ में लाभों का प्रदान करने के सभी ऐच्छिक प्रयास सम्मिलित हैं।’’

फिंक के मत में, ‘‘समाज कार्य अकेले अथवा समूहों में व्यक्तियों को वर्तमान अथवा भावी ऐसी सामाजिक एवं मनोवैज्ञानिक बाधाओं जो समाज में पूर्ण अथवा प्रभावपूर्ण सहभागिता को रोकती हैं अथवा रोक सकती है, के विरूद्ध सहायता प्रदान करने हेतु प्ररचित सेवाओं का प्रावधान है।’’

सुशील चन्द्र के मत में, ‘‘समाज कार्य जीवन के मानदण्डों को उन्नत बनाने तथा समाज के सामाजिक विकास की किसी स्थिति में व्यक्ति, परिवार, तथा समूह के सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक एवं सांस्कृतिक कल्याण हेतु सामाजिक नीति के कार्यान्वयन में सार्वजनिक अथवा निजी प्रयास द्वारा की गयी गतिशील क्रिया है।’’

उपरोक्त परिभाषाओं से स्पष्ट होता है समाज कार्य वैज्ञानिक ज्ञान, प्राविधिक निपुणताओं एवं मानवतावादी दर्शन का प्रयोग करते हुए मनो-सामाजिक समस्याओं से ग्रस्त लोगों को वैयक्तिक, सामूहिक एवं सामुदायिक स्तर पर सहायता प्रदान करने की एक क्रिया है जो उनकी इन समस्याओं को पहचानने, उन पर ध्यान को केन्द्रित करने, उनके कारणों को जानने तथा इनका स्वत: समाधान करने की क्षमता को विकसित करती है तथा सामाजिक व्यवस्था की विसंगतियों को दूर करती हुर्इ इसमें वांछित परिवर्तन लाती है ताकि व्यक्ति की सामाजिक क्रिया प्रभावपूर्ण हो सके, उसका समायोजन संतोषजनक हो सके और उसे सुख तथा शान्ति का अनुभव हो सके।

समाज कार्य की विशेषताएं

समाज कार्य की प्रमुख विशेषताएं है-

  1. समाज कार्य एक व्यावसायिक सेवा है। इसमें विविध प्रकार के वैज्ञानिक ज्ञान, प्राविधिक निपुणताओं तथा दार्शनिक मूल्यों का प्रयोग किया जाता है।
  2. समाज कार्य सहायता समस्याओं का मनो-सामाजिक अध्ययन तथा निदानात्मक मूल्यांकन करने के पश्चात् प्रदान की जाती है।
  3. समाजकार्य समस्याग्रस्त व्यक्तियों को सहायता प्रदान करने का कार्य है। ये समस्याएँ मनो-सामाजिक होती है।
  4. समाज कार्य सहायता किसी अकेले व्यक्ति अथवा समूह अथवा समुदाय को प्रदान की जा सकती है।
  5. समाज कार्य सहायता का अन्तिम उद्देश्य समस्याग्रस्त सेवार्थी में आत्म सहायता करने की क्षमता उत्पन्न करना होता है।
  6. समाज कार्य सहायता प्रदान करते समय सेवार्थी की व्यक्तित्व सम्बन्धी संरचना एवं सामाजिक व्यवस्था दोनों में परिवर्तन लाते हुए कार्य किया जाता है। समाज कार्य के उद्देश्य उद्देश्य हमें दिशा बोध कराते है।

समाज कार्य के उद्देश्य

समाज कार्य कर्ताओं को सेवायें प्रदान करते समय दिशा निर्देशन करते हैं इसलिए इनकी जानकारी आवश्यक है। ब्राउन ने समाज कार्य के चार उद्देश्यों का उल्लेख किया है:

  1. भौतिक सहायता प्रदान करना,
  2. समायोजन स्थापित करने में सहायता देना,
  3. मानसिक समस्याओं का समाधान करना तथा
  4. निर्बल वर्ग के लोगों को अच्छे जीवन स्तर की सुविधायें उपलब्ध कराना।

फ्रीडलैण्डर ने दुखदायी सामाजिक दशाओं में परिवर्तन, रचनात्मक शक्तियों का विकास तथा प्रजातांत्रिक सिद्धान्तों एवं मानवोचित व्यवहारों के अवसरों की प्राप्ति में सहायता प्रदान करने के तीन उद्देश्यों का उल्लेख किया है। इस प्रकार विशिष्ट रूप से समाज कार्य के उद्देश्य है:

  1. मनो-सामाजिक समस्याओं का समाधान करना।
  2. मानवीय आवश्यकताओं की पूर्ति करना।
  3. सामाजिक सम्बन्धों को सौहादर््रपूर्ण एवं मधुर बनाना।
  4. व्यक्तित्व में प्रजातांत्रिक मूल्यों का विकास करना।
  5. सामाजिक उन्नति एवं विकास के अवसर उपलब्ध कराना।
  6. लोगों में सामाजिक चेतना जागृत करना।
  7. पर्यावरण को स्वस्थ एवं विकास के अनुकूल बनाना।
  8. सामाजिक विकास हेतु सामाजिक व्यवस्था में अपेक्षित परिवर्तन करना।
  9. स्वस्थ जनमत तैयार करना।
  10. लोगों में सामंजस्य की क्षमता विकसित करना।
  11. लोगों की सामाजिक क्रिया को प्रभावपूर्ण बनाना।
  12. लोगों में आत्म सहायता करने की क्षमता विकसित करना।
  13. लोगों को उनके जीवन में सुख एवं शान्ति का अनुभव कराना।
  14. समाज में शान्ति एवं व्यवस्था को प्रोत्साहित करना।

समाज कार्य की मौलिक मान्यताएँ

समाज कार्य की मौलिक मान्यताएँ है :

  1. व्यक्ति एवं समाज अन्योन्याश्रित हैं। इसलिए व्यक्ति, समूह अथवा समुदाय के रूप में सेवार्थी की समस्या के समाधन हेतु सामाजिक दशाओं एवं परिस्थतियों का अवलोकन एवं मूल्यॉकन आवश्यक होता है।
  2. व्यक्ति तथा पर्यावरण के बीच होने वाली अन्त:क्रिया में आने वाली बाधाएँ समस्या का प्रमुख कारण होती है। इसलिए समाज कार्य की क्रियाविधि का केन्द्र बिन्दु अन्त:क्रियायें होती हैं।
  3. व्यवहार तथा दृष्टिकोण दोनों ही सामाजिक शक्तियों द्वारा प्रभावित किये जाते हैं। इसीलिए सामाजिक शक्तियों में हस्तक्षेप करना आवश्यक होता है।
  4. व्यक्ति एक सम्पूर्ण इकाई है। इसीलिए उससे सम्बन्धित आन्तरिक तथा बाºय दोनों प्रकार की दशाओं का अध्ययन आवश्यक होता है।
  5. समस्या के अनेक स्वरूप होते हैं। इसीलिए इनके समाधान हेतु विविध प्रकार के ढंगों की आवश्यकता होती है।

समाज कार्य के प्रमुख अंग

समाज कार्य के तीन प्रमुख अंग है-कार्यकर्ता, सेवार्थी तथा संस्था। समाज कार्य में कार्यकर्ता का स्थान प्रमुख होता है। यह कार्यकर्ता वैयक्तिक समाज कार्य, सामूहिक समाज कार्य अथवा सामुदायिक संगठन कार्यकर्ता हो सकता है। कार्यकर्ता की भूमिका समस्या की प्रकृति पर निर्भर करती है। कार्यकर्ता को मानव व्यवहार का समुचित ज्ञान होता है। उसमें व्यक्ति, समूह तथा समुदाय की आवश्यकताओं, समस्याओं एवं व्यवहारों को समझने की क्षमता एवं योग्यता होती है। सेवार्थी एक व्यक्ति, समूह अथवा समुदाय हो सकता है। जब सेवार्थी एक व्यक्ति होता है तो अधिकांश समस्याएँ मनो-सामाजिक अथवा समायोजनात्मक अथवा सामाजिक क्रिया से सम्बन्धित होती है और कार्यकर्ता वैयक्तिक समाज कार्य प्रणाली का प्रयोग करते हुए सेवायें प्रदान करता है। 

जब सेवार्थी एक समूह होता है तो प्रमुख समस्यायें प्रजातांत्रिक मूल्यों तथा नेतृत्व के विकास, सामूहिक तनावों एवं संघर्षों के समाधान तथा मैत्री एवं सौहादर््रपूर्ण सम्बन्धों के विकास से सम्बन्धित होती है। जब सेवार्थी एक समूदाय होता है तो समुदाय की अनुभूत आवश्यकताओं की पूर्ति करने के साथ-साथ सामुदायिक एकीकरण का विकास करने का प्रयास किया जाता है। एक सामुदायिक संगठनकर्ता समुदाय में उपलब्ध संसाधनों एवं समुदाय की अनुभूत आवश्यकताओं के बीच प्राथमिकताओं के आधर पर सामंजस्य स्थापित करता है और लोगों को एक-दूसरे के साथ मिलजुलकर कार्य करने के अवसर प्रदान करते हुए सहयोगपूर्ण मनोवृत्तियों, मूल्यों एवं व्यवहारों का विकास करता है।

समाज कार्य के कार्य

सामान्यतया समाज कार्य के चार प्रकार के कार्य है:

  1. उपचारात्मक- इन कार्यों के अन्तर्गत समस्या की प्रकृति के अनुसार चिकित्सीय सेवाओं स्वास्थ्य सेवाओं, मनोचिकित्सीय एवं मानसिक आरोग्य से सम्बन्धित सेवाओं को सम्मिलित किया जा सकता है।
  2. सुधारात्मक कार्य- इन कार्यों के अन्तर्गत व्यक्ति सुधार सेवाओं, सम्बन्ध सुधार सेवाओं तथा समाज सुधार सेवाओं को सम्मिलित किया जा सकता है।
  3. निरोधात्मक कार्य- इन कार्यों के अन्तर्गत सामाजिक नीतियों, सामाजिक परिनियमों, जन चेतना उत्पन्न करने से सम्बन्धित प्रौढ़ शिक्षा जैसे कार्यक्रमों का उल्लेख किया जा सकता है।
  4. विकासात्मक कार्य- इनके अन्तर्गत आर्थिक विकास के विविध प्रकार के कार्यक्रमों यथा उत्पादकता की दर में वृद्धि करने, राष्ट्रीय आय तथा प्रति व्यक्ति आय को बढ़ाने, आर्थिक लाभों का साम्यपूर्ण वितरण करने, उपभोक्ताओं के हितों का संरक्षण करने इत्यादि। कार्यों को सम्मिलित किया जा सकता है।

समाज कार्य की प्रणालियाँ

समाज कार्य की 6 प्रणालियाँ हैं जिनका प्रयोग करते हुए सेवार्थियों की सहायता की जाती है। इन प्रणालियों को दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है:

  1. प्राथमिक प्रणालियाँ जिनके अन्तर्गत वैयक्तिक समाज कार्य, सामूहिक समाज कार्य तथा सामूदायिक संगठन को सम्मिलित किया गया है, तथा
  2. द्वितीयक अथवा सहायक प्रणालियाँ जिनके अन्तर्गत समाज कल्याण प्रशासन, सामाजिक क्रिया और समाज कार्य शोध को रखा गया है। वर्तमान अनुसंधान में उत्तरदाताओं के समस्याओं के निराकरण में वैयक्तिक समाज कार्य प्रणाली का उपयोग किया गया है।

समाज कार्य के क्षेत्र कितने होते है?

समाज-कार्य के तहत व्यावसायिक दृष्टि से विकसित छह प्रणालियों के माध्यम से लोगों की मदद की जाती है। ये हैं : सामाजिक वैयक्तिक कार्य, समूह समाज-कार्य, सामुदायिक संगठन, समाज-कल्याण प्रशासन, समाज-कार्य शोध और सामाजिक क्रिया। सामाजिक वैयक्तिक कार्य के तहत एक समय में केवल एक व्यक्ति ही सेवा-कार्य का केंद्र होता है।

क्षेत्र कार्य से आप क्या समझते हैं?

क्षेत्र कार्य अभ्यास का मुख्य ध्येय समाज कार्य की उन विधाओं का क्षेत्र में अभ्यास करने की कला का विकास करना है जिनके माध्यम से समाज कार्य की व्यावसायिक विधियों का क्षेत्र में प्रयोग कर व्यक्ति, समूह, समुदाय तथा संगठन को सहायता प्रदान की जाती है ।

समाज कार्य के मुख्य कार्य क्या है?

समाज कार्य का प्रमुख कार्य व्यक्तियों की उन कठिनाइयों को दूर करने में सहायता देना है जो एक संगठित समूह की सेवाओं के प्रयोग से या उनके एक संगठित समूह के सदस्य के रूप में कार्य सम्पादन से सम्बन्धित है।”

समाज कार्य का मूल उद्देश्य क्या है?

समाज कार्य के उद्देश्य मानवीय आवश्यकताओं की पूर्ति करना। सामाजिक सम्बन्धों को सौहादर््रपूर्ण एवं मधुर बनाना। व्यक्तित्व में प्रजातांत्रिक मूल्यों का विकास करना। सामाजिक उन्नति एवं विकास के अवसर उपलब्ध कराना।