भगवान राम की अर्धांगिनी मां सीता का पंचवटी के पास लंकाधिपति रावण ने अपहरण करके 2 वर्ष तक अपनी कैद में रखा था। लेकिन इस कैद के दौरान रावण ने माता सीता को छुआ तक नहीं था। तो ऐसा क्या कारण था कि रावण ने सीता माता को छुआ तक नहीं? क्या माता सीता में सतीत्व की शक्ति थी या कि रावण डरता था भगवान राम से। कहीं ऐसा तो नहीं कि रावण ने कोई वचन धारण कर रखा हो या वह किसी शाप से बंधा हो? Show रावण जब सीता के पास विवाह प्रस्ताव लेकर गया तो माता ने घास के एक टुकड़े को अपने और रावण के बीच रखा और कहा, 'हे रावण! सूरज और किरण की तरह राम-सीता अभिन्न हैं। राम व लक्ष्मण की अनुपस्थिति में मेरा अपहरण कर तुमने अपनी कायरता का परिचय और राक्षस जाति के विनाश को आमंत्रित कर दिया है। तुम्हारे को श्रीरामजी की शरण में जाना इस विनाश से बचने का एकमात्र उपाय है अन्यथा लंका का विनाश निश्चित है।' सीता माता की इस बात से निराश रावण ने राम को लंका आकर सीता को मुक्त करने को दो माह की अवधि दी। इसके बाद रावण या तो सीता से विवाह करेगा या उसका अंत। रावण ने सीता को हर तरह के प्रलोभन दिए कि वह उसकी पत्नी बन जाए। यदि वह ऐसा करती है तो वह अपनी सभी पत्नियों को उसकी दासी बना देगा और उसे लंका की राजरानी। लेकिन सीता माता रावण के किसी भी तरह के प्रलोभन में नहीं आईं। तब रावण ने सीता को जान से मारने की धमकी दी लेकिन यह धमकी भी काम नहीं कर पाई। रावण चाहता तो सीता के साथ जोर-जबरदस्ती कर सकता था, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। आखिर इसके क्या कारण थे। जानेंगे अगले पन्नों पर। अगले पन्ने पर, सीता का अपहरण क्यों किया रावण ने... भगवान राम की अर्धांगिनी मां सीता का पंचवटी के पास लंकाधिपति रावण ने अपहरण करके 2 वर्ष तक अपनी कैद में रखा था। लेकिन इस कैद के दौरान रावण ने माता सीता को छुआ तक नहीं था। तो ऐसा क्या कारण था कि रावण ने सीता माता को छुआ तक नहीं? क्या माता सीता में सतीत्व की शक्ति थी या कि रावण डरता था भगवान राम से। कहीं ऐसा तो नहीं कि रावण ने कोई वचन धारण कर रखा हो या वह किसी शाप से बंधा हो? रावण जब सीता के पास विवाह प्रस्ताव लेकर गया तो माता ने घास के एक टुकड़े को अपने और रावण के बीच रखा और कहा, 'हे रावण! सूरज और किरण की तरह राम-सीता अभिन्न हैं। राम व लक्ष्मण की अनुपस्थिति में मेरा अपहरण कर तुमने अपनी कायरता का परिचय और राक्षस जाति के विनाश को आमंत्रित कर दिया है। तुम्हारे को श्रीरामजी की शरण में जाना इस विनाश से बचने का एकमात्र उपाय है अन्यथा लंका का विनाश निश्चित है।' सीता माता की इस बात से निराश रावण ने राम को लंका आकर सीता को मुक्त करने को दो माह की अवधि दी। इसके बाद रावण या तो सीता से विवाह करेगा या उसका अंत। रावण ने सीता को हर तरह के प्रलोभन दिए कि वह उसकी पत्नी बन जाए। यदि वह ऐसा करती है तो वह अपनी सभी पत्नियों को उसकी दासी बना देगा और उसे लंका की राजरानी। लेकिन सीता माता रावण के किसी भी तरह के प्रलोभन में नहीं आईं। तब रावण ने सीता को जान से मारने की धमकी दी लेकिन यह धमकी भी काम नहीं कर पाई। रावण चाहता तो सीता के साथ जोर-जबरदस्ती कर सकता था, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। आखिर इसके क्या कारण थे। जानेंगे अगले पन्नों पर। अगले पन्ने पर, सीता का अपहरण क्यों किया रावण ने... क्यों रावण को करना पड़ा अपनी ही पुत्री का हरण, जानें असल वजहहिंदू धर्म के ग्रंथों में रावण और देवी सीता से संबंधित बहुत सी कथाएं मिलची है लेकिन आज हम आपको जिस कथा के बारे में बताने जा रहे हैं आप में शायद हो कोई ऐसा होगा जो जानता होगा। ये नहीं देखा तो क्या देखा (VIDEO) क्या आप जानते हैं कि देवी सीता रावण की बेटी थी। जी हां, हम जानते हैं सुनते ही आपके पैरों तलें ज़मीन निकल गई होगी का आख़िर हम ये क्या कह रहे हैं मगर आपको बता दें कि पौराणिक ग्रंथों के अनुसार इस तथ्य को सच कहा जाता है। कहा जाता है कि देश के कई में रामायण की कथाएं प्रचलित हैं लेकिन थाइलैंड में प्रचलित रामायण की कथाओं के अनुसार देवी सीता रावण की बेटी थी, जिसे रावण ने एक भविष्यवाणी के बाद जमीन में दफ़ना दिया था। इसके मुताबिक भविष्यवाणी में कहा गया था कि यह लड़की तेरी मौत का कारण बनेगी। बताया जाता है कि इसी कारण रावण ने कभी सीता के साथ बुरा बर्ताव नहीं किया। इधर अद्भुत रामायण के अनुसार, एक बार दण्डकारण्य मे गृत्स्मद नामक ब्राह्मण, माता लक्ष्मी को अपनी पुत्री के रूप में पाने के लिए हर दिन एक कलश में कुश के अग्र भाग से मंत्रोच्चारण के साथ दूध की बूदें डालते थे। अद्भुत रामायण के अनुसार, एक दिन रावण उनकी अनुपस्थिति में वहां पहुंचा और ऋषियों का रक्त, उसी कलश में एकत्र कर के लंका लेकर चला गया। कहा जाता है कि उस कलश को उसने मंदोदरी के संरक्षण में दे दिया और कहा कि इसमें विष है, सावधानी से रखें। रावण की उपेक्षा से दुखी होकर मंदोदरी ने आत्महत्या करने की इच्छा से घड़े में भरा वह रक्त ज़हर समझकर पी लिया। जिससे वह अनजाने में ही गर्भवती हो गई। जबकि उस वक्त रावण विहार करने सह्याद्रि पर्वत पर गया था। ऐसे में मंदोदरी ने सोचा कि जब मेरे पति मेरे पास नहीं है, जब उन्हें इस बात का पता चलेगा। तो वह क्या सोचेंगे। यही सब सोचते हुए मंदोदरी तीर्थ यात्रा के बहाने कुरुक्षेत्र चली गई। जहां उसने गर्भ को निकालकर एक घड़े में रखकर भूमि में दफ़न कर दिया और सरस्वती नदी में स्नान कर वह वापस लंका लौट गई। यहां की मान्यता के अनुसार कि वही घड़ा हल चलाते वक्त मिथिला के राजा जनक को मिला था, जिसमें से देवी सीता प्रकट हुईं थी। इन्हीं कथा के आधार पर विद्वान मानते हैं कि सीता और रावण में पिता-पुत्री का संबंध था।
हालांकि कई ग्रंथों में सीता-रावण का संबंध पिता-पुत्री की तरह नहीं दर्शाया गया।
BTC$ 16802.78 Wed, Dec 07, 2022 12.35 PM UTC ETH$ 1226.31 Wed, Dec 07, 2022 12.35 PM UTC USDT$ 1 Wed, Dec 07, 2022 12.35 PM UTC BNB$ 283.49 Wed, Dec 07, 2022 12.35 PM UTC usd-coin$ 1 Wed, Dec 07, 2022 12.35 PM UTC XRP$ 0.38 Wed, Dec 07, 2022 12.35 PM UTC terra-luna$ 2.51 Tue, Oct 18, 2022 03.06 PM UTC
solana$ 13.65 Wed, Dec 07, 2022 12.35 PM UTC Trending TopicsIndia need 123 runs to win from 18.3 overs RR 5.42 Most Read Storiesसीता रावण की बेटी कैसे हुई?एक दिन जब रावण महल में नहीं था तब चुपके से मंदोदरी ने उस कलश को खोलकर देखा। मंदोदरी कलश को उठाकर सारा रक्त पी गई जिससे वह गर्भवती हो गई। यह भेद किसी को पता ना चले इसलिए वह लंका से बहुत दूर अपनी पुत्री को कलश में छुपाकर मिथिला भूमि में छोड़ आई। इस तरह सीता को रावण की पुत्री बताया जाता है।
सीता का रावण से क्या रिश्ता था?Ramayan : निसंतान रहे मिथिला नरेश जनक ने धरती से मिलीं सीता को अपनी पुत्री मानकर लालन-पालन किया और स्वयंवर के जरिए वह श्रीराम की अर्धांगिनी बनीं. मगर असल में सीता रावण और मंदोदरी की बेटी थी. इसके पीछे सबसे बड़ी वजह बनीं भगवान विष्णु की उपासक वेदवती. सीता इन्हीं वेदवती का पुनर्जन्म थीं.
रावण की बेटी का नाम क्या था?कहते हैं कि रावण की एक बेटी भी था जिसका नाम सुवर्णमछा या सुवर्णमत्स्य था जो देखने में बहुत ही सुंदर थी। उसे सोने की जलपरी कहा गया है।
रावण ने सीता को क्यों नहीं हुआ?रावण ने सीता जी को उनकी आज्ञा से इसलिए स्पर्श नहीं किया कि रावण को नलकुबेर ने शाप दिया था। रावण जानता था। यदि वह सीता गलत नियत से स्पर्श करेगा तो उसके सिर के सौ टुकड़े हो जाएंगे। त्रेतायुग में विश्वविजेता की उपाधि धारण करने वाला रावण किसी भी स्त्री को उसकी आज्ञा के बिना स्पर्श नहीं कर सकता था।
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