पाप का ब्रह्मास्त्र क्या है *? - paap ka brahmaastr kya hai *?

ब्रह्मास्त्र का प्रयोग करने के बाद पाप का नारा क्या होता है?

यह ब्रह्‌मास्त्र है - श्रद्धा । इन क्षणों में पाप का नारा होता है - ''सत्य की जय ! सुधारक की जय !'' अब वह सुधारक की करने लगता है चरणवंदना और उसके सत्य की महिमा का गान और बखान । सुधारक होता है करुणाशील और उसका सत्य सरल विश्वासी ।

सुधारक के शहादत से उसके सत्य में क्या समा जाता है?

जो लोग सुधारक के जीवित रहते उसकी बातों को अनसुना करते रहे, उसकी निंदा करते रहे और उसकी जान के दुश्मन बने रहे, उसकी मृत्यु के पश्चात उन्हीं लोगों के मन में उसके लिए श्रद्धा की भावना उमड़ पड़ती है और वे उसके स्मारक और मंदिर बनाने लगते हैं।

पाप के चार शस्त्र कौन से है?

चार हथियार सबसे कारगर बताए गए हैं- उपेक्षा, निंदा, हत्या और श्रद्धा। हजारी प्रसाद द्विवेदी इन्हें पाप के चार हथियार कहते हैं।