मौर्यकालीनअर्थव्यवस्था Show मौर्य काल की अर्थव्यवस्था के तीन स्तंभ थे- 1. कृषि, 2. पशुपालन/उद्योग, 3. वाणिज्य या व्यापार। कृषि
1. सेतु कर 2. वन कर
उद्योग
मौर्यकालीन मुद्राएं
वाणिज्य एवं व्यापार
व्यापारिक मार्ग
मौर्य काल में राज्य की आय का मुख्य स्रोत क्या था?मौर्यकाल में राज्य की आय का प्रमुख स्रोत भूमि कर था। जो भूमि राज्य की अपनी होती थी उससे होने वाली आय को 'सीता' कहा जाता था तथा जो भूमि राज्य के अधिकार में नहीं थी उससे होने वाली आय को 'भाग' कहते थे। मौर्य काल में आयात व निर्यात कर ( Import and Export duty) भी लिया जाता था।
मौर्य काल में जिले को क्या कहा जाता था?मौर्यकाल में जिलों को विषय कहा जाता था। जिले का सर्वोच्च अधिकारी/प्रशासक विजय पति होता था। प्रादेशिक - यह क्षेत्र में दौरा करता था तथा जिले व गांव के अधिकारियों का विवरण समाहर्ता को देता था।
मौर्य काल के नगर एवं व्यापार के बारे में आप क्या जानते हैं?मौर्य काल में व्यापार (आंतरिक एवं बाह्य), जल एवं स्थल दोनों मार्गों से होता था। आंतरिक व्यापार के प्रमुख केन्द्र थे-तक्षशिला, काशी, उज्जैन, कौशांबी तथा तोसली (कलिंग राज्य की राजधानी) आदि। इस समय भारत का बाह्य व्यापार रोम, सीरिया, फारस, मिस्र तथा अन्य पश्चिमी देशों के साथ होता था।
मौर्य साम्राज्य के बारे में जानने के लिए क्या स्रोत हैं?मौर्य राजवंश ने 137 वर्ष भारत में राज्य किया। इसकी स्थापना का श्रेय चन्द्रगुप्त मौर्य और उसके मंत्री चाणक्य को दिया जाता है। यह साम्राज्य पूर्व में मगध राज्य में गंगा नदी के मैदानों (आज का बिहार एवं बंगाल) से शुरु हुआ। इसकी राजधानी पाटलिपुत्र (आज के पटना शहर के पास) थी।
|