कबीर की साखियों में कौन कौन से जीवन मूल्य उभरते हैं - kabeer kee saakhiyon mein kaun kaun se jeevan mooly ubharate hain

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The journal is published quarterly every year in last week of March, June, September and December.    
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उत्तर :-

1. कबीर की साखियों में हमें अनेक जीवन-मूल्य देखने को मिलते हैं । उन्होंने प्रेम और ज्ञान को अधिक महत्व दिया है । अहंकार नहीं करने और सहज जीवन को जीने की बात कही गई है । समाज में व्याप्त में कुरीतियों और आडंबरों में नहीं फँसकर ही हम अपने जीवन को बेहतर बना सकते हैं । कबीर ने हमारे कर्मों पर जोर देते हुए कहा है कि हमारे कर्मों से ही हमारी पहचान होती है । और इन्हीं के आधार पर हमारे व्यक्तित्व का पता चलता है ।

प्रिय छात्र,

कबीर की साखियों से हमें निम्नलिखित संदेश मिलते हैं-
1. उनके अनुसार मनुष्य को सबके साथ अच्छा व सच्चा व्यवहार करना चाहिए।
2. प्रभु की भक्ति सच्चे मन से करनी चाहिए व प्रभु को पाने के लिए हमें आडंबरों को छोड़कर प्रभु को सच्ची भक्ति से प्रसन्न करना चाहिए।
3. मनुष्य को मोह व माया को छोड़कर प्रभु का ध्यान करना चाहिए।

  आशा करती हूँ कि आपको प्रश्न का उत्तर मिल गया होगा।

  ढेरों शुभकामनाएँ

विषयसूची

  • 1 निंदकों की क्या विशेषता होती है?
  • 2 निरमल करै सुभाइ का क्या अर्थ है?
  • 3 निंदा करने वाले व्यक्ति को कहाँ रखना चाहिए?
  • 4 कबीर की साखी से कौन कौन से जीवन मूल्य उभरते है तथा उनके दोहों को साखी क्यों कहते है?
  • 5 कबीरदास की निंदक के विषय में क्या राय हैं?

निंदकों की क्या विशेषता होती है?

इसे सुनेंरोकेंउत्तरः निन्दक का कार्य हमेशा लोगों की निन्दा करना होता है। कबीर के अनुसार हमें सहनशील होकर अपनी निन्दा सुननी चाहिए।

निरमल करै सुभाइ का क्या अर्थ है?

इसे सुनेंरोकेंनिंदक नियरे राखिए, ऑंगन कुटी छवाय, बिन पानी, साबुन बिना, निर्मल करे सुभाय। » अर्थ : जो हमारी निंदा करता है, उसे अपने अधिकाधिक पास ही रखना चाहिए। वह तो बिना साबुन और पानी के हमारी कमियां बता कर हमारे स्वभाव को साफ़ करता है.

निंदक के बारे में कवि की क्या राय है?

इसे सुनेंरोकेंAnswer. कबीर ने निंदक को सदैव अपने साथ रखने की सलाह इसलिये दी है, क्योंकि निंदक निरंतर आपको आपकी कमियां गिनाता रहेगा। कोई भी मनुष्य तब तक उन्नति नही कर सकता जब तक वह अपनी कमियों को पहचान कर उनमें सुधार न करे। निंदक हमेशा दूसरों की कमियों पर ज्यादा ध्यान रखते हैं।

निंदक व्यक्ति के प्रति हमारा क्या दृष्टिकोण होना चाहिए?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर :- कबीरदास जी कहते हैं कि हमें निन्दकों को अपने पास रखना चाहिए और ज्यादा से ज्यादा उनकी बातों पर ध्यान देकर अपनी गलतियों को स्वीकार करना चाहिए व उनमे सुधार करने का प्रयत्न करना चाहिए।

निंदा करने वाले व्यक्ति को कहाँ रखना चाहिए?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर: कबीर के अनुसार हमें निंदा करने वालों को अपने पास अपने आंगन में बैठना चाहिए क्योंकि उनके निंदा करने से हमारे स्वभाव से बुराइयां उसी प्रकार दूर हो जाएंगी जिस प्रकार साबुन और पानी से धोने पर कपड़े के सारे मैल धुल जाते हैं।

कबीर की साखी से कौन कौन से जीवन मूल्य उभरते है तथा उनके दोहों को साखी क्यों कहते है?

इसे सुनेंरोकेंकबीर की साखियाँ कबीर के अनुभव और गहनता से खोजे गए सत्य पर आधारित है। उनकी हर साखी मनुष्य को सीख सी देती प्रतीत होती है। इन साखियों में हमें कई जीवन मूल्यों की झलक मिलती है; जैसे- • मनुष्य को सदैव ऐसी वाणी बोलना चाहिए जिससे बोलने और सुनने वाले दोनों को ही सुख और शीतलता मिले। मनुष्य को अहंकार का त्याग कर देना चाहिए।

निर्मल का क्या अर्थ है * 1 Point क खुशी ख पुस्तकें ग पवित्र घ अज्ञानी?

इसे सुनेंरोकेंNirmal Meaning in Hindi – निर्मल का मतलब हिंदी में विशेषण – (वस्तु) जिसमें मल या मलिनता न हो, साफ, स्वच्छ ; विशेषण – निष्कपट, शुद्ध। 1.

बिना साबुन और पानी के उपयोग के निर्मलता कैसे आ सकती हैं?

इसे सुनेंरोकेंअर्थात: जो हमारी निंदा करता है, उसे अपने अधिक से अधिक पास ही रखना चाहिए क्योंकि वह बिना साबुन और पानी के हमारी कमियां बताकर हमारे स्वभाव को साफ कर देता है। यह कबीर जी का दोहा है जो उनकी साखियों से लिया गया है।

कबीरदास की निंदक के विषय में क्या राय हैं?

इसे सुनेंरोकेंनिंदक अर्थात् आलोचकों के बारे में कबीर की राय समाज से बिलकुल भी मेल नहीं खाती थी। समाज के लोग निंदा के भय से आलोचकों को अपने आसपास फटकने भी नहीं देते हैं। इसके विपरीत कबीर का मत था कि निंदकों को अपने आसपास ही बसने की जगह देना चाहिए। ऐसा करना व्यक्ति के हित में होता है।

कबीर की साखियाँ कबीर के अनुभव और गहनता से खोजे गए सत्य पर आधारित है। उनकी हर साखी मनुष्य को सीख सी देती प्रतीत होती है। इन साखियों में हमें कई जीवन मूल्यों की झलक मिलती है; जैसे- 

• मनुष्य को सदैव ऐसी वाणी बोलना चाहिए जिससे बोलने और सुनने वाले दोनों को ही सुख और शीतलता मिले। 

• मनुष्य को अहंकार का त्याग कर देना चाहिए। 

• अपने आलोचकों को अपने आसपास ही जगह देना चाहिए ताकि व्यक्ति का स्वभाव परिष्कृत हो सके। 

• ईश्वर प्राप्ति के लिए मनुष्य को उचित प्रयास करना चाहिए जिसके लिए यह समझना आवश्यक है कि उसका वास घट-घट में है।

कबीर की साखियों का आपके जीवन में कितनी उपयोगी है लिखिए?

1)कबीर जी की साखियों से हमें दुनिया के बारे में पता चलता है। 2)कबीर जी की साखियों से हमें शिक्षा मिलती है कि हमें ज्ञान का महत्व समझा चाहिए। 3)कबीर जी की साखियों से हमें शिक्षा मिलती है कि आडंबरों को छोड़कर मनुष्यता पर ध्यान देना चाहिए। 4)कबीर जी की साखियों से हमें शिक्षा मिलती है कि सभी धर्मों का आदर करना चाहिए।

कबीर की साखियों में कौन कौन से जीवन मूल्यों उभरते हैं?

इन साखियों में हमें कई जीवन मूल्यों की झलक मिलती है; जैसे- • मनुष्य को सदैव ऐसी वाणी बोलना चाहिए जिससे बोलने और सुनने वाले दोनों को ही सुख और शीतलता मिले। मनुष्य को अहंकार का त्याग कर देना चाहिए। अपने आलोचकों को अपने आसपास ही जगह देना चाहिए ताकि व्यक्ति का स्वभाव परिष्कृत हो सके।

कबीर की साखियों का मूल भाव बताते हुए एक लेख लिखिए?

साखियों में कबीरदास जी कहते हैं कि हमें सज्जन पुरुष को उसके ज्ञान के आधार पर ही परखना चाहिए। अर्थात् हमें व्यक्ति की पहचान उसके बाहरी रूप से न कर के उसके अंतरिक गुणों के आधार पर करना चाहिए। हमें अगर कोई बुरी बात कह रहा है तो हमें ध्यान नहीं देना चाहिए और उसे पलटकर बुरा भी नहीं कहना चाहिए नहीं तो बात बढ़ती जाती है।

कबीर काव्य में जीवन मूल्य?

कबीर का साध्य ईश्वर भक्ति है । वे उन्हीं कर्मों को स्वीकार करते हैं और शुभ कर्म मानते हैं जो भक्ति की प्राप्ति में सहायक हैं या भक्ति के अंग हैं । नाम स्मरण, गुरू सेवा इनकी दृष्टि में शुभ कर्म हैं दया, क्षमा, सत्य, उदारता, सहिष्णुता आदि सात्विक भावों से प्रेरित होकर किए गए जनहितार्थ कर्म ही शुभकर्म हैं ।