जिन शब्दों से किसी कार्य का करना या होना व्यक्त हो उसे क्रिया कहते हैं। जैसे- रोया, खा रहा, जायेगा आदि। उदाहरणस्वरूप अगर एक वाक्य ‘मैंने खाना खाया’ देखा जाये तो इसमें क्रिया ‘खाया’ शब्द है। ‘इसका नाम मोहन है’ में क्रिया ‘है’ शब्द है। ‘आपको वहाँ जाना था’ में दो क्रिया शब्द हैं – ‘जाना’ और ‘था’। Show ◆◆क्रिया के भी कई रूप होते हैं, जो प्रत्यय और सहायक क्रियाओं द्वारा बदले जाते हैं। क्रिया के रूप से उसके विषय संज्ञा या सर्वनाम के लिंग और वचन का भी पता चल जात है। क्रिया वह विकारी शब्द है, जिससे किसी पदार्थ या प्राणी के विषय में कुछ विधान किया जाता है। अथवा जिस विकारी शब्द के प्रयोग से हम किसी वस्तु के विषय में कुछ विधान करते हैं, उसे क्रिया कहते हैं। जैसे- उपर्युक्त वाक्यों में जाता है, पड़ी है और खाता है क्रियाएँ हैं। ◆◆क्रिया के साधारण रूपों के अंत में ना लगा रहता है। जैसे-आना, जाना, पाना, खोना, खेलना, कूदना आदि। क्रिया के साधारण रूपों के अंत का ना निकाल देने से जो बाकी बचे उसे क्रिया की धातु कहते हैं। आना, जाना, पाना, खोना, खेलना, कूदना क्रियाओं में आ, ,जा, पा, खो, खेल, कूद धातुएँ हैं। शब्दकोश में क्रिया का जो रूप मिलता है, उसमें धातु के साथ ना जुड़ा रहता है। ना हटा देने से धातु शेष रह जाती है। [प्रयोग के आधार पर क्रिया के प्रकार] [अपूर्ण अकर्मक क्रिया] ◆उपर्युक्त वाक्यों में हो गया, होता है, निकला और है अपूर्ण अकर्मक क्रियाएँ हैं और शिक्षक, पीला, चोर और बुद्धिमान पूर्ति है। [सकर्मक क्रिया] ◆अन्य उदाहरण◆ ◆उपर्युक्त वाक्यों में ‘मारता है’, ‘बनाती है’, ‘देता है’ और ‘चबाता है’ सकर्मक क्रियाएँ हैं और बाण, मूर्ति, भाषण और हड्डी शब्द कर्म हैं। [अपूर्ण सकर्मक क्रिया] ◆जैसे- राजा ने गंगाधर को मंत्री बनाया।– वाक्य में बनाया सकर्मक क्रिया का कर्म गंगाधर है, किन्तु इतने मात्र से इस कर्म का आशय स्पष्ट नहीं होता। उसका आशय़ स्पष्ट करने के लिए उसके साथ मंत्री संज्ञा भी प्रयुक्त होती है। इस वाक्य में बनाया अपूर्ण सकर्मक क्रिया है, गंगाधर कर्म है और मंत्री शब्द कर्म-पूर्ति है ◆अन्य उदाहरण◆ ◆उपर्युक्त वाक्यों में चुना, समझते हैं और मानते हैं अपूर्ण सकर्मक क्रियाएँ हैं। संतोष को, मित्र को और भारतीय को कर्म हैं और वर्ग-प्रतिनिधि, चतुर और अपना कर्म-पूर्ति है। [द्विकर्मक क्रिया] ◆उपर्युक्त वाक्यों में दिया, सिखाता है और देता है द्विक्रमक क्रिया है। दान, गणित और पैसे मुख्य कर्म हैं तो ब्राह्मण को, लक्ष्मण को और नौकर को गौण कर्म रचना की दृष्टि से क्रिया के भेद- रचना की दृष्टि से क्रिया दो प्रकार की होती है ◆रूढ़ क्रियाःजिस क्रिया की रचना धातु से होती है, उसे रूढ़ कहते हैं। जैसे, लिखना, पढ़ना, खाना, पीना आदि। [प्रेरणार्थक क्रिया] ◆अकर्मक◆ ◆सकर्मक◆ [प्रेऱणार्थक क्रिया बनाने के नियम]?? 2. धातु के बीच में यदि दीर्घ स्वर हो तो उसे ह्रस्व करने से- 3. धातु के बीच में ए, ऐ हो तो इ और ओ, औ हो तो उ हो जाता है- 4. धातु के अंत में यदि दीर्घ स्वर हो तो उसमें प्रायः ला जुड़ता है- ◆आऩा, कुम्हलाना, गरजना, घिघियाना, टकराना, तुतलाना, पछताना, पड़ना, सकना, लँगड़ाना, सिसकना, होना, पाना आदि क्रियाओं से प्रेरणार्थक क्रियाएँ नहीं बनतीं। [2.संयुक्त क्रिया] ◆उपर्युक्त वाक्यों में आया जाया करता है, पढ़ना-लिखना होगा और कर चुके संयुक्त क्रियाएँ हैं। संयुक्त क्रिया की रचना जब दो क्रियाओं के योग से होती है तो एक क्रिया मुख्य और दूसरी सहायक के रूप में प्रयुक्त होती है। [3.नामधातु] मोहन पाठ पढ़ाता है कौन सा क्रिया है?'पढ़ता है' पद एक कर्तृवाच्य, सकर्मक क्रिया है जिसका कर्म 'पुस्तक' तथा कर्ता 'मोहन (पुल्लिंग, एकवचन)' है।
पढ़ रहा था कौन सी क्रिया है?ऊपर दिए गए वाक्य में सकर्मक क्रिया है।
पढ़ता शब्द का क्रिया भेद क्या होगा?सकर्मक क्रिया:
– वाक्य में पढ़ता है क्रिया का व्यापार श्याम करता है, किन्तु इस व्यापार का फल पुस्तक पर पड़ता है, इसलिए पढ़ता है सकर्मक क्रिया है और पुस्तक कर्म शब्द कर्म है।
मोहन खेलता है वाक्य में कौन सी क्रिया है *?जिस क्रिया का फल कर्म पर पड़ता है, उसे सकर्मक क्रिया कहते हैं। जैसे- भावना कहानी पड़ती है। मोहन फुटबॉल खेलता है। क्रिया के साथ क्या, किसे, किसको शब्द लगाकर प्रश्न करने पर यदि उत्तर की प्राप्ति होती है तो उसे सकर्मक क्रिया कहते हैं।
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