महिला रक्तदान क्यों नहीं कर सकती? - mahila raktadaan kyon nahin kar sakatee?

महिलाएं ज्यादा करती हैं रक्तदान

लखनऊ [कुसुम भारती]। महिलाएं हर क्षेत्र में आगे हैं फिर रक्तदान में वे पीछे क्यों रहें। जी हा

लखनऊ [कुसुम भारती]। महिलाएं हर क्षेत्र में आगे हैं फिर रक्तदान में वे पीछे क्यों रहें। जी हा, आकड़े बताते हैं कि पिछले कुछ वषरें में रक्तदान करने वाली महिलाओं की संख्या में इजाफा हुआ है। एक्सपर्ट भी मानते हैं कि पुरुषों की अपेक्षा महिलाएं ब्लड डोनेशन के लिए आगे आती हैं। रक्तदान को महादान कहा जाता है क्योंकि यह एक ऐसा दान है जो न सिर्फ अपनों की बल्कि उनका भी जीवन बचाता है जिनसे खून का कोई नाता नहीं होता। इस नेक काम में भागीदारी के लिए महिलाएं जल्दी आगे आती हैं। हालाकि, कुछ भ्रातियों के चलते जागरूकता की कमी है। वहीं, कई बार भावनाओं में बहकर कमजोरी आने के डर से परिजनों को रक्तदान करने से महिलाएं ही मना कर देती हैं। मगर, पिछले कुछ वषरें में ब्लड डोनेशन को लेकर जागरुकता बढ़ी है। 14 जून को व‌र्ल्ड ब्लड डोनर डे के मौके पर महिलाएं साझा कर रही हैं अपने अनुभव। साथ ही एक्सपर्ट दे रहे हैं इससे जुड़ी कुछ खास जानकारी। खुशी मिलती है रक्तदान करके

लखीमपुर खीरी के गाव निघासन की रहने वाली शिवानी कहती हैं, मेरा खून अगर किसी की जान बचाता है तो इससे बढ़कर मेरे लिए कोई दूसरी खुशी नहीं है। 2011 में मैंने पहली बार अपनी दादी को ब्लड डोनेट किया था। उनको पीलिया हो गया था और शरीर में खून की कमी हो गई थी। मगर दादी की जान बचाकर जो खुशी मिली उसे मैं शब्दों में बया नहीं कर सकती हूं। इसके बाद 2012 में एक बुजुर्ग को खून दिया उनसे मेरा कोई नाता नहीं था। बस, उनकी जरूरत पर मैंने उनका साथ दिया। 2016 से लगातार मैं हर जरूरतमंद को खून दे रही हूं। रक्तदान करके मुझे खुशी ही नहीं आत्मसंतुष्टि भी मिलती है। हा, महिलाओं से एक बात कहना चाहूंगी कि खुद को घर की चहारदीवारी में कैद न रखें, बल्कि बाहर निकलें। अपने व समाज के लिए कुछ करें। मा को बिना बताए पहुंच गई खून देने

प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहीं स्टूडेंट श्रुति मिश्रा कहती हैं, समाज सेवा मेरे खून में है जिसकी प्रेरणा मुझे मा से मिली है। मैंने अब तक सोलह बार ब्लड डोनेट किया है। पहली बार पड़ोस की एक भाभी को खून दिया था। प्रेग्नेंसी के दौरान उनका बेबी मर चुका था जिसे ऑपरेट करके निकाला गया। जब मुझे पता चला कि उनको खून की जरूरत है तो मैं हॉस्पिटल पहुंच गई। उस वक्त मम्मी शहर से बाहर गई हुई थीं। हॉस्पिटल में जब सारी फॉर्मेलिटी पूरी हो गई तब मैंने मम्मी को बताया। हालाकि, पहले तो वह गुस्सा हुईं मगर बाद में इस बात से खुश हुईं कि मेरी वजह से किसी की जान बच गई। अब तो दोस्तों को भी ब्लड डोनेशन करने के लिए प्रेरित करती हूं। ब्लड डोनेशन कैंप में भी रक्तदान करती हूं। पर निजी तौर पर जरूरतमंदों को ही देना चाहती हूं। बच्चों को भी दिए हैं संस्कार

गृहणी साधना कपूर कहती हैं, सात साल पहले माली की बहू की हालत बहुत खराब हो गई थी उसको खून की जरूरत थी। मगर उस गरीब माली के पास खून खरीदने के लिए न तो धन था और न ही रिश्तेदार आगे आए। जब मुझे पता चला तो मैंने उसकी बहू को खून दिया। हालाकि, उसी दिन रात को मुझे दिल्ली जाना था, फिर भी मैंने ब्लड डोनेट किया। डॉक्टरों ने बताया था कि रक्तदान करने के थोड़ी देर बाद ही शरीर में फिर से नया खून बनने लगेगा। आज भी वह माली मेरा अहसान मानता है मगर मेरा मानना है कि इंसानियत से बढ़कर कोई धर्म नहीं है। मैंने अपने बच्चों को भी रक्तदान करने की सलाह दे रखी है। मेरा बेटा अर्पित तो अपने पापा से कहता है कि ब्लड डोनेट करने से ग्रह शात रहते हैं। पॉजिटिव प्रभाव पड़ता है और शरीर स्वस्थ रहता है। रक्तदान करने वाली परिवार की पहली महिला थी

सिंधी ग‌र्ल्स कॉलेज, लखनऊ में अर्थशास्त्र की प्रवक्ता डॉ. अर्चना बाजपेयी कहती हैं, साल 2000 की बात है जब मेरे जेठ का रोड एक्सीडेंट में काफी खून बह गया था। उस वक्त उन्हें 15 यूनिट खून की जरूरत थी। परिवार में सारे पुरुष उन्हें खून दे चुके थे। मगर महिला होने के नाते कोई भी नहीं चाहता था कि मैं ब्लड डोनेट करूं। मगर जब मैंने रिक्वेस्ट की तो सब मान गए और मैंने अपना खून दिया। अपने परिवार की मैं पहली महिला थी जिसने अपना खून दिया। परिवार के लोग आज भी इस बात के लिए मेरी तारीफ करते हैं। पति तो हमेशा रक्तदान करते रहते हैं। उनको देखकर ही मुझे भी प्रेरणा मिली। चूंकि, मुझे खून की कीमत पता है इसलिए अपने बच्चों को भी कह रखा है कि कभी भी किसी जरूरतमंद इंसान को खून की जरूरत हो तो रक्तदान जरूर करना। सोलह वषरें से कर रही हूं रक्तदान

उड़ीसा की श्रीरंगम धनलक्ष्मी कहती हैं, वर्ष 2002 में पहली बार अपने फ्रेंड के पापा को खून दिया था। उस वक्त रक्तदान करने के लिए मैं बहुत एक्साइटेड थी। इसके बाद कॉलेज में एनसीसी कैंप में ब्लड डोनेट किया। फिर भाई के दोस्त के पापा को दिया। तब से आज तक हर जरूरतमंद को खून देती आ रही हूं। ब्लड डोनेट करने के बाद तो मुझे और भी ज्यादा फ्रेश महसूस होता है। हालाकि, रक्तदान को लेकर बहुत सी गलतफहमी भी लोगों ने पाल रखी हैं पर वह सही नहीं हैं। डॉक्टर तो कहते हैं कि रक्तदान करने से सेहत अच्छी रहती है। वहीं, किसी जरूरतमंद इंसान की जान बच जाती है। रक्तदान करने के लिए चाहे दिन हो या रात मैं हर समय तैयार रहती हूं। सब इस बात को जानते हैं इसलिए रक्तदान के लिए वे सबसे पहले मुझे याद करते हैं। सभी से बना लेती हूं खून का रिश्ता

जरूरतमंदों की मदद के लिए हर वक्त तैयार रहने वाली समाज सेवी सुमन रावत कहती हैं, 2004 में पहली बार रक्तदान किया था। मेरे ऑफिस में एक गार्ड के भाई का एक्सीडेंट हो गया था। वह बहुत सीरियस था। बिना घरवालों को बताए ही उस 26 साल के युवक को ब्लड डोनेट किया था। उस दिन के बाद यह सिलसिला जारी है। मैंने अपना खून हमेशा गैरों को ही दिया। आज तक किसी अपने की बारी नहीं आई। मेरी टीम में और भी लोग हैं। हम लोग कभी किसी कैंप में ब्लड डोनेट नहीं करते। सीधे जरूरतमंद को ही देते हैं। अब तक हजारों की जिंदगी बचा चुके हैं। मेरी 40-45 लोगों की टीम है जो हर गरीब और जरूरतमंद को ब्लड डोनेट करती है, ब्लड डोनेशन के समय जितना ब्लड दिया जाता है, 21 दिनों में शरीर फिर से निर्माण कर देता है। ब्लड का वॉल्यूम तो शरीर में 24 घटे से 72 घटे के भीतर ही बन जाता है। कमजोरी आ जाती है ये कहना सिर्फ एक मिथ है। रक्तदान तो महादान है।

Edited By: Jagran

क्या महिलाएं रक्तदान कर सकती हैं?

डॉक्टर्स के अनुसार, कोई भी स्वस्थ वयस्क, पुरुष और महिला दोनों, रक्तदान कर सकते हैं. पुरुष हर तीन महीने में एक बार सुरक्षित रूप से रक्त दान कर सकते हैं जबकि महिलाएं हर चार महीने में दान कर सकती हैं. वहीं, ब्लड डोनेट करने वाले की न्यूनतम आयु 18 साल होनी चाहिए, जबकि 65 साल की उम्र वाले लोग खून डोनेट कर सकते हैं.

रक्तदान कब नहीं करना चाहिए?

ब्लड डोनेट करने वाले को किसी भी प्रकार का ह्रदय रोग नहीं होना चाहिए। अगर आपने 6 महीने पहले भी टैटू बनवाया है तो भी ब्लड डोनेट नहीं कर सकते हैं। अगर आपको हेपेटाइटिस बी, सी, ट्यूबरकुलोसिस, लेप्रोसी और एचआईवी का इंफेक्शन है तो भी ब्लड डोनेट नहीं कर सकते हैं।

रक्तदान कौन नहीं कर सकता है?

कौन नहीं कर सकता है रक्तदान -शारीरिक रूप से कमजोर व्यक्ति नहीं कर सकते हैं रक्तदान. -किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित व्यक्ति. -डायबिटीज के मरीजों को भी बचना चाहिए. -यदि ब्रेस्टफीड कराती हैं तो ना करें रक्तदान.

टैटू वाले लोग रक्तदान क्यों नहीं कर सकते?

विश्व स्वास्थ्य संगठन की गाइडलाइन्स के अनुसार, टैटू बनवाने के 6 महीने के बाद और अंग छिदवाने के 12 घंटे बाद ही रक्तदान करें। ब्लड टांसफ्यूजन विशेषज्ञ लीनू हूडा के मुताबिक, यह बिल्कुल भी सच नहीं है। कई बार महिलाओं में हीमोग्लोबिन का स्तर कम होता है इसी वजह से उन्हें रक्तदान करने से मना किया जाता है।