Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Chapter 5 हिमालय Textbook Exercise Questions and Answers. Show Hindi Guide for Class 7 PSEB हिमालय Textbook Questions and Answers (क) भाषा-बोध 1. शब्दार्थ: सरलार्थों के साथ दे दिए गए हैं। अविचल = जो विचलित न हो, दूढ, स्थिर 2. हिमालय शब्द हिम+आलय शब्दों से मिलकर बना है इसी प्रकार अन्य शब्द बनाएं: हिम+आलय = हिमालय 3. अचल शब्द ‘चल’ शब्द से पूर्व ‘अ’ जुड़ने से बना है इसी प्रकार ‘अ’ लगाकर नए विपरीत शब्द बनाएँ: अ+चल = अचल 4. इन शब्दों के पर्यायवा ची शब्द लिखें: पानी
= सलिल, नीर 5. प्रयोगात्मक व्याकरण हिम +आलय = हिमालय उपुर्यक्त उदाहरण में ‘हिम’ ‘के’ ‘म’ ‘में’ ‘अ’ तथा आलय के शुरू में ‘आ’ स्वर है। इस प्रकार ‘अ+आ’ के मेल से एक नई ध्वनि ‘आ’ बनने से शब्द बना = हिमालय। वर्णों के ऐसे मेल को संधि कहते हैं। संधि विच्छेद संधि संधि विच्छेद अतः विच्छेद का अर्थ है अलग करना। संधि के नियमों द्वारा मिले हुए वर्णों को पुनः पूर्व अवस्था में ले जाने को संधि विच्छेद कहते हैं। संधि के भेद उपर्युक्त उदाहरण में विद्या’ में अंत में ‘आ’ स्वर है तथा पर अर्थात् बाद के शब्द आलय के शुरू में ‘आ’ स्वर है। इन दोनों स्वरों में (आ+आ) के मेल से ‘आ’ होने पर शब्द बना-विद्यालय। अतः स्वर के बाद स्वर के मेल से जो परिवर्तन आता है, उसे स्वर संधि कहते हैं। (2) संधि विच्छेद = संधि विशेष पहले उदाहरण में व्यंजन ‘त’ के बाद ‘न’ होने से ‘त’ को ‘न’ हो गया तथा दूसरे उदाहरण में ‘त्’ के बाद स्वर में ‘ई’ होने से ‘त’ को ‘द’ हो गया (और बाद में द् + ई – दी) है। अतः व्यंजन वर्ण के बाद किसी स्वर या व्यंजन के आ जाने पर उसमें जो परिवर्तन आता है, उन्हें व्यंजन संधि कहते हैं। (3)
संधि विच्छेद = संधि विशेष अतः विसर्ग के बाद स्वर या व्यंजन होने पर जो विकार सहित मेल होता है, उसे विसर्ग संधि कहते हैं। संधि विच्छेद = संधि विशेष अतः जब ह्रस्व या दीर्घ ‘अ’, ‘इ’ और ‘उ’ के बाद ह्रस्व या दीर्घ ‘अ’, ‘इ’, ‘उ’ आएँ तो दोनों के मेल से क्रमशः इनका दीर्घ रूप ‘आ’, ‘ई’, ‘इ’ और ‘ऊ’ हो जाता है। इसे दीर्घ संधि कहते हैं। इसी प्रकार नीचे लिखे पदों की संधि करें: अति+इव = ……………. (ख) विचार-बोध 1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें : (क) हिमालय पर्वत भारत की किस दिशा में स्थित है ? (ख) सभी संकटों के समय हमारा व्यवहार कैसा
होना चाहिए ? (ग) हम सब कुछ कैसे पा सकते हैं ? (घ) संसार में सफलता कैसे लोगों को मिलती है ? 2. इन काव्य पंक्तियों की सप्रसंग व्याख्या करें प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. (ग) कुछ करो (1) अपने भूगोल वाले अध्यापक की सहायता से भारत में स्थित अन्य पर्वतों तथा उनकी स्थिति के बारे में पता करें। PSEB 7th Class Hindi Guide हिमालय Important Questions and Answers 1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर उचित विकल्प चुनकर लिखिए प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. 2. निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति उचित विकल्पों से कीजिए प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. 3. दिए गए शब्द का सही अर्थ से मिलान कीजिए: प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. सप्रसंग सरलार्थ 1. खड़ा हिमालय बता रहा है, शब्दार्थ: प्रसंग: सरलार्थ: भावार्थ: 2. डिगो न अपने प्रण से, तो तुम, शब्दार्थ: प्रसंग: सरलार्थ: भावार्थ: 3 अचल रहा तो अपने पथ पर, शब्दार्थ: प्रसंग: सरलार्थ: भाव: हिमालय Summaryहिमालय कविता का सार ‘हिमालय’ कविता में कवि हिमालय के समान अडिग बनने का संदेश देता है। कवि कहता है कि हिमालय खड़े होकर हमें यह बता रहा है कि कभी भी आँधी-पानी से नहीं डरना चाहिए और सभी मुसीबतों और तूफानों में भी हमें मजबूती से खड़े रहना चाहिए। यदि हम अपने वचनों पर डटे रहें तो सब कुछ पा सकते हैं और ऊँचे उठकर आकाश के तारों को भी छू सकते हैं। जो व्यक्ति लाखों मुसीबतों के आने पर भी अपने पथ पर स्थिर रहता है, उसी को संसार में सफलता मिलती है। खड़ा हिमालय क्या बता रहा है?खड़ा हिमालय बता रहा है डरो न आंधी पानी में। खड़े रहो तुम अविचल हो कर सब संकट तूफानी में। डिगो ना अपने प्राण से, तो तुम सब कुछ पा सकते हो प्यारे, तुम भी ऊँचे उठ सकते हो, छू सकते हो नभ के तारे। ~ सोहनलाल द्विवेदी 'हिमालय दर्शन' नैनीताल, #उत्तराखंड से अमित शाह की तस्वीर।
युग युग से अपने पथ पर कौन खड़ा है?हिमालय युग युग से है अपने पथ पर देखो कैसा खड़ा हिमालय! डिगता कभी न अपने प्रण से रहता प्रण पर अड़ा हिमालय! जो जो भी बाधायें आईं उन सब से ही लड़ा हिमालय, इसीलिए तो दुनिया भर में हुआ सभी से बड़ा हिमालय!
पथ पर अचल रहने का क्या अर्थ है?कवि का कथन है कि अपने प्रण पर अडिग रहने से मनुष्य सब कुछ पा कर ऊँचा उठ सकता है तथा आकाश की ऊँचाइयों को भी छू सकता है। शब्दार्थ: अचल = अडिग, स्थिर। पथ = शस्ता, मार्ग, उद्देश्य, लक्ष्य।
|