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खबर की भाषा और शीर्षक से आप संतुष्ट हैं? खबर के प्रस्तुतिकरण से आप संतुष्ट हैं? खबर में और अधिक सुधार की आवश्यकता है? ऐसा माना जाता है कि पितृ अपने परिवार की रक्षा कवच की तरह होते हैं। वह हमेशा अपने परिवार, अपने पीढ़ियों के बारे में ही सोचते हैं। उनकी समय-समय पर सहायता करते हैं। एक अवधारणा यह भी है कि...Praveenज्योतिषाचार्य पं.शिवकुमार शर्मा,मेरठ Sat, 18 Sep 2021 10:08 PM हमें फॉलो करें इस खबर को सुनें 0:00 / ऐप पर पढ़ें ऐसा माना जाता है कि पितृ अपने परिवार की रक्षा कवच की तरह होते हैं। वह हमेशा अपने परिवार, अपने पीढ़ियों के बारे में ही सोचते हैं। उनकी समय-समय पर सहायता करते हैं। एक अवधारणा यह भी है कि ईश्वर पूरे सृष्टि के संचालक होते हैं और सभी को देखते हैं किन्तु पितृ केवल अपने परिवार को ही देखते हैं। जिस घर में पितरों की पूजा होती है अर्थात अपने मृतक पूर्वजों का स्मरण किया जाता है, उनके निमित्त भोजन वस्त्र आदि का दान करते हैं उस घर में पितरों की कृपा बनी रहती है। ऐसा मानते हैं कि पितृपक्ष में भी देवताओं पर पुष्प अर्पित करने से पहले पितरों को श्रद्धा पुष्प चढ़ाने चाहिए। किसी योग्य विद्वान ब्राह्मणों को भोजन पर आमंत्रित करें और अपने पितरों की रुचि का भोजन बना कर उन्हें श्रद्धा से खिलाएं। इसके साथ-साथ अपने पितरों के नाम से उनकी मृत्यु तिथि या श्राद्ध के दिन अपनी इच्छा एवं सामर्थ्य के अनुसार अभावग्रस्त गरीब, श्रमिक को भोजन कराएं। पितरों के निमित्त ब्राह्मण भोजन में रखे सावधानियां: पितरों के लिए बनाए गए भोजन में उड़द, मसूर, अरहर, चना, लौकी बैंगन, हींग,प्याज, लहसुन,काला नमक, अलसी का तेल, पीली सरसों का तेल, मांसाहारी भोजन का प्रयोग वर्जित माना गया है। 10 सितंबर से पितृपक्ष का आरंभ हो गया है। पूर्णिमा और प्रतिपदा से शुरू हुए श्राद्ध कर्म के दिन पितरों को याद करने के लिए ही होते हैं। इन दिनों पितरों को भोजन खिलाया जाता है। इसके लिए एक ब्रह्माण को बिठAnuradha Pandeyलाइव हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीMon, 12 Sep 2022 12:14 PM हमें फॉलो करें इस खबर को सुनें 0:00 / ऐप पर पढ़ें 10 सितंबर से पितृपक्ष का आरंभ हो गया है। 25 सितंबर 2022 को पितृ पक्ष का समापन हो जाएगा। पूर्णिमा और प्रतिपदा से शुरू हुए श्राद्ध कर्म के दिन पितरों को याद करने के लिए ही होते हैं। इन दिनों ब्राह्मण भोजन कराया जाता है। भोजन उस तिथि को कराया जाता है, जिस तिथि पर पितरों की तिथि होती है। अगर किसी मृत व्यक्ति की तिथि ज्ञात न हो तो ऐसी स्थिति में अमावस्या तिथि पर श्राद्ध किया जाता है। इस दिन सर्वपितृ श्राद्ध योग माना जाता है।श्राद्ध के दौरान भोजन में प्याज व लहसुन पूर्णतः का इस्तेमाल बिल्कुल नहीं करना चाहिए। इसे भी पढ़ें: Pitru Paksha 2022: क्या आपके घर में भी है पितरों की तस्वीर? जान लें ये जरूरी बातें भोजन में सबसे महत्वपूर्ण चीज खीर होती है। कहा जाता है कि श्राद्ध में पूरी और खीर पितरों के लिए खासतौर पर बनाई जाती है। इसके अलावा पितरों के लिए उनकी पसंद का भोजन और एक चीज उड़द की दाल की बनाई जाती है। उड़द की दाल के बड़े, चावल ,दूध, घी से बने पकवान व मौसम की सब्जियां व मौसम में जो सब्जी बेल पर लगती है जैसे झींगा, लौकी, कद्दू, कुम्हडा, भिंडी कच्चे केले यह सभी चीजें बनानी चाहिए। श्राद्ध के दौरान बना हुआ भोजन पांच जगह निकाला जाता है। सबसे पहले कौवे, गाय व कुत्ते को खिलाएं। इसके बाद पितरों का तर्पण करें। तर्पण काले तिल और जल से करते हैंl जिन पूर्वजों की तिथि हो उनका नाम लेकर 3-3 अंजलि जल से तर्पण किया जाता है। इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। पितृपक्ष में पितरों का आशीर्वाद पाना चाहते हैं तो आपको श्राद्ध के दौरान करवाए जाने वाले ब्राह्मण भोज से जुड़ी ये महत्वपूर्ण बातें जरूर पता होनी चाहिए.सनातन परंपरा में पितृपक्ष को बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण माना गया है. भाद्रपद पूर्णिमा से लेकर आश्विन मास की अमावस्या के दौरान इस पितृपक्ष में पितरों की आत्मा की तृप्ति के लिए श्राद्ध, तर्पण आदि का विधान है. मान्यता है कि पितृपक्ष में श्रद्धा के अनुसार श्राद्ध करके हम पितरों के कर्ज को चुकाने का प्रयास करते हैं. मान्यता यह भी है कि श्राद्ध के दौरान किसी ब्राह्मण को कराया गया भोजन सीधे पितरों तक पहुंचता है, लेकिन क्या आपको पता है कि श्राद्ध के दौरान किसी ब्राह्मण को अपने घर में आमंत्रित करने से लेकर भोजन कराकर विदा करने को लेकर भी कुछ नियम बने हुए हैं, यदि नहीं तो आइए इसे विस्तार से जानते हैं. श्राद्ध में ब्राह्मण भोजन कराने के नियम
(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.) क्या श्राद्ध का भोजन खाना चाहिए?श्राद्ध का भोजन प्रसाद की तरह होता है. इसमें कोई कमी नहीं निकालनी चाहिए. ब्राह्मण को भोजन करवाते समय भी उससे ये न पूछें कि भोजन कैसा बना है. ब्राह्मण भोज के बाद आप स्वयं भी उसे प्रसाद के तौर पर ग्रहण करें.
श्राद्ध में क्या नहीं खिलाना चाहिए?-श्राद्ध में मसूर की दाल, मटर, राजमा, काला उड़द, सरसो और बासी भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए. -श्राद्ध में लहसुन, प्याज, मांस, मदिरा आदि का सेवन नहीं करना चाहिए.
श्राद्ध में कौन कौन सी सब्जी बनानी चाहिए?ऐसा ही एक नियम है कि श्राद्ध के प्रसाद में कद्दू की सब्जी जरूर बनाई जाती है। जिसके लिए हरे नहीं बल्कि पीले रंग के कद्दू का प्रयोग किया जाता है।
क्या श्राद्ध में अंडे खा सकते हैं?पितृ पक्ष में मांस, मदिरा, अंडा, शराब बीड़ी, सिगरेट आदि का सेवन नहीं करना चाहिए. पितृ पक्ष के दौरान चना या फिर चने से बनी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए. पितृ पक्ष में पितरों को भी श्राद्ध में चने की दाल, चने और चने से बना सत्तू आदि का उपयोग अशुभ माना जाता है. इस लिए इन चीजों का सेवन भूलकर भी नहीं करना चाहिए.
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