क्या होता है अगर कोई जीवित रहते गरुड़ पुराण का पाठ करे? - kya hota hai agar koee jeevit rahate garud puraan ka paath kare?

मित्रों गरुड़ पुराण के बारे में आप सभी तो जानते ही होंगे। यह पुराण भगवान विष्णु की भक्ति और उनके ज्ञान पर आधारित है। गरुड़ पुराण हिन्दू धर्म के प्रसिद्ध धार्मिक ग्रंथों में से एक है। यह पुराण 18 पुराणों में से एक माना जाता है।

गरुड़ पुराण में मनुष्य के जीवन को लेकर कई बातें बताई गई है –

गरुड़ पुराण में स्वर्ग, नरक, पाप, पुण्य के अलावा भी बहुत कुछ है। उसमें ज्ञान, विज्ञान, नीति, नियम और धर्म की बाते हैं। गरुड़ पुराण में एक ओर जहां मौत का रहस्य है जो दूसरी ओर जीवन का रहस्य छिपा हुआ है। गरुड़ पुराण से हमे कई तरह की शिक्षाएं मिलती है। गरुण पुराण में, मृत्यु के पहले और बाद की स्थिति के बारे में बताया गया है। परन्तु अक्सर इस पुराण के बारे में सुनने को मिलता है की किसी भी जीवित मनुष्य को इसे नहीं पढ़ना चाहिए। इतना ही नहीं अधिकतर लोगों के मन में ये भय बैठा दिया गया है की अगर कोई जीवित मनुष्य इस पुराण  पढ़ता या अपने पास रखता भी है तो उसके जीवन में हर समय अशुभ घटनाएं घटती रहती है। लेकिन दर्शकों मेरी  माने तो ऐसा नहीं है क्यूंकि आज हम गरुड़ पुराण के बारे में आपको एक ऐसा रहस्य बताने वाले हैं जिससे जानने के बाद आप इस भय से मुक्त हो जाएंगे की जीवित मनुष्य को यह पुराण पढ़ना चाहिए की नहीं।

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गरुड़ पुराण में भगवान विष्णु और उनके वाहन गरुड़ के बिच हुए बातों का वर्णन किया गया है। मित्रों अकसर ये देखने को मिलता है की जब किसी परिवार में किसी की मृत्यु हो जाती है या कोई मृत्यु शय्या पर होता है तो गरुड़ का पाठ कराया जाता है और यही सब देखकर लोगों के मन में भय घर कर जाता है की जीवित मनुष्य गरुड़ पुराण का ना तो पाठ ही कर सकता है और नाही इसे अपने पास रख सकता है परन्तु मित्रों सच यह नहीं है क्यूंकि गरुड़ पुराण के शुरुआत में ही इसके पाठ करने से सम्बंधित माहात्म्य के बारे बताया गया है।

जिसके अनुसार यदि कोई जीवित मनुष्य अपने जीवन में इस पवित्र पुराण का पाठ करता है तो विद्या,यश,सौंदर्य,लक्ष्मी,विजय और आरोग्यादि के विषय में ज्ञान की प्राप्ति होती है। जो मनुष्य इसका नियमित पाठ करता है या सुनता है वह सब कुछ जान जाता है और अंत में उसे स्वर्ग की प्राप्ति होती है। जो मनुष्य एकाग्रचित होकर इस महापुराण का पाठ करता है,सुनता है अथवा सुनाता है,या जो इसको लिखता है अथवा लिखाता है या पुस्तक के ही रूप में इसे अपने पास रखता है,वह यदि धर्मार्थी है तो उसे धर्म की प्राप्ति होती है,और यदि वह अर्थ का अभिलाषी है तो अर्थ प्राप्त करता है।

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जिस मनुष्य के हाथ में यह महापुराण विद्यमान है,उसके हाथ में ही नीतियों का भण्डार है। जो प्राणी इस पुराण का पाठ करता है या इसको सुनता है,वह भोग और मोक्ष दोनों को प्राप्त कर लेता है। इस महापुराण को पढ़ने एवं सुनने से मनुष्य के धर्म,अर्थ,काम और मोक्ष-इन चारों पुरुषार्थों की सिद्धि हो जाती है। इस महापुराण का पाठ करके या इसको सुन कर पुत्र चाहनेवाला पुत्र प्राप्त करता है तथा कामना का इच्छुक अपनी कामना प्राप्ति में सफलता प्राप्त कर लेता है। बन्ध्या स्त्री यानि जिस स्त्री को संतान सुख ना मिला हो वह पुत्र,कुंवारी कन्या सज्जन पति, क्षेमार्थी क्षेम तथा भोग चाहनेवाला भोग प्राप्त करता है। विद्यार्थी को विद्या,विजयगोषु को विजय, ब्रह्महत्यादि से युक्त पापी पाप से विशुद्वि को प्राप्त होता है।

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इतना ही नहीं मंगल की कामना करने वाला व्यक्ति अपना मंगल,गुणों का इच्छुक व्यक्ति गुण,काव्य करनेवाला अभिलाषी मनुष्य कवित्व शक्ति और जीवन का सार तत्व चाहनेवाला व्यक्ति सारतत्व प्राप्त करता है। ज्ञानार्थी सम्पूर्ण संसार का मर्दन करनेवाला ज्ञान प्राप्त करता है। पक्षी श्रेष्ठ गरुड़ के द्वारा कहा गया यह गरुड़महापुराण धन्य है। यह तो सबका कल्याण करनेवाला है। जो मनुष्य इस महापुराण के एक भी श्लोक का पाठ करता है। उसकी अकाल मृत्यु नहीं होती। इसके मात्र आधे श्लोक का पाठ करने से निश्चित ही शत्रु का क्षय हो जाता है। इसलिए यह गरुड़पुराण मुख्य और शास्त्र सम्मत पुराण है। विष्णुधर्म के प्रदर्शन में गरुड़पुराण के समान दूसरा कोई भी पुराण नहीं है। जैसे देवों में जनार्दन श्रेष्ठ है,वैसे ही पुराणों में यह गरुड़पुराण हरी के तत्वनिरूपण में मुख्य कहा गया है। इस गरुड़ पुराण में हरि ही प्रतिपाद्य हैं, इसलिए हरि ही नमस्कार करने योग्य हैं, हरि ही शरण्य हैं और वे हरि ही सब प्रकार से सेवा करने योग्य हैं।

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यह गरुड़पुराण बड़ा ही पवित्र और पुण्यदायक है। यह सभी पापों का विनाशक एवं सुननेवाले की समस्त कामनाओं का पूरक है। इसका सदैव श्रवण करना चाहिए। जो मनुष्य इस महापुराण को सुनता या इसका पाठ करता है,यह निष्पाप होकर यमराज की भयंकर यातनाओं को तोड़कर स्वर्ग को प्राप्त करता है। तो मित्रों अब आप ही बताइये की ऐसे ये कैसे संभव है की अगर कोई मनुष्य अपने जीवनकाल में इस पवित्र पुराण का नियमित पाठ करता है तो उसके साथ कोई अशुभ चीज हो।

हमारी राय तथाकथित विषय के बारे में –

दोस्तों अगर मेरी माने तो ये महज एक भ्रम है और कुछ भी नहीं इसलिए बिना किसी भय के अगर संभव हो तो इस पवित्र पुराण का नियमित पाठ करें और अपने जीवन को खुशहाल बनायें। इस महापुराण का नियमित पाठ करने से सबसे बड़ा यह लाभ की मनुष्य जीवन और मृत्यु के बाद होने वाले रहस्यों को बड़ी ही आसानी से समझ  सकता है। क्यूंकि गरुड़ पुराण में मनुष्य द्वारा जीवित रहते हुए किये  जाने वाले कर्मो के बारे में बताया गया अर्थात बताया गया है की कौन सा कर्म अच्छा है और कौन सा बुरा। इसके अलावा इस पुराण में मृत्यु के बाद मिलाने वाली सजाओं के बारे में भी बताया गया है। यानि ये कहा जा सकता है की इस पुराण में वर्णित बातों को यदि सम्पूर्ण मानवजाति खुद में आत्मसात कर ले तो एक अच्छे समाज का निर्माण किया जा सकता है। 

Secrets of Garuda Purana in Hindi

क्या होता है जब कोई जीवित मनुष्य गरुड़ पुराण पढ़ता है?

जिसके अनुसार यदि कोई जीवित मनुष्य अपने जीवन में इस पवित्र पुराण का पाठ करता है तो विद्या,यश,सौंदर्य,लक्ष्मी,विजय और आरोग्यादि के विषय में ज्ञान की प्राप्ति होती है। जो मनुष्य इसका नियमित पाठ करता है या सुनता है वह सब कुछ जान जाता है और अंत में उसे स्वर्ग की प्राप्ति होती है

गरुड़ पुराण कौन सुन सकता है?

इस पुराण में वर्णित जानकारी गरुड़ ने विष्णु भगवान से सुनी और फिर कश्यप ऋषि को सुनाई। पहले भाग में विष्णु भक्ति और उपासना की विधियों का उल्लेख है तथा मृत्यु के उपरान्त प्रायः 'गरूड़ पुराण' के श्रवण का प्रावधान है।

गरुड़ पुराण के अनुसार पाप क्या है?

गरुड़ पुराण में पापों के अनुसार मनुष्य की सजाएं तय की गई हैं. यदि कोई व्यक्ति दूसरों के पैसे लूटता है या पैसे की धोखाधड़ी करता है तो उसे यमदूत उसे रस्सी से बांधकर नरक में पीटते-पीटते ले जाते हैं. जब तक वह बेहोश नहीं हो जाता तब उसे पीटा जाता है और होश में आने के बाद फिर से पीटा जाता है.

गरुड़ पुराण क्यों डरते हैं?

साधारण लोग गरुण पुराण को पढने से डरते हैं, क्योंकि गरुण पुराण को किसी के मृत्यु के पश्चात ही पढवाया जाता है. वास्तव में गरुण पुराण में किसी के मृत्यु के पश्चात् होने वाली घटनाओं के बारे में वर्णन किया गया है. गरुड़ पुराण को सनातन धर्म में 18 महापुराणों में से एक माना जाता है.