भारत का पहला झंडा कौन सा था? - bhaarat ka pahala jhanda kaun sa tha?

हिंदी न्यूज़ » फोटो गैलरी » नॉलेज फोटो » 1947: आज ही के दिन तिरंगे को मिली थी संवैधानिक मान्यता, पहली बार कोलकाता में फहराया गया था झंडा, अब तक 6 बार बदल चुका है स्वरूप

वर्ष 1931 में तिरंगे को हमारे राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया गया था. पांचवे ध्वज को वर्तमान स्वरूप का पूर्वज कहा जा सकता है.

भारत का पहला झंडा कौन सा था? - bhaarat ka pahala jhanda kaun sa tha?

भारत इस साल आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है और आजादी को 75 साल हो गए हैं. आजादी के वर्ष आज का दिन भारतवासियों के लिए बेहद खास था. 1947 में आज ही के दिन यानी 22 जुलाई को संविधान सभा ने भारत के राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे को अपनाया था. अभी जो हमारा राष्‍ट्रीय झंडा है, उसमें सबसे ऊपर केसरिया, बीच में सफेद ओर नीचे गहरे हरे रंग की क्षैतिज पट्टियां हैं. इसकी लंबाई-चौड़ाई का अनुपात 3:2 है. सफेद पट्टी के बीच में गहरे नीले रंग का अशोक चक्र है, जिसमें 24 तीलियां हैं. लेकिन आज तिरंगे का जो स्वरूप है, वह पहले ऐसा नहीं था. यह जानना बड़ा ही दिलचस्प है कि हमारा तिरंगा शुरुआत से अब तक किन बदलावों से होकर गुजरा.

भारत का पहला झंडा कौन सा था? - bhaarat ka pahala jhanda kaun sa tha?

देश का पहला गैर अधिकारिक झंडा: देश का पहला ध्‍वज 7 अगस्‍त 1906 को कलकत्ता (अब कोलकाता) के पारसी बागान चौक (ग्रीन पार्क) में फहराया गया था. इस तिरंगे में ऊपर हरे, बीच में पीले और नीचे लाल रंग की क्षैतिज पट्टियां थीं. ऊपर की हरी पट्टी में कमल के फूल बने थे, नीचे की लाल पट्टी में सूरज और चांद, जबकि बीच वाली पीली पट्टी में वंदे मातरम लिखा हुआ था. पिछले दिनों आई ​फिल्म RRR में इस झंडे को दिखाया गया. यह फिल्म उसी दौर की कहानी है.

भारत का पहला झंडा कौन सा था? - bhaarat ka pahala jhanda kaun sa tha?

देश का दूसरा राष्ट्रीय ध्वज: 1907 में मैडम कामा और उनके साथ निर्वासित किए गए कुछ क्रांतिकारियों द्वारा यह झंडा पेरिस में फहराया गया था. हालांकि, कुछ लोगों का मानना है कि यह घटना 1905 की थी. यह झंडा भी पहले ध्‍वज की ही तरह था. हालांकि इसमें तीन रंगों के रूप में केसरिया, हरा और पीला शामिल था. साथ ही इसमें सूरज और चांद के साथ तारा भी शामिल किया गया था, जबकि कमल की जगह दूसरा फूल शामिल था. इसे एक सम्मलेन के दौरान ​बर्लिन में भी इसे फहराया गया था.

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तीसरा झंडा : तीसरे ध्वज में ब्रिटिश हुकूमत की झलक साफ दिखती थी. यह 1917 में अस्तित्व में आया. इस ध्वज को लोकमान्य तिलक और डॉ एनी बेसेंट ने घरेलू शासन आंदोलन के दौरान फहराया. इस झंडे में एक के बाद एक 5 लाल और 4 हरी क्षैतिज पट्टियां बनी थीं. साथ ही सप्तऋषि की ही आकृति में इस पर सात सितारे बने थे. बाईं और ऊपरी किनारे पर यूनियन जैक था, जबकि एक कोने में सफेद अर्धचंद्र और सितारा भी था.

भारत का पहला झंडा कौन सा था? - bhaarat ka pahala jhanda kaun sa tha?

1921 में चौथा ध्वज: 1921 में बेजवाड़ा (विजयवाड़ा) में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सत्र के दौरान आंध्र प्रदेश के एक युवक ने यह झंडा बनाकर महात्मा गांधी को दिया. यह लाल और हरा रंग का था. लाल रंग हिंदू, जबकि हरा रंग मुस्लिम का प्रतिनिधित्व करता था. इसे देख गांधीजी ने सुझाव दिया कि भारत के शेष समुदाय का प्रतिनिधित्व करने के लिए इसमें एक सफेद पट्टी और राष्ट्र की प्रगति का संकेत देने के लिए एक चलता हुआ चरखा भी जोड़ देना चाहिए. और इस तरह देश का चौथा झंडा तैयार हुआ.

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1931 में पांचवा ध्वज: वर्ष 1931 में तिरंगे को हमारे राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया गया था. पांचवे ध्वज को वर्तमान स्वरूप का पूर्वज कहा जा सकता है. इसमें केसरिया, सफेद और हरे रंग की पट्टी शामिल थी. बीच वाली सफेद पट्टी गांधीजी के चलते हुए चरखे के साथ थी. यह राष्ट्रीय भारतीय सेना का संग्राम चिह्न भी था.

भारत का पहला झंडा कौन सा था? - bhaarat ka pahala jhanda kaun sa tha?

महाराष्ट्र : कोल्हापुर स्थित पुलिस हेड क्वार्टर में देश का चौथा सबसे ऊंचा तिरंगा फहर रहा है, इसकी ऊंचाई 303 फीट है.

भारत के राष्ट्रीय ध्वज में 1906 से लेकर साल 1947 तक अलग-अलग बदलाव आए हैं. आज जो हमें ध्वज दिखता है वह पहले से वाले काफी अलग है. इसी को लेकर इतिहासकार कपिल कुमार कहते हैं कि भारत के राष्ट्रीय ध्वज का इतिहास बहुत पुराना है. वर्तमान में जो हमारे देश राष्ट्रीय ध्वज है, उससे पहले कई बार ध्वज बदल चुके हैं. अशोक चक्र वाले इस झंडे के राष्ट्रीय ध्वज बनने की कहानी बहुत लंबी है और इस यात्रा में भारत के कई झंडे रह चुके हैं.

1857 को मनाया था पहला स्वतंत्रता संग्राम 

इतिहासकार कपिल बताते हैं कि 1857 को हमने पहला स्वतंत्रता संग्राम मनाया था. उस दौरान सबका अपना-अपना झंडा था, लेकिन पहली बार क्रांतिकारियों ने एक झंडे को अपना झंडा बनाया. वह एक हरे रंग का झंडा था जिसके ऊपर कमल था. आजाद हिंदुस्तान की पहली लड़ाई के लिए यही वो झंडा था जिसे फहराया गया था. 

उन्होंने आगे बताया कि साल 1906 में कोलकाता के पारसी बागान चौक पर तिरंगा फहराया गया था. इस पर हरे पीले और लाल रंग से बनाया गया था. इसके मध्य में वंदे मातरम भी लिख गया था.

पेरिस में फहराया गया ध्वज 

इतिहासकार कपिल बताते हैं कि उसके बाद 1907 में मैडम कामा द्वारा भारतीय क्रांतिकारियों की मौजूदगीमें  पेरिस में यह ध्वज फहराया गया था. इसमें 1906 वाले तिरंगे से कुछ ज्यादा बदलाव नहीं थे,  लेकिन इसमें सबसे ऊपर लाल पट्टी का रंग केसरिया का और कमल के बजाय सात तारे थे जो सप्त ऋषि का प्रतीक थे. इसमें आखरी पट्टे पर सूरज और चांद भी अंकित किए गए थे.

कब आया तीसरा झंडा?

कपिल का कहना है कि साल 1917 में जब राजनीतिक संघर्ष ने एक नया मोड़ लिया तब तीसरा झंडा आया.  कह सकते हैं कि होमरूल आंदोलन की आड़ में तीसरे ध्वज को रूप दिया गया. डॉ. एनी बेसेंट और लोकमान्‍य तिलक ने घरेलू शासन आंदोलन के दौरान इसे फहराया था. इस ध्वज में पांच लाल और चार हरी क्षितिज पट्टियां थीं. इसमें खास तौर पर यूनियन जैक भी मौजूद थे. यानी की प्राचीन परंपरा को दर्शाते हुए  सप्तऋषि, और एकता दिखाने के लिए चांद और तारे मौजूद थे. इस तिरंगे से यह दिखाने की कोशिश की गई कि इससे स्वतंत्रता तो नहीं मिली लेकिन स्वयं शासन का अधिकार जरूर मिला.

इसके बाद कुछ ऐसा रहा राष्ट्रिय ध्वज का सफर

इतिहासकार कपिल बताते हैं कि इसके बाद साल 1921 में जब भारत अंग्रेजो की गुलामी से आजाद होने की कोशिश कर रहा था उस वक्त यह दो रंगों का बना था, जिसमें लाल-हरा मौजूद था. गांधी जी ने सुझाव दिया था कि भारत के शेष समुदाय का प्रतिनिधित्‍व करने के लिए इसमें एक सफेद पट्टी और राष्‍ट्र की प्रगति का संकेत देने के लिए एक चलता हुआ चरखा होना चाहिए. इसलिए इस वक्त इसमें चरखा भी जोड़ा गया. 

इसी के बीच एक महत्वपूर्ण झंडा और है जिसका जिक्र कहीं पर नहीं है. यह वो झंडा है जो नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने जर्मनी में भारतीय रीजन बनाने के बाद फहराया था. उस तिरंगे में भी ऊपर केसरिया, बीच में सफेद, नीचे हरा और बीच में एक टाइगर मौजूद था. यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण झंडा है.

जब आया तिरंगा में अशोक चक्र 

कपिल आगे कहते हैं, “बहरहाल 1931 में ध्वज को केसरिया, सफेद और हरे रंग के साथ, मध्‍य में गांधी जी के चलते हुए चरखे का साथ मिला. इसके बाद अशोक चक्र का सफर आता है. ये साल 1947 था. जिसमें सावरकर ने चरखे की कमेटी को एक टेलीग्राम भेजा था. उन्होंने कहा था कि तिरंगे के बीच में मध्य में अशोक चक्र होना चाहिए.” 

बता दिन, 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा ने इसे आजाद भारतीय राष्‍ट्रीय ध्‍वज के रूप में अपनाया. इतिहासकार कपिल कहते हैं कि स्‍वतंत्रता मिलने के बाद इसके रंग और उनका महत्‍व बना रहा. अशोक चक्र होने का महत्व यह है कि अशोक चक्र अखंड भारत को परिभाषित करता है. क्योंकि अशोक का साम्राज्य अफगानिस्तान से लेकर नीचे तक मौजूद था तो इसीलिए अशोक चक्र एक बड़े, दिव्य और विशाल भारत का प्रतीक बनता है.

सबसे पहले भारत का झंडा कौन सा था?

पहला राष्ट्रीय ध्वज 7 अगस्त 1906 को कोलकाता के पारसी बागान स्क्वायर पर फहराया गया था। ध्वज के तीन प्रमुख रंग थे। लाल पीला और हरा। वर्तमान भारतीय तिरंगे के पहले संस्करण को करीब 1921 में पिंगली वेंकय्या द्वारा डिजाइन किया गया था

आजादी से पहले भारत का झंडा कौन सा था?

1857 को मनाया था पहला स्वतंत्रता संग्राम वह एक हरे रंग का झंडा था जिसके ऊपर कमल था. आजाद हिंदुस्तान की पहली लड़ाई के लिए यही वो झंडा था जिसे फहराया गया था. उन्होंने आगे बताया कि साल 1906 में कोलकाता के पारसी बागान चौक पर तिरंगा फहराया गया था. इस पर हरे पीले और लाल रंग से बनाया गया था.

इतिहास का सबसे पहला झंडा कौन सा था?

पहला राष्ट्रीय ध्वज: 1906 में भारत का गैर आधिकारिक ध्वज 7 अगस्त 1906 को पारसी बागान चौक (ग्रीन पार्क) कलकत्ता में फहराया गया था जिसे अब कोलकाता कहते हैं। इस ध्वज को लाल, पीले और हरे रंग की क्षैतिज पट्टियों से बनाया गया था

भारत का पहला तिरंगा कब बनाया गया था?

भारत के राष्ट्रीय ध्वज जिसे तिरंगा भी कहते हैं, तीन रंग की क्षैतिज पट्टियों के बीच नीले रंग के एक चक्र द्वारा सुशोभित ध्वज है। इसकी अभिकल्पना पिंगली वैंकैया ने की थी। इसे १५ अगस्त १९४७ को अंग्रेजों से भारत की स्वतंत्रता के कुछ ही दिन पूर्व २२ जुलाई, १९४७ को आयोजित भारतीय संविधान-सभा की बैठक में अपनाया गया था