Gujarat Board GSEB Std 10 Hindi Textbook Solutions Chapter 2 बूढ़ी काकी Textbook Exercise Important Questions and Answers, Notes Pdf. Show GSEB Std 10 Hindi Textbook Solutions Chapter 2 बूढ़ी काकीGSEB Class 10 Hindi Solutions बूढ़ी काकी Textbook Questions and Answers स्वाध्याय 1. निम्नलिखित प्रश्नों के नीचे दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखिए : प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. 2. निम्नलिखित प्रश्नों के एक-एक वाक्य में उत्तर लिखिए : प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. 3. निम्नलिखित प्रश्नों के दो-तीन वाक्यों में उत्तर लिखिए : प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. 4. निम्नलिखित प्रश्नों के चार-पाँच वाक्यों में उत्तर लिखिए : प्रश्न 1. प्रश्न 2. इसके बाद एक बार फिर बूढ़ी काकी भोजन की आशा में सरकती हुई आंगन में आ गई थीं, पर मेहमान तब तक भोजन कर ही रहे थे। इस पर बुद्धिराम क्रोध से तिलमिला गया था। वह काकी के दोनों हाथ पकड़कर घसीटते हुए उन्हें उनकी कोठरी में पटक आया था। इस प्रकार रूपा और बुद्धिराम ने बूढ़ी काकी के प्रति इन दो अवसरों पर अमानुषी व्यवहार किया था। प्रश्न 3. प्रश्न 4. 5. आशय स्पष्ट कीजिए: प्रश्न 1. प्रश्न 2. 6. सूचनानुसार उत्तर लिखिए : प्रश्न 1.
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प्रश्न 2.
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प्रश्न 3.
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प्रश्न 5.
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प्रश्न 6.
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Hindi Digest Std 10 GSEB बूढ़ी काकी Important Questions and Answers निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में लिखिए : प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. सही वाक्यांश चुनकर निम्नलिखित विधान पूर्ण कीजिए: प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. सही विकल्प चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए : प्रश्न 1.
उत्तर :
निम्नलिखित प्रश्नों के नीचे दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखिए : प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. व्याकरण निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए : प्रश्न 1.
उत्तर :
निम्नलिखित शब्दों के विरोधी शब्द लिखिए : प्रश्न 1.
उत्तर :
निम्नलिखित संधि को जोडिए : प्रश्न 1.
उत्तर :
निम्नलिखित शब्दसमूह के लिए एक शब्द लिखिए : प्रश्न 1.
उत्तर :
निम्नलिखित शब्दों की भाववाचक संज्ञा लिखिए : प्रश्न 1.
उत्तर :
निम्नलिखित शब्दों की कर्तृवाचक संज्ञा लिखिए : प्रश्न 1.
उत्तर :
निम्नलिखित शब्दों की विशेषण संज्ञा लिखिए : प्रश्न 1.
उत्तर :
निम्नलिखित समास को पहचानिए : प्रश्न 1.
उत्तर :
बूढ़ी काकी Summary in Hindiविषय-प्रवेश : ‘बूढ़ी काकी’ उन असहाय और दयनीय व्यक्तियों की व्यथा है, जिन्हें परिस्थितिवश मजबूरी में अपनी संपत्ति किसी अन्य को सौंपनी पड़ती है और खुद उसकी कृपा पर जीना पड़ता है। बूढ़ी काकी पति और नौजवान बेटों की मृत्यु के पश्चात् अपने एकमात्र भतीजे के वादों पर विश्वास करके अपनी संपत्ति उसके नाम कर देती है, पर थोड़े दिनों के बाद ही यह स्थिति हो जाती है कि उसे पेट भर भोजन मिलना भी मुश्किल हो जाता है। पाठ का सार : बूढ़ी काकी : बूढ़ी काकी का कभी अपना भरा-पूरा परिवार था। पर पति और नौजवान बेटों की मृत्यु हो जाने के कारण अब वह बिलकुल बेसहारा हो गई थी। विवश होकर वह अपने परिवार में बचे रहे एकमात्र भतीजे बुद्धिराम को अपनी पूरी संपत्ति लिख देती हैं। इसके बाद तो वह बुद्धिराम और उसकी पत्नी रूपा की दया पर आश्रित हो जाती हैं। बूढी काकी का दुःख : बूढ़ी काकी को पेट भर भोजन न मिलने का दुःख था। खाना समय पर न मिलता था या खाने की मात्रा कम होती थी। इस बात पर वे गला फाड़-फाड़कर रोती थी। रोती थे तब भी थीं, जब अकसर बच्चे उन्हें चिढ़ाने के लिए उने चुटकी काटकर भाग जाते थे या उन पर पानी की कुल्ली कर देते थे। पर उनके इस रोने पर उनकी ओर किसी का ध्यान नहीं जाता था। काकी से अनुराग : बुद्धिराम के परिवार में काकी से थोड़ा लगाव यदि किसी को था, तो वह बुद्धिराम की बेटी ‘लाडली’ थी। लाड़ली के लिए बूढ़ी काकी सुरक्षा का काम करती थी। लाड़ली अपने दोनों भाइयों के डर से अपने हिस्से की खाने की चीजें बूढ़ी काकी की सुरक्षा में आराम से खा पाती थी। इसलिए लाइली काकी का थोड़ाबहुत ध्यान भी रखती थी। सुखराम का तिलक : बुद्धिराम के बेटे सुखराम के तिलक का उत्सव था। इस अवसर पर पूड़ियाँ, कचौड़ियाँ तली जा रही थी और मसालेदार सब्जी बन रही थी। इन सबकी सुगंध बूढ़ी काकी को अपनी कोठरी में बेचैन कर रही थी। उन्हें लग रहा था कि मेहमानों ने भोजन कर लिया होगा और उनके लिए कोई भोजन लेकर नहीं आया। यह सोचकर उन्हें रोना आ गया, पर वे मन मसोस कर रह गई। शुभ अवसर पर रोना बुरा जो होता है। बूढी काकी कड़ाह के पास : बूढ़ी काकी की कल्पना में लाललाल फूली हुई पूड़ियाँ नाचने लगती हैं। वे धीरे-धीरे रेंगते हुए उस कड़ाह के पास पहुंच जाती हैं, जिसमें पूड़ियां निकाली जा रही थीं। मगर तभी रूपा की नजर उन पर पड़ती है और वह जल-भुन उठती है। वह तुरंत काकी पर झपट पड़ती है और उन्हें बुरी तरह फटकारती है। बूढ़ी काकी का पश्चात्ताप : बूढ़ी काकी सन्न हो जाती है और कुछ नहीं बोलतीं। वे रेंगती-रेंगती अपनी कोठरी में चली जाती हैं। अब वे अपनी जल्दबाजी पर दुःखी होती हैं। वे रूपा की झिड़की को उचित मानती हैं और अपने किए पर पछताती हैं। वे निश्चित करती है कि जब तक कोई उन्हें बुलाने नहीं आएगा, वे बाहर नहीं जाएंगी। लेकिन कुछ समय और बीता तो उनसे रहा नहीं गया। वे फिर सरकती हुई आंगन में जा पहुंचती है। वे देखती हैं कि, मेहमान मंडली अभी भी भोजन की पौत जमी हुई है। बुद्धिराम का क्रोध : बुद्धिराम बूढ़ी काकी को आया हुआ देखकर आग-बबूला हो उठता है। वह लपककर आता है और बूढ़ी काकी के दोनों हाथ पकड़कर उन्हें घसीटते हुए अंधेरी कोठरी में पटक आता है। अब बुद्धिराम और उसकी पत्नी रूपा बूढ़ी काकी को दंड देने का निश्चय करते हैं। ‘लाड़ली’ की चिंता : आमंत्रित मेहमानों, घरवालों, आजेवालों, धोबी, नाई सबने भोजन कर लिया, लेकिन बूढ़ी काकी को भोजन करने के लिए किसी ने नहीं पूछा। लाइली इससे बहुत दुःखी होती है। उसने अपने हिस्से की पूड़ियाँ बूढ़ी काकी को खिलाने के लिए अपने पास सुरक्षित रख ली हैं। वह इन्हें बूढ़ी काकी को देंगी, पर वह अपनी मां के डर से उनके पास नहीं जा रही है। लाइली और बूढी काकी: बूढ़ी काकी इंतजार करते-करते निराश हो गई थीं। ग्लानि से उनका गला भर आया था, पर डर के मारे वे रो भी नहीं पा रही थीं। जब सब सो गए, तो लाड़ली बूढ़ी काकी के पास पहुंची। उसने बूढ़ी काकी से कहा कि वह अपने हिस्से की पूड़ियाँ ले आई है, वे खा लें। इतना सुनते ही बूढ़ी काकी पूड़ियों पर टूट पड़ती हैं और पांच मिनट में सारी पूड़ियाँ खा लेती हैं। वे लाइली से कहती हैं कि वह अपनी माँ से और पूड़ियाँ माँगकर लाए। पर मा के मारने के डर से लाड़ली इनकार कर देती है। पूड़ियों के जूठे टुकड़े : बूढ़ी काकी से रहा नहीं जाता। वे लाइली का हाथ पकड़कर वहाँ पहुंचती हैं, जहाँ जूठे पत्तल पड़े थे। वे बैठ जाती हैं और उन पत्तलों से पूड़ियों के जूठे टुकड़े तथा पत्तलों पर छूटे हुए अन्य व्यंजन उठा-उठाकर बखानते हुए खाने लगती हैं। हृदय कंपा देनेवाला दृश्य : तभी सो रही रूपा की नींद खुलती है। वह लाइली को अपने पास नहीं पाती। वह उठकर जाती है, तो देखती है कि लाड़ली जूठे पत्तलों के पास खड़ी है और बूढ़ी काकी पत्तलों से पूड़ियों के जूठे टुकड़े चुन-चुनकर खा रही हैं। यह हृदय-विदारक दृश्य देखकर रूपा सन्न रह जाती है। करुणा और भय से उसकी आंखें भर आती हैं। उसे लगता है कि वह कितनी निर्दय है। वह मन-ही-मन में अपनी इस भयंकर गलती के लिए क्षमा मांगती है। बूढ़ी काकी के लिए भोजन : रूपा दिया जलाती है। वह भंडार का दरवाजा खोलती है। एक थाली में सभी प्रकार के व्यंजन सजाती है। वह बूढ़ी काकी को वहाँ से उठाती है और भोजन की थाली उनके पास रखकर उनसे भोजन करने के लिए कहती है। वह बूढ़ी काकी से अपनी भूल के लिए बुरा न मानने और परमात्मा से इस अपराध के लिए क्षमा करने की प्रार्थना करने के लिए कहती है। बूढ़ी काकी की सदिच्छाएं : बूढ़ी काकी भोले बच्चों की तरह सारा तिरस्कार भूलकर भोजन करने लगती हैं। उसके रोए-रोएं से रूपा के लिए सच्ची सदिच्छाएं निकल रही थीं। बुढ़ापा में कौन सा समास है?बुढ़ापा का वाक्य प्रयोग
यहाँ पर मूल शब्द 'बूढा' एक संज्ञा-विशेषण है जिसमें तद्धित प्रत्यय (भाववाचक तद्धित प्रत्यय) 'पा' जुडने से बना शब्द 'बुढ़ापा' भाववाचक संज्ञा शब्द कहा जाएगा।
बुढ़ापा का वाक्य क्या होगा?वाक्य में प्रयोग - उसका बुढ़ापा बहुत कठिनाई में बीता ।
बुढ़ापे का सहारा कौन होता है?धन्यवाद। बुढ़ापे में सबसे बड़ा सहारा क्या है? यौवनारंभ से बुढ़ापे की सोचकर नियमित आय का श्रोत बनाना बुढ़ापे का सबसे बड़ा सहारा है। आप६०_६५ साल तक निष्क्रिय रह कर कैसे आशा कर सकते हैं कि इस आयु में कुछ कर पाएंगे, इस लिए यौवनारंभ से ही इस आयु का सामना करने की तैयारी आवश्यक है।
लेखक ने बुढ़ापे को क्या कहा है?इसलिए लेखक ने कहा है कि बुढ़ापा तृष्णारोग का अंतिम समय है।
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