कविता में कौन से जानवर की आँखों की बात की है? - kavita mein kaun se jaanavar kee aankhon kee baat kee hai?

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चुड़का सोरेन से / निर्मला पुतुल

Kavita Kosh से

मैंने देखा था चुड़का सोरेन !
तुम्हारे पिता को अकसर हंड़िया पीकर
पिछवाड़े बँसबिट्टी के पास ओघड़ाए हुए
कठुवाई अँगुलियों से दोना-पत्तल-चटाई बुन
बाज़ार ले जाकर बेचते हुए तुम्हारी माँ को भी
हज़ार-हज़ार कामुक आँखों और सिपाहियों के पंजे झेलती

चिलचिलाती धूप में
ईंट पाथते, पत्थर तोड़ते, मिट्टी काटते हुए भी
किसी बाज के चंगुल में चिड़ियों की तरह
फड़फड़ाते हुए एक बार देखा था उसे

तुम्हारे पिता ने कितनी शराब पी यह तो मैं नहीं जानती
पर शराब उसे पी गई यह जानता है सारा गाँव
इससे बचो चुड़का सोरेन !
बचाओ इसमें डूबने से अपनी बस्तियों को
देखो तुम्हारे ही आँगन में बैठ
तुम्हारे हाथों बना हंड़िया तुम्हें पिला-पिलाकर
कोई कर रहा है तुम्हारी बहनों से ठिठोली
बीड़ी सुलगाने के बहाने बार-बार उठकर रसोई में जाते
उस आदमी की मंशा पहचानो चुड़का सोरेन
जो तुम्हारी औरत से गुपचुप बतियाते बात-बात में दाँत निपोर रहा है
वह कौन-सा जंगली जानवर था चुड़का सोरेन
जो जंगल लकड़ी बीनने गई तुम्हारी बहन मँगली को
उठाकर ले भागा ?

तुम्हारी भाषा में बोलता वह कौन है
जो तुम्हारे भीतर बैठा कुतर रहा है
तुम्हारे विश्वास की जड़ें ?
दिल्ली की गणतन्त्र झाँकियों में
अपनी टोली के साथ नुमाइश बनकर कई-कई बार
पेश किए गए तुम
पर गणतन्त्र नाम की कोई चिड़िया
कभी आकर बैठी तुम्हारे घर की मुँडेर पर ?

क्या तुम जानते हो
पेरिस के भारतीय दूतावास से भागी ‘ललिता उराँव’ के बारे में ?
जानते हो महानगरों से पनपे
आया बनानेवाली फैक्टरियों का गणित
और घरेलू कामगार महिला संगठन का इतिहास ?
बाँदों की ‘दीपा मुर्मू’ की आत्मा आज भी भटक रही है
इन्साफ की गुहार लगाते तुम्हारी बस्तियों में
उसे सुनो चुड़का सोरेन !
उसे गुनो !

कैसा बिकाऊ है तुम्हारी बस्ती का प्रधान
जो सिर्फ़ एक बोतल विदेशी दारू में रख देता है
पूरे गाँव को गिरवी
और ले जाता है कोई लकड़ियों के गट्ठर की तरह
लादकर अपनी गाड़ियों में तुम्हारी बेटियों को
हज़ार-पाँच-सौ हथेलियों पर रखकर
पिछले साल
धनकटनी में खाली पेट बंगाल गयी पड़ोस की बुधनी
किसका पेट सजाकर लौटी है गाँव ?

कहाँ गया वह परदेसी जो शादी का ढोंग रचाकर
तुम्हारे ही घर में तुम्हारी बहन के साथ
साल-दो-साल रहकर अचानक गायब हो गया ?
उस दिलावर सिंह को मिलकर ढूँढ़ों चुड़का सोरेन
जो तुम्हारी ही बस्ती की रीता कुजूर को
पढ़ाने-लिखाने का सपना दिखाकर दिल्ली ले भागा
और आनन्द-भोगियों के हाथ बेच दिया

और हाँ पहचानो !
अपने ही बीच की उस कई-कई ऊँची सैण्डिल वाली
स्टेला कुजूर को भी
जो तुम्हारी भोली-भोली बहनों की आँखों में
सुनहरी ज़िन्दगी का ख़्वाब दिखाकर
दिल्ली की आया बनानेवाली फैक्टरियों में
कर रही है कच्चे माल की तरह सप्लाई
उन सपनों की हक़ीक़त जानो चुड़का सोरेन
जिसकी लिजलिजी दीवारों पर पाँव रखकर
वे भागती हैं बेतहाशा पश्चिम की ओर !

बचाओ अपनी बहनों को
कुँवारी माँ बनी पड़ोस की उस शिलवन्ती के मोहजाल से
पूरी बस्ती को रिझाती जो
बैग लटकाए जाती है बाज़ार
और देर रात गए लौटती है
खुद को बेचकर बाज़ार के हाथों

किसके शिकार में रोज़ जाते हो जंगल ?
किसके ?
शाम घिरते ही अपनी बस्तियों में उतर आए
उन ख़तरनाक शहरी-जानवरों को पहचानो चुड़का सोरेन
पहचानो
पाँव पसारे जो तुम्हारे ही घर में घुसकर बैठे हैं !!
तुम्हारे भोलेपन की ओट में
इस पेचदार दुनिया में रहते
तुम इतने सीधे क्यों हो चुड़का सोरेन ??

'एक तिनका' कविता में किस घटना की चर्चा की गई है, जिससे घमंड नहीं करने का संदेश मिलता है?

कवि ने उस दिन की घटना कही है, जब घमंड में चूर उसका विवेक समाप्त हो गया था। वह स्वयं को श्रेष्ठ समझता था।  एक दिन उसकी आँख में एक तिनका गिर गया। तिनके के कारण उसकी आँख लाल हो गई। दर्द के मारे वह रो पड़ा। लोगों ने उसका बहुत इलाज किया लेकिन उसको आराम नहीं मिला। जब तिनका स्वयं ही आँख से निकल गया, तब जाकर उसे आराम मिला। इस घटना ने लेखक का सारा घमंड चूर-चूर कर दिया। उसकी आँखें खुल गई। उसे अपनी गलती का अहसास हुआ और उसका व्यवहार बदल गया। इस घटना के माध्यम से कवि ने संदेश दिया है कि हमें स्वयं पर कभी अभिमान घमंड नहीं करना चाहिए। घमंड हमारे गुणों को समाप्त कर देता है और हमें जानवर बना देता है। इसलिए हमें चाहिए कि हम अपने अभिमान घमंड का त्याग करें।

Concept: पद्य (Poetry) (Class 7)

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CBSE Class 11 Hindi Aroh Important Questions Chapter 14 Poem Ve Ankhe - Free PDF Download

Last updated date: 28th Dec 2022

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Question कविता में कौन से जानवर की आँखों की बात की है?

इस पंक्ति को बोलते ही खरगोश की आँखों का बिंब हमारे सामने आ जाता है।

वे आँखें कविता में उजरी कौन है?

आशय – किसान के खेत-खलिहान, घर-द्वार सब बिक चुके हैं, फिर भी महाजन ने ब्याज की एक कौड़ी तक नहीं छोड़ी। वसूली करने के लिए महाजन ने बैलों की जोड़ी भी नीलाम करवा दी। इन पंक्तियों में किसान को अपनी उजली सफ़ेद गाय की याद आ रही है जो अब किसान के पास नहीं है।

वे आंखें कविता के अनुसार बताइये कि कवि किसान की आंखों में देखने से क्यों डरता है?

कवि उस शोषित किसान के बारे में बात कर रहा है जिसकी आँखें गड्ढों में धंस चुकी हैं और वे अँधेरी गुफा के समान डरावनी प्रतीत हो रही हैं। कवि को किसान की आँखों से डर लगता है, क्योंकि उनमें गहरी निराशा, हताशा व उदासीनता भरी है। पहले किसान की दशा अच्छी थी। वह अपनी खेती का मालिक था।

वे आँखें कविता के कवि का क्या नाम है?

(क) प्रस्तुत काव्यांश प्रकृति के सुकुमार कवि सुमित्रानंदन पंत द्वारा रचित कविता 'वे आँखें' से उद्धृत हैं।