छठी शताब्दी ईसा पूर्व में महाजनपद की राजधानी क्या थी? - chhathee shataabdee eesa poorv mein mahaajanapad kee raajadhaanee kya thee?

* गांधार : राजधानी तक्षशिला। पाकिस्तान स्थित पश्चिमोत्तर क्षेत्र रावलपिंडी से 18 मील उत्तर की ओर और इस्लामाबाद से 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। पाकिस्तान का पश्चिमी तथा अफगानिस्तान का पूर्वी क्षेत्र ही गांधार राज्य के अंतर्गत आता था। गंधार का अर्ध होता है सुगंध। गांधारी गांधार देश के 'सुबल' नामक राजा की कन्या थीं। क्योंकि वह गांधार की राजकुमारी थीं, इसीलिए उनका नाम गांधारी पड़ा। पुराणों (मत्स्य 48।6; वायु 99,9) में गंधार नरेशों को द्रुहु का वंशज बताया गया है। ययाति के पांच पुत्रों में से एक द्रुहु था। ययाति के प्रमुख 5 पुत्र थे- 1.पुरु, 2.यदु, 3.तुर्वस, 4.अनु और 5.द्रुहु। इन्हें वेदों में पंचनंद कहा गया है।

गांधार महाजनपद के प्रमुख नगर थे- आज के पाकिस्तान का पश्चिमी तथा अफगानिस्तान का पूर्वी क्षेत्र उस काल में भारत का गंधार प्रदेश था। आधुनिक कंदहार इस क्षेत्र से कुछ दक्षिण में स्थित था।  अंगुत्तरनिकाय के अनुसार बुद्ध तथा पूर्व-बुद्धकाल में गंधार उत्तरी भारत के सोलह जनपदों में परिगणित था। सिकन्दर के भारत पर आक्रमण के समय गंधार में कई छोटी-छोटी रियासतें थीं, जैसे अभिसार, तक्षशिला आदि। मौर्य साम्राज्य में संपूर्ण गंधार देश सम्मिलित था। पुरुषपुर (आधुनिक पेशावर) तथा तक्षशिला इसकी राजधानी थी। इसका अस्तित्व 600 ईसा पूर्व से 11वीं सदी तक रहा।   

* कंबोज : आधुनिक अफगानिस्तान; राजधानी राजापुर। बौद्ध ग्रंथों के अनुसार कंबोज जनपद सम्राट अशोक महान का सीमावर्ती प्रांत था। कंबोज देश का विस्तार कश्मीर से हिन्दूकुश तक था। इसके दो प्रमुख नगर थे राजपुर और नंदीपुर। राजपुर को आजकल राजौरी कहा जाता है। पाकिस्तान का हजारा जिला भी कंबोज के अंतर्गत ही था। कंबोज के पास ही गांधार जनपद था। कंबोज उत्तरापथ के गांधार के निकट स्थित था जिसकी ठीक-ठाक स्थिति दक्षिण-पश्चिम के पुंछ के इलाके के अंतर्गत मानी जा सकती है। वाल्मीकि रामायण के अनुसार कंबोज वाल्हीक और वनायु देश के पास स्थित है। आ‍धुनिक मान्यता के अनुसार कश्मीर के राजौरी से तजाकिस्तान तक का हिस्सा कंबोज था जिसमें आज का पामीर का पठार और बदख्शां भी हैं। बदख्शां अफगानिस्तान में हिन्दूकुश पर्वत का निकटवर्ती प्रदेश है और पामीर का पठार हिन्दूकुश और हिमालय की पहाड़ियों के बीच का स्थान है।

कनिंघम ने अपने सुप्रसिद्ध ग्रंथ 'एंशेंट जियोग्राफी ऑव इंडिया' में राजपुर का अभिज्ञान दक्षिण-पश्चिम कश्मीर के राजौरी नामक नगर (जिला पुंछ, कश्मीर) के साथ किया है। यहां नंदीनगर नामक एक और प्रसिद्ध नगर था। सिकंदर के आक्रमण के समय कंबोज प्रदेश की सीमा के अंतर्गत उरशा (पाकिस्तानी जिला हजारा) और अभिसार (कश्मीर का जिला पुंछ) नामक छोटे-छोटे राज्य बसे हुए थे।  

जिन स्थानों के नाम आजकल काबुल, कंधार, बल्ख, वाखान, बगराम, पामीर, बदख्शां, पेशावर, स्वात, चारसद्दा आदि हैं, उन्हें संस्कृत और प्राकृत-पालि साहित्य में क्रमश: कुंभा या कुहका, गंधार, बाल्हीक, वोक्काण, कपिशा, मेरू, कम्बोज, पुरुषपुर (पेशावर), सुवास्तु, पुष्कलावती आदि के नाम से जाना जाता था। 

* कुरु : महाभारत काल के पूर्व दक्षिण कुरुओं का राज्य हिन्दुकुश के आगे से कश्मीर तक था। बाद में पांचालों पर आक्रमण करके उन्होंने अपना क्षेत्र विस्तार किया। महाभारत काल में कुरुओं का क्षेत्र था मेरठ और थानेश्वर के आसपास था क्षेत्र और राजधानी थी पहले ‍हस्तिनापुर और बाद में इन्द्रप्रस्थ। बौद्ध कल में यह संपूर्ण क्षेत्र कुषाणों के अधीन हो चला था।

* पंचाल : बरेली, बदायूं और फर्रूखाबाद; राजधानी अहिच्छत्र तथा काम्पिल्य। इसके नाम का सर्वप्रथम उल्लेख यजुर्वेद की तैत्तरीय संहिता में 'कंपिला' रूप में मिलता है। पांडवों की पत्नी, द्रौपदी को पंचाल की राजकुमारी होने के कारण पांचाली भी कहा गया। कनिंघम के अनुसार वर्तमान रुहेलखंड उत्तर पंचाल और दोआबा दक्षिण पंचाल था। पांचाल को पांच कुल के लोगों ने मिलकर बसाया था। यथा किवि, केशी, सृंजय, तुर्वसस और सोमक। पंचालों और कुरु जनपदों में परस्पर लड़ाई-झगड़े चलते रहते थे। 

इन सोलह महाजनपदों में से काशी आरम्भ में सर्वाधिक शक्तिशाली प्रतीत होता है । आज के वाराणसी जिले में तथा उसके समीपवर्ती क्षेत्रों में स्थित इस महाजनपद की राजधानी वाराणसी को , जो गंगा तथा गोमती के संगम पर स्थित है , भारत का सबसे मुख्य शहर बताया गया है । काशी सूती कपड़ों तथा घोड़ों के बाजार के लिए विख्यात था ।


कोशल महाजनपद


कोशल महाजनपद पश्चिम में गोमती से घिरा हुआ था । प्रसेनजित तथा विदुधान जैसे राजाओं ने अयोध्या , साकेत और श्रावस्ती को अपने नियन्त्रण में लेकर कोशल को एक सम्पन्न राज्य बना दिया । 


अंग महाजनपद


अंग महाजनपद में बिहार के भागलपुर तथा मुंगेर जिले शामिल थे । यह अपने व्यापार एवं वाणिज्य हेतु विख्यात था । 


मगध महाजनपद


मगध दक्षिणी बिहार में पटना तथा गया के निकटवर्ती क्षेत्रों में स्थित था । इस क्षेत्र में बौद्ध धर्म का काफी महत्त्व था ।

 

वज्जि महाजनपद


बिहार के वैशाली जिले के आस पास  वज्जि महाजनपद गंगा के उत्तर में स्थित था । 


मल्ल महाजनपद


मल्ल महाजनपद वर्तमान गोरखपुर और देवरिया जिले में स्थित था । 


चेदि महाजनपद


चेदि क्षेत्र आधुनिक बुन्देलखण्ड के पूर्वी भागों के आसपास था । इसकी राजधानी सोत्थीवती ( शक्तिमती ) थी । 


वत्स महाजनपद


वत्स जिसकी राजधानी कोशाम्बी थी , छठी शताब्दी ईसा पूर्व का सबसे शक्तिशाली केन्द्र था ।


कुरु महाजनपद


दिल्ली मेरठ के आस - पास का क्षेत्र कुरु महाजनपद कहलाता था । 


पांचाल महाजनपद


पांचाल महाजनपद रुहेलखण्ड तथा मध्य दोआब के कुछ भागों ( मोटे तौर पर बरेली , पीलीभीत , बदा , बुलन्दशहर , अलीगढ़ आदि ) पर स्थित था । यह दो भागों में विभाजित था— उत्तरी और दक्षिणी । उत्तरी पांचाल की राजधानी अहिच्छत्र और दक्षिणी पांचाल की राजधानी कापिल्य थी । 


मत्स्य महाजनपद


मत्स्य महाजनपद राजस्थान के जयपुर- भरतपुर अलवर क्षेत्र में स्थित था । उसकी राजधानी विराट नगर थी , जोकि पांडवों के छिपने के स्थान के रूप में विख्यात है । अशोक के सर्वाधिक विख्यात आदेश - पत्र प्राचीन विराट ( बैरात ) ( जिला जयपुर ) में पाए गए है ।


शूरसेन महाजनपद


शूरसेनों की राजधानी यमुना तट पर मथुरा में थी । महाभारत और पुराण में मथुरा के शासक वंश को यदु कहा गया है ।


अश्मक महाजनपद


अश्मक महाराष्ट्र में आधुनिक पैठान के निकट गोदावरी के तट पर फैला हुआ था । पैठान को अश्मकों की राजधानी प्राचीन प्रतिष्ठान माना जाता है । 


अवन्ति महाजनपद


अवन्ति महाजनपद वर्तमान मालवा , तिमार तथा मध्य प्रदेश के निकटवर्ती क्षेत्र तक विस्तृत था । इसकी दो राजधानियाँ थीं । उत्तरी भाग की राजधानी उज्जयिनी तथा दक्षिणी भाग की राजधानी महिष्मती थी । यहाँ का बुद्धकालीन राजा प्रद्योत था 

 

गान्धार महाजनपद


गान्धार महाजनपद के अन्तर्गत तक्षशिला , कश्मीर का कुछ क्षेत्र और अफगानिस्तान का अधिकांश क्षेत्र सम्मिलित था । इसकी राजधानी तक्षशिला थी ।


कम्बोज महाजनपद 


कम्बोज महाजनपद गान्धार के निकट सम्भवत : आज के पुंच क्षेत्र में स्थित था । सातवीं शताब्दी ईसा पूर्व में ही कम्बोजों को ब्राहाणीय ग्रन्थों में असभ्य लोगों की संज्ञा दी गई थी ।

छठी शताब्दी में महाजनपद की राजधानी क्या थी?

अयोध्या, साकेत और श्रावस्ती इस महाजनपद के मुख्य नगर थे। अयोध्या को कोशल की प्राचीनतम् राजधानी होने का श्रेय प्राप्त है। साकेत इसकी दूसरी राजधानी थी

पूर्व महाजनपद की राजधानी क्या थी?

इसके उत्तरी भाग की राजधानी कुशीनगर और दक्षिणी भाग की राजधानी पावा थी

छठी शताब्दी ईस्वी पूर्व में ऐसा कौन सा महाजनपद था जहां पहले राजतंत्र था किंतु बाद में गणतंत्र स्थापित हो गया?

विदेह की भाँति यहाँ भी प्रारंभ में राजतंत्रात्मक शासन था, किंतु बाद में गणतंत्र की स्थापना हो गई। बौद्ध तथा जैन साहित्य में मल्लों और लिच्छवियों की प्रतिद्वंद्विता का उल्लेख है । बुद्धकाल तक मल्लों का स्वतंत्र अस्तित्त्व बना रहा, किंतु कालांतर में यह मगध की विस्तारवादी नीति का शिकार हो गया और चौथी शती ई. पू.

छठी शताब्दी ईसा पूर्व में अवन्ति महाजनपद का शासक कौन था?

ईसापूर्व छठी सदी में अवंति के राजा प्रद्योत ने कौशाम्बी के राजा तथा प्रद्योत के दामाद उदयन के साथ लड़ाई हुई थी। उससे पहले उदयन ने मगध की राजधानी राजगृह पर हमला किया था। कोसल के राजा प्रसेनजित ने काशी को अपने अधीन कर लिया और बाद में उसके पुत्र ने कपिलवस्तु के शाक्य राज्य को जीत लिया।