NCERT Solutions for Class 8 Hindi Vasant Chapter 6 भगवान के डाकिये Show
These NCERT Solutions for Class 8 Hindi Vasant Chapter 6 भगवान के डाकिये Questions and Answers are prepared by our highly skilled subject experts. भगवान के डाकिये NCERT Solutions for Class 8 Hindi Vasant Chapter 6Class 8 Hindi Chapter 6 भगवान के डाकिये Textbook Questions and Answersकविता से प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. किन पंक्तियों का भाव है- (ख) और एक देश का भाप प्रश्न 4. प्रश्न
5. पाठ से आगे प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. अनुमान और कल्पना प्रश्न 1. वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. सप्रसंग व्याख्या (क) पक्षी और बादल, प्रसंग- उपर्युक्त पद्यांश भगवान के डाकिए’ पाठ से उद्धृत है। इसके रचयिता राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ जी हैं। ‘ दिनकर जी ने पक्षी और बादल को भगवान के डाकिए बताया है। व्याख्या- कवि कहते हैं कि भगवान भी हमारे पास संदेश भेजते हैं। उस संदेश को भेजने के लिए पक्षी और बादल भगवान के डाकिए का काम करते हैं। भगवान किसी सीमा में नहीं बँधा रहता। इसी प्रकार भगवान के डाकिए पक्षी और बादल भी किसी क्षेत्र की सीमा में नहीं बँधे रहते हैं। ये एक महादेश से बेरोक-टोक दूसरे महादेश को जाते हैं। ये जिन चिट्ठियों को लेकर आते है, उन्हें हम नहीं समझ पाते लेकिन पेड़-पौधे, पानी और पहाड़ जरूर पढ़ लेते हैं। पेड़-पौधों को बादलों का पानी मिल जाता है। पहाड़, बादलों का रुख मोड़कर बारिश करा देते हैं। पक्षी बादलों के आने की सूचना दे देते हैं। ये सब एक-दूसरे के अधिक निकट हैं। विशेष-
(ख) हम तो केवल यह आँकते हैं प्रसंग- ये काव्य-पंक्तियाँ ‘भगवान के डाकिए’ पाठ से ली गई हैं। इनके कवि श्री रामधारी सिंह ‘दिनकर’ जी हैं। कवि ने इन पंक्तियों में ‘पूरी धरती अपना परिवार है’ का संदेश दिया है। हम खुद विभाजित होते हैं। प्रकृति हमें सदा जोड़कर ही रखती है। व्याख्या- कवि कहते हैं कि हम यह अनुमान लगाते हैं कि किस प्रकार एक देश की धरती दूसरे देश को चुपचाप खुशबू भेजती है। जो पक्षी आकाश में एक स्थान से दूसरे स्थान पर तैरते हुए जाते हैं; वे अपने पंखों पर एक स्थान की खुशबू को दूसरे स्थान तक तैराकर ले जाते हैं। एक स्थान पर जो पानी भाप बन जाता है, वह उड़कर दूसरे देश में पहुँच जाता है और बादल बनकर बरस पड़ता है। इस प्रकार बादल दो देशों की तुच्छ सीमा में विभाजित नहीं होता। वह इस तुच्छ भेदभाव से ऊपर उठकर जीवन जीता है। विशेष-
भगवान के डाकिये Summaryपाठ का सार राष्ट्रकवि दिनकर जी ने पक्षी और बादल को भगवान के डाकिए कहा है। जिस प्रकार डाकिए संदेश पहुँचाने का काम करते हैं, उसी प्रकार पक्षी और बादल भी एक महादेश का संदेश दुसरे महादेश तक पहुँचाते हैं। हम इनके लाए संदेशों को नहीं समझ पाते; परंतु पेड़-पौधे, पानी और पहाड़ भली-प्रकार समझकर बाँच लेते हैं। एक देश की धरती दूसरे देशों को जो खुशबू का पैगाम भेजती है, वह इनके पंखों पर तैरकर जाता है। जो भाप एक देश में बनती है, वह बिना किसी भेदभाव के दूसरे देश की धरती पर पानी बनकर बादलों से बरसती है। शब्दार्थ : महादेश-महाद्वीप, विशाल देश; बाँचते हैं-वाचन करते हैं, बोल-बोलकर पढ़ते हैं; आँकते हैं-अंदाज लगाते हैं, अनुमान करते हैं; पाँख-पंख; सौरभ-सुगन्ध । कवि ने पक्षी और बादल को भगवान के डाकिए क्यों कहा?उत्तर:- कवि ने पक्षी और बादल को भगवान के डाकिए इसलिए कहा है क्योंकि जिस प्रकार डाकिए संदेश लाने का काम करते हैं, उसी प्रकार पक्षी और बादल भगवान का संदेश हम तक पहुँचाते हैं। उनके लाए संदेश को हम भले ही न समझ पाए, पर पेड़, पौधे, पानी और पहाड़ उसे भली प्रकार पढ़-समझ लेतें हैं।
भगवान के डाकिए पंक्ति से कवि का क्या आशय है?इस कविता में कवि पक्षियों और बादलो को भगवान का डाकिया मानते हैं। व्याख्या – कवि कहते हैं कि आकाश में उड़ते पक्षी और बादल भगवान का सन्देश लेकर आये हुए उसके डाकिए हैं। जो एक देश से दूसरे देश को उड़ते रहते हैं। इन डाकियों का सन्देश हम समझ नहीं पाते।
भगवान के डाकिए कौन होते हैं?पक्षी और बादल, ये भगवान के डाकिए हैं, जो एक महादेश से दूसरे महादेश को जाते हैं।
भगवान के डाकिए कौन सा संदेश लाते हैं?Answer. Answer: कवि ने पक्षी और बादल को भगवान के डाकिए इसलिए कहा है क्योंकि जिस प्रकार डाकिए संदेश लाने का काम करते हैं, उसी प्रकार पक्षी और बादल भगवान का संदेश हम तक पहुँचाते हैं। उनके लाए संदेश को हम भले ही न समझ पाए, पर पेड़, पौधे, पानी और पहाड़ उसे भली प्रकार पढ़-समझ लेतें हैं।
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