कौन कौन से पेड़ काटे जा सकते हैं? - kaun kaun se ped kaate ja sakate hain?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर प्रदेश वृक्ष संरक्षण अधिनियम, 1976 के अन्तर्गत राज्य के 62 जिलों में निजी भूमि पर स्थित 5 वृक्ष प्रजातियों (आम, नीम, साल, महुआ, खैर) को छोड़कर तथा राज्य के 13 जिलों में निजी भूमि पर स्थित 6 वृक्ष प्रजातियों (आम, नीम, साल, महुआ, खैर, सागौन) को छोड़कर अन्य सभी वृक्ष प्रजातियों के कटाई के लिए पूरी छूट प्रदान की गयी …

सरकारी पेड़ काटने पर कौन सी धारा लगती है?

इसे सुनेंरोकें^सरकार की अनुमति के बिना पेड़ को कटाना अपराध है। भारतीय वन कानून 1927 के अनुसार सेक्शन 68 के अंतर्गत पर्यावरण कोर्ट में मामला दर्ज हो सकता है। इसमें पेड़ों की चोरी, पर्यावरण को नुकसान पहुंचने और प्रदूषण एक्ट के तहत मामला दर्ज हो सकता है।

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एक पेड़ काटने के स्थान पर कितने पेड़ लगाया जाए कानून की दृष्टि से रिसर्च करके रिपोर्ट तैयार करना?

इसे सुनेंरोकेंप्रतिबंधित श्रेणी वाले प्रजातियों के पेड़ काटने की अनुमति के लिए आवेदक को 10 पौधे रोपने व संरक्षण का शपथ पत्र देना होगा। आज्ञा शुल्क और सिक्योरिटी राशि भी जमा करनी होगी। पौधों के वृक्ष बनने और वन विभाग के सत्यापन के बाद ही सिक्योरिटी राशि संबंधित को वापस हो सकेगी।

नीम के पेड़ काटने से क्या होता है?

इसे सुनेंरोकेंबिल्सी : नीम के पेड़ काटने पर डीएफओ एके कश्यप ने बीस हजार रुपये जुर्माना डाला है। उन्होंने बताया कि जामुन काटने पर प्रतिबंध नहीें है लेकिन नीम काटना प्रतिबंधित है। नीम की लकड़ी को डीसीएम में भरकर ले जाते सयम पकड़ लिया गया। उन्होंने बताया कि नीम के पेड़ काटने पर बीस हजार रुपये जुर्माना डाला गया है।

इसे सुनेंरोकेंअब ये वृक्ष बिना अनुमति नहीं कटेंगे आम (देशी, तुकमी, कलमी), नीम, साल, महुआ, बीजा साल, पीपल, बरगद, गूलर, पाकड़, अर्जुन, पलाश, बेल, चिरौंजी, खिरनी, कैथा, इमली, जामुन, असना, कुसुम, रीठा, भिलावा, तून, सलई, हल्दू, बाकली/करधई, धौ, खैर, शीशम और सागौन।

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पेड़ को कैसे काटा जाता है?

इसे सुनेंरोकेंआवेदन आपको वन विभाग और पेड़ जिसकी संपत्ति पर है उन दोनों के नाम करना है। पेड़ों की कटाई के लिए भी आपको आवेदन करना है। फर्क सिर्फ इतना है कि पेड़ काटने के लिए आपको वन विभाग में एक पेड़ के एवज में 34500 रुपये जमा करवाने पड़ेंगे। वह भी यदि पेड़ किसी प्राइवेट प्रॉपर्टी में हैं तो।

पेड़ काटने से क्या क्या होता है?

इसे सुनेंरोकेंपेड़ काटने के नुकसान क्या हैं? पेड़ों से केवल हमें लाभ ही नहीं होता है यह वातावरण में फैले दूषित वायु को भी शुद्ध करता है। पेड़ों की अंधाधुंध कटाई से बारिश का अभाव भी बना हुआ है। वृक्ष अपनी जड़ों से मिट्टी को बांधकर रखता है तथा मृदा अपरदन नहीं होने देता है।

हमें पेड़ों को क्यों नहीं काटना चाहिए?

इसे सुनेंरोकेंपेड़ों के लगातार कटान के चलते मनुष्य के साथ जीव-जन्तुओं के लिए भी खतरा है। बहुत सी प्रजातियों पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ता है। ये हमें आक्सीजन ही नहीं देते बल्कि कार्बन डाई आक्साइड भी खत्म करते हैं। यह पर्यावरण को संतुलित करने में मदद करते हैं।

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राज्यके किसानों के लिए अच्छी सूचना है। उनके खेतों में 32 प्रजातियों के हरे पेड़ काटने के लिए किसी भी एजेंसी से अनुमति लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी। राज्य सरकार ने नियम में संशोधन करके इसके लिए अधिसूचना जारी कर दी है। प्रदेश में एग्रो फारेस्ट्री को बढ़ावा देने के लिए सरकार की ओर से यह कदम उठाया गया है, जिससे किसान सामान्य फसल के साथ ही अपने खेत के किनारे पौधे लगाकर पेड़ बनने की स्थिति में अपनी सुविधा के अनुसार उसकी कटाई कर सके। साथ ही किसान को आर्थिक तौर पर भी उसका फायदा हो सके। केंद्र सरकार की ओर से देश भर में मिशन एग्रो फारेस्ट्री लागू की जा रही है। इसी के तहत कृषि विभाग के प्रस्ताव पर वन विभाग की ओर से नियमों में संशोधन की अधिसूचना जारी की गई है। जिन 32 प्रजातियों को इसके दायरे में लाया गया है। उनके पेड़ों को काटने से पहले किसान को किसी विभाग से अनुमति लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी। उसके लिए ट्रांजिट फी भी नहीं लिया जाएगा। अधिसूचना के अनुसार पापलर, आस्ट्रेलियन बबूल, खमेरा, गुलमोहर, सिल्वर ओक, पालम, बेर, कटहल, अमरूद, सहजन, मोलश्री, अशोक, इमली, जामुन, जंगल जलेबी, बकायन, सेमल, कपोक, नीम, करंज, खमेरा आदि को शामिल किया गया है। अतिरिक्त मुख्य सचिव वन एवं पर्यावरण एनसी गोयल ने बताया कि कृषि विभाग के प्रस्ताव के बाद यह संशोधन किया गया है। राज्य के किसानों के हित को ध्यान में रखकर संशोधन किया गया है, जिससे किसानों की आय को बढ़ाने में मदद मिल सके।

एनबीटी ब्यूरो, लखनऊ : निजी जमीन पर भी अब पेड़ काटना आसान नहीं होगा। कैबिनेट ने प्रतिबंधित श्रेणी के वृक्षों की संख्या बढ़ाकर 6 से 29 कर दी है। इन वृक्षों को काटने के लिए वन विभाग से अनुमति लेनी होगी। अनुमति के लिए आवेदन ऑनलाइन किए जा सकेंगे।

25 अक्टूबर और 31 अक्टूबर 2017 को अधिसूचना जारी कर सरकार ने 62 जिलों में आम, नीम, साल, खैर और महुआ और 13 जिलों में सागौन को छोड़कर निजी जमीन पर लगेबाकी वृक्षों को अनुमति के दायरे से बाहर कर दिया था। इन छह प्रजातियों के वृक्षों को काटने के लिए वन विभाग से अनुमति जरूरी थी। इसकी अनुमति तभी दी जा सकती थी जब ये वृक्ष सूख गए हों, किसी व्यक्ति या संपत्ति के लिए खतरा पैदा हो गया हो या विकास योजनाओं के लिए काटना जरूरी हो। हालांकि, इस आदेश पर एनजीटी ने रोक लगा दी थी। अब सरकार ने आदेश बदलने हुए पेड़ काटने के नियम और कड़े कर दिए हैं।

सोमवार को कैबिनेट ने यूपी वृक्ष संरक्षण अधिनियम, 1976 के प्रावधानों में बदलाव करते हुए प्रतिबंधित श्रेणी के वृक्षों की संख्या बढ़ाकर 29 कर दी। प्रत्येक वृक्ष के काटने पर दो पौधे लगाने और उनके संरक्षण का प्रस्ताव था, लेकिन सीएम योगी आदित्यनाथ ने पौधरोपण की संख्या बढ़ाकर प्रति वृक्ष 10 कर दी। अगर काटने वाले के पास इतने पौधे लगाने के लिए जमीन नहीं है तो वह वन विभाग को इसके लिए धनराशि जमा करेगा। वन विभाग इस रकम से पौधे लगाकर उनका संरक्षण करेगा।

ये वृक्ष बिना अनुमति नहीं कटेंगे

आम (देशी, तुकमी, कलमी), नीम, साल, महुआ, बीजा साल, पीपल, बरगद, गूलर, पाकड़, अर्जुन, पलाश, बेल, चिरौंजी, खिरनी, कैथा, इमली, जामुन, असना, कुसुम, रीठा, भिलावा, तून, सलई, हल्दू, बाकली/करधई, धौ, खैर, शीशम और सागौन।

कौन से पेड़ नहीं काटने चाहिए?

इन पेड़ों पर है प्रतिबंध: आम (देसी व कलमी), नीम, साल, महुआ, बीजा साल, पीपल, गूलर, पाकड़, अर्जुन, पलाश, बेच, चिरौंजी, खिरनी, कैथा, इमली, जामुन, असना, कुसुम, रीठा, भिलावा, तून, सलई, हल्दू, बाकली-करघई, धौ, खैर, शीशम व सागौन आदि प्रजातियों के पेड़ को काटने पर प्रतिबंध है।

ऐसा कौन सा पेड़ है जिसे काटने पर?

आइए इस अनोखे पेड़ के बारे में थोड़ी और बातें जानें... दक्षिण अफ्रीका में पाए जाना वाले इस अनोखे पेड़ को कई नामों से जाना जाता है। लोग इस पेड़ को किआट मुकवा, मुनिंगा और ब्लडवुड ट्री के नाम से जानते हैं।

ऐसा कौन सा पेड़ है जिसे काटने पर वह रोता है?

पेक़नरी द्वीप में पाया जाने वाला 'लाउरेल' नामक वृक्ष रोता है। 'मेंड्रक वृक्ष' की शक्ल बहुत कुछ आदमी की तरह होती है और उसे काटने पर या उखाड़े जाने पर वह एक बच्चे की तरह रोने लगता है।

नीम के पेड़ को काटने से क्या होता है?

नीम का यहां पर उपयोग केवल औषधीय ही होता आ रहा है। लोग फोड़े-फुंसी, पेट दर्द, चोट लगने, बाय (बादी), सिर दर्द या अन्य रोगों के समाधान के लिए नीम को औषधि के रूप में काम लेते आए हैं। इसके लिए नीम के पते, फूल, फल और छाल हाथ से तोड़ी जाती है। हाईवे से गांव की ओर मुड़ने के साथ ही नीम के लहलहाते पेड़ नजर आने लगते हैं।