अधिकतर भारत के बिहार में मखाना (makhana) उगाया जाता है। इसके अलावा ये जापान, रशिया और कोरिया के कुछ हिस्सों में भी उगाया जाता है या मिलता है। दरअसल, मखाना कमल के पौधे/ फूल से निकलता है और वही फूल हमें मखाना देता है। Show
मखाने के बीजों को कैसे तैयार किया जाता है? जानिए यहां- Facts About Makhana मखाने के बीजों (lotus seed) को इकट्ठा करने के लिए सबसे पहले तालाब के अंदर गोता लगाकर या इन्हें बांस के जरिए पानी से बाहर निकाला जाता है, फिर बड़े-बड़े बर्तन में एकत्रित करके उन बीजों को लगातार हिलाते हैं और उसके ऊपर लगी गंदगी की साफ-सफाई करके उन्हें पानी से बार-बार धोया जाता है। फिर उसे चटाई पर सुखाया जाता है। उसके बाद लोहे की बड़ी-बड़ी कई छलनियों की सहायता से उनको साइज के हिसाब से अलग करके स्टोर किया जाता है। आइए अब जानते हैं फूल मखाना कैसे बनता है?-Process of Making मखाने के बीज जब पूरी तरह सूख जाते हैं तब उन्हें फ्राई करके उससे मखाने या फूल मखाना बनाए जाते हैं। इसको बनाने का कार्य उतना भी आसान नहीं है, जितना आप सोच रहे हैं, जी हां... मखाने के बीजों से फूल मखाना तैयार करने के लिए एक तय समय के अंदर ही यह सारा प्रोसेस पूर्ण करना होता है, वरना इनके खराब होने के चांसेस ज्यादा रहते हैं। इसके अलावा इन्हें फ्राई करने के बाद बांस के कंटेनर में स्टोर करते समय एक खास कपड़े से ढंककर रखा जाता है और तापमान सही रखने के लिए कंटेनर के आसपास गोबर का लेप किया जाता है। कुछ घंटों के पश्चात उन्हें पुन: फ्राई करके पहले की प्रक्रिया दोहराई जाती है। अगर एक बार फ्राई करने में ही बीज फट गया तो उसमें से सफेद मखाना बाहर निकलता है। फिर उन्हें लकड़ी के तख्तों पर इकट्ठा किया जाता है। अंतत: कड़ी मेहनत के बाद स्वादिष्ट मखाना तैयार होता है। अब जानते हैं मखाने का सेवन सेहत के लिए क्यों है जरूरी?- Use of Makhana n health benefits मखाने को एक हल्के-फुल्के स्नैक्स के तौर पर शामिल किया जाता हैं, जो कि सूखे मेवों में गिना जाता है। मखाने में कैल्शियम, एंटी-ऑक्सीडेंट, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेड, फैट, मिनरल, फॉस्फोरस के अलावा भी कई पौष्टिक तत्व और आवश्यक गुण पाते हैं। अत: मखाने के सेवन से हम अनिद्रा, तनाव, हार्ट अटैक, मधुमेह, जोड़ों के दर्द, पाचन में गडबड़, झुर्रियां, कब्ज, किडनी आदि रोगों में फायदा देने वाले मखाने का सेवन करना लाभदायी माना जाता है। अत: आप नियमित इसे अपनी डाइट में शामिल करके सेहत के कई लाभ पा सकते हैं। कमल का फूल आप सबने देखा ही होगा, यह फूल न सिर्फ बेहद खूबसूरत होता है, बल्कि औषधीय गुणों से भी भरपूर होता है। कीचड़ में खिलने वाला कमल का फूल हल्के गुलाबी रंग का और बेहद आकर्षक होता है। हिंदू धर्म के अनुसार यह फूल देवी लक्ष्मी का प्रिय है, तभी तो अक्सर गौर किया होगा कि दिवाली के मौके पर देवी लक्ष्मी की पूजा के समय यह फूल अवश्य चढ़ाया जाता है। कमल के फूल को कई अन्य नामों से भी जाना जाता है, जैसे, लोटस, इंडियन लोटस, चाईनीज वाटर लिली, पिंक वाटर लिली, सेक्रेड लोटस, नीलोफर, पंकज, सरोज, पद्म आदि। इसका साइंटिफिक नाम है नीलंबियन न्यूसिफ़ेरा (Nelumbo nucifera)। कमल के फूल, बीज और जड़ आदि का इस्तेमाल आयुर्वेदिक और एलोपैथी दवाइयों में किया जाता है। वैसे तो ज्यादातर कमल के फूल सफेद और हल्के गुलाबी रंग के होते हैं, मगर इसके अलावा नीले, लाल और जामुनी रंग के भी फूल होते हैं। वैसे तो कमल के फूल से लेकर जड़ तक बहुत उपयोगी होते हैं, लेकिन ज्यादातर इसके बीज से दवाईयां बनाई जाती है। ब्लीडिंग रोकने और डायरिया में कमल के फूल के बीजों का इस्तेमाल किया जाता है। Samas in Hindi – Samaas (समास): इस लेख में हम समास और समास के भेदों को उदहारण सहित जानेंगे। समास किसे कहते हैं? सामासिक शब्द किसे कहते हैं? पूर्वपद और उत्तरपद किसे कहते हैं? समास विग्रह कैसे होता है? समास और संधि में क्या अंतर है? समास के कितने भेद हैं? इन सभी प्रश्नों को इस लेख में बहुत ही सरल भाषा में विस्तार पूर्वक बताया गया है।
Related – Learn Hindi Grammar समास की परिभाषा – SAMAS Definitionसमास का तात्पर्य होता है – संक्षिप्तीकरण। इसका शाब्दिक अर्थ होता है – छोटा रूप। अथार्त जब दो या दो से अधिक शब्दों से मिलकर जो नया और छोटा शब्द बनता है उस शब्द को समास कहते हैं। जैसे –
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सामासिक शब्द – Compound wordसमास के नियमों से निर्मित शब्द सामासिक शब्द कहलाता है। इसे समस्तपद भी कहा जाता है। समास होने के बाद विभक्तियों के चिन्ह गायब हो जाते हैं।
पूर्वपद और उत्तरपद – Pre and Post Compoundसमास रचना में दो पद होते हैं, पहले पद को ‘पूर्वपद’कहा जाता है और दूसरे पद को ‘उत्तरपद’कहा जाता है। इन दोनों से जो नया शब्द बनता है वो समस्त पद कहलाता है। राजपुत्र (समस्तपद) – राजा (पूर्वपद) + पुत्र (उत्तरपद) – राजा का पुत्र (समास-विग्रह) समास विग्रह – Compound words in Hindiसामासिक शब्दों के बीच के सम्बन्ध को स्पष्ट करने को समास-विग्रह कहते हैं। विग्रह के बाद सामासिक शब्द गायब हो जाते हैं अथार्त जब समस्त पद के सभी पद अलग-अलग किय जाते हैं, उसे समास-विग्रह कहते हैं। समास और संधि में अंतरसंधि का शाब्दिक अर्थ होता है – मेल। संधि में उच्चारण के नियमों का विशेष महत्व होता है। इसमें दो वर्ण होते हैं, इसमें कहीं पर एक तो कहीं पर दोनों वर्णों में परिवर्तन हो जाता है और कहीं पर तीसरा वर्ण भी आ जाता है। संधि किये हुए शब्दों को तोड़ने की क्रिया विच्छेद कहलाती है। संधि में जिन शब्दों का योग होता है, उनका मूल अर्थ नहीं बदलता। समास के भेद – Distinction of Compoundसमास के मुख्यतः छः भेद माने जाते हैं –
अव्ययीभाव समासजिस समास का पूर्व पद प्रधान हो, और वह अव्यय हो उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं। इसमें अव्यय पद का प्रारूप लिंग, वचन, कारक, में नहीं बदलता है, वो हमेशा एक जैसा रहता है। तत्पुरुष समासजिस समास का उत्तरपद प्रधान हो और पूर्वपद गौण हो उसे तत्पुरुष समास कहते हैं। यह कारक से जुड़ा समास होता है। इसमें ज्ञातव्य-विग्रह में जो कारक प्रकट होता है उसी कारक वाला वो समास होता है। इसे बनाने में दो पदों के बीच कारक चिन्हों का लोप हो जाता है, उसे तत्पुरुष समास कहते हैं। इस समास में साधारणतः प्रथम पद विशेषण और द्वितीय पद विशेष्य होता है। द्वितीय पद, अर्थात बादवाले पद के विशेष्य होने के कारण इस समास में उसकी प्रधानता रहती है। जैसे – इसमें कर्ता और संबोधन कारक को छोड़कर शेष छ: कारक चिन्हों का प्रयोग होता है। जैसे – कर्म कारक, करण कारक, सम्प्रदान कारक, अपादान कारक, सम्बन्ध कारक, अधिकरण कारक इस समास में दूसरा पद प्रधान होता है। कर्म तत्पुरुष – इसमें दो पदों के बीच में कर्मकारक छिपा हुआ होता है। कर्मकारक का चिन्ह ‘को’ होता है। ‘को’को कर्मकारक की विभक्ति भी कहा जाता है। उसे कर्म तत्पुरुष समास कहते हैं। ‘को’के लोप से यह समास बनता है। करण तत्पुरुष – जहाँ पर पहले पद में करण कारक का बोध होता है। इसमें दो पदों के बीच करण कारक छिपा होता है। करण कारक का चिन्ह या विभक्ति ‘के द्वारा’और ‘से’होता है। उसे करण तत्पुरुष कहते हैं। ‘से’और ‘के द्वारा’के लोप से यह समास बनता है। सम्प्रदान तत्पुरुष – इसमें दो पदों के बीच सम्प्रदान कारक छिपा होता है। सम्प्रदान कारक का चिन्ह या विभक्ति ‘के लिए’होती है। उसे सम्प्रदान तत्पुरुष समास कहते हैं। ‘के लिए’ का लोप होने से यह समास बनता है। अपादान तत्पुरुष – इसमें दो पदों के बीच में अपादान कारक छिपा होता है। अपादान कारक का चिन्ह या विभक्ति ‘से अलग’ होता है। उसे अपादान तत्पुरुष समास कहते हैं। ‘से’का लोप होने से यह समास बनता है। सम्बन्ध तत्पुरुष – इसमें दो पदों के बीच में सम्बन्ध कारक छिपा होता है। सम्बन्ध कारक के चिन्ह या विभक्ति ‘का, ‘के, ‘की’होती हैं। उसे सम्बन्ध तत्पुरुष समास कहते हैं। ‘का, ‘के, ‘की’आदि का लोप होने से यह समास बनता है। अधिकरण तत्पुरुष – इसमें दो पदों के बीच अधिकरण कारक छिपा होता है। अधिकरण कारक का चिन्ह या विभक्ति ‘में, ‘पर’होता है। उसे अधिकरण तत्पुरुष समास कहते हैं। ‘में’और ‘पर’का लोप होने से यह समास बनता है।
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तत्पुरुष समास के प्रकार
नञ तत्पुरुष समासइसमें पहला पद निषेधात्मक होता है उसे नञ तत्पुरुष समास कहते हैं। कर्मधारय समासजिस समास का उत्तरपद प्रधान होता है, जिसके लिंग, वचन भी सामान होते हैं। जो समास में विशेषण-विशेष्य और उपमेय-उपमान से मिलकर बनते हैं, उसे कर्मधारय समास कहते हैं। Paragraph writing in Hindi द्विगु समासद्विगु समास में पूर्वपद संख्यावाचक होता है और कभी-कभी उत्तरपद भी संख्यावाचक होता हुआ देखा जा सकता है। इस समास में प्रयुक्त संख्या किसी समूह को दर्शाती है, किसी अर्थ को नहीं। इससे समूह और समाहार का बोध होता है। उसे द्विगु समास कहते हैं।
द्विगु समास के भेद1. समाहारद्विगु समास
समाहारद्विगु समाससमाहार का मतलब होता है समुदाय, इकट्ठा होना, समेटना उसे समाहारद्विगु समास कहते हैं। उत्तरपदप्रधानद्विगु समासइसका दूसरा पद प्रधान रहता है और पहला पद संख्यावाची। इसमें समाहार नहीं जोड़ा जाता। द्वंद्व समासइस समास में दोनों पद ही प्रधान होते हैं इसमें किसी भी पद का गौण नहीं होता है। ये दोनों पद एक-दूसरे पद के विलोम होते हैं लेकिन ये हमेशा नहीं होता है। इसका विग्रह करने पर और, अथवा, या, एवं का प्रयोग होता है उसे द्वंद्व समास कहते हैं। द्वंद्व समास में योजक चिन्ह (-) और ‘या’ का बोध होता है।
द्वंद्व समास के भेद1. इतरेतरद्वंद्व समास
इतरेतरद्वंद्व समासवो द्वंद्व जिसमें और शब्द से भी पद जुड़े होते हैं और अलग अस्तित्व रखते हों उसे इतरेतर द्वंद्व समास कहते हैं। इस समास से जो पद बनते हैं वो हमेशा बहुवचन में प्रयोग होते हैं क्योंकि वे दो या दो से अधिक पदों से मिलकर बने होते हैं।
समाहारद्वंद्व समाससमाहार का अर्थ होता है – समूह। जब द्वंद्व समास के दोनों पद और समुच्चयबोधक से जुड़ा होने पर भी अलग-अलग अस्तिव नहीं रखकर समूह का बोध कराते हैं, तब वह समाहारद्वंद्व समास कहलाता है। इस समास में दो पदों के अलावा तीसरा पद भी छुपा होता है और अपने अर्थ का बोध अप्रत्यक्ष रूप से कराते हैं।
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वैकल्पिक द्वंद्व समासइस द्वंद्व समास में दो पदों के बीच में या, अथवा आदि विकल्पसूचक अव्यय छिपे होते हैं उसे वैकल्पिक द्वंद्व समास कहते हैं। इस समास में ज्यादा से ज्यादा दो विपरीतार्थक शब्दों का योग होता है। बहुब्रीहि समासइस समास में कोई भी पद प्रधान नहीं होता। जब दो पद मिलकर तीसरा पद बनाते हैं तब वह तीसरा पद प्रधान होता है। इसका विग्रह करने पर “वाला, है, जो, जिसका, जिसकी, जिसके, वह”आदि आते हैं, वह बहुब्रीहि समास कहलाता है।
बहुब्रीहि समास के भेद1. समानाधिकरण बहुब्रीहि समास
समानाधिकरण बहुब्रीहि समासइसमें सभी पद कर्ता कारक की विभक्ति के होते हैं लेकिन समस्त पद के द्वारा जो अन्य उक्त होता है, वो कर्म, करण, सम्प्रदान, अपादान, सम्बन्ध, अधिकरण आदि विभक्तियों में भी उक्त हो जाता है उसे समानाधिकरण बहुब्रीहि समास कहते हैं।
व्यधिकरण बहुब्रीहि समाससमानाधिकरण बहुब्रीहि समास में दोनों पद कर्ता कारक की विभक्ति के होते हैं लेकिन यहाँ पहला पद तो कर्ता कारक की विभक्ति का होता है लेकिन बाद वाला पद सम्बन्ध या फिर अधिकरण कारक का होता है, उसे व्यधिकरण बहुब्रीहि समास कहते हैं।
तुल्ययोग बहुब्रीहि समासजिसमें पहला पद ‘सह’ होता है वह तुल्ययोग बहुब्रीहि समास कहलाता है। इसे सहबहुब्रीहि समास भी कहती हैं। सह का अर्थ होता है साथ और समास होने की वजह से सह के स्थान पर केवल स रह जाता है।
व्यतिहार बहुब्रीहि समासजिससे घात या प्रतिघात की सुचना मिले उसे व्यतिहार बहुब्रीहि समास कहते हैं। इस समास में यह प्रतीत होता है की ‘इस चीज से और उस चीज से लड़ाई हुई।
प्रादी बहुब्रीहि समासजिस बहुब्रीहि समास पूर्वपद उपसर्ग हो वह प्रादी बहुब्रीहि समास कहलाता है। कर्मधारय और बहुव्रीहि समास में अंतरइन दोनों समासों में अंतर समझने के लिए इनके विग्रह पर ध्यान देना चाहिए। कर्मधारय समास में एक पद विशेषण या उपमान होता है और दूसरा पद विशेष्य या उपमेय होता है। जैसे – ‘नीलगगन’ में ‘नील’ विशेषण है तथा ‘गगन’ विशेष्य है। इसी तरह ‘चरणकमल’ में ‘चरण’ उपमेय है और ‘कमल’ उपमान है। अतः ये दोनों उदाहरण कर्मधारय समास के है। जैसे – ‘चक्रधर’ चक्र को धारण करता है जो अर्थात ‘श्रीकृष्ण’। नीलकंठ – नीला है जो कंठ – (कर्मधारय) लंबोदर – मोटे पेट वाला – (कर्मधारय) महात्मा – महान है जो आत्मा – (कर्मधारय) कमलनयन – कमल के समान नयन – (कर्मधारय) पीतांबर – पीले हैं जो अंबर (वस्त्र) – (कर्मधारय) द्विगु और बहुव्रीहि समास में अंतरCompound words in hindi – द्विगु समास का पहला पद संख्यावाचक विशेषण होता है और दूसरा पद विशेष्य होता है जबकि बहुव्रीहि समास में समस्त पद ही विशेषण का कार्य करता है। जैसे- पंचवटी – पाँच वटों का समाहार – द्विगु समास। त्रिलोचन – तीन लोचनों का समूह – द्विगु समास। दशानन – दस आननों का समूह – द्विगु समास। Top द्विगु और कर्मधारय में अंतर(i) द्विगु का पहला पद हमेशा संख्यावाचक विशेषण होता है जो दूसरे पद की गिनती बताता है जबकि कर्मधारय का एक पद विशेषण होने पर भी संख्यावाचक कभी नहीं होता है। |