बच्चेदानी में गांठ होने के क्या लक्षण है? - bachchedaanee mein gaanth hone ke kya lakshan hai?

बच्चेदानी में गांठ क्यों होती है: महिलाओं में ये समस्या हार्मोनल असंतुलन, मोटापा, तनाव और जेनेटिकली भी हो सकती है। इसमें शरीर में कई सारे लक्षण आते हैं।

Uterus me ganth ke lakshan: आज के समय में जब महिलाएं अपने करियर पर ज्यादा ध्यान दे रही हैं और उन पर घर की भी अतिरिक्त जिम्मेदारियां हैं, वे अपनी सेहत कई बार ध्यान नहीं दे पातीं। वहीं, उम्र बढ़ने के साथ खराब लाइफस्टाइल और स्ट्रेस हार्मोनल हेल्थ को खराब कर रहा है और कई बीमारियों का कारण बन रहा है। इन्हीं कारणों से महिलाओं में बच्चेदानी में गांठ (Uterine fibroids) की समस्या होती है। इसे गर्भाशय में फाइब्रॉएड की समस्या भी कहते हैं। ये गर्भाशय में लियोमायोमास या मायोमा के कारण होता है। ये जमा होने लगते हैं और गांठ का कारण बनते हैं। ये होने पर शरीर में कई लक्षण नजर आ सकते हैं।

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बच्चेदानी में गांठ होने के लक्षण-Uterine fibroids Symptoms in Hindi

1. पीठ के निचले हिस्से में दर्द-Low Back Pain

पीठ के निचले हिस्से में दर्द कई दूसरे कारणों से होता है लेकिन फाइब्रॉएड यानी कि बच्चेदानी में गांठ की वजह से ये हो सकता है। पीठ के निचले हिस्से की मांसपेशियों और नसों पर दबाव डालते हैं और पीठ दर्द का कारण बनते हैं। गर्भाशय की पिछली सतह पर एक बड़े फाइब्रॉएड यानी गांठ से गर्भाशय की दीवार के भीतर एक छोटे फाइब्रॉएड की तुलना में पीठ दर्दहोने की संभावना ज्यादा होती है। इसलिए बच्चेदानी में गांठ होने से आप पीठ दर्द महसूस कर सकती हैं।

2. मूत्राशय की समस्याएं-Bladder Problems

मूत्राशय यानी कि ब्लैडर की समस्याएं महिलाओं में बच्चेदानी में गांठ से जुड़ी हो सकती है। इसमें महिलाओं को लग सकता है कि उनका ब्लैडर हमेशा भरा-भरा सा है और उन्हें पेशाब करने की जरुरत है। कई बार ब्लैडर भर जाने के बाद भी महिलाएं पेशाब नहीं कर पाती हैं। ये लक्षण फाइब्रॉएड के कारण मूत्राशय पर पड़ने वाले दबाव के कारण हो सकता है। इससे प्रैशर महसूस हो सकता है और मूत्राशय की समस्याएं हो सकती हैं।

3. हर समय पेट भारी-भारी रहना-Bloated stomach

महिलाओं में बच्चेदानी में गांठ के कारण ब्लोटिंग की समस्या बार-बार महसूस हो सकती है। ऐसे में पेट के निचने हिस्से में बार-बार भरा-भरा महसूस हो सकता है क्योंकि गांठ के कारण बच्चेदानी पर प्रेशर महसूस होता है। ऐसे में पेट में दर्द महसूस हो सकता है। साथ ही पेट के निचले के हिस्से में लगातार दर्द महसूस हो सकता है। इसलिए महिलाएं इस लक्षण को नॉर्मल समझ कर नजरअंदाज ना करें।

4. वजाइनल ब्लीडिंग का ज्यादा होना-Heavy Vaginal Bleeding

वजाइनल ब्लीडिंग का ज्यादा होना महिलाओं में बच्चेदानी की गांठ के कारण हो सकता है। साथ ही इस दौरान आपको ज्यादा वजायनल डिस्चार्ज भी महसूस हो सकता है। साथ ही आपको वजाइनल ब्लीडिंग हो सकती है। नतीजतन, कुछ महिलाओं को एनीमिया हो जाता है, जिसे लो ब्लड काउंट भी कहा जाता है। एनीमिया थकान, सिरदर्द और आलस्य पैदा कर सकता है। ये आपकी रोजमर्रा की गतिविधियों में बाधा डालता है। ऐसे में डॉक्टर से बात करें।

5. रेक्टल प्रेशर महसूस करना-Rectal Pressure

रेक्टल प्रेशर, तब होता है जब फाइब्रॉएड यानी कि गांठ बड़ी होती है। ये मलाशय पर दबाव बनाता है और मल त्याग करने में कठिनाई पैदा करता है। साथ ही इस दौरान आप कब्ज की समस्याभी महसूस कर सकते हैं। साथ ही कई बार ये फाइब्रॉएड बवासीर के विकास का कारण बन सकता है।

6. पैल्विक हिस्से में रह-रह कर दर्द महसूस करना-Pelvic Pain

पैल्विक हिस्से में दर्द या गंभीर दर्द महसूस करना बच्चेदानी में गांठ के कारण हो सकता है। यह तब होता है जब फाइब्रॉएड बढ़ रहा होता है। आमतौर पर, दर्द दो से चार सप्ताह के भीतर अपने आप ठीक हो जाता है और फिर हो सकता है। इस प्रकार का दर्द आमतौर पर हल्का होता है लेकिन लगातार हो सकता है। ऐसे में कभी इसे नजरअंदाज ना करें।

7. फर्टिलिटी से जुड़ी समस्याएं-Infertility

बच्चेदानी में गांठ आपकी फर्टिलिटी से जुड़ी हो सकती है। जैसे कि इसमें संबंध बनाने और प्रेगनेंसी में भी समस्या आ सकती है। साथ ही इस दौरान तेज दर्द हो सकता है और आप असहज हो सकती हैं। ऐसी स्थितियों को आपको बिना नजरअंदाज किए अपने डॉक्टर के पास जाना चाहिए। साथ ही यूटरेस का एग्जामिनेशन करवाएं और दिक्कत हो तो इलाज करवाएं।

बहुत सारी महिलाओं को अपने जीवन में कभी न कभी बच्चेदानी में गांठ होती है। ऐसा भी हो सकता है, उन्हें बच्चेदानी में गांठ हुई हो पर इस बात का उन्हें कभी पता नहीं चला। ऐसा इसलिए है क्योंकि बच्चेदानी में गांठ से अक्सर किसी प्रकार का दर्द या कोई लक्षण नहीं दिखाई देते हैं।

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तो फिर यदि आपको बच्चेदानी में गांठ हो जाती है और कोई साइड इफेक्ट्स भी नहीं होते हैं, तो आपको यह कैसे पता चलेगा कि आपको गांठ हुई है या नहीं? और आपको इसके लिए चिंतित होना चाहिए या नहीं? इस लेख में आपके इन्हीं सवालों का जवाब देने की कोशिश की गयी है।

चूंकि जैसे-जैसे महिलाओं की उम्र बढ़ती है, उनको बच्चेदानी में गांठ होने की आशंका अधिक होती जाती है, खासतौर से 30 वें और 40 वें दशक से रजोनिवृत्ति तक यह आशंका अधिक रहती है। अधिकांश महिलाओं में या तो हल्के या कोई लक्षण नहीं दिखते हैं। लेकिन गांठ दर्द, खून बहने और अन्य समस्याओं का कारण बन सकती है।

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आपकी डॉक्टर स्त्री रोग संबंधी परीक्षण के दौरान या इमेजिंग परीक्षण का उपयोग करके बच्चेदानी में गांठ का पता लगा सकती हैं। इसका उपचार सर्जरी से या फिर ऐसी दवाओं से किया जा सकता है, जो इसके विकास को धीमा करती है या रोक देती है।

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यदि आपको कोई लक्षण नहीं दिखते हैं, तो हो सकता है आपको उपचार की भी आवश्यकता न हो। बच्चेदानी में गांठ वाली कई महिलाएं स्वाभाविक रूप से गर्भवती हो सकती हैं। जो महिलाएं ऐसा नहीं कर सकती हैं, उनको बांझपन का उपचार करवाने से मदद मिल सकती है।

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इस लेख में बच्चेदानी में गांठ का मतलब तथा बच्चेदानी में गांठ के लक्षण, कारण और इलाज के बारे में विस्तार से बताया गया है।

बच्चेदानी में गांठ होने से क्या दिक्कत होती है?

गर्भाशय फाइब्रॉइड (गर्भाषय में गांठ) के लक्षण-  मासिक धर्म के समय दर्द की लहर चलना।  यौन सम्बन्ध बनाते समय दर्द होना।  मासिक धर्म का सामान्य से अधिक दिनों तक चलना।  नाभि के नीचे पेट में दबाव या भारीपन महसूस होना

गर्भाशय में गांठ होने से क्या होता है?

गर्भाशय में गांठ से बांझपन का खतरा गर्भाशय में गांठ की वजह से अंडाण और शुक्राणु का निषेचन नहीं होने के कारण बांझपन की समस्या हो जाती है। आनुवांशिक रूप से होने वाला मोटापा भी इसका एक कारण है।

बच्चेदानी की गांठ के क्या लक्षण होते हैं?

बच्चेदानी में गांठ के लक्षण (Uterine fibroids Symptoms).
मासिक धर्म में भारी रक्तस्राव.
मासिक धर्म एक सप्ताह से अधिक समय तक चलने वाला.
पैल्विक दबाव या दर्द.
जल्दी पेशाब आना.
मूत्राशय खाली करने में कठिनाई.
पीठ दर्द या पैर दर्द.

बच्चेदानी में गांठ पड़ जाए तो क्या करना चाहिए?

बच्चेदानी में गांठ का इलाज के लिए हिस्टरेक्टॉमी की जा सकती है। इसमें गर्भाशय के एक विशेष हिस्से या पूरे गर्भाशय को हटाया जा सकता है।