कबीर ने संसार को बताया वह क्यों कहा है? - kabeer ne sansaar ko bataaya vah kyon kaha hai?

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कबीर ने संसार को सेमल के फूल के समान इसलिए बताया क्योंकि सेमल का फूल जो अंदर से तो निराश होता है और बाहर से झलकता है जिसे पक्षी पर धोखा ही मिलता है यह संसार ठीकरी सेमर के फूल के समान है

kabir ne sansar ko semal ke fool ke saman isliye bataya kyonki semal ka fool jo andar se toh nirash hota hai aur bahar se jhalkata hai jise pakshi par dhokha hi milta hai yah sansar thikari semar ke fool ke saman hai

कबीर ने संसार को सेमल के फूल के समान इसलिए बताया क्योंकि सेमल का फूल जो अंदर से तो निराश ह

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कबीर ने संसार को बताया वह क्यों कहा है? - kabeer ne sansaar ko bataaya vah kyon kaha hai?
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कबीर ने संसार को बताया वह क्यों कहा है? - kabeer ne sansaar ko bataaya vah kyon kaha hai?

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Answer:  कबीर के अनुसार लोग झूठी बातें और बाह्य आडम्बर पर विश्वास के कारण सत्य और असत्य का फर्क नहीं समझ पाते और वर्षों से जो उनके दिमाग में बाह्य आडम्बर ने घर बना रखा है उसके कारन यदि कोई उन्हें सच कहता या बताता है तो वो उनको मरने दौड़ते हैं इसलिए कबीर जी कहते हैं संसार पागल है या बौरा गया है |

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कबीर ने संसार को बताया वह क्यों कहा है? - kabeer ne sansaar ko bataaya vah kyon kaha hai?

NCERT Class 11 Hindi Core Chapter wise Solutions

Aroh Poem

  1. Kabir
  2. Meera
  3. पथिक
  4. Sumitranandan Pant
  5. Bhawani Prasad Mishra
  6. Trilochan
  7. Dushyant Kumar
  8. Akka Mahadevi
  9. Avtar Singh Pash
  10. Nirmala Putul

Aroh

  1. Premchand
  2. Krishna Sobti
  3. Satyajit Ray
  4. Balmukund
  5. Shekhar Joshi
  6. Krishnanath
  7. Manu Bhandari
  8. Krishan Chander
  9. Jawaharlal Nehru
  10. Syed Raza Haider

Vitan

  1. Lata Mangeshkar
  2. Rajasthan Ki Rajat Bunde
  3. Alo Aandhari

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1. कबीर की दृष्टि में ईश्वर एक है। इसके समर्थन में उन्होंने क्या तर्क दिए हैं?
उत्तर:- कबीर की दृष्टि में ईश्वर एक है। इसके समर्थन में उन्होंने निम्न तर्क दिए हैं –
• कबीर के अनुसार जिस प्रकार विश्व में एक ही वायु और जल है, उसी प्रकार संपूर्ण संसार में एक ही परम ज्योति व्याप्त है।
• सभी मानव एक ही मिट्टी से अर्थात् ब्रम्ह द्वारा निर्मित हैं।
• परमात्मा लकड़ी में अग्नि की तरह व्याप्त रहता है।
• एक ही मिट्टी से सब बर्तन अर्थात् सभी जीवों का निर्माण हुआ है।


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2. मानव शरीर का निर्माण किन पंच तत्वों से हुआ है?

उत्तर:- मानव शरीर का निर्माण अग्नि, वायु, जल, भू और आकाश पंच तत्वों से हुआ है।


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3. जैसे बाढ़ी काष्ट ही काटै अगिनि न काटै कोई।
सब घटि अंतरि तूँही व्यापक धरै सरूपै सोई।।
इसके आधार पर बताइए कि कबीर की दृष्टि में ईश्वर का क्या स्वरूप है?

उत्तर:- कबीर की दृष्टि में ईश्वर का स्वरूप अविनाशी है। कबीर दास के कहने का तात्पर्य यह है कि जिस प्रकार लकड़ी में अग्नि निवास करती है ठीक उसी प्रकार परमात्मा सभी जीवों के ह्रदय में आत्मा स्वरुप में व्याप्त है। ईश्वर सर्वव्यापक, अजर-अमर और अविनाशी है। बढ़ई लकड़ी को चीर सकता है परंतु उस लकड़ी में निहित आग को नष्ट नहीं कर सकता। वैसे ही मनुष्य का शरीर भले नश्वर है परंतु शरीर में व्याप्त आत्मा अर्थात् परमात्मा अमर है।


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4. कबीर ने अपने को दीवाना क्यों कहा है?

उत्तर:- कबीर अपने आप को दीवाना कहता है क्योंकि उनके अनुसार ईश्वर निर्गुण, निराकार, अजय-अमर और अविनाशी है और उन्होंने ने इस परमात्मा का आत्म साक्षात्कार कर लिया है अब वे राग-द्वेष, अंहकार और मोह-माया से दूर होकर निर्भय हो चुके हैं अत: ईश्वर के सच्चे भक्त होने के कारण दीवाने हैं।


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5. कबीर ने ऐसा क्यों कहा है कि संसार बौरा गया है?

उत्तर:- कबीरदास इस संसार को बौराया हुआ अर्थात् पागलपन की स्थिति तक पहुँचा हुआ बताते हैं। उनका ऐसा मानना इसलिए है क्योंकि संसार के लोग झूठी बातों पर तो विश्वास कर लेते हैं और सच कहने पर मारने के लिए दौड़ते है ऐसे लोगों को सत्य और असत्य का ज्ञान नहीं है। कबीरदास जी के कहने का तात्पर्य यह है कि संसार के लोग बाह्य आडंबरों में उलझे रहते हैं और ईश्वर के सच्चे स्वरुप को नहीं पहचानते।


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6. कबीर ने नियम और धर्म का पालन करने वाले लोगों की किन कमियों की ओर संकेत किया है?

उत्तर:- कबीर ने नियम और धर्म का पालन करने वाले लोगों की सबसे बड़ी कमी ईश्वर-तत्व से कोसों दूर रहने को माना है। ऐसे लोग बाह्य आडंबर जैसे पत्थर पूजा, तीर्थ-व्रत करना, नमाज पढ़ना, छापा-तिलक लगाना आदि में उलझे रहते हैं और सच्चे धर्म और वास्तविकता से कोसों दूर रहते हैं।


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7. अज्ञानी गुरुओं की शरण में जाने पर शिष्यों की क्या गति होती है?

उत्तर:- अज्ञानी गुरु माया, अंहकार, धार्मिक पाखंडों और बाह्य आडंबर में विश्वास रखते हैं और इसी प्रकार की शिक्षा वे अपने शिष्यों को देते हैं इस कारण ऐसे गुरुओं की शरण में जाने से शिष्य सही ज्ञान नहीं प्राप्त कर पाते और अंधकार की गर्त में डूब जाते हैं।


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8. बाह्याडंबरों की अपेक्षा स्वयं (आत्म) को पहचानने की बात किन पंक्तियों में कही गई है? उन्हें अपने शब्दों में लिखें।

उत्तर:- बाह्याडंबरों की अपेक्षा स्वयं (आत्म) को पहचानने की बात निम्न पंक्तियों में कही गई है –
टोपी पहिरे माला पहिरे, छाप तिलक अनुमाना।
साखी सब्दहि गावत भूले, आतम खबरि न जाना।।
इन पक्तियों का आशय यह है कि हिन्दू और मुसलमान दोनों धर्मों के लोग बाह्य आडंबर में उलझे रहते हैं। कोई टोपी पहनता है, तो कोई तिलक लगाता है और अपने-अपने अंहकार का प्रदर्शन करते हैं। वे साखी-सबद आदि गाकर अपने आत्म स्वरुप को ही भूल जाते है।

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कबीर ने संसार को बताया वह क्यों कहा है? - kabeer ne sansaar ko bataaya vah kyon kaha hai?

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कबीर ने संसार को बोला हुआ क्यों कहा है?

कबीर ने ऐसा क्यों कहा है कि संसार बौरा गया है? उत्तर:- कबीरदास इस संसार को बौराया हुआ अर्थात् पागलपन की स्थिति तक पहुँचा हुआ बताते हैं। उनका ऐसा मानना इसलिए है क्योंकि संसार के लोग झूठी बातों पर तो विश्वास कर लेते हैं और सच कहने पर मारने के लिए दौड़ते है ऐसे लोगों को सत्य और असत्य का ज्ञान नहीं है

कबीर जी ने संसार को बताया है?

कबीर ने संसार को श्वान रूपी कहा है क्योंकि जिस तरह हाथी को जाता हुआ देखकर कुत्ते अकारण भौंकते हैं उसी तरह ज्ञान पाने की साधना में लगे लोगों को देखकर सांसारिकता में फँसे लोग तरह-तरह की बातें बनाने लगते हैं। वे ज्ञान के साधक को लक्ष्य से भटकाना चाहते हैं।

कबीर संसार को पागल क्यों कहा है?

कबीर ने जग को पागल क्यों कहा है? कबीर जग को पागल इसलिए कहते हैं कि यदि सच कहते है तो यह संसार मारने के लिए दौड़ता है और झूठ कहते है तो विश्वास कर लेता है।

कबीर ने अपने को दीवाना क्यों कहा है कबीर ने ऐसा क्यों कहा है कि संसार बौरा गया है?

Solution : कबीरदास इस संसार को बौराया हुआ अर्थात पागलपन की स्थिति तक पह्या ह आ बताते <br> हैं। उनका ऐसा मानना इसलिए है क्योंकि संसार के लोग झूठी बातों पर तो विश्वास कर <br> लेते हैं और सच कहने पर मारने के लिए दौड़ते है ऐसे लोगों को सत्य और असत्य का <br> ज्ञान नहीं है।