इंद्र के इंद्रजाल से क्या तात्पर्य है? - indr ke indrajaal se kya taatpary hai?

2 Marks Questions

1.    इसकवितामेंमानवीकरणअलंकारका प्रयोगकिसप्रकारकियागयाहै?

2.    हैटूट पडाभूपरअंबरकाआशयस्पष्टकीजिए।

3.    कविनेपर्वतोंकावर्णनकिसप्रकारकियाहै?

4.    कविनेपावसकेदृश्योंकोइंद्रजालक्योंकहाहै?

5.    शालकेवृक्षभयभीतहोकरधरतीमेंक्यों धँसगए?

6.    झरनेकिसकेगौरवकागानकर रहेहैं ? बहतेहुएझरनेकीतुलनाकिससेकीगई है

7.    कविनेतालाबकीसमानताकिसकेसाथ दिखाईहैऔरक्यों?  

8.    सहस्रदृगसुमनसेक्यातात्पर्यहैं? कविनेइसपदकाप्रयोगकिसकेलिएकियाहोगा?

9.    पर्वतकेहृदयसे उठकरऊँचे-ऊँचेवृक्षआकाशकीओरक्योंदेखरहेथेऔरवेकिसबातकोप्रतिबिंबितकरतेहैं?

2 Marks Answers

1.   पंतजीनेपर्वतप्रदेशमेंपावसकवितामें मानवीकरणअलंकारकाअद्वितीयप्रयोगकियाहै।पर्वतोंद्वारा अपनीसुमनरूपीआँखोंद्वारातालाबमेंअपनाप्रतिबिंबदेखना, झरनोंद्वारापर्वतोंकीरग-रगमेंघमंडभरना, उनके द्वारापर्वतोंकागौरव-गानकरना, वृक्षोंद्वाराउच्चाकांक्षासे औरअपलक, चिंतातुरहोकरआकाशकीओरदेखना, बादलोंका पंखफडफडाकरउड़जाना, इंद्रकाबादलोंरूपीयानमें बैठकरजादुईखेलदिखानाआदिस्थलोंपरमानवीकरणका अद्भुतप्रयोगकियागयाहै।

2.   जबमूसलाधारवर्षा होनेलगतीहैऔरविशालाकारपर्वतबादलोंमेंछिप जातेहैं, पर्वतअदृश्यहोजाताहैतबऐसालगताहैमानोआकाशधरतीपरटूटपडाहो।धरतीऔर आकाशएकाकारहोजातेहै।

3.   कविनेपर्वतोंकोमेखलाकारबतायाहै।पर्वतअत्यंतविशालआकारकेऔरअत्यंत ऊँचेहैं।उनपरसहस्रोंफूलखिलेहैंमानोवे पर्वतोंकेअसंख्यनेत्रहैं।पर्वतोंकीतलहटीमेंदर्पण केसमानस्वच्छतालाबहैजिसमेंपर्वतअपनाप्रतिबिम्ब देखरहाहै।औरपर्वतोंसेनिकलनेवालेझरनेऐसे प्रतीतहोतेहैंमानोवेपर्वतोंकागौरवगानकर रहेहों।

4.   वर्षाऋतुमेंप्रकृतिपल-पलअपना रूपइतनीशीघ्रतासेपरिवर्तितकरतीहैकियहसब जादुईसाप्रतीतहोताहै।ऊँचे-ऊँचेपर्वतअचानकधुंध मेंछिपजातेहैं, झरनेलुप्तहोजातेहैं, शाल केवृक्षधरतीमेंधँसजातेहैं, औरधुंधमें तालाबऐसेलगतेहैंमानोतालाबमेंआगलगगई हो।येसभीदृश्यइंद्रजालअर्थातमायावीसेलगतेहैं।इसीलिएकविनेइन्हेंइंद्रजालकहाहै।

5.   जबधरती परआकाशटूटपडाअर्थात्बादलपृथ्वीपरझुकगए औरचारोंओरधुंधछा  गईतोशालकेवृक्षअदृश्यहोगएजिससेऐसाप्रतीतहोताहैकिमानो शालकेवृक्षडरकरपृथ्वीमेंछिपगएहैं।

6.   झरने विशालकाय पर्वतों के गौरव का गान कर रहे हैं। बहते हुए झाग भरे हुए झरने की तुलना मोतियों की लडि़यों की सुंदरता से की गई है।

7.   कविनेतालाबकीसमानता दर्पणकेसाथदिखाईहैक्योंकिजिसप्रकारदर्पण मेंप्रतिबिंबदिखताहैउसीप्रकारतालाबमेंपर्वत काप्रतिबिंबदिखरहाहैइसलिएवहकविकोदर्पण केसमानप्रतीतहोताहै।

8.   सहस्रदृगसुमनकातात्पर्यसहस्रोंसुमनरूपीनेत्रहैंअर्थातपर्वतों कामानवीकरणकरपुष्पोंपरसहस्रोंपुष्पखिलेहुए हैंजोपर्वतकीआँखोंकेसमानप्रतीतहोतेहैं। कविपर्वतोंकामानवीकरणकरपुष्पोंकेसौन्दर्यका वर्णनकरनाचाहताहोगाइसलिएउसनेइसपदकाप्रयोग कियाहोगा।

9.   पर्वतकेदयसेउठकर ऊँचे-ऊँचेवृक्षआकाशकीओरइसलिएदेखरहेहैंक्योंकिवेआकाशसेप्रतिस्पर्धाकरउसकोछूनेकाप्रयास कररहेहैं।यहपर्वतोंकेह्रदयमेंउठनेवाली महत्त्वाकांक्षाओंकाप्रतीकहै।पर्वतोंकीमहत्त्वाकांक्षाओंनेही ऊँचेवृक्षकारूपलेलियाहै।