कुब्जा के कारण राधा और नीलकंठ के जीवन पर क्या असर पड़ा? - kubja ke kaaran raadha aur neelakanth ke jeevan par kya asar pada?

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 15 नीलकंठ Textbook Exercise Questions and Answers.

RBSE Class 7 Hindi Solutions Vasant Chapter 15 नीलकंठ

RBSE Class 7 Hindi नीलकंठ Textbook Questions and Answers

निबंध से - 

प्रश्न 1. 
मोर-मोरनी के नाम किस आधार पर रखे गए? 
उत्तर : 
नीली गर्दन होने के कारण मोर का नाम नीलकंठ और मोरनी हमेशा छाया के समान उसके साथ-साथ लगी। रहती थी इस कारण उसका नाम राधा रखा गया था। 

प्रश्न 2. 
जाली के बड़े घर में पहुँचने पर मोर के बच्चों का किस प्रकार स्वागत हुआ? 
उत्तर : 
मोर के बच्चों का जाली के बड़े घर पहुँचने पर उसी प्रकार स्वागत हुआ जैसे नववधू का स्वागत परिवार में हुआ करता है। लक्का कबूतर नाचना छोड़कर उनके चारों ओर घूमकर गुटरगूं-गुटरगूं करने लगा। खरगोश उनका निरीक्षण करने लगा तथा तोता एक आँख बन्द करके मोर के बच्चों का परीक्षण करने लगा। 

कुब्जा के कारण राधा और नीलकंठ के जीवन पर क्या असर पड़ा? - kubja ke kaaran raadha aur neelakanth ke jeevan par kya asar pada?

प्रश्न 3. 
लेखिका को नीलकंठ की कौन-कौनसी चेष्टाएँ बहुत भाती थीं? 
उत्तर : 
लेखिका को नीलकंठ की निम्नलिखित चेष्टाएँ बहुत भाती थीं - 

  1. उसका ऊँची गर्दन करके देखना और विशेष भंगिमा के साथ गर्दन नीची करके दाना चुगना। 
  2. हथेली पर रखे हुए भुने चने कोमलता से धीरे-धीरे उठा कर खाना और गर्दन को टेढ़ी करके शब्द सुनना। 
  3. मेध-गर्जना होने पर उसका इन्द्रधनुष के गुच्छे जैसे पंखों को मंडलाकर बनाकर तन्मय होकर नृत्य करना। 
  4. लेखिका के सामने सतरंगी मंडलाकार छाता तानकर नृत्य की भंगिमा में खड़ा हो जाना। 

प्रश्न 4. 
'इस आनंदोत्सव की रागिनी में बेमेल स्वर कैसे बज उठा' वाक्य किस घटना की ओर संकेत कर रहा है?
उत्तर : 
यह वाक्य उस घटना की ओर संकेत कर रहा है, जब लेखिका चिड़िया बेचने वाले बड़े मियाँ से एक और घायल मोरनी सात रुपये में खरीद कर लायी थी और उसकी देखभाल करने पर वह ठीक हो गयी थी। लेखिका ने उस मोरनी का नाम कुब्जा रखा था। वह स्वभाव से मेल-मिलाप वाली न होने के कारण राधा और नीलकंठ का साथ न देख सकती थी। उसने राधा और नीलकंठ के जीवन को कलहपूर्ण बना दिया था, जिसका अंत नीलकंठ के मरने के बाद ही हुआ था। 

प्रश्न 5. 
वसंत ऋतु में नीलकंठ के लिए जाली घर में बंद रहना असहनीय क्यों हो जाता था? 
उत्तर : 
नीलकंठ को फलों के वृक्षों की अपेक्षा पुष्पित और पल्लवित वृक्ष ज्यादा अच्छे लगते थे। वसंत ऋतु में जब आम के वृक्षों पर सुनहरी मंजरियाँ लद जाती थीं और अशोक वृक्ष लाल रंग वाले फूलों से भर उठता था तब नीलकंठ के लिए जाली घर में रहना मुश्किल हो जाता था। इसलिए वह बार-बार जाली घर से बाहर निकलने का प्रयत्न करता था और लेखिका उसे बाहर छोड़ देती थी। 

प्रश्न 6. 
जाली घर में रहने वाले सभी जीव एक-दूसरे के मित्र बन गये थे, पर कुब्जा के साथ ऐसा संभव क्यों नहीं हो पाया? 
उत्तर : 
कुब्जा मोरनी का स्वभाव दूसरे जीव-जन्तुओं से अलग था। इसीलिए वह राधा और नीलकंठ के साथ रहने से ईर्ष्या करती थी। इसके साथ ही वह जीव-जन्तुओं से भी झगड़ा करती थी। यही कारण था कि वह किसी की मित्र न बन सकी। 

कुब्जा के कारण राधा और नीलकंठ के जीवन पर क्या असर पड़ा? - kubja ke kaaran raadha aur neelakanth ke jeevan par kya asar pada?

प्रश्न 7. 
नीलकंठ ने खरगोश के बच्चे को साँप से किस तरह बचाया? इस घटना के आधार पर नीलकंठ के स्वभाव की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए। 
उत्तर : 
एक बार जाली घर में एक साँप घुस आया। उसे देखकर जाली घर के सभी जीव-जन्तु भयभीत होकर इधर-उधर भागने लगे। एक खरगोश का नन्हा बच्चा साँप की पकड़ में आ गया। साँप ने उसे निगलना चाहा और उसका आधा पिछला शरीर मुँह में दबा लिया जिससे खरगोश के बच्चे के मुँह से धीमे से चीख निकली। यह सुनकर झूले पर बैठा नीलकंठ नीचे साँप के पास आया और उसने अपनी चोंच से उस पर इतने प्रहार किए कि वह अधमरा हो गया। फन की पकड़ ढीली होते ही खरगोश का बच्चा मुख से निकल गया। इस प्रकार नीलकंठ ने खरगोश के बच्चे को साँप से बचाया। इस घटना के आधार पर नीलकंठ के स्वभाव की निम्नलिखित विशेषताएँ उभरकर आती हैं - 

(i) दयालु और सतर्क - नीलकंठ दयालु और सतर्क था। उसने झले से खरगोश-शावक की धीमी चीख सुनी और झूले से तुरन्त नीचे आकर बड़ी सतर्कता के साथ खरगोश शावक को साँप के चंगुल से मुक्त कराया। इससे स्पष्ट होता है कि नीलकंठ दयालु स्वभाव से पूरित और सतर्क था। 
(ii) मेल-मिलाप वाला - नीलकंठ मेल-मिलाप वाला पक्षी था। वह जाली घर में रहने वाले सभी जीव-जन्तुओं के साथ मेल-जोल बनाकर रहता था। 
(iii) कुशल संरक्षक - नीलकंठ जाली घर में रहने वाले सभी जीव-जन्तुओं को अपना संरक्षण प्रदान करता था। इसीलिए। उसने खरगोश के शावक को मृत्यु के मुँह से बचाया था। 

निबन्ध से आगे -

प्रश्न 1. 
यह पाठ एक 'रेखाचित्र' है। रेखाचित्र की क्याक्या विशेषताएँ होती हैं? जानकारी प्राप्त कीजिए और लेखिका के लिखे गये किसी अन्य रेखाचित्र को पढ़िए।
उत्तर : 
रेखाचित्र को अंग्रेजी में स्केच कहते हैं। साहित्य का। वह रूप, जिसमें किसी वस्तु, व्यक्ति, घटना अथवा भाव के भीतरी-बाहरी रूप का इस प्रकार वर्णन किया जावे कि उस वस्तु का एक चित्र-सा निर्मित हो जावे, उसे रेखाचित्र कहते अर्थात् नपे-तुले शब्दरूपी रेखाओं के द्वारा किसी वस्तु या व्यक्ति का मर्मस्पर्शी, भावपूर्ण और संजीव चित्रण रेखाचित्र की प्रमुख विशेषता होती है। महादेवी वर्मा द्वारा लिखित 'अतीत के चलचित्र' और 'स्मृति की रेखाएँ' संग्रह में अनेक रेखाचित्र हैं। पुस्तकालय से ये किताबें लेकर कोई भी रेखाचित्र पदिए।

प्रश्न 2. 
वर्षा ऋतु में जब आकाश में बादल घिर जाते हैं, तब मोर पंख फैलाकर धीरे-धीरे मचलने लगता है-यह मोहक दृश्य देखने का प्रयास कीजिए। 
उत्तर : 
छात्र वर्षा ऋतु आने पर- ऐसा प्रयास करें। 

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प्रश्न 3.
पुस्तकालय से ऐसी कहानियों, कविताओं या गीतों को खोजकर पढ़िए जो वर्षा ऋतु और मोर के नाचने से सम्बन्धित हों।
उत्तर : 
शिक्षक की सहायता लेकर छात्र स्वयं प्रयास करें।

अनुमान और कल्पना - 

प्रश्न 1. 
निबंध में आपने ये पंक्तियाँ पढ़ी हैं-'मैं अपने शाल में लपेटकर उसे संगम ले गई। जब गंगा की बीच धार में उसे प्रवाहित किया गया तब उसके पंखों की चंद्रिकाओं से बिंबित-प्रतिबिंबित होकर गंगा का चौड़ा पाट एक विशाल मयूर के समान तरंगित हो उठा।'-इन पंक्तियों में एक भावचित्र है। इसके आधार पर कल्पना कीजिए और लिखिए कि मोरपंख की चंद्रिका और गंगा की लहरों में क्या-क्या समानताएँ लेखिका ने देखी होंगी जिसके कारण गंगा का चौड़ा पाट एक विशाल मयूर पंख के समान तरंगित हो उठा। 
उत्तर : 
संगम तट पर गंगा और यमुना के जल में प्रात:काल उदित होते सूर्य की रश्मियों का सतरंगी प्रकाश जब दिखाई देता है तो पूरा जल सिंदूरी हो उठता है। वह अत्यन्त मनमोहक होता है। ठीक उसी प्रकार लेखिका को नीलकंठ की चंद्रिकाओं के गंगाजल में प्रवाहित करते समय आभास हुआ होगा। 

प्रश्न 2. 
नीलकंठ की नृत्य-भगिमा का शब्दचित्र प्रस्तुत करें।
उत्तर : 
मेघों की साँवली छाया में नीलकंठ अपने इंद्रधनुष के गुच्छे जैसे पंखों को मंडलाकार बनाकर नाचता था। मेघ गर्जन के साथ ही उसका नृत्य शुरू होता था। जैसे-जैसे बूंदों की तीव्रता बढ़ती जाती थी, वैसे-वैसे ही उसके नृत्य का वेग भी बढ़ जाता था। इस समय उसकी नृत्य-भंगिमा अत्यन्त मनोहर लगती थी। 

भाषा की बात - 

प्रश्न 1.
'रूप' शब्द से कुरूप, स्वरूप, बहुरूप आदि शब्द बनते हैं। इसी प्रकार नीचे लिखे शब्दों से अन्य शब्द बनाओ
गंध, रंग, फल, ज्ञान 
उत्तर :  

  • गंध -  सुगन्ध, दुर्गंध, गंधहीन, गंधरहित।
  • रंग - बदरंग, नवरंग, रंगीन, नौरंग, रंगीला। 
  • फल - सफल, निष्फल, फलाहार, फलहीन, फलदार।
  • ज्ञान - अज्ञान, विज्ञान, संज्ञान, ज्ञानवान्। 

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प्रश्न 2. 
विस्मयाभिभूत शब्द विस्मय और अभिभूत दो शब्दों के योग से बना है। इसमें विस्मय के य के साथ अभिभूत के अ के मिलने से या हो गया है। अ आदि वर्ण हैं। ये सभी वर्ण-ध्वनियों में व्याप्त हैं। व्यंजन वर्गों में इसके योग को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है, जैसे - क् + अ = क इत्यादि। अ की मात्रा के चिह्न (ा) से आप परिचित हैं। अकी भाँति किसी शब्द में आ के भी जड़ने से अकार की मात्रा ही लगती है, जैसे-मंडल + आकार - 1 मंडलाकार। मंडल और आकार की संधि करने पर (जोड़ने पर) मंडलाकार शब्द बनता है और मंडलाकार शब्द का विग्रह करने पर (तोड़ने पर) मंडल और आकार दोनों अलग होते हैं। आगे दिए गए शब्दों के संधि-विग्रह कीजिए - 

संधि            विग्रह 
नील + आभ = ................. सिंहासन = ................
नव + आगंतुक = ............. मेघाच्छन्न = .................
उत्तर : 
सन्धि
नील + आभ = नीलाभ 
नव + आगंतुक = नवागंतुक 

विग्रह : 
सिंहासन = सिंह + आसन 
मेघाच्छन्न = मेघ + आच्छन्न।

RBSE Class 7 Hindi नीलकंठ Important Questions and Answers

प्रश्न 1. 
लेखिका ने बड़े मियाँ से पूछा था - 
(क) मासूम चिड़ियों के बारे में 
(ख) मोर के बच्चों के बारे में 
(ग) तीतरों के बारे में 
(घ) मोर के जोड़े के बारे में। 
उत्तर : 
(ख) मोर के बच्चों के बारे में 

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प्रश्न 2. 
चिड़ीमार ने बड़े मियाँ से मोर के जोड़े के नकद रुपये लिए थे - 
(क) बीस
(ख) चालीस 
(ग) पैंतीस
(घ) पच्चीस। 
उत्तर : 
(ग) पैंतीस

प्रश्न 3. 
ऊन के गोले जैसे लग रहे थे - 
(क) लक्का कबूतर 
(ख) खरगोश 
(ग) मोर
(घ) चिड़िया। 
उत्तर : 
(ख) खरगोश 

प्रश्न 4. 
नीलकंठ सभी जीव-जन्तुओं का बन गया था - 
(क) सेनापति 
(ख) संरक्षक 
(ग) सेनापति और संरक्षक 
(घ) नेता।
उत्तर : 
(ग) सेनापति और संरक्षक 

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प्रश्न 5. 
लेखिका ने मृत नीलकंठ को प्रवाहित किया था - 
(क) संगम के किनारे 
(ख) गंगा के किनारे 
(ग) यमुना की धारा में 
(घ) गंगा की बीच धार में। 
उत्तर : 
(घ) गंगा की बीच धार में। 

रिक्त स्थानों की पूर्ति - 

प्रश्न 6. 
नीचे लिखे रिक्त स्थानों की पूर्ति कोष्ठक में दिए गये सही शब्दों से कीजिए - 
(क) मेरे ................... के साथ-साथ बड़े मियाँ की भाषण-मेल चली जा रही थी। (निरीक्षण/परीक्षण)
(ख) उन दोनों पक्षियों के प्रति मेरे व्यवहार और ................. में कुछ विशेषता आ गई। (यत्न/प्रयल) 
(ग) बड़े खरगोश सभ्य सभासदों के समान क्रम से बैठकर ................. भाव से उनका निरीक्षण करने लगे। (गंभीर/सहज) 
(घ) पंखों का ................... मंडलाकार छाता तानकर नृत्य की भंगिमा में खड़ा हो गया। (बहुरंगी/सतरंगी) 
उत्तर :  
(क) निरीक्षण 
(ख) यत्न 
(ग) गंभीर 
(घ) सतरंगी।

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न - 

प्रश्न 7. 
लेखिका ने घर ले जाकर उन मोर-शावकों को सबसे पहले कहाँ रखा था? 
उत्तर : 
लेखिका ने घर ले जाकर उन मोर-शावकों को सबसे पहले अपने पढ़ने-लिखने के कमरे में रखा था। 

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प्रश्न 8. 
मोर के सिर की कलंगी कैसी थी? 
उत्तर : 
मोर के सिर की कलंगी सघन, ऊँची तथा चमकीली थी। 

प्रश्न 9. 
'रंग रहित पैरों को गरवीली गति ने एक नयी गरिमा से रंजित कर दिया। इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर : 
इस पंक्ति का आशय यह है कि नीलकंठ की गरवीली चाल उसके रंग रहित पैरों को नया रूप प्रदान कर रही थी। 

प्रश्न 10.
नीलकंठ खरगोश के बच्चों को कैसे और क्यों दंडित करता था? 
उत्तर : 
नीलकंठ खरगोश के बच्चों को उनके कान चोंच से पकड़कर उसकी बात न मानने पर दंडित करता था। 

प्रश्न 11. 
कुब्जा राधा से शत्रुता का भाव क्यों रखती थी? 
उत्तर : 
कुब्जा राधा को नीलकंठ के साथ रहते देख कर खुश नहीं रहती थी इसलिए वह राधा से शत्रुता का भाव रखती थी। 

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प्रश्न 12. 
नीलकंठ को परफैक्ट जेंटिलमैन की उपाधि किसने दी थी? 
उत्तर : 
नीलकंठ को परफैक्ट जेंटिलमैन की उपाधि लेखिका के घर आए विदेशी मेहमान महिलाओं ने दी थी। 

प्रश्न 13. 
जालीघर में साँप ने किसे निगलने का प्रयास किया? 
उत्तर : 
जालीघर में साँप ने खरगोश के शावक को निगलने का प्रयास किया। 

प्रश्न 14. 
कुब्जा मोरनी राधा के साथ कैसा व्यवहार करती थी? 
उत्तर : 
कुब्जा मोरनी राधा के साथ ईर्ष्या एवं शत्रुता का व्यवहार करती थी।

लघूत्तरात्मक प्रश्न - 

प्रश्न 15. 
लेखिका ने मोर-शावकों को कहाँ से, कब और कितने में खरीदा था? 
उत्तर : 
लेखिका ने मोर-शावकों को बड़े मियाँ चिड़िया वालों की दुकान से 35 रुपये में तब खरीदा, जब वे स्टेशन पर एक आए अतिथि को छोड़ने गयी थीं। 

प्रश्न 16. 
मोर-शावकों ने अपना नया बसेरा कहाँ बनाया था? 
उत्तर : 
मोर-शावकों ने लेखिका के पढ़ने-लिखने के कमरे में रखी रद्दी कागजों की टोकरी को अपना नया बसेरा बनाया था, जिसमें वे रात को विश्राम करते थे। 

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प्रश्न 17. 
नीलकंठ सबसे अधिक प्रसन्न कब होता था? 
उत्तर : 
वर्षा ऋतु में जब आकाश बादलों से ढक जाता था, वसन्त की ऋतु में आम के वृक्ष सुनहली मंजरियों से लद जाते थे और अशोक के वृक्ष जब नए लाल पल्लवों से ढक जाते थे, तब नीलकंठ अत्यधिक प्रसन्न होता था। 

प्रश्न 18. 
'नीलकंठ' पाठ से हमें क्या शिक्षा मिलती है? 
उत्तर : 
'नीलकंठ' पाठ से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें जीव-जंतुओं के साथ किसी भी प्रकार का अत्याचार नहीं करना चाहिए। हमें उनके प्रति प्रेमभाव ही रखना चाहिए। वे अपनापन पाकर कभी भी हमारे लिए अहितकारी नहीं हो सकते हैं। 

प्रश्न 19. 
मोर की उपयुक्त सहचारिणी होने के प्रमाण मोरनी अपनी किन विशेषताओं के आधार पर देने लगी थी? 
उत्तर : 
मोरनी अपनी लंबी धूपछाँही गरदन, हवा में चंचल कलंगी, पंखों की श्याम-श्वेत पत्रलेखा, मंथर गति आदि विशेषताओं के आधार पर मोर की उपयुक्त सहचारिणी होने का प्रमाण देने लगी थी। 

निबन्धात्मक प्रश्न - 

प्रश्न 20. 
मोर की अवस्था बढ़ने पर उसमें क्या शारीरिक एवं मानसिक परिवर्तन हो गये थे? लिखिए। 
उत्तर : 
मोर की अवस्था बढ़ने पर उसके सिर की कलगी और सघन, ऊँची व चमकीली हो गई थी। उसकी चोंच अधिक बंकिम, पैनी तथा उसकी गोल आँखों में इंद्रनील मणि की नीलाभ द्युति झलकने लगी थी। उसकी नील-हरित ग्रीवा की हर भंगिमा में धूपछाँही तरंगें उठने-गिरने लगी थीं। उसकी पूँछ लम्बी हो गई थी और उसके पंखों पर चन्द्रिकाओं के इन्द्रधनुषी रंग उद्दीप्त हो उठे थे। उसका गरदन ऊँची कर देखना, विशेष भंगिमा के साथ उसे नीची कर दाना चुगना, उसे टेढ़ी कर शब्द सुनना आदि क्रियाओं में जो सुकुमारता और सौन्दर्य था, उसका अनुभव देखकर ही किया जा सकता था।

कुब्जा के कारण राधा और नीलकंठ के जीवन पर क्या असर पड़ा? - kubja ke kaaran raadha aur neelakanth ke jeevan par kya asar pada?

प्रश्न 21. 
"यथा नाम तथा गुण" इस कथन को कुब्जा के आधार पर स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर : 
कुब्जा का जैसा नाम था, वैसे ही उसमें गुण थे, क्योंकि वह नीलकंठ और राधा को साथ-साथ रहते देख नहीं सकती थी। वह उन्हें साथ देखते ही राधा पर दौड़ पड़ती थी और अपनी चोंच से उसके पंख तथा कलगी नोच डालती थी। वह स्वभाव से ईर्ष्यालु और दुष्ट थी। वह न तो किसी जीव-जन्तु से मित्रता रखती थी और न किसी को भी नील-कंठ के पास आने देना चाहती थी। यहाँ तक कि अंडे सेहती राधा को ढकेल दिया था और अपनी चोंच से उसके द्वारा दिए अंडे भी फोड़ दिए थे। 

प्रश्न 22. 
नीलकंठ की नृत्य-भंगिमा का शब्द चित्र प्रस्तुत करें। 
उत्तर : 
मेघ के घिरते और गर्जन करते ही नीलकंठ के तन्मय नृत्य का प्रारम्भ हो जाता और फिर मेघ जितना अधिक गरजता, बिजली जितनी अधिक चमकती, बूंदों की रिमझिमाहट जितनी तीव्र होती जाती, उसके नृत्य का वेग उतना ही अधिक बढ़ता जाता और उसकी केका का स्वर उतना ही मंद्र से मंद्रतर होता जाता। इसके साथ ही उसके पंख फैलाते ही इन्द्रधनुष का दृश्य साकार हो उठता। 

गद्यांश पर आधारित प्रश्न - 

प्रश्न 23. 
निम्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर दिये गये प्रश्नों के उत्तर लिखिए - 
1. दोनों नवागंतुकों ने पहले से रहने वालों में वैसा ही कुतूहल जगाया जैसा नववधू के आगमन पर परिवार में स्वाभाविक है। लक्का कबूतर नाचना छोड़कर दौड़ पड़े और उनके चारों ओर घूम-घूमकर गुटरगूं-गुटरगूं की रागिनी अलापने लगे। बड़े खरगोश सभ्य सभासदों के समान क्रम से बैठकर गंभीर भाव से उनका निरीक्षण करने लगे। ऊन की गेंद जैसे छोटे खरगोश उनके चारों ओर उछलकूद मचाने लगे। तोते मानो भलीभाँति देखने के लिए एक आँख बंद करके उनका परीक्षण करने लगे।

प्रश्न 
(क) दोनों नवागन्तुक कौन थे?
(ख) दोनों नवागन्तुकों का स्वागत किस प्रकार किया गया? 
(ग) मोरों के आने पर कबूतरों ने क्या किया? 
(घ) खरगोश किनके चारों ओर उछलकूद करने लगे? 
उत्तर : 
(क) दोनों नवागन्तुक मोर के बच्चे थे, जिन्हें लेखिका अपने साथ लेकर आयी थी। 
(ख) जिस प्रकार एक नववधू के आगमन पर परिवार में उसका स्वागत किया जाता है, उसी प्रकार उन दोनों नवागन्तुकों का स्वागत किया गया।
(ग) मोरों के आने पर कबूतर नाचना छोड़कर उनके चारों ओर घूम-घूम कर गुटरगूं करने लगे। 
(घ) खरगोश मोर के बच्चों के चारों ओर उछलकूद करने लगे।

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2. मुझे स्वयं ज्ञात नहीं कि कब नीलकंठ ने अपने आपको चिड़ियाघर के निवासी जीव-जंतुओं का सेनापति और संरक्षक नियुक्त कर लिया। सवेरे ही वह सब खरगोश, कबूतर आदि की सेना एकत्र कर उस ओर ले जाता जहाँ दाना दिया जाता है और घूम-घूमकर मानो सबकी रखवाली करता रहता। किसी ने कुछ गड़बड़ की और वह अपने तीखे चंचु-प्रहार से उसे दंड देने दौड़ा। 

प्रश्न :
(क) यह गद्यांश जिस पाठ से लिया गया है, इसकी लेखिका का नाम बताइए। 
(ख) नीलकंठ ने अपने आपको क्या कर लिया? 
(ग) नीलकंठ सेनापति रूप में क्या करता था? 
(घ) नीलकंठ किसी जानवर को दण्ड कैसे देता था? 
उत्तर : 
(क) पाठ की लेखिका का नाम है-महादेवी वर्मा। 
(ख) नीलकंठ ने अपने आपको चिड़ियाघर के जीव-जन्तुओं का सेनापति और संरक्षक नियुक्त कर लिया। 
(ग) नीलकंठ सेनापति रूप में सभी जीव-जन्तुओं को एकत्रकर दाना चुगने के स्थान पर ले जाता था। 
(घ) जब कोई जानवर कुछ गड़बड़ करता, तो नीलकंठ अपनी चोंच के प्रहार से उसे दण्ड देता था।

3. मेघ के गर्जन के ताल पर ही उसके तन्मय नृत्य का आरंभ होता। और फिर मेघ जितना अधिक गरजता, बिजली जितनी अधिक चमकती, बूंदों की रिमझिमाहट जितनी तीव्र होती जाती, नीलकंठ के नृत्य का वेग उतना ही अधिक बढ़ता जाता और उसकी केका का स्वर उतना ही मंद्र से मंदतर होता जाता। वर्षा के थम जाने पर वह दाहिने पंजे पर दाहिना पंख और बाएँ पर बायाँ पंख फैलाकर सुखाता। कभी-कभी वे दोनों एक-दूसरे के पंखों से टपकने वाली बूंदों को चोंच से पी-पीकर पंखों का गीलापन दूर करते रहते। 

प्रश्न :
(क) मेघ-गर्जन के ताल पर किनका नृत्य प्रारम्भ होता था? 
(ख) नीलकंठ के नृत्य का वेग कब बढ़ जाता था?
(ग) वर्षा थम जाने पर नीलकंठ क्या करता था? 
(घ) नीलकंठ की केका का स्वर कब मन्द्रतर हो जाता था?
उत्तर : 
(क) मेघ-गर्जन के ताल पर नीलकंठ और राधा का नृत्य प्रारम्भ हो जाता था। 
(ख) वर्षा की रिमझिमाहट जितनी तीव्र होती, तब नीलकंठ के नृत्य का वेग उतना ही अधिक बढ़ जाता था। 
(ग) वर्षा थम जाने पर नीलकंठ अपने पंख फैलाकर उन्हें सुखाता था। 
(घ) नीलकंठ के नृत्य का वेग जब बढ़ जाता, तो उसकी केका का स्वर भी उतना ही मन्द्रतर हो जाता था।

कुब्जा के कारण राधा और नीलकंठ के जीवन पर क्या असर पड़ा? - kubja ke kaaran raadha aur neelakanth ke jeevan par kya asar pada?

4. मेरे साथ कोई-न-कोई देशी-विदेशी अतिथि भी पहुँच जाता था और नीलकंठ की मुद्रा को अपने प्रति सम्मानपूर्वक समझकर विस्मयाभिभूत हो उठता था। कई विदेशी महिलाओं ने उसे 'परफैक्ट जेंटिलमैन' की उपाधि दे डाली। जिस नुकीली पैनी चोंच से वह भयंकर विषधर को खंड-खंड कर सकता था, उसी से मेरी हथेली पर रखे हए भने चने ऐसी कोमलता से हौले-हौले उठाकर खाता था कि हँसी भी आती थी और विस्मय भी होता था। फलों के वृक्षों से अधिक उसे पुष्पित और पल्लवित वृक्ष भाते थे। 

(क) उपर्युक्त गद्यांश किस पाठं से लिया गया है? 
(ख) रेखांकित शब्दों के अर्थ लिखिए। 
(ग) परफैक्ट जेंटिलमैन की उपाधि किसे दी गयी थी? 
(घ) किसे पुष्पित और पल्लवित वृक्ष अधिक अच्छे लगते थे? 
उत्तर : 
(क) उपर्युक्त गद्यांश 'नीलकंठ' शीर्षक पाठ से लिया गया है। 
(ख) विस्मयाभिभूत = आश्चर्यचकित। विषधर = साँप। 
(ग) नीलकंठ को परफैक्ट जेंटिलमैन की उपाधि दी गयी थी। 
(घ) नीलकंठ को पुष्पित और पल्लवित वृक्ष अधिक अच्छे लगते थे।

नीलकंठ Summary in Hindi  

पाठ-सार - प्रस्तुत रेखाचित्र 'नीलकंठ' शीर्षक में लेखिका महादेवी वर्मा का जीव-जंतओं के प्रति प्रेम और लगाव दर्शाया गया है। उनके चिडियाखाने के पक्षी तथा जानवर भी उनके साथ इस तरह घुल-मिल जाते थे मानो परिवार के सदस्य हों। इसी क्रम में यहाँ मोर के स्वभाव व सुन्दरता का चित्र प्रस्तुत किया गया है।

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कठिन-शब्दार्थ : 

  • संकीर्ण = संकुचित। 
  • पक्षी-शावक = पक्षियों के बच्चे। 
  • निरीक्षण = देखभाल। 
  • पूँजी = कंजूस। 
  • मुनासिब = सही। 
  • आविर्भूत = प्रकट होना।
  • नवागंतुक = नये मेहमान। 
  • अभिमाननी = घमंडी। 
  • मार्जारी = बिल्ली। 
  • कायाकल्प = शरीर का नया हो जाना। 
  • परीक्षण = परखना। 
  • बंकिम = टेढ़ी। 
  • सुकुमारता = नाजुकता। 
  • सहचारिणी = साथ चलने वाली, अनुगामिनी। 
  • चंचु = चोंच। 
  • आर्तक्रन्दन = पीड़ा से कराहना। 
  • कर्णवेध = कानों को छेदना। 
  • चेतन = बुद्धि। 
  • निश्चेष्ट = बेहोश। 
  • उष्णता = गर्मी। 
  • मंडलाकार = गोल। 
  • सतरंगी = सात रंगों के। 
  • विस्मयाभिभूत = आश्चर्यचकित। 
  • सोपान = सीढ़ी। 
  • तन्मय = लीन, मग्न।
  • स्तबक = गुलदस्ता। 
  • मेघाच्छन्न = बादलों का छा जाना। 
  • प्रतीक्षा = इंतजार।

कुब्जा के व्यवहार का नीलकंठ पर क्या असर पड़ा?

कुब्जा के आने से नीलकंठ पर क्या प्रभाव पड़ा ? कुब्जा के आने से नीलकंठ का जीवन अवसादग्रस्त हो गया। राधा की दूरी से उसकी प्रसन्नता का अंत हो गया। वह प्रायः जाली घर से निकल भागता और भूखा-प्यासा अन्यत्र छिपा रहता ।

नीलकंठ को राधा और कुब्जा में किसे अधिक प्यार था और क्यों?

उत्तर : नीलकंठ को राधा से अधिक प्यार था। क्योंकि राधा और कुब्जा में से राधा के पास नीलकंठ की सहचारिणी होने का अधिक गुण है – जिनमें से उसकी लंबी धूपछाँही गरदन, हवा में चंचल कलगी, पंखो की श्यामस्वैत पत्रलेखा, मंथर गति आदि का उल्लेख किया जा सकता जो कि कुब्जा में कमी है।

कुब्जा राधा और नीलकंठ से क्या करती थी?

नीलकंठ, राधा व अन्य सभी पशु-पक्षी साथ मिलकर बड़े ही आनन्द से उस बाड़े में रहते थे। परन्तु कुब्जा मोरनी ने उन सब के इस आनन्द में भंग कर दिया था। उसको किसी भी पशु-पक्षी का नीलकंठ के साथ रहना पसंद न था। जो भी कोई उसके पास आना चाहता, वह उसे अपनी चोंच से घायल करके भगा देती थी

कुब्जा राधा से क्यों ईर्ष्या करती थी?

Solution : कुब्जा राधा को नीलकंठ के साथ रहते देख कर खुश नहीं रहती थी इसलिए वह राधा से शत्रुता का भाव रखती थी