Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 15 नीलकंठ Textbook Exercise Questions and Answers. Show
RBSE Class 7 Hindi Solutions Vasant Chapter 15 नीलकंठRBSE Class 7 Hindi नीलकंठ Textbook Questions and Answersनिबंध से - प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3.
प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. (i) दयालु और सतर्क - नीलकंठ दयालु और सतर्क था। उसने झले से खरगोश-शावक की धीमी चीख सुनी और झूले से तुरन्त नीचे आकर बड़ी सतर्कता के साथ खरगोश शावक को साँप के चंगुल से मुक्त कराया। इससे स्पष्ट होता है कि नीलकंठ दयालु स्वभाव से पूरित और सतर्क था। निबन्ध से आगे - प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. अनुमान और कल्पना - प्रश्न 1. प्रश्न 2. भाषा की बात - प्रश्न 1.
प्रश्न 2. संधि विग्रह विग्रह : RBSE Class 7 Hindi नीलकंठ Important Questions and Answersप्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. रिक्त स्थानों की पूर्ति - प्रश्न 6. अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न - प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. प्रश्न 10. प्रश्न 11. प्रश्न 12. प्रश्न 13. प्रश्न 14. लघूत्तरात्मक प्रश्न - प्रश्न 15. प्रश्न 16. प्रश्न 17. प्रश्न 18. प्रश्न 19. निबन्धात्मक प्रश्न - प्रश्न 20. प्रश्न 21. प्रश्न 22. गद्यांश पर आधारित प्रश्न - प्रश्न 23. प्रश्न 2. मुझे स्वयं ज्ञात नहीं कि कब नीलकंठ ने अपने आपको चिड़ियाघर के निवासी जीव-जंतुओं का सेनापति और संरक्षक नियुक्त कर लिया। सवेरे ही वह सब खरगोश, कबूतर आदि की सेना एकत्र कर उस ओर ले जाता जहाँ दाना दिया जाता है और घूम-घूमकर मानो सबकी रखवाली करता रहता। किसी ने कुछ गड़बड़ की और वह अपने तीखे चंचु-प्रहार से उसे दंड देने दौड़ा। प्रश्न : 3. मेघ के गर्जन के ताल पर ही उसके तन्मय नृत्य का आरंभ होता। और फिर मेघ जितना अधिक गरजता, बिजली जितनी अधिक चमकती, बूंदों की रिमझिमाहट जितनी तीव्र होती जाती, नीलकंठ के नृत्य का वेग उतना ही अधिक बढ़ता जाता और उसकी केका का स्वर उतना ही मंद्र से मंदतर होता जाता। वर्षा के थम जाने पर वह दाहिने पंजे पर दाहिना पंख और बाएँ पर बायाँ पंख फैलाकर सुखाता। कभी-कभी वे दोनों एक-दूसरे के पंखों से टपकने वाली बूंदों को चोंच से पी-पीकर पंखों का गीलापन दूर करते रहते। प्रश्न : 4. मेरे साथ कोई-न-कोई देशी-विदेशी अतिथि भी पहुँच जाता था और नीलकंठ की मुद्रा को अपने प्रति सम्मानपूर्वक समझकर विस्मयाभिभूत हो उठता था। कई विदेशी महिलाओं ने उसे 'परफैक्ट जेंटिलमैन' की उपाधि दे डाली। जिस नुकीली पैनी चोंच से वह भयंकर विषधर को खंड-खंड कर सकता था, उसी से मेरी हथेली पर रखे हए भने चने ऐसी कोमलता से हौले-हौले उठाकर खाता था कि हँसी भी आती थी और विस्मय भी होता था। फलों के वृक्षों से अधिक उसे पुष्पित और पल्लवित वृक्ष भाते थे। (क) उपर्युक्त गद्यांश किस पाठं से लिया गया है? नीलकंठ Summary in Hindiपाठ-सार - प्रस्तुत रेखाचित्र 'नीलकंठ' शीर्षक में लेखिका महादेवी वर्मा का जीव-जंतओं के प्रति प्रेम और लगाव दर्शाया गया है। उनके चिडियाखाने के पक्षी तथा जानवर भी उनके साथ इस तरह घुल-मिल जाते थे मानो परिवार के सदस्य हों। इसी क्रम में यहाँ मोर के स्वभाव व सुन्दरता का चित्र प्रस्तुत किया गया है। कठिन-शब्दार्थ :
कुब्जा के व्यवहार का नीलकंठ पर क्या असर पड़ा?कुब्जा के आने से नीलकंठ पर क्या प्रभाव पड़ा ? कुब्जा के आने से नीलकंठ का जीवन अवसादग्रस्त हो गया। राधा की दूरी से उसकी प्रसन्नता का अंत हो गया। वह प्रायः जाली घर से निकल भागता और भूखा-प्यासा अन्यत्र छिपा रहता ।
नीलकंठ को राधा और कुब्जा में किसे अधिक प्यार था और क्यों?उत्तर : नीलकंठ को राधा से अधिक प्यार था। क्योंकि राधा और कुब्जा में से राधा के पास नीलकंठ की सहचारिणी होने का अधिक गुण है – जिनमें से उसकी लंबी धूपछाँही गरदन, हवा में चंचल कलगी, पंखो की श्यामस्वैत पत्रलेखा, मंथर गति आदि का उल्लेख किया जा सकता जो कि कुब्जा में कमी है।
कुब्जा राधा और नीलकंठ से क्या करती थी?नीलकंठ, राधा व अन्य सभी पशु-पक्षी साथ मिलकर बड़े ही आनन्द से उस बाड़े में रहते थे। परन्तु कुब्जा मोरनी ने उन सब के इस आनन्द में भंग कर दिया था। उसको किसी भी पशु-पक्षी का नीलकंठ के साथ रहना पसंद न था। जो भी कोई उसके पास आना चाहता, वह उसे अपनी चोंच से घायल करके भगा देती थी।
कुब्जा राधा से क्यों ईर्ष्या करती थी?Solution : कुब्जा राधा को नीलकंठ के साथ रहते देख कर खुश नहीं रहती थी इसलिए वह राधा से शत्रुता का भाव रखती थी।
|