थोड़ी धरती पाऊँ कविता अर्थ ncert class 7 hindi durva chapter 5 thodi dharti pau kavita summary ncert hindi book durva cbse board thodi dharti paaun Show
थोड़ी धरती पाऊँ कविता सर्वेश्वर दयाल सक्सेनाथोड़ी धरती पाऊँ कविता का सारांश थोड़ी धरती पाऊँ कविता thodi dharti pau kavita summary thodi dharti pau poem explanation ncert class 7 hindi durva chapter 5 थोड़ी धरती पाऊँ कविता का अर्थ ncert hindi book durva CBSE class 7 durva class 7 थोड़ी धरती पाऊँ कविता सर्वेश्वर दयाल सक्सेना जी thodi dharti paun थोड़ी धरती पाऊं class 7 chapter 1 thodi dharti paun थोड़ी धरती पाऊँ कविता की व्याख्या भावार्थबहुत दिनों से सोच रहा था, थोड़ी धरती पाऊँ उस धरती में बागबगीचा, जो हो सके लगाऊँ।खिलें फूल-फल, चिड़ियाँ बोलें, प्यारी खुशवू डोले ताजी जलाशय में, अपना हर अंग भिगो ले। लेकिन एक इंच धरती भी कहीं नहीं मिल पाई एक पेड़ भी नहीं, कहे जो मुझको अपना भाई। हो सकता है पास, तुम्हारे अपनी कुछ धरती हो फूल-फलों से लदे बगीचे और अपनी धरती हो। हो सकता है छोटी सी क्यारी हो, महक रही हो छोटी-सी खेती हो जो फसलों में दहक रही हो। थोड़ी धरती पाऊँ कविता हो सकता है कहीं शांत चौपाए घूम रहे हों हो सकता है कहीं सहन में पक्षी झूम रहे हों। तो विनती है यही, कभी मत उस दुनिया को खोना पेड़ों को मत कटने देना, मत चिड़ियों को रोना। एक-एक पत्ती पर हम सब के सपने सोते हैं शाखें कटने पर वे भोले, शिशुओं सा रोते हैं। पेड़ों के संग बढ़ना सीखो पेड़ों के संग खिलना पेड़ों के संग-संग इतराना, पेड़ों के संग हिलना। बच्चे और पेड़ दुनिया को हरा-भरा रखते हैं नहीं समझते जो, दुष्कर्मों का वे फल चखते हैं। आज सभ्यता वहशी बन, पेड़ों को काट रही है जहर फेफड़ों में भरकर हम सबको बाँट रही है। थोड़ी धरती पाऊँ कविता के प्रश्न उत्तर‘आज सभ्यता वहशी बन पेड़ों को काट रही है।‘इस पर अपने विचार लिखो। ग. कवि कहता है कि लोग पागल बनकर जानबूझकर पेड़ों को काट रहे हैं। मनुष्यों की जनसंख्या बढ़ रही है। पर्याप्त जगह न होने से वनों को समाप्त कर लोग अपना घर बना रहे हैं। कल कारखाने ,चौड़ी सड़कों के निर्माण के लिए वृक्षों को काट दिया जाता है और कारखानों से निकलने वाला धुँवा ,पेड़ - पौधों को हानि पहुँचाता है। क. कविता की कौन सी पंक्तियाँ सबसे अच्छी लगी ? पेड़ों के संग बढ़ना सीखो पेड़ों के संग खिलना पेड़ों के संग-संग इतराना, पेड़ों के संग हिलना। 1 कवि बहुत दिनों से क्या सोच रहा था?Answer: बहुत दिनों से सोच रहा था, थोड़ी धरती पाऊँ उस धरती में बागबगीचा, जो हो सके लगाऊँ। कहीं नहीं मिल पाई एक पेड़ भी नहीं, कहे जो मुझको अपना भाई। फूल-फलों से लदे बगीचे और अपनी धरती हो।
बहुत दिनों से सोच रहा था थोड़ी सी धरती पांव से कवि का क्या आशय है?“बहुत दिनों से सोच रहा था, थोड़ी-सी धरती पाऊँ” से कवि का आशय यह है कि वे काफी समय से इस प्रयास में लगे हुए हैं कि बाग-बगीचा लगाने के लिए थोड़ी-सी ज़मीन कहीं खरीदें।
कवि थोड़ी धरती में क्या लगाना चाहता है?Answer: (क) कवि बाग-बगीचा इसलिए लगाना चाहता है क्योंकि बाग-बगीचा लगवाकर वह अपने आसपास हरियाली भर देना चाहता है।
थोड़ी धरती पाऊँ कविता का भावार्थ क्या है?कवि ने इस कविता में पर्यावरण के लिए जंगल के महत्व के बारे में लिखा है। कवि चाहता है कि उसके पास जमीन का एक छोटा टुकड़ा हो जिसपर वह बगीचा लगा सके। उसकी इच्छा है कि उस बगीचे में फूल खिलें, फल लगें और प्यारी खुशबू व्याप्त रहे। कवि चाहता है कि बगीचे के जलाशय में चिड़ियाँ आकर स्नान करें और फिर अपना मधुर संगीत फैलाएँ।
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