भारत के २८वें राज्य के रुप में १५ नवम्बर, २००० को अस्तित्व में आए झारखण्ड प्रदेश में भारत के संविधान के प्रावधानों के अनुसार संसदीय शासन प्रणाली स्थापित की गयी है। राज्य की कार्यपालिका का संवैधानिक प्रमुख राज्यपाल होता है परन्तु वास्तविक शक्तियाँ राज्य मंत्रिमण्डल में निहित होती है जो सामूहिक रुप से राज्य विधान सभा के प्रति जवाबदेह है। Show अन्य भारतीय राज्यों की तरह झारखण्ड प्रदेश में भी राज्यपाल ही राज्य का मुखिया होता है। राज्यपाल की नियुक्ती भारत का महामहिम राष्ट्रपति करते हैं और उसका कायर्काल पाँच वषों का होता है। राज्यपाल मुख्यमंत्री की नियुक्ती करता है। सामान्य परिस्थतियों में वह बहुमत दल का नेता को ही मुख्यमन्त्री नियुक्त कर पद एवं गोपनियता की शपथ दिलाता है किन्तु विधानसभा में यदि किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत प्राप्त न हो तो राज्यपाल स्वविवेक से मुख्यमन्त्री नियुक्त कर सकता है। राज्य में धारा ३५६ के अन्तर्गत संवैधानिक संकट की स्थिती उत्पन्न होने पर राज्यपाल, राष्ट्रपति को अपना रिपोर्ट सौंप कर राज्य में राष्ट्रपति शासन लगानें की अनुशंसा कर सकता है। विधानसभा सत्र की पहली बैठक में राज्यपाल अपना अभिभाषण देता है। विधानसभा का अधिवेशन बुलाना तथा सत्रावशान असानी राज्यपाल का ही दायित्व है। वह राज्य के सभी विश्वविधालयों का कुलपति भी होता है। इस राज्य के प्रथम राज्यपाल श्री प्रभात कुमार थे। श्री प्रभात कुमार पूर्व में एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी थे। जुलाई २००२ में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के भूतपूर्व मुख्य न्यायाधीश श्री मनाडा गड्डे रामा जोयेस को झारखण्ड का दूसरा राज्यपाल नियुक्त किया गया। राज्यपाल की नियुक्ति राज्यपाल की नियुक्ति महामहिम राष्ट्रपति महोदय द्वारा पाँच वषों के लिए की जाती है। भारतीय संविधान की धारा १५५ के अनुसार राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति के द्वारा उसके हस्ताक्षर तथा मुहर से की जाती है। एक राज्य के राज्यपाल को किसी दूसरे राज्य के राज्यपाल पद का भी प्रभार दिया जा सकता है। राज्यपाल की योग्यताएँ भारतीय संविधान की धारा १५७ और १५८ के अनुसार राज्यपाल पद पर नियुक्ति हेतु निम्नलिखित योग्यताओं का होना अनिवार्य है ... (क) वह भारत का नागरिक हो राज्यपाल का कार्यकाल राज्यपाल का कार्यकाल सामान्यत: पाँच वषों का होता है। परन्तु अनिच्छेद १५६ (१) के तहत राज्यपाल राष्ट्रपति शासन के प्रसाद -पर्यन्त अपने पद पर रहता है। राष्ट्रपति को अधिकार है कि वह राज्यपाल को किसी भी समय पदमुक्त अथवा स्थानान्तरित कर सकता है। राज्यपाल यदि स्वयं भी चाहे तो राष्ट्रपती को अपना त्यागपत्र भेज कर अपना पद छोड़ सकता है। राज्यपाल के वेतन और भत्ते राज्यपाल का मासिक वेतन वर्तमान में ३६,००० रु है। उसके अलावा उसे विभिन्न तरह के भत्ते और सुविधाएँ उपलब्ध कराये जाते हैं। राज्यपाल को नि:शुल्क सरकारी आवास प्रदान किया जाता है। कार्यकाल के दौरान उसके वेतन और भत्ते घटाये नही जा सकते हैं। उसका वेतन राज्य की संचित निधि पर भारित होता है जिसपर राज्य विधानमण्डल मतदान नही कर सकती है। उनमुक्तियाँ (क) राज्यपाल अपने कर्तव्यों के पालन के संबंध में किसी भी
न्यायालय के प्रति उत्तरदायी नहीं है। राज्यपाल के अधिकार तथा कार्य राज्य का संविधान प्रमुख होने के नाते राज्य की कार्यपालिका संबंधी सभी कार्य राज्यपाल के नाम होतें हैं। सभी कार्यकारी अधिकार राज्यपाल को प्राप्त होते हैं। परन्तु यथार्थ में इन अधिकारों का प्रयोग राज्यपाल लोकप्रिय सरकार (मन्त्रीमण्डल ) की सलाह से करता है। राज्यपाल के अधिकार तथा कार्यों का विवरण नीचे दिया जा रहा है - (अ) व्यवस्थापिका सम्बंधी अधिकार - राज्यपाल राज्य की व्यवस्थापिका का अंग होता है। उसके व्यवस्थापिका सम्बंधी प्रमुख अधिकार निम्नलिखित हैं।
(ब) कार्यपालिका सम्बन्धी अधिकार - राज्यपाल को राज्य कार्यपालिका का प्रमुख होने के नाते व्यापक कार्यकारी अधिकार प्राप्त होते हैं। कार्यपालिका सम्बन्धी अधिकारों का संक्षिप्त विवरण झारखंड का गवर्नर कौन है 2022?श्री रमेश बैस ने झारखण्ड के 10वें राज्यपाल के रूप में दिनांक-14.07.2021 को शपथ ग्रहण किया। उनका जन्म दिनांक-02 अगस्त, 1947 को रायपुर (छत्तीसगढ़) में हुआ।
झारखंड के प्रथम राज्यपाल का नाम क्या है?Detailed Solution. सही उत्तर प्रभात कुमार है। प्रभात कुमार झारखंड के पहले राज्यपाल थे।
झारखंड के उपमुख्यमंत्री का नाम क्या है?झारखण्ड के मुख्यमन्त्रियों की सूची. वर्तमान में भारत में कितने मुख्यमंत्री हैं?वर्तमान में पदस्थ 30 मुख्यमन्त्रियों में पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी एकमात्र महिला मुख्यमंत्री हैं। मार्च 2000 से ( 22 वर्ष, 260 दिन ओडिशा के नवीन पटनायक सबसे लम्बे समय से पदस्थ मुख्यमन्त्री हैं। अरुणाचल प्रदेश के पेमा खांडू (जन्म 1979) सबसे युवा मुख्यमन्त्री हैं।
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