जाटव समाज की उत्पत्ति कहां से हुई - jaatav samaaj kee utpatti kahaan se huee

जाटव

जाटव समाज की उत्पत्ति कहां से हुई - jaatav samaaj kee utpatti kahaan se huee

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जाटव भारत का एक सामाजिक समूह है जिसे चमार जाति का एक भाग भी माना जाता है। यह आधुनिक भारत के सकारात्मक भेदभाव प्रणाली में अनुसूचित जाति के रूप में वर्गीकृत की जाती है जो समुदायों (दलित) में से एक मानी जाती है। यह जाति डॉ बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर के पद चिह्नों को अपनी प्रेरणा मानती है और सामाजिक समता में विश्वास रखती है l .

5 संबंधों: चमार, बिहारी लाल हरित, यादव, शूद्र, हापुड़।

चमार

चमार अथवा चर्मकार भारतीय उपमहाद्वीप में पाई जाने वाली जाति समूह है। वर्तमान समय में यह जाति अनुसूचित जातियों की श्रेणी में आती है। यह जाति अस्पृश्यता की कुप्रथा का शिकार भी रही है। इस जाति के लोग परंपरागत रूप से चमड़े के व्यवसाय से जुड़े रहे हैं। संपूर्ण भारत में चमार जाति अनुसूचित जातियों में अधिक संख्या में पाई जाने वाली जाति है, जिनका मुख्य व्यवसाय, चमड़े की वस्‍तु बनाना था । संविधान बनने से पूर्व तक इनकोअछूतों की श्रेणी में रखा जाता था। अंग्रेजों के आने से पहले तक भारत में चमार जाति के लोगों को उपर बहुत यातनाएं तथा जु़ल्‍म किए गए। आजादी के बाद इनके उपर हो रहे ज़ुल्‍मों व यातनाओं को रोकने के लिए इनको भारत के संविधान में अनुसूचित जाति की श्रेणी में रखा गया तथा सभी तरह के ज़ुल्‍मों तथा यातनाओं को प्रतिबंधित कर दिया गया। इसके बावजूद भी देश में कुछ जगहों पर इन जातियों तथा अन्‍य अनुसूचित जातियों के साथ यातनाएं आज भी होती हैं। .

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बिहारी लाल हरित

कविता-अछूतों का पैगम्बर (1946),चमार हूँ मैं (1975) श्रेणी:दलित श्रेणी:दलित साहित्यकार.

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यादव

यादव (अर्थ- महाराज यदु के वंशज)) प्राचीन भारत के वह लोग जो पौराणिक नरेश यदु के वंशज होने का दावा करते रहे हैं। यादव वंश प्रमुख रूप से आभीर (वर्तमान अहीर), अंधक, व्रष्णि तथा सत्वत नामक समुदायों से मिलकर बना था, जो कि भगवान कृष्ण के उपासक थे। यह लोग प्राचीन भारतीय साहित्य मे यदुवंश के प्रमुख अंगों के रूप मे वर्णित है।Thapar, Romila (1978, reprint 1996). Ancient Indian Social History: Some Interpretations, नई दिल्ली: Orient Longman, ISBN 978-81-250-0808-8, p.223 प्राचीन, मध्यकालीन व आधुनिक भारत की कई जातियाँ तथा राज वंश स्वयं को यदु का वंशज बताते है और यादव नाम से जाने जाते है। .

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शूद्र

शूद्रों का सर्वप्रथम उल्लेख ऋग्वेद के दसवें मण्डल के पुरुष सुक्त में मिलता है, जिसमें शूद्रों को विराट पुरुष के पैरों से उत्पन्न बताया गया है। यजुर्वेद में शूद्रों की उपमा समाजरूपी शरीर के पैरों से दी गई है; इसीलिये कुछ लोग इनकी उत्पत्ति ब्रह्मा के पैरों से मानते हैं। परन्तु वैज्ञानिक दृष्टि से भी देखा जाए तो किसी मानव के विभिन्न अंगों से किसी व्यक्ति को पैदा नहीं किया जा सकता है l यह केवल भारतीय काल्पनिक ग्रंथों में ही संभव है l हालाँकि की कुछ मुर्ख स्टेम सेल के उदाहरण देते हैं, परन्तु जहां लोगों को रहने और खाने का तरीका न वहां स्टेम सेल की बात करना मूर्खता है l शूद्रों को दलित, हरिजन, अछूत आदि नामो से संबोधित किया जाता है l .

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हापुड़

हापुड़ भारत के उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख शहर एवं लोकसभा क्षेत्र है। यह नए बनाए गए जिले का मुख्यालय हैं। यह एक रेलवे का जंक्शन भी है। यह ज़िले की प्रसिद्ध व्यपारिक मण्डी है। यहाँ पर तिलहन, गुड़, गल्ले और कपास का व्यापार अधिक होता है। हापुड़ (हिन्दी- उर्दू) के बारे में-- ३,१०,000 की आबादी का एक मध्यम आकार के शहर है और स्टेनलेस स्टील पाइप, ट्यूब और हब बनाने के रूप में विख्यात, हापुड़ कागज शंकु और ट्यूबों के लिए भी प्रसिद्ध है। भारत की राजधानी नई दिल्ली से लगभग 60 किमी दूर स्थित यह शहर जिले का मुख्यालय भी है। राष्ट्रीय राजमार्ग-9 दिल्ली को लखनऊ से जोड़ने वाला राजमार्ग भी शहर से गुजरता है। हापुड़ शहर दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र के अंतर्गत आता है। .

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जाटव जाति को इतिहास में 'चमार और चर्मकार' नाम से जाना जाता था, इस जाति का इतिहास प्राचीन भारत के समय से अस्तित्व में रहा है। चमार जाति की उत्पत्ति के विषय में इतिहासकारों के अलग अलग मत है, कुछ इतिहासकारों का कहना है कि बीसवीं सदी से पहले चमार चंद्रवंशी राजपूत थे और इन्हें क्षत्रिय समुदाय में गिना जाता था, लेकिन उस समय की आंतरिक लड़कियों के चलते इन्हें क्षत्रिय समुदाय से अलग कर दिया गया और चमार जाति को शुद्र जाति में गिना जाने लगा

जाटव जाति को इतिहास में 'चमार और चर्मकार' नाम से जाना जाता था, इस जाति का इतिहास प्राचीन भारत के समय से अस्तित्व में रहा है। चमार जाति की उत्पत्ति के विषय में इतिहासकारों के अलग अलग मत है, कुछ इतिहासकारों का कहना है कि बीसवीं सदी से पहले चमार चंद्रवंशी राजपूत थे और इन्हें क्षत्रिय समुदाय में गिना जाता था, लेकिन उस समय की आंतरिक लड़कियों के चलते इन्हें क्षत्रिय समुदाय से अलग कर दिया गया और चमार जाति को शुद्र जाति में गिना जाने लगा

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Last Updated on 03/11/2022 by Sarvan Kumar

जाटव (Jatav) चमार समुदाय की एक उप-जाति है जो उत्तरी भारत में पाई जाती है. दलितों में सामाजिक जागृति अपेक्षाकृत कम है इसीलिए दलित समुदायों में अंबेडकरवादी विचारधारा का प्रचार प्रसार अपेक्षाकृत अधिक हुआ है. अपना इतिहास नहीं जानने के कारण कई दलित जानती है हीन भावना का शिकार हो जाती हैं. लेकिन दलित समुदाय के कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने अपनी जाति का इतिहास खोजने का प्रयास जरूर किया है जिसमें जाटव भी शामिल हैं. आइए जानते हैं जाटव के इतिहास के बारे में.

जाटव का इतिहास

जाटव के इतिहास को समझने के लिए हमें इस समुदाय की पृष्ठभूमि को समझना होगा. जाटव को जाटवा, जाटन, जटुआ और जटिया के नाम से भी जाना जाता है. उत्तरी भारत के कई राज्यों में इनकी महत्वपूर्ण उपस्थिति है जैसे कि उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा,उत्तराखंड और दिल्ली. उत्तर प्रदेश से सटे छत्तीसगढ़ राज्य में भी यह पाए जाते हैं. उत्तर प्रदेश में इनकी बहुतायत आबादी है और यहां राजनीतिक रूप से काफी मजबूत है. आरक्षण व्यवस्था के अंतर्गत चमार जाति समूह के अन्य उपजातियों की तरह इन्हें भी अनुसूचित जाति के रूप में वर्गीकृत किया गया है. इस समुदाय के अधिकांश सदस्य हिंदू धर्म का पालन करते हैं. इनमें से कुछ इस्लाम और बौद्ध धर्म का अनुसरण करते हैं.आइए जाटव के इतिहास के बारे में विस्तार से जानते हैं-

•जॉर्ज वेयर ब्रिग्स (George Ware Briggs)‌ ने अपनी प्रसिद्ध किताब “The Chamars” में जाटव को चमार जाति में ही समाहित माना है.

•चमार या चर्मकार भारत में निवास करने वाली एक प्राचीन जाति है. भारतीय उपमहाद्वीप में चमारों का बहुत प्रारंभिक समय में पता लगाया जा सकता है. इनका उल्लेख ऋग्वेद में किया गया है, जो वेदों में सबसे प्राचीन माना जाता है.

•कालांतर में चमार समुदाय अनेक समूहों में बट गया, लेकिन फिर भी सभी चमार समूहों की कुछ विशेषताएं समान हैं. जैसे कि इनका पारंपरिक व्यवसाय मृत मवेशियों को संभालना, खाल निकालना और चमड़े का सामान बनाना है. इस कार्य को अपवित्र माना जाता था, इसलिए इन्हें पहले के समय में भी छुआछूत और भेदभाव का सामना करना पड़ा है.

•जानकारों का मानना है कि नए नामों को अपनाना या जाति विशेष में नई उपजाति में विकसित होना, चमार जाति के लोगों द्वारा स्वयं को सामाजिक स्तरीकरण में ऊपर उठाने का उठाने के प्रयासों का परिणाम है.

•जाटव अपेक्षाकृत एक नया शब्द है. उत्तर प्रदेश में चमार जाति की कई उपजातियां निवास करती हैं जैसे कि जैसवार, कुरील, धूसिया, रैदास, जाटव, अहिरवार आदि. आजादी के पहले और आजादी के बाद भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इन लोगों ने खुद को जाटव के नाम से संगठित किया था.

•”दिल्ली की अनुसूचित जातियां व आरक्षण व्यवस्था” नामक पुस्तक में उल्लेख किया गया है कि जाटव शब्द पहली बार सरकारी रिकॉर्ड में 1.12.1942 को अस्तित्व में आया और इसके पूर्व के दस्तावेजों में जाटव शब्द का उल्लेख नहीं मिलता है.

• अधिकांश जाटव मुख्यतः पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पाए जाते हैं. जाटव समुदाय के लोग अपने उच्च सामाजिक स्थिति का दावा करते हैं. ब्रिग्स ने 1920 में प्रकाशित नृजातिवर्णन (ethnography) के आधार पर बताया है कि उस समय भी जाटव समुदाय एक प्रतिष्ठित समुदाय के रूप में स्थापित हो चुका था. मेरठ और आसपास के इलाकों में इनका इनका दबदबा था. इनमें से कुछ लोगों ने शाकाहार अपना लिया था ताकि वे अपने आप को छुआछूत के दंश से मुक्त कर सकें.

• 20वीं सदी के मध्य में चमार समुदाय के लोगों ने जाति आधारित नीच व्यवसायों को त्याग दिया और अपनी इच्छा के अनुसार व्यवसाय चुनना शुरू कर दिया. इससे उन्हें समाज में प्रतिष्ठा मिली. जहां तक जाटव समुदाय का प्रश्न है बीसवीं शताब्दी के आरंभ में इन्होंने पश्चिम और मध्य उत्तर प्रदेश में स्वयं को नीच कार्यों से आजाद कर लिया था.

•द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान अंग्रेजों ने चमार रेजिमेंट का गठन किया था. इससे यह पता चलता है कि इस समुदाय में मार्शल गुण हैं. जाटव को उत्तरी भारत की एक जाति माना जाता है, लेकिन इनके इतिहास की तुलना महाराष्ट्र के महार और तमिलनाडु के नादरों से की जा सकती है. 1917 में इस समुदाय के शिक्षित लोगों ने “जाटव वीर” नाम से एक संगठन बनाया. कुछ वर्षों तक काम करने के बाद संगठन के टुकड़े-टुकड़े हो गए. 1924 में, “जाटव प्रचारक संघ” नामक एक अलग गुट ने सामाजिक पदानुक्रम सीढ़ी में इस जाति की ऊर्ध्वगामी गतिशीलता के लिए कठिन प्रयास किया और जाटवों को क्षत्रिय का दर्जा दिलाने के लिए इस संगठन ने तीव्र और आक्रामक अभियान चलाया.


References:

•A Social Force in Politics

Study of Scheduled Castes of U.P.

By M. P. S. Chandel · 1990

•Dalit Jnan-Mimansa- 02 Hashiye Ke Bheetar

By Edited by Kamal Nayan Chaube · 2022

•Apne Apne Pinjare -2

By Mohandas Naimisharay · 2013

•Delhi Ki Anusuchit Jatiyan Va Aarakshan Vyavastha

By Ramesh Chander · 2016

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पूरे भारत में जाटव कितने हैं?

जाटव, जिसे जाट / जाटन के रूप में भी जाना जाता है, एक भारतीय सामाजिक समूह है जिसे आधुनिक भारत की सकारात्मक भेदभाव प्रणाली के तहत अनुसूचित जाति के रूप में वर्गीकृत किया गया है। भारत की 2011 की जनगणना के अनुसार, उत्तर प्रदेश के जाटव जाती में उस राज्य की कुल 22,496,047 अनुसूचित जाति की आबादी का 54% हिस्सा थे।

जाटव की उत्पत्ति कैसे हुई?

चमार जाति की उत्पत्ति के विषय में इतिहासकारों के अलग अलग मत है, कुछ इतिहासकारों का कहना है कि बीसवीं सदी से पहले चमार चंद्रवंशी राजपूत थे और इन्हें क्षत्रिय समुदाय में गिना जाता था, लेकिन उस समय की आंतरिक लड़कियों के चलते इन्हें क्षत्रिय समुदाय से अलग कर दिया गया और चमार जाति को शुद्र जाति में गिना जाने लगा।

जाटव का मतलब क्या होता है?

जाटव भारत का एक सामाजिक समूह है जिसे चमार जाति का एक भाग भी माना जाता है। यह आधुनिक भारत के सकारात्मक भेदभाव प्रणाली में अनुसूचित जाति के रूप में वर्गीकृत की जाती है जो समुदायों (दलित) में से एक मानी जाती है।

चमार को सूर्यवंशी क्यों कहते हैं?

अहिरवार या सूर्यवंशी अहिरवार या चौधरी सूर्यवंशी या चंवरवंशीय अहिरवार में वर्गीकृत चंवरवंश के वीर सूर्यवंशीक्षत्रिय के नाम जाने जाते थे पर मुगलो ने जोर जबरदस्ती से इनको चमार नाम का दर्जा दिया क्योंकि चंवरवंश के सूर्यवंशी क्षत्रियो ने इस्लाम कबूल करने से साफ इंकार कर दिया उन्होंने कहा हम पशुओं की चमड़ी से जूता चप्पल बना ...