कात्यायन गोत्र की कुलदेवी कौन है - kaatyaayan gotr kee kuladevee kaun hai

कात्यायन नाम से कालांतर में कई ऋषि हुए हैं। एक विश्वामिंत्र के वंश में जिन्होंने श्रोत, गृह्य और प्रतिहार सूत्रों की रचना की थी, दूसरे गोमिलपुत्र थे जिन्होंने 'छंदोपरिशिष्टकर्मप्रदीप' की रचना की थी और तीसरे कात्यायन वररुचि सोमदत्त के पुत्र थे जो पाणिनीय सूत्रों के प्रसिद्ध वार्तिककार थे।

कात्यायन कत ऋषि के गोत्र में उत्पन्न ऋषियों को कहा गया है। सबसे पहले कत नामक महर्षि के पुत्र ऋषि कात्य हुए। इन्हीं कात्य के गोत्र में विश्व प्रसिद्ध महर्षि कात्यायन उत्पन्न हुए जिन्होंने भगवती जगदम्बा की कई वर्षों तक कठिन तपस्या की थी जिससे प्रसन्न होकर जगदम्बा ने कात्यायन ऋषि की इच्छानुसार उनके यहां पुत्री के रूप में जन्म लेकर महिषासुर का वध किया था।

भगवान कृष्ण को पति रूप में पाने के लिए ब्रज की गोपियों ने इन्हीं की पूजा कालिन्दी यमुना तट पर की थी। ये ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी के रूप में प्रतिष्ठित हैं

ऋषि कात्यायन की पुत्री होने के कारण वे कात्यायनी कहलाईं। यह नवदुर्गा में से एक षष्ठी देवी है। कात्यायन ऋषि को विश्वामित्रवंशीय कहा गया है। स्कंदपुराण के नागर खंड में कात्यायन को याज्ञवल्क्य का पुत्र बतलाया गया है। उन्होंने 'श्रौतसूत्र', 'गृह्यसूत्र' आदि की रचना की थी। जो एक मैत्रेय गोत्र आता है वह भी विश्वामित्र से संबंधित है।

कात्यायन ऋषि के कठोर तप से प्रकट हुईं थी माँ दुर्गा की छठी स्वरूप देवी कात्यायनी

My Jyotish Expert Updated 30 Mar 2020 05:50 PM IST

नवरात्र के छठे दिन देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों में माँ कात्यायनी की पूजा की जाती है। इनकी आराधना करने से भक्तों को शक्ति, बुद्धि ,धन ,सपंदा और सभी तरह के संसाधनों की प्राप्ति होती है। इनकी आराधना से बड़े - बड़े देवताओं ने भी अपने कष्टों से छुटकारा पाया है। देवी अपने भक्तों के सभी दुःख हर लेती हैं तथा उन्हें सुख समृद्धि से संपन्न कर देती हैं। अमरकोष के अनुसार कात्यायनी माँ पार्वती का दूसरा नाम है। देवी कात्ययानी उमा, गौरी, काली, हेमावती और ईश्वरी के नाम से भी प्रचलित है।

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पौराणिक कथाओं अनुसार कात्या ऋषि के गोत्र में विश्वप्रसिद्ध कात्यायन ऋषि का जन्म हुआ। महर्षि कात्यायन शास्त्रों के बड़े ज्ञानी व बहुत सी विद्याओं के ज्ञाता थे। ऋषि कात्यायन की यह इच्छा थी की देवी स्वयं उनकी पुत्री के रूप में उनके घर जन्म लें। इस मनोकामना को पूर्ण करने के लिए मन में दृढ़ निष्ठा के साथ महर्षि ने घने जंगलों में कठोर तपस्या की। कात्यायन ऋषि की घोर तपस्या से प्रसन्न हो कर माँ ने उनकी प्रार्थना को स्वीकार कर उनके घर पुत्री रूप में जन्म लेने की इच्छा मन ली।
जब कुछ समय बाद महिषासुर नाम का दानव पृथ्वी लोक पर आतंक मचाने लगा तब त्रिदेव यानि ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने मिलकर एक तेज शक्ति से देवी को उत्पन्न किया। इस देवी की सबसे पहले पूजा कात्यायन ऋषि ने की थी जिसके बाद उनका कात्यायनी देवी पड़ गया। देवी कात्यायनी ने आश्विन कृष्ण चतुर्दशी को जन्म लिया और शुक्ल पक्ष की सप्तमी, अष्टमी और नवमी तिथि तक कात्यायन ऋषि की पूजा स्वीकार कर दशमी को महिषासुर का वध किया था।
देवी कात्यायनी अत्यंत तेजस्वी स्वरूप की देवी हैं। यह चार भुजाओं वाली देवी हैं। उनकी दाहिनी तरफ के हाथों में वरमुद्रा व अभयमुद्रा है तथा उनके बाएं हाथों में कमल तथा तलवार है। सिंह, देवी कात्यायनी का वाहन है। शास्त्रों की मान्यताओं के अनुसार देवी कात्यायनी की उपासना से भक्तों को सरलता से धर्म, अर्थ और मोक्ष की प्राप्ति होती है। तथा साधक को इस लोक के सभी सुखों को भोगने का अवसर मिलता है। देवी की पूजा से विवाह में आने वाली अड़चने भी दूर हो जाती है एवं विवाह भी शीघ्र ही हो जाता है।

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विश्वामित्रवंशीय कात्यायन मुनि ने कात्यायन श्रोतसूत्र, कात्यायन गृह्यसूत्र और प्रतिहारसूत्र की रचना की। स्कंदपुराण के नागर खंड में कात्यायन को याज्ञवल्क्य का पुत्र बतलाया गया है। जिसमें उन्हें यज्ञविद्याविचक्षण कहा है। उस पुराण के अनुसार इन्हीं कात्यायन ने श्रोत, गृह्य, धर्मसूत्रों और शुक्लयजु:पार्षत् आदि ग्रंथों की रचना की। वास्तव में स्कंदपुराण के यह कात्यायन विश्वामित्रवंशीय कात्यायन हैं और यही कात्यायन शुक्ल यजुर्वेद के अंगिरसायन की कात्यायन शाखा के जन्मदाता हैं।

शुक्ल यजुर्वेद की कात्यायन शाखा विंध्याचल के दक्षिण भाग से महाराष्ट्र तक फैली हुई है। महाभाष्य से ज्ञात होता है कि कात्यायन वररुचि कोई दाक्षिणात्य ब्राह्मण थे। महाराष्ट्र में व्याप्त कात्यायन शाखा इस प्रमाण का द्योतक है। शुक्लयजुर्वेद प्रातिशाख्य के बहुत से सूत्र कात्यायन के वार्तिकों से मिलते हैं। इससे भी उक्त संबंध की पुष्टि होती है।

स्कंदपुराण में याज्ञवल्क्य का आश्रम गुजरात में बतलाया गया है। बहुत संभव है जब याज्ञवल्क्य मिथिला जा बसे हों तब उनके पुत्र कात्यायन महाराष्ट्र की ओर चले गए हों और वहीं कात्यायन वररुचि वार्तिककार का जन्म हुआ हो।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

  • अन्य कात्यायन
  • कात्यायान (वररुचि) - सोमदत्त के पुत्र और पाणिनीय सूत्रों के प्रसिद्ध वार्तिककार।
  • कात्यायन (गोमिलपुत्र) - जिन्होंने छंदोपरिशिष्टकर्मप्रदीप की रचना की।

ऊँ ।। कान्य कुब्ज ब्राह्मण वंशावली ।। ऊँ     
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डा.अजय दीक्षित कृत
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                       ।।राम ।।
                                                             

कात्यायन गोत्र की कुलदेवी कौन है - kaatyaayan gotr kee kuladevee kaun hai

कात्यायन गोत्र--मिश्रों का स्थान असामी तथा विस्वा
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स्थान:-------------------असामी :-------विस्वा

कंजपुर के मिश्र /    गार्गीदत्त /    १०

बदरका के मिश्र /    ऐंडे       /      १५

कंजपुर के मिश्र /     खट्टे /         १०

कंजपुर के        /      मीठे     /       १०

कंजपुर के         /     दिउता  /      १०

कंजपुर के          /    गोविन्द /       १०

बदरका बवना टोला / मोहन   /     १४

बदरका बवना टोला / काशीनाथ / १६

"         "            "     /जगन्नाथ  /   १६

""""''''''''''''''"'"""'''''''''''''''   /विश्वनाथ /     १६

""""""""""""""'"'''''''''''''''' / पीठा।       /    १०

"""'''''''''''''''''''''''''''''''''''''"' / महाशर्म   /      १०

जगदीशपुर के     /राधा रमन /       १४

सिरकिडा के       / सूर्य प्रसाद  /     १०

सरवर के          /  दयाराम     /     १०

पत्योंजा के       / सेवाराम     /      ८

नेथुआ के।        / गुलजारी     /      १०

बैजे गाँव के    / पवन नाथ   /        १६

पासी खेरा के    / लोक नाथ   /       १५

गलाये के          / विश्वनाथ    /        १०

""""""'''''''''''''''''''      / चिन्तामणि  /         १३

बदरका बावन टोला के /वेदमूर्ति /     १४

"""""""""""""""""""""""""""""/कमल नयन / १३

"""""""""""""""""""""""""""/ मांधाता      /    १४

वरूआ के              /विज्ञानेश्वर   /     १५

नलहा  के              / भगवंत।      /      ६

वैजेगाँव के          /   मुरलीधर  /       १६

""""""""""""""""        / मल्लिनाथ  /       १६

""""""""""""""""        /गोपीनाथ।   /        १६

"""""""""'"""""""""    / मधुनाथ।    /         १६

पासी खेरे के     / मथुरानाथ  /           १५

गलाथे के         / काशीनाथ  /         १३

""""""""""""""        / रतिनाथ     /          १४

"""""""""""""""      / नीलकंठ     /          १४

"""""""""""""""""'  / शंभूनाथ     /            १३

रामपुर के       / केशरी।      /            ५

सोठियांव के     / केशी।      /              २०

आंकिन के     / रामनाथ      /           १९

कन्नौज गोल मैदान के /अनिरूद्ध /    २०

लवानी के          / श्री दत्त।     /           १२

बद्दूसरांय के     / भावनाथ।   /           १६

पाली वैजे गांव के / रामनाथ  /          २०

हडहा वैजे गांव के / नृसिंहनाथ /        १४

सोठियांव  के         /हरीराम।    /         १७

"""""'''''''''''''''''''''         / माधौराम   /         १८

बदरका आँकिन के / मोहन     /          २०

""""""""""""""""''''''''    / कमल      /           २०

माँझ गाँव के      / प्रजापति   /            २०

निवादा आँकिन के / कांते     /            १८

अनिरुद्ध कन्नौज गोल
मैदान के              / लाले   /          २०

"""""""""''''''''''''''''''      /  वाले।     /         २०

"""""""""""""""""""""  / हंसराम   /        २०

"""""""""'""''''''''''''''''''  / शिरोमणि  /        २०

""""""""""""""""""""   / गंगा प्रसाद  /      १८

बाँकी पुर लवानी के / सुरेश्वर   /       १२

नौगांव सोठियांये के / गुनी      /         १७

सोठियाँये के         / गोवर्धन  /         २०

""""""''''""""""""""       / मार्कण्डेय  /      १८

नौगाँव सोठियाँये के / भवन     /       १७

सोठियाँये  के         / इन्द्र मणि /        १९

"""""""""""""""""       / भवन नाथ /       १८

""""""""""""""""""""   / टीकाराम   /       १९

""""""""""""""""""""  / राजाराम     /       १८

"""""""""""""""""""  / वीरभद्र।      /         १८

मांझ गाँव के    / भोले।       /          १८

काकोरी माँझ गाँव के / पलटू  /       १९

"""""""""""""""""""""""""/ संतोषी   /        १९

माँझ गाँव के      /   कृपा।     /         २०

कन्नौज ग्वाल मैदान
(अनिरूद्ध)                 / मूले      /      १९

"""""""""""""""""""""""     /   धमने   /      १९

"""""""""""""""""""'""""'   / गंगाधर  /       १९

""""""""""""""""""""""""" / विश्वनाथ /       १९

"""""""""""""""""""""""  /रघुनाथ     /        १९

""''"""""""""""""""'""'   / वंदन         /          १९

"""""""""""""""""""'''   / गुलाल      /          १९

""""""""""""""""""""    / भगोले।    /          १९
"""""""""""""""""""""' / शंभू         /            १९

""""'''""""""""""""""' / वेदनाथ    /             १९

काकोरी माँझ गाँव के / पाराशर /      १८

""""""'''"""""""""""""""""""' / खेभे       /       १८
पिहानी  के             / कमल भाल /     १०

दरौली  के            / माधव।      /        १९

"""'''''''''''''''''''''             / हरिनाथ।  /         १९

।। इति मिश्रा: ।।
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।। कात्यायन गोत्र दुवे ।।
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स्थान                   असामी             विश्वा
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टिकरिया के      /   चतुर्भुज         /  ५

सिरकिडा  के      /  गैडै               /  १०

पत्योंजा के         / भगनी           /    ७
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                           इति दुवे

कात्यायन गोत्र अग्निहोत्री
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स्थान                 असामी              विश्वा
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राजापुर के         /  अनन्तराम।     /   १०

बदरका के          / मथुरा।            /     ५

विहगाँव  के        / अयोध्या।      /       १०

मोती पुर  के      / प्रयाग।           /         ३

चांदापुर के     / मुन्ना।           /           ८

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                ।। इति अग्नि होत्री ।।

।। कात्यायन गोत्र समाप्तम् ।।

डा.अजय दीक्षित

कृत

                 Dr Ajai Dixit@gmail. Com

ब्राह्मणों में सबसे बड़ा गोत्र कौन सा है?

सबसे पहले गोत्र सप्तर्षियों के नाम से प्रचलन में आए. सप्तर्षियों मे गिने जाने वाले ऋषियों के नामों में पुराने ग्रथों (शतपथ ब्राह्मण और महाभारत) में कुछ अंतर है. इसलिए कुल नाम- गौतम, भरद्वाज, जमदग्नि, वशिष्ठ (वशिष्ठ), विश्वामित्र, कश्यप, अत्रि, अंगिरा, पुलस्ति, पुलह, क्रतु- ग्यारह हो जाते हैं.

कात्यायन ऋषि कौन थे?

कत नामक महर्षि के पुत्र ऋषि कात्य हुए। इन्हीं कात्य के गोत्र में विश्व प्रसिद्ध महर्षि कात्यायन उत्पन्न हुए। इन्होंने भगवती पराम्बा की उपासना करते हुए कई वर्षों तक कठिन तपस्या की। उनकी इच्छा थी कि मां भगवती उनके घर में पुत्री के रूप में जन्म लें।

ऋषि कात्यायन की पत्नी का नाम क्या है?

कात्यायिनी
मंत्र
चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहन। कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी ॥
अस्त्र
कमल व तलवार
जीवनसाथी
शिव
सवारी
सिंह
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उपमन्यु गोत्र में कौन कौन से ब्राह्मण आते हैं?

उपमन्यु एक भारतीय उपनाम है जो बरनवाल का एक गोत्र हैं