इनमें से कौन जीवन का सर्वाधिक महत्वपूर्ण कारक है - inamen se kaun jeevan ka sarvaadhik mahatvapoorn kaarak hai

नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर को चुनिए :-निम्नलिखित में कौन-सा एक लोगों और पर्यावरण के बीच अन्योन्यक्रिया का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण कारक है?मानव बुद्धिमताप्रौद्योगिकीलोगों के अनुभवमानवीय भाईचारा


नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर को चुनिए :-

निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा एक भूगोल का वर्णन नहीं करता?

  • समाकलनात्मक अनुशासन

  • मानव और पर्यावरण के बीच अंतर-संबंधों का अध्ययन

  • द्वैधता पर आश्रित

  • प्रौद्योगिकी के विकास के फलस्वरूप आधुनिक समय में प्रासंगिक नहीं


D.

प्रौद्योगिकी के विकास के फलस्वरूप आधुनिक समय में प्रासंगिक नहीं


नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर को चुनिए :-

निम्नलिखित में से कौन-सा एक भौगोलिक सूचना का स्रोत नहीं है?

  • यात्रियों के विवरण

  • प्राचीन मानचित्र

  • चंद्रमा से चट्टानी पदार्थों के नमूने

  • प्राचीन महाकाव्य


मानव भूगोल के विषय क्षेत्र पर एक टिप्पणी लिखिए।


विगत कुछ वर्षों से मानव भूगोल का महत्त्व दिन - प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। वास्तव में फ्रांस के पॉल विडाल-डी-ला- ब्लाश तथा जीन ब्रून्श ने मानव भूगोल को अत्यधिक महत्त्व देकर उसे उच्च शिखर पर बिठाया है। प्राकृतिक दशाओं का अध्ययन केवल उनको जानने के लिए ही नहीं किया जाता, बल्कि किसी स्थान की प्राकृतिक दशाओं के आधार पर मानव भूगोल के तत्त्वों को आसानी से समझने के लिए भी किया जाता है। विभिन्न विद्वानों ने मानव भूगोल को अपने-अपने ढंग से परिभाषित किया है। मानव भूगोल की कुछ महत्त्वपूर्ण परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं।

  1. विडाल-डी-ला- ब्लाश के अनुसार, ''मानव भूगोल को भौगोलिक विज्ञान की सम्माननीय शाखा का एक नवीन अंकुर माना है। '' उन्होंने आगे और स्पष्ट करते हुए बताया कि मानव भूगोल विकसित विचारों की अभिव्यंजना है जो खोज और भौगोलिक ज्ञान के फलस्वरूप विकसित हुई है।
  2. हंटिंग्टन के अनुसार, ''मानव भूगोल भौगोलिक वातावरण और मानव के कार्यकलापों एवं गुणों के संबंध के स्वरूप और वितरण का अध्ययन है। ''
  3. एलन सी. सेंपल के अनुसार, ''मानव भूगोल अस्थिर पृथ्वी और क्रियाशील मानव के बीच परिवर्तनशील संबंधों का अध्ययन है। ''
  4. जीन ब्रून्श के अनुसार, ''मानव भूगोल उन सभी वस्तुओं का अध्ययन है जो मानव कार्यकलापों द्वारा प्रभावित है और जो हमारी पृथ्वी के धरातलीय पदार्थों की एक बिशेष श्रेणी में देखे जा सकते हैं।

''अत: मानव भूगोल एक दर्शनशास्त्र के समान है। मनुष्य की विचारधारा और जीवन दर्शन पर किसी स्थान की भौगोलिक परिस्थितियों का गहरा प्रभाव पड़ता है। मानव भूगोल मनुष्य तथा उस पर वातावरण के प्रभाव का ही अध्ययन है।

मानव भूगोल का विषय क्षेत्र - मानव भूगोल का क्षेत्र बहुत ही विस्तृत तथा व्यापक है। इसमें मनुष्य की आर्थिक क्रियाओं के अतिरिक्त मनुष्य की और भी क्रियाएँ: जैसे जनसंख्या और उसका वितरण, नगर व उनका आकार तथा प्रकार, मनुष्य की संस्कृति आदि सम्मिलित हैं। वास्तव में आर्थिक भूगोल केवल विस्तृत मानव भूगोल का ही एक अंग है। मानव क्रियाएँ जो भौगोलिक वातावरण के परिणामस्वरूप उत्पन्न होती हैं, अनेक प्रकार की हैं। इनमें से प्रमुख निम्नलिखित हैं-

  1. जनसंख्या: वितरण एवं घनत्व,
  2. मकान: उनके प्रकार तथा बनावट,
  3. मानव अधिवास: ग्रामीण बस्तियाँ, नगरीय बस्तियाँ,
  4. मानवीय अर्थव्यवस्था: आखेट, पशुपालन, कृषि, खनन, उद्योग-धंधे, आवागमन के साधन ।

मानव भूगोल के अंतर्गत व्यक्तिगत दृष्टिकोण को सामाजिक दृष्टिकोण का रूप दिया जा रहा है। विभिन्न प्रकार के लोगों की संस्कृति को समझने के लिए मानव भूगोल का ही सहारा लिया जाता है। तकनीकी विकास के साथ मनुष्य और पर्यावरण के संबंधों में बदलाव आ रहा है। इसलिए मानव भूगोल की विषय-वस्तु में भी समय के साथ-साथ व्यापक विस्तार हो रहा है। आज मानव भूगोल के अंतर्गत नई समस्याओं और चुनौतियों का अध्ययन भी किया जाने लगा है।


मानव के प्राकृतीकरण की व्याख्या कीजिए।


मनुष्य अपनी सांस्कृतिक विरासत से प्राप्त तकनीक और प्रौद्योगिकी की सहायता से अपने भौतिक पर्यावरण से अन्योन्यक्रिया करता है। महत्त्वपूर्ण बात यह नहीं है कि मनुष्य क्या उत्पन्न एवं निर्माण करता है बल्कि यह है कि वह किन उपकरणों एवं तकनीकों की सहायता से उत्पादन एवं निर्माण करता है

प्रौद्योगिकी से किसी समाज के सांस्कृतिक विकास की सूचना मिलती है। मनुष्य प्रकृति के नियमों को बेहतर ढंग से जानने के बाद ही प्रौद्योगिकी का विकास कर पाया है। उदाहरणतया घर्षण और ऊष्मा की संकल्पना ने 'आग के आविष्कार' में हमारी सहायता की ।

सभी विज्ञानों का जन्म प्रकृति से हुआ है। सभी उपकरणों की कार्यविधि और तकनीकों को हमने प्रकृति से सीखा है। अत: प्रकृति का ज्ञान प्रौद्योगिकी को विकसित करने के लिए महत्त्वपूर्ण है। आरंभिक मानव ने स्वयं को प्रकृति के आदेशों के अनुसार ढाल लिया था क्योंकि उस समय मानव का सामाजिक- सांस्कृतिक विकास आरंभिक अवस्था में था तथा प्रौद्योगिकी न के बराबर थी । समय के साथ - साथ सामाजिक - सांस्कृतिक विकास होता गया । लोग अपने पर्यावरण और प्राकृतिक तत्त्वों को समझने लगेऔर सक्षम प्रौद्योगिकी का विकास होने लगा । मनुष्य अपनी बुद्धि, कौशल, संकल्प शक्ति के बल पर अपने प्रयासों की छाप प्रकृति पर डालने लगा । प्रौद्योगिकी की प्रारंभिक अवस्था में मनुष्य प्रकृति की सुनता तथा उसकी पूजा करता था ।


These Solutions are part of NCERT Solutions for Class 12 Geography. Here we have given NCERT Solutions for Class 12 Geography Fundamentals of Human Geography Chapter 1 Human Geography (Nature and Scope).

अभ्यास प्रश्न (पाठ्यपुस्तक से)

प्र० 1. नीचे दिए गये चार विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए।
(i) निम्नलिखित में से कौन-सा एक भूगोल का वर्णन नहीं करता?
(क) समाकलनात्मक अनुशासन।
(ख) मानव और पर्यावरण के बीच अंतर-संबंधों का अध्ययन।
(ग) द्वैधता पर आश्रित।
(घ) प्रौद्योगिकी के विकास के फलस्वरूप आधुनिक समय में प्रासंगिक नहीं।
(ii) निम्नलिखित में से कौन-सा एक भौगोलिक सूचना का स्रोत नहीं है?
(क) यात्रियों के विवरण।
(ख) प्राचीन मानचित्र।
(ग) चंद्रमा से चट्टानी पदार्थों के नमूने।
(घ) प्राचीन महाकाव्य।
(iii) निम्नलिखित में से कौन-सा एक लोगों और पर्यावरण के बीच अन्योन्यक्रिया का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण कारक है?
(क) मानव बुद्धिमत्ता।
(ख) प्रौद्योगिकी।
(ग) लोगों को अनुभव।
(घ) मानवीय भाईचारा।
(iv) निम्नलिखित में से कौन-सा एक मानव भूगोल का उपगमन नहीं है?
(क) क्षेत्रिय विभिन्नता।
(ख) मात्रात्मक क्रांति।
(ग) स्थानिक संगठन।
(घ) अन्वेषण और वर्णन।
उत्तर:
(i) (घ) प्रौद्योगिकी के विकास के फलस्वरूप आधुनिक समय में प्रासंगिक नहीं।
(ii) (ग) चंद्रमा से चट्टानी पदार्थों के नमूने।
(iii) (ख) प्रौद्योगिकी।
(iv) (ग) स्थानिक संगठन।

प्र० 2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए
(i) मानव भूगोल को परिभाषित कीजिए।
उत्तर: अनेक विद्वानों ने मानव भूगोल को परिभाषित किया है जिनमें कुछ बातें समान हैं। अत-मानव भूगोल के अन्तर्गत प्राकृतिक (भौतिक) तथा मानवीय जगत के बीच अंतर्संबंधों, मानवीय परिघटनाओं के स्थानिक वितरण, उनके घटित होने के कारणों तथा विश्व के विभिन्न भागों में सामाजिक व आर्थिक विभिन्नताओं का अध्ययन किया जाता है।
(ii) मानव भूगोल के कुछ उप-क्षेत्रों के नाम बताइए।
उत्तर: मानव भूगोल के उप-क्षेत्र हैं-व्यवहारवादी भूगोल, सामाजिक कल्याण का भूगोल, अवकाश का भूगोल, सांस्कृतिक भूगोल, लिंग भूगोल, ऐतिहासिक भूगोल, चिकित्सा भूगोल, निर्वाचन भूगोल, सैन्य भूगोल, संसाधन भूगोल, कृषि भूगोल, पर्यटन भूगोल, विपणन भूगोल तथा उद्योग भूगोल आदि।
(iii) मानव भूगोल किस प्रकार अन्य सामाजिक विज्ञानों से संबंधित है?
उत्तर: मानव भूगोल की प्रकृति अत्यधिक अंतर-विषयक है क्योंकि इसमें मानव और प्राकृतिक पर्यावरण के बीच अंतर्सम्बन्धों का अध्ययन किया जाता है। अत-इसका अनेक सामाजिक विज्ञानों से गहरा संबंध है; जैसे-सामाजिक विज्ञान, मानोविज्ञान, अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र, मानव विज्ञान, इतिहास, राजनीतिविज्ञान व जनांकिकी आदि।

प्र० 3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए।
(i) मानव के प्राकृतीकरण की व्याख्या कीजिए।
उत्तर: आदिम अवस्था में, जब प्रौद्योगिकी का स्तर अत्यंत निम्न था तब मानव प्रकृति के आदेशों के अनुसार अपने आपको ढालने के लिए बाध्य था। उस समय मानव के सामाजिक विकास की अवस्था भी आदिम ही थी। मानव की इस प्रकार की अन्योन्यक्रिया को पर्यावरणीय निश्चयवाद कहा गया। इस अवस्था में प्राकृतिक मानव प्रकृति की सुनता था, उसकी प्रचण्डता से भयभीत होता था और उसकी पूजा करता था। विश्व में आज भी ऐसे समाज हैं जो प्राकृतिक पर्यावरण के साथ पूर्णतः सामंजस्य बनाए हुए हैं और प्रकृति एक शक्तिशाली बले, पूज्य व सत्कार योग्य बनी हुई है। अपने सतत् पोषण हेतु मनुष्य प्राकृतिक संसाधनों पर प्रत्यक्ष रूप से निर्भर है। ऐसे समाजों में भौतिक पर्यावरण माता-प्रकृति का रूप धारण किए हुए है।। समय के साथ-साथ लोग अपने पर्यावरण और प्राकृतिक बलों को समझने लगते हैं। अपने अर्जित ज्ञान के बल पर तकनीकी कौशल विकसित करने में समर्थ होते जाते हैं। इस तरह सामाजिक और सांस्कृतिक विकास के साथ लोग और अधिक सक्षम प्रौद्योगिकी का विकास करते हैं। वे अभाव की अवस्था से स्वतंत्रता की ओर अग्रसर होते हैं। वास्तव में, पर्यावरण से प्राप्त संसाधन ही संभावनाओं को जन्म देते हैं। मानवीय क्रियाएँ सांस्कृतिक भू-दृश्य की रचना करती हैं, जिनकी छाप प्राकृतिक वातावरण पर सर्वत्र दिखाई पड़ती है। इस तरह प्रकृति का मानवीकरण होने लगता है।
(ii) मानव भूगोल के विषय क्षेत्र पर एक टिप्पणी लिखिए।
उत्तर: भूगोल की दो प्रमुख शाखाओं में से एक मानव भूगोल है। वास्तव में भूगोल का मुख्य सरोकार ही पृथ्वी को मानवे के घर के रूप में समझना और उन सभी तत्वों का अध्ययन करना है, जिन्होंने मानव को पोषित किया है। अतः मानव भूगोल में प्राकृतिक तथा मानवीय जगत के बीच अंतर्सम्बन्धों, मानवीय परिघटनाओं के स्थानिक वितरण, उनके घटित होने के कारणों तथा विश्व के विभिन्न भागों में सामाजिक और आर्थिक विभिन्नताओं का अध्ययन करते हैं। सामाजिक विज्ञानों में अध्ययन का केंद्र मानव ही होता है। उसकी व उसके विकास क्रम में उसके द्वारा की गयी। अन्योन्यक्रियाओं के परिणामस्वरूप विभिन्न सामाजिक विज्ञानों की उत्पत्ति संभव हो सकी है जैसे कि समाजशास्त्र, मनोविज्ञान, मानवविज्ञान, कल्याण अर्थशास्त्र, जनांकिकीय अध्ययन, इतिहास, महामारी विज्ञान, नगरीय अध्ययन वे नियोजन, राजनीति विज्ञान, सैन्यविज्ञान, लिंग अध्ययन, नगर व ग्रामीण नियोजन, अर्थशास्त्र, संसाधन अध्ययन, कृषि विज्ञान, औद्योगिक अर्थशास्त्र, व्यवसायिक अर्थशास्त्र व वाणिज्य, पर्यटन व यात्रा प्रबंधन तथा अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार आदि। इस तरह ज्ञान के विस्तार के साथ मानव भूगोल के नए उप-क्षेत्रों को विकास होता रहा है।

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जीवन का सर्वाधिक महत्वपूर्ण कारक कौन कौन से हैं?

मानव बुद्धिमता.
प्रौद्योगिकी.
लोगों के अनुभव.
मानवीय भाईचारा.

निम्नलिखित में से कौन सा एक मानव और पर्यावरण के बीच अन्योन्यक्रिया का सर्वाधिक महत्वपूर्ण कारक है?

(iii) निम्नलिखित में कौन-सा एक लोगों और पर्यावरण के बीच अन्योन्यक्रिया का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण कारक है? (iv) निम्नलिखित में से कौन-सा एक मानव भूगोल का उपगमन नहीं है? (i) मानव के प्राकृतीकरण की व्याख्या कीजिए | (ii) मानव भूगोल के विषय क्षेत्र पर एक टिप्पणी लिखिए | 3.

निम्नलिखित में से कौन सा एक लोगों और पर्यावरण के बीच?

(iii) निम्नलिखित में से कौन-सा एक लोगों और पर्यावरण के बीच अन्योन्यक्रिया का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण कारक है? (क) मानव बुद्धिमत्ता। (ख) प्रौद्योगिकी। (ग) लोगों को अनुभव।

निम्नलिखित में कौन आधुनिक उपागम नहीं है?

इस दृष्टि से भूगोल के अध्ययन के दो प्रमुख उपागम हैं: ( 1 ) विषय वस्तुगत (क्रमबद्ध ) एवं ( 2 ) प्रादेशिक ।