बीएफ इसमें बताया गया है कि एंपीयर का परिपथ नियम हमें लिखना है और इसे सिद्ध करना है तब हम सबसे पहले देखेंगे एंपीयर का परिपथ नियम या एंपियर द्वारा दिया गया नियम है क्या एंपियर द्वारा दिया गया परिपथ नियम जहां पर पति नियम के अंतर्गत निर्वात में किसी बंद परिपथ के लिए चुंबकीय क्षेत्र भी का ऋषि समाकलन उस पद से गिरी कुलधारा का न्यू नोट गुना होता है ऐसा कहा गया है ऐसे गणित के सूत्र में यदि लिखे हैं हम सब एक ही समाकलन कहा उसने अमेरिकी समाकलन चंद्र के चमक क्षेत्र की तीव्रता और उस बंद परिपथ के लिए एक छोटे से अल्फास हिस्से को ले लिया है अब यह कितने गुना होता है उस पर बहने वाली कुलधारा जिसे आईसीएबी प्रेषित किया जाता है तब उसका न्यू 0 गुना होता है या एंपियर द्वारा परिपथ नियम द्वारा ज्ञात हुआ है अब इन्हीं की उत्पत्ति हम किस प्रकार से करें इसके लिए हम पहले R1 देखेंगे आर्य के अनुसार हमने Show
रिजुरेखा चालक लिया हुआ धारावाहिक लिया हुआ है जब पधारा एक्स से गाय की ओर आई के रूप में प्रवाहित हो रही है यदि इसे आगे देखें तब किसी तल पर चुंबकीय क्षेत्र की दिशा जो है बी के रूप में चुंबकीय क्षेत्र में बल रेखाएं उसके द्वारा उस पद पर सन केंद्रीय व्यक्तियों के रूप में होगी जिसका केंद्र चालक के धारावाहिक चालक का ही केंद्र होगा अब यदि हम इससे किसी निश्चित दूरी और पर यहां पर आराम एलिया बिंदु और वह निश्चित दूरी पर हम यदि किसी बिंदु पर चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता देखें तब आर दूरी पर दूरी पर बिंदु पी स्थित है ड्यूटी पर चमक क्षेत्र बीसी व्यक्त करेंगे जैसे मान होगा उसका new0 अनुपात चार पाई गुडा 2 5 अनुपात r2i धारा के मात्रक को और आर उस बिंदु पी की निश्चित दूरी को बताता है इसी को हम किस प्रकार से और लिख सकते हैं बी = 9 0 5 अनुपात 2 पाई आर इसे प्रस्तुत वाइज समीकरण हम एक नहीं सकते हैं मेरी हम देखें जहां चुंबकीय क्षेत्र की दिशा किस ओर होगी चुंबकीय क्षेत्र की दिशा बिंदु पी पर इस्थित किसी वृत्त की स्पर्श रेखा हिस्से पर होगी चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता यदि हम इस पर ही आगे कल्पना करें कि जो वित्त में सबसे भारी बता दिया हुआ है उस पर एक छोटा सा हिस्सा हमने ले रखा है और छोटे से हिस्से डीएल सब क्या है उससे द्वारा चमक क्षेत्र की तीव्रता के लिए भी हमें सूत्र ज्ञात करना है तब भी है यूपी से हार दूरी पर स्थित कोई अल्फाज दिल की कल्पना हमने की क्षेत्र की तीव्रता और इस डीएल भाग की तीव्रता एक ही दिशा तय होगी पी की तीव्रता जो है उस दिशा पर उसी के अनुदेश dl5 पर चमक क्षेत्र की तीव्रता हमें देखनी है जो एक ही दिशा के समान होगी अब यहां पर हमें चमक क्षेत्र की तीव्रता को किस प्रकार लिख सकते हैं जो कि यह व्यक्ति क्षेत्रफल है परिपथ ही के अनुसार उसके रिकी समाकलन के लिए हमें भी बड़ा दिल को हमें लिया अब इस रिकी समाकलन के अंतर्गत और क्या लिख सकते हैं यदि हमेशा देश की स्थिति हटाई बीडीएल कॉस थीटा के रूप में इसे किस प्रकार की दोनों की दिशा हमने बोला है दोनों की दिशा सामान है अर्थात उनकी भी चीता का जो मान होगा वह सुने होगा इस विमान पर भी डीएल कॉस 0 को छूने का मन हम जानते हैं एक होता है अभी-अभी कि समाज में हमारे लिए किराया भी डीएल यह आया क्योंकि हम इसी श्री पर देखते हैं बी कमान जो हमें प्रस्तुत है इसे हम लिख दे दी और दिल चुके की दिशा तय है इस स्थिति पर जहां भी का मन हम रखें दिखा मान चुकी हमें समीकरण एक से देखा था 90 आई अनुपात 2 पाई आर और यहां पर हमें रियल एलियन इसको बाहर करो आई अनुपात 2 पाई आर यहां पर डीएलपीएल क्या है दिल को सबसे भारी वृत्त की परिधि के रूप में यदि हम ले दिल को हम जानते हैं वृत्त की परिधि होती है परिधि कितनी 2 पाई आर यहां पर हमने रखा new0 आई यहां पर इस का मान 2 पाई आर के पहले से हमारे पास नहीं चाहिए 2 पाई आर का मान था उनके मान कटे और हमें अंतिम रूप से जो समाकलन के रूप में आप मान प्राप्त हुआ था समाकलन दी के रूप में अंतिम रूप से भी रियल बराबर न्यू आई प्रस्तुत वापस अनुसार हमने एंपियर के द्वारा परिपथ नियम से प्रतिपादित हुआ था यहां पर किसी को एंपीयर का परिपथ नियम कहते हैं धन्यवाद आन्द्रे मैरी अम्पीयर विद्युत धारा, चुंबकीय क्षेत्र पैदा करती है। इस नियम का प्रतिपादन सन् १८२६ में आन्द्रे मैरी एम्पीयर (André-Marie Ampère) ने किया था। इस नियम में किसी बंद लूप पर समाकलित चुम्बकीय क्षेत्र एवं उस लूप से होकर प्रवाहित हो रही कुल धारा के बीच गणितीय सम्बन्ध स्थापित किया गया। जेम्स क्लार्क मैक्सवेल ने सन् १८६१ में इसे विद्युतगतिकीय सिद्धान्त से सिद्ध किया। वर्तमान में यह नियम मैक्स्वेल के चार समीकरणों में से एक है। अनुक्रम
एम्पीयर का नियम (मूल रूप में)[संपादित करें]अम्पीयर-मैक्सवेल का परिपथीय नियम केवल स्थैतिक-चुम्बकीय स्थिति में लागू होता है जब बन्द परिपथ में सतत अपरिवर्तनीय धारा धारा बह रही हो। किन्तु जहाँ समय के साथ परिवर्ती विद्युत क्षेत्र हो, वहाँ यह नियम लागू नहीं होता (असत्य हो जाता है)। इसलिये जहाँ परिवर्ती विद्युत क्षेत्र हो, वहाँ इस नियम में संशोधन करना पड़ता है (एक और पद जोड़ना पड़ता है, जिसे 'मैक्सवेल का संशोधन' कहते हैं।) अम्पीयर का मूल नियम कई तरह से अभिव्यक्त किया जाता है। समाकलन के रूप में[संपादित करें]इसे इस रूप में भी लिख सकते हैं- जहाँ बंद वक्र C के परितः रैखिक समाकलन (line integral) है;B टेस्ला में चुंबकीय क्षेत्र है;· अदिश गुणनफल (डॉट प्रोडक्ट) है;अवकलन रूप (डिफरेंशियल फॉर्म)[संपादित करें]जहाँ - कर्ल आपरेटर है।अम्पीयर नियम का संशोधित रूप : अम्पीयर-मैक्सवेल समीकरण[संपादित करें]अम्पीयर नियम को सभी स्थितियों में लागू होने योग्य बनाने के लिये मैक्सवेल ने इस नियम में एक पद जोड़ा। संशोधित समीकरण निम्नलिखित है- इन्हें भी देखें[संपादित करें]
बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]
ऐम्पियर का परिपथीय नियम क्या है स्पष्ट कीजिए?इस नियम का प्रतिपादन सन् १८२६ में आन्द्रे मैरी एम्पीयर (André-Marie Ampère) ने किया था। इस नियम में किसी बंद लूप पर समाकलित चुम्बकीय क्षेत्र एवं उस लूप से होकर प्रवाहित हो रही कुल धारा के बीच गणितीय सम्बन्ध स्थापित किया गया।
एंपियर की इकाई क्या है?आँपैर अन्तर्राष्ट्रीय मात्रक प्रणाली में वैद्युतिक धारा का SI मात्रक है। एक आँपैर विद्युत धारा की रचना प्रति सेकंड ६.२४१५०९०७४×१०१८ इलेक्ट्रॉनों या एक कूलॉम के समतुल्य आवेश के प्रवाह से होती है। इसका नामकरण फ़्रान्सीसी गणितज्ञ और भौतिक विज्ञानी आन्द्रे मारी आँपैर के नाम पर रखा गया है।
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