ऐतिहासिक घटना: कहानी भारत के उस किले की, जहां दुश्मनों पर दागे गए थे चांदी के गोलेफीचर डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: नवनीत राठौर Updated Fri, 02 Jul 2021 09:45 AM IST Show
प्राचीन समय में राजा अपने राज्य या किले की रक्षा के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार रहते थे। यहां तक कि वो सोने-चांदी, हीरे-जवाहरात की भी कीमत नहीं समझते थे। आज हम आपको एक ऐसे एतिहासिक किले के बारे में बताने जा रहे हैं, जो इतिहास में अमर है, क्योंकि वहां जो घटना घटी थी, वो न तो दुनिया में कहीं और घटी है और न ही कभी घटेगी। इस घटना की वजह से ही किले का नाम विश्व इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में लिखा गया है। दरअसल, हम बात कर रहे हैं चूरू किले की, जो राजस्थान के चूरू जिले में स्थित है। वर्ष 1694 में ठाकुर कुशल सिंह ने इस किले का निर्माण करवाया था। इस किले के निर्माण के पीछे मकसद आत्मरक्षा के साथ-साथ राज्य के लोगों को भी सुरक्षा प्रदान करना था। यह किला दुनिया का एकमात्र ऐसा किला है, जहां युद्ध के समय गोला बारूद खत्म हो जाने पर तोप से दुश्मनों पर चांदी के गोले दागे गए थे। यह इतिहास की बेहद ही हैरान कर देने वाली घटना थी, जो वर्ष 1814 में घटी थी। उस समय इस किले पर ठाकुर कुशल सिंह के वंशज ठाकुर शिवजी सिंह का राज था। इतिहासकारों के मुताबिक, ठाकुर शिवजी सिंह की सेना में 200 पैदल और 200 घुड़सवार सैनिक थे, लेकिन युद्ध के समय सेना की संख्या अचानक से बढ़ जाती थी, क्योंकि यहां रहने वाले लोग अपने राजा के लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार रहते थे और इसीलिए वो एक सैनिक की तरह दुश्मनों से लड़ते थे। सिर्फ यही नहीं, ठाकुर शिवजी सिंह की प्रजा अपने राजा और राज्य की रक्षा के लिए अपनी धन-दौलत तक लुटा देते थे। साल 1814, अगस्त का महीना था। बीकानेर रियासत के राजा सूरत सिंह ने अपनी सेना के साथ चूरू किले पर हमला बोल दिया। इधर, ठाकुर शिवजी सिंह ने भी अपनी सेना के साथ उनका डटकर मुकाबला किया, लेकिन कुछ ही दिनों में उनके गोला-बारूद खत्म हो गए। गोला-बारूद की कमी देख राजा चिंतित हो गए, लेकिन उनकी प्रजा ने उनका भरपूर साथ दिया और राज्य की रक्षा के लिए अपने सोने-चांदी सब राजा पर न्यौछावर कर दिए, जिसके बाद ठाकुर शिवजी सिंह अपने सैनिकों को आदेश दिए कि दुश्मनों पर तोप से चांदी के गोले दागे जाएं। इसका असर ये हुआ कि दुश्मन सेना ने हार मान ली और वहां से भाग खड़े हुए। यह घटना चुरू के इतिहास में अमर है। यह लेख जिला मुख्यालय के बारे में है। जिला के लिए, चूरू जिला देखें।
चूरू (Churu) भारत के राजस्थान राज्य के चूरू ज़िले में स्थित एक नगर है।[1][2] विवरण[संपादित करें]चूरू राजस्थान के मरुस्थलीय भाग का एक नगर एवं लोकसभा क्षेत्र है। इसे थार मरुस्थल का द्वार भी कहा जाता है। यह चूरू जिले का जिला मुख्यालय है। इसकी स्थापना 1620 ई में निर्बान राजपूतों द्वारा की गई थी।[3] चूरू भारत की आजादी से पहले बीकानेर जिले का एक हिस्सा था। 1948 में, इसका पुनर्गठन होने पर इसे बीकानेर से अलग कर दिया गया।[4] अवस्थिति[संपादित करें]यह नगर थार मरुस्थल में संगरूर से अंकोला को जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग ५२ पर बीकानेर को जाने वाले रेल मार्ग 28.2900° N, 74.9600° E पर स्थित है। आकर्षण[संपादित करें]रतनगढ़[संपादित करें]यह एक ऐतिहासिक किला है। काफी संख्या में पर्यटक यहां घूमने के लिए आते हैं। इस किले का निर्माण बीकानेर के राजा रत्नसिंह ने 1820 ई. में करवाया था। यह किला आगरा-बीकानेर मार्ग पर स्थित है। इस जगह के आसपास कई हवेलियां भी है। यहां रेतीले टीले हवा की दिशा के साथ आकृति और स्थान बदलते रहते हैं। इस शहर में कन्हैया लाल बंगला की हवेली और सुराना हवेली आदि जैसी कई बेहद खूबसूरत हवेलियां हैं, जिनमें हजारों छोटे-छोटे झरोखे एवं खिड़कियाँ हैं। ये राजस्थानी स्थापत्य शैली का अद्भुत नमूना हैं जिनमें भित्तिचित्र एवं सुंदर छतरियों के अलंकरण हैं। नगर के निकट ही नाथ साधुओं का अखाड़ा है, जहां देवताओं की मूर्तियां बनी हैं। इसी नगर में एक धर्म-स्तूप भी बना है जो धार्मिक समानता का प्रतीक है। नगर के केन्द्र में एक दुर्ग है जो लगभग ४०० वर्ष पुराना है। सालासार बालाजी[संपादित करें]यह भगवान हनुमान का मंदिर है। यह मंदिर जयपुर-बीकानेर मार्ग पर स्थित है। चूरू भारत के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। माना जाता है कि यहां जो भी मनोकामना मांगी जाए वह पूरी होती है। प्रत्येक वर्ष यहां दो बड़े मेलों का आयोजन किया जाता है। यह मेले चैत्र (अप्रैल) और अश्विन पूर्णिमा (अक्टूबर) माह में लगते हैं। लाखों की संख्या में भक्तगण देश-विदेश से सालासार बालाजी के दर्शन के लिए यहां आते हैं। यह मंदिर पूरे साल खुला रहता है। सुराना हवेली[संपादित करें]यह छ: मंजिला इमारत है। यह काफी बड़ी हवेली है। इस हवेली की खिड़कियों पर काफी खूबसूरत चित्रकारी की गई है। इस हवेली में 1111 खिड़कियां और दरवाजे हैं। इस हवेली का निर्माण 1870 में किया गया था। दूधवा खारा[संपादित करें]ऐतिहासिक दृष्टि से यह स्थान काफी महत्वपूर्ण है। यह स्थान चूरू से 36 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह गांव अपनी प्राकृतिक सुंदरता और खूबसूरत हवेलियों के प्रसिद्ध है। यहां आकर राजस्थान के असली ग्रामीण परिवेश का अनुभव किया जा सकता है। इसके अलावा यहां ऊंटों की सवारी भी काफी प्रसिद्ध है। ताल छापर अभयारण्य[संपादित करें]ताल छापर अभयारण्य चुरू जिले में स्थित है। यह जगह मुख्य रूप से काले हिरण के लिए प्रसिद्ध है। इस अभयारण्य में कई अन्य जानवर जैसे-चिंकारा, लोमड़ी, जंगली बिल्ली के साथ-साथ पक्षियों की कई प्रजातियां भी देखी जा सकती है। इस अभयारण्य का क्षेत्रफल 719 वर्ग हेक्टेयर है।तथा यह कुंरजा पक्षीयो ( demoiselle cranes) के लिये भी नामित है।यह चुरू जिले के छापर शहर के पास स्थित है इसे 11 मई 1966 को एक अभयारण्य का दर्जा दिया गया। कोठारी हवेली[संपादित करें]इस हवेली का निर्माण एक प्रसिद्ध व्यापारी ओसवाल जैन कोठारी ने करवाया था जिसका नाम उन्होंने अपने गोत्र के नाम पर रखा। इस हवेली पर की गई चित्रकारी काफी सुंदर है। कोठारी हवेली में एक बहुत कलात्मक कमरा है, जिसे मालजी का कमरा कहा जाता है। इसका निर्माण उन्होंने सन 1925 में करवाया था। छतरी[संपादित करें]चूरू में कई आकर्षक गुम्बद है। अधिकतर गुम्बदों का निर्माण धनी व्यापारियों ने करवाया था। ऐसे ही एक गुम्बद-आठ खम्भा छतरी का निर्माण सन 1776 में किया गया था। आवागमन[संपादित करें]
इन्हें भी देखें[संपादित करें]
बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]
सन्दर्भ[संपादित करें]
चुरू दुर्ग का निर्माण कब और किसने करवाया?दरअसल, हम बात कर रहे हैं चूरू किले की, जो राजस्थान के चूरू जिले में स्थित है। वर्ष 1694 में ठाकुर कुशल सिंह ने इस किले का निर्माण करवाया था। इस किले के निर्माण के पीछे मकसद आत्मरक्षा के साथ-साथ राज्य के लोगों को भी सुरक्षा प्रदान करना था।
चुरू जिले का राजा कौन था?उस समय चूरू अलग बड़ी रियासत हुआ करती थी। उस दौरान चूरू के शासक ठाकुर शिवजी सिंह थे। बीकानेर रियासत का चूरू पर तीसरा आक्रमण था।
चूरू जिले में कौन सा किला है?चूरू किला या चुरू का किला चूरू जिले का रतनगढ़ तालुका का किला है। रतनगढ़ को पहले कोलासर के नाम से जाना जाता था और यह विशाल हवेली (हवेलियों) के लिए प्रसिद्ध है।
चांदी के गोले दागने वाला किला कौन सा है?इसे 'चूरू किले' के नाम से जाना जाता है। यह राजस्थान के चूरू जिले में स्थित है।
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