Punjab State Board PSEB 11th Class Economics Book Solutions Chapter 12 बाज़ार के रूप Textbook Exercise Questions, and Answers. Show
PSEB Solutions for Class 11 Economics Chapter 12 बाज़ार के रूपPSEB 11th Class Economics बाज़ार के रूप Textbook Questions and AnswersI. वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions) (A) पूर्ण प्रतियोगिता (Perfect Competition) प्रश्न 1. प्रश्न 2.
प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. (B) एकाधिकार (Monopoly) प्रश्न 9. प्रश्न 10.
प्रश्न 11. प्रश्न 12. प्रश्न 13.
प्रश्न 14. प्रश्न 15. प्रश्न 16. प्रश्न 17. प्रश्न 18. प्रश्न 19. (C) एकाधिकारी प्रतियोगिता (Monopolistic Competition) प्रश्न 20. प्रश्न 21. प्रश्न 22. प्रश्न 23. प्रश्न 24.
प्रश्न 25.
प्रश्न 26. प्रश्न 27. प्रश्न 28.
प्रश्न 29. प्रश्न 30. प्रश्न 31.
प्रश्न 32. प्रश्न 33. प्रश्न 34. प्रश्न 35. प्रश्न 36. प्रश्न 37. प्रश्न 38. प्रश्न 39. प्रश्न 40. प्रश्न 41. प्रश्न 42.
प्रश्न 43. प्रश्न 44. प्रश्न 45. प्रश्न 46. प्रश्न 47. प्रश्न 48. प्रश्न 49. प्रश्न 50. प्रश्न 51. प्रश्न 52. प्रश्न 53. प्रश्न 54. प्रश्न 55. प्रश्न 56. प्रश्न 57. प्रश्न 58. II. अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions) (A) पूर्ण प्रतियोगिता (Perfect Competition) प्रश्न 1.
अल्पाधिकार में बड़े आकार के थोड़े से बेचने वाले होते हैं, जैसे पैप्सी कोला तथा कोका कोला। प्रश्न 2.
प्रश्न 3.
प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7.
(B) एकाधिकार (Monopoly) प्रश्न 8. प्रश्न 9. प्रश्न 10. प्रश्न 11. प्रश्न 12.
प्रश्न 13. प्रश्न 14. प्रश्न 15. प्रश्न 16. (C) एकाधिकारी प्रतियोगिता (Monopolistic Competition) प्रश्न 17. प्रश्न 18. प्रश्न 19. प्रश्न 20.
(D) अल्प-अधिकार (Oligolopy) प्रश्न 21. प्रश्न 22.
III. लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions) A. पूर्ण प्रतियोगिता (Perfect Competition) प्रश्न 1.
प्रश्न 2.
प्रश्न 3. 1. फ़र्मों की बड़ी संख्या (Large Number of Firms)-पूर्ण प्रतियोगिता में फ़र्मों की संख्या बहुत अधिक होती है। प्रत्येक फ़र्म का आकार इतना छोटा होता है कि बाजार में पूर्ति को प्रभावित नहीं कर सकती। इसलिए कीमत को प्रभावित नहीं कर सकती। 2. एक समान वस्तुएं (Homogeneous Product)-पूर्ण प्रतियोगिता में सभी फ़मैं एक समान तथा समरूप वस्तुओं का उत्पादन करती हैं। कोई फ़र्म यदि बाजार कीमत से अधिक कीमत निर्धारण करती है, तो उस फ़र्म की वस्तु बिकती नहीं। इसलिए बाज़ार में प्रचलित कीमत को ही स्वीकार करती है। 3. कम कीमत के कारण हानि (Loss due to less Price)- यदि फ़र्म बाजार कीमत से कम कीमत निश्चित करती है तो उसको हानि होगी, क्योंकि पूर्ण प्रतियोगिता में दीर्घकाल में सभी फ़र्मों को साधारण लाभ प्राप्त होता है। कीमत कम की जाती है तो हानि होगी। 4. प्रवेश तथा छोड़ने की स्वतन्त्रता (Freedom of Entry and Exit)-पूर्ण प्रतियोगिता में यदि कुछ फ़र्मों को लाभ होता है तो नई फ़र्मे प्रवेश कर जाती है, जिससे कीमत कम हो जाती है। यदि कुछ फ़र्मों को हानि होती है तो वह फ़र्फे उद्योग को छोड़ जाती है, जिससे वस्तुओं की पूर्ति कम हो जाती है तथा कीमत बढ़ जाती है। इसलिए प्रत्येक फ़र्म उस कीमत को अपनाती है जो बाज़ार में उद्योग द्वारा निश्चित होती है। प्रश्न 4. फ़र्म का लाभ DEC है जोकि अधिकतम है। यदि फ़र्म OK, वस्तुओं का उत्पादन करती है। लाभ DR1C1C प्राप्त होगा तथा DR1C1 लाभ DEC से कम है। यदि फ़र्म OK2 वस्तुओं का उत्पादन करती है तो OK उत्पादन तक लाभ DEC है तथा KK2 उत्पादन से EC2R2 हानि होगी, क्योंकि K2C2 सीमान्त लागत अधिक है तथा K2R2 सीमान्त आय कम है। DEC में से EC2R2 घटा दिया जाएं तो लाभ DEC MR से कम प्राप्त होगा। स्पष्ट है कि फ़र्म को अधिकतम लाभ उस स्थिति में होता है, जहां सीमान्त आय (MR) समान सीमान्त लागत (MC) होती है। प्रश्न 5. (2) यदि कीमत OP1 निर्धारण होती है तो दीर्घकाल में नई फ़र्में प्रवेश कर सकती हैं। इस स्थिति में सन्तुलन MR = MC द्वारा E, पर स्थापित होता है। फ़र्म OK1 उत्पादन करती है। फ़र्म की औसत आय K1E1 अधिक है, औसत लागत K1C1 कम है। इसलिए साधारण लाभ E1C1 होता है। परन्तु नई फ़र्मे प्रवेश करेगी। वस्तुओं की पूर्ति बढ़ जाएगी तथा कीमत OP1 से बढ़कर OP हो जाएगी। जहां कि असाधारण लाभ शून्य हो जाएगा। (3) यदि कीमत OP2 निर्धारण होती है तो फ़र्म को हानि होगी। सन्तुलन MR = MC द्वारा E2 पर स्थापित होता है। K2C2 औसत लागत अधिक है। K2E2 औसत आय कम है। C2E2 हानि होगी। जिन फ़र्मों को हानि होती है। वह दीर्घकाल में उद्योग को छोड़ जाती है। वस्तुओं की पूर्ति कम हो जाएंगी। कीमत OP2 से बढ़कर OP हो जाती है। इस स्थिति में फ़र्म को साधारण लाभ होगा अथवा असाधारण लाभ शून्य हो जाता है। B. एकाधिकार (Monopoly) प्रश्न 6. प्रश्न 7.
प्रश्न 8. 2. एकाधिकार में मांग वक्र-एकाधिकार में मांग वक्र बाईं से दाईं ओर नीचे की ओर झुकी रेखा होती है, जब मांग वक्र अथवा AR घंटती है तो MR तीव्रता से घटती है। इससे अभिप्राय है कि यदि कीमत OP से घटाकर OP1 की जाती है तो मांग OQ से बढ़कर OQ1 हो जाती है। इसलिए मांग में वृद्धि कीमत को घटाकर की जा सकती है। प्रश्न 9.
एकाधिकार के दोष (Demerits of Monopoly)- 2. कम उत्पादन-एकाधिकार द्वारा जो उत्पादन किया जाता है वह पूर्ण प्रतियोगिता की तुलना में कम होता है, चाहे सन्तुलन MR = MC द्वारा स्थापित किया जाता है, परन्तु पूर्ण प्रतियोगिता में AR = MR सीधी रेखा होती है, परन्तु एकाधिकार में AR घटती है तो MR तीव्रता से घटती है, इसलिए सन्तुलन की स्थिति में एकाधिकार का उत्पादन कम होता है। 3. केन्द्रीयकरण को उत्साह-एकाधिकार के पास आर्थिक शक्ति बढ़ जाती है। एक बार एकाधिकार प्राप्त करने के पश्चात् यह फ़र्म किसी अन्य फ़र्म को बाज़ार में आने नहीं देती। इससे शोषण में वृद्धि होती है तथा बाज़ार पर एकाधिकारी का नियन्त्रण हो जाता है। प्रश्न 10. 2. वस्तुओं की प्रकृति-पूर्ण प्रतियोगिता में प्रत्येक फ़र्म समरूप वस्तु (Homogenous Products) का उत्पादन करती है। परन्तु एकाधिकार में ऐसी वस्तु का उत्पादन किया जाता है जिसका कोई नज़दीकी स्थानापन्न नहीं होता। (No close substitute) 3. प्रवेश पर पाबन्दी-पूर्ण प्रतियोगिता में फ़मैं उद्योग मांग वक्र में जब चाहें प्रवेश कर सकती है तथा उन पर कोई पाबन्दी नहीं होती। एकाधिकार में नई फ़र्मों के प्रवेश पर पाबन्दी होती है। 4.मांग वक्र का आकार-पूर्ण प्रतियोगिता में मांग वक्र पूर्ण लोचशील होती है, जिसमें वस्तु की कीमत एक समान रहती है। वक्र AR = MR सीधी रेखा होती है, जोकि Ox के समान्तर बनती है। एकाधिकार में मांग वक्र नीचे की ओर झुकी होती है, क्योंकि कीमत में कमी करके ही मांग में वृद्धि की जा सकती है। 5. कीमत विभेद-पूर्ण प्रतियोगिता में कीमत विभेद सम्भव नहीं होता क्योंकि प्रत्येक फ़र्म एक समान कीमत निश्चित करती है। एकाधिकार में कीमत विभेद सम्भव होता है। प्रश्न 11. (C) एकाधिकारी प्रतियोगिता (Monopolistic Competition) प्रश्न 12. 2. वस्तु भिन्नता- इस बाज़ार की सबसे प्रमुख विशेषता वस्तु भिन्नता (Product differentiation) होती है। वस्तु भिन्नता का अर्थ है कि प्रत्येक उत्पादक वस्तु के रंग, रूप, आकार, स्वाद इत्यादि में परिवर्तन करके अपनी वस्तु को भिन्न बनाने का प्रयत्न करता है। 3. प्रवेश तथा छोड़ने की स्वतन्त्रता-इस बाज़ार में फ़र्मों को किसी उद्योग में प्रवेश करने अथवा किसी उद्योग को छोड़ने की आज्ञा होती है। जब किसी उद्योग में लाभ प्राप्त होता है तो नई फ़ प्रवेश कर सकती हैं। हानि की स्थिति में फ़र्म उद्योग को छोड़ सकती हैं। 4. बिक्री लागतें-इस बाज़ार में प्रचार पर व्यय किया जाता है। जो व्यय प्रचार पर होता है, उसको बिक्री लागत कहा जाता है। इससे वस्तु की बिक्री बढ़ जाती है। प्रश्न 13. प्रश्न 14. एकाधिकार प्रतियोगिता में मांग अधिक लोचशील होती है, क्योंकि इस बाजार में वस्तुएं एक-दूसरे की स्थानापन्न होती हैं। वस्तु की कीमत में थोड़ी-सी कमी PP1 से मांग में बहुत अधिक वृद्धि QQ1 होती है। इसीलिए मांग वक्र अधिक लोचशील होती है। परन्तु यह पूर्ण लोचशील नहीं, क्योंकि PD पूर्ण प्रतियोगिता में दिखाई है। बल्कि पूर्ण लोचशील से कम है। प्रश्न 15. 2. लागत में वृद्धि-जब नई फ़र्मे प्रवेश करती हैं तो इससे उत्पादन के साधनों की लागत बढ़ जाती है। पुरानी फ़र्मों की लागत बढ़ने के कारण उनके असाधारण लाभ शून्य हो जाते हैं। 3. कीमत में कमी-जब एकाधिकारी प्रतियोगिता में नई फ़में प्रवेश करती हैं तो वस्तु बेचने की कीमत कम निर्धारण करती हैं ताकि जो वस्तु की मांग में वृद्धि हों। पुरानी फ़र्मों को भी वस्तु की कीमत घटानी पड़ती है तथा उनको असाधारण लाभ शून्य प्राप्त होता है। 4. हानि-यदि कुछ फ़र्मों को हानि होती है तो वह फ़र्मों उद्योग को छोड़कर चली जाती हैं। इससे वस्तुओं की पूर्ति कम हो जाती है। कीमत बढ़ जाती है तथा फ़र्मों को साधारण लाभ ही प्राप्त होता है। रेखाचित्र 16 में फ़र्म के दीर्घकाल के सन्तुलन को स्पष्ट किया गया है। सन्तुलन MR = LMC द्वारा स्थापित होता है। फ़र्म OQ उत्पादन करती है। OR औसत आय के समान है। इसलिए प्रत्येक फ़र्म को साधारण लाभ प्राप्त होते हैं। प्रश्न 16. प्रश्न 17. प्रश्न 18. 2. एकाधिकार में फ़र्म की मांग वक्र (Demand curve of a firm in Monopoly)-एकाधिकार में मांग वक्र ऋणात्मक ढाल वाली होती है, क्योंकि एक एकाधिकारी वस्तु की कीमत में कमी करके ही वस्तु की मांग में वृद्धि कर सकता है। परन्तु एकाधिकार में मांग वक्र कम लोचशील होती है, क्योंकि यदि उत्पादक वस्तु की कीमत में बहुत अधिक कमी करता है तो बिक्री में वृद्धि अधिक नहीं होती। जैसे कि रेखाचित्र 18 में कीमत में कमी (PP1 > QQ1) से उत्पादन में वृद्धि कम अनुपात पर होती है। 3. एकाधिकारी प्रतियोगिता में फ़र्म की मांग वक्र (Demand Curve of a firm in Monopolistic Competition)-एकाधिकारी प्रतियोगिता में मांग वक्र ऋणात्मक ढलान वाली अधिक लोचशील है। जैसे कि रेखाचित्र 19 में DD अथवा AR नीचे की ओर जाती वक्र दिखाई गई है अर्थात् यदि कीमत PP1 थोड़ी-सी कम हो जाती है तो मांग में वृद्धि QQ1 अधिक होती है। इसका मुख्य कारण प्रत्येक उत्पादक की वस्तु दूसरे उत्पादकों का नज़दीकी स्थानापन्न होती है। इसलिए एक उत्पादक द्वारा थोड़ी सी कीमत घटाने से मांग बहुत बढ़ जाती है। प्रश्न 19. एकाधिकारी प्रतियोगिता में वस्तु भिन्नता पाई जाती है। इसलिए प्रत्येक फ़र्म अपनी वस्तु के रंग, रूप, आकार, स्वाद, प्रचार इत्यादि द्वारा भिन्न बनाकर बेचने का प्रयत्न करती है। इसलिए एकाधिकारी प्रतियोगिता में फ़र्म अपनी वस्तु की विभिन्न कीमत रख सकती है। परन्तु इस बाज़ार में वस्तुएं एक-दूसरे की नज़दीकी स्थानापन्न होती हैं। इसलिए कीमत में अधिक परिवर्तन नहीं किया जा सकता। बल्कि थोड़ी-सा परिवर्तन सम्भव होता है। इस कारण फ़र्म का कीमत पर आंशिक नियन्त्रण होता है। प्रश्न 20. अल्प-अधिकार आज कल के युग में एक व्यावहारिक बाज़ार है। इसमें कम फर्मे (A few Firms) होती हैं। यह फर्मे एक समान वस्तुओं का उत्पादन करती हैं जैसे कि सीमेंट, आटा आदि अथवा एक दूसरे के नज़दीक की वस्तुओं का उत्पादन करती हैं। इस बाज़ार में विक्रेताओं की संख्या 2 से 10 तक होती है जो विलियम फैलनर के अनुसार, “अल्प-अधिकार कम फर्मों में प्रतियोगिता का बाज़ार होता है।” (Oligopoly is a market with competition among the few. -Fellner) अल्प-अधिकार की विशेषताएं (Features of Oligopoly) –
IV. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions) प्रश्न 1. पूर्ण प्रतियोगिता की विशेषताएं (Features of Perfect Competition) – 2. एक समान वस्तुएं (Homogenous Products)-पूर्ण प्रतियोगिता के बाज़ार में भिन्न-भिन्न उत्पादकों द्वारा बेची जाने वाली वस्तुएं एक समान होती हैं। इन वस्तुओं का रंग-रूप, आकार, स्वाद इत्यादि एक समान होता है। इसलिए खरीददार किसी भी उत्पादक द्वारा उत्पादन की वस्तु को खरीद सकते हैं। पूर्ण प्रतियोगिता के बाजार की एक विशेष विशेषता है। 3..फर्मों को उद्योग में प्रवेश तथा छोड़ने की स्वतन्त्रता (Freedom of entry and exist of firms)-पूर्ण प्रतियोगिता में फ़र्मे बाज़ार में जब चाहे प्रवेश कर सकती हैं तथा उन्हें बाजार को छोड़ने की पूर्ण स्वतन्त्रता होती है। बाज़ार में सरकार कोई हस्तक्षेप नहीं करती अर्थात् फ़में किसी भी समय वस्तु का उत्पादकता आरम्भ कर सकती हैं तथा किसी भी समय फ़र्मों को बन्द कर सकती है। नई फ़र्मों के खुलने तथा पुरानी फ़र्मों के बन्द होने पर कोई प्रतिबन्ध नहीं होता। 4. पूर्ण ज्ञान (Perfect Knowledge)-इस बाज़ार में वस्तुएं बेचने वालों को तथा वस्तुएं खरीदने वालों को पूर्ण ज्ञान होता है। उनको यह ज्ञात होता है कि बाज़ार के किस भाग में किस कीमत पर वस्तु के सौदे हो रहे हैं। न तो बेचने वाला बाजार की अज्ञानता के कारण वस्तु को कम कीमत पर बेचता है तथा न ही खरीदने वाला वस्तुओं को अधिक कीमत पर खरीदता है। 5. पूर्ण गतिशीलता (Perfect Mobility)-पूर्ण प्रतियोगिता के बाज़ार में उत्पादन के साधनों में पूर्ण गतिशीलता पाई जाती है, जिन कार्यों में उत्पादन के साधनों की मांग अधिक होती है तथा कीमत बढ़ा दी जाती है। उन कार्यों में उत्पादन के साधनों की पूर्ति बढ़ जाती है। इस प्रकार उत्पादन के साधन एक उद्योग से दूसरे उद्योग में जाने के लिए स्वतन्त्र होते हैं। 6. यातायात व्यय का न होना (No Transportation Cost)-पूर्ण प्रतियोगिता की स्थिति में यातायात की लागत नहीं होती। यदि फ़र्मों को यातायात का व्यय सहन करना पड़ता है तथा इस व्यय को कीमत में शामिल किया जाता है तो विभिन्न स्थानों पर वस्तु विभिन्न होने की सम्भावना होती है। परन्तु पूर्ण प्रतियोगिता में वस्तु की एक कीमत निश्चित होती है। इसलिए यातायात के साधनों की लागत को वस्तु की कीमत में शामिल नहीं किया जाता। 7. मांग वक्र (Demand curve)-पूर्ण प्रतियोगिता के बाज़ार में मांग वक्र पूर्ण लोचशील होती है, जोकि OX रेखा के समान्तर होती है। इस बाज़ार में फ़र्म कीमत स्वीकार करने वाली (Firm is a Price taker) होती है। प्रश्न 2. (Monopoly is a market in which there is only one producer, producing a commodity which has no close substitute.) . एकाधिकार की विशेषताएं (Characteristics of Monopoly)- 2. नज़दीकी स्थानापन्न नहीं होता (No Close Substitute)-एकाधिकारी बाज़ार की यह एक महत्त्वपूर्ण विशेषता है कि जो वस्तु एकाधिकारी द्वारा पैदा की जाती है। उस वस्तु का बाज़ार में कोई भी स्थानापन्न नहीं होता। इस कारण कोई नई फ़र्म बाज़ार में शामिल नहीं हो सकती, क्योंकि उस वस्तु की जगह पर प्रयोग की जाने वाली वस्तु का उत्पादन नहीं किया जा सकता। 3. प्रतियोगिता का अभाव (No Competition) एकाधिकारी बाज़ार में प्रतियोगिता का अभाव होता है। कोई नई फ़र्म वस्तु की पैदावार नहीं कर सकती। इसलिए एकाधिकारी फ़र्म वस्तु की मर्जी से कीमत निश्चित कर सकती है। 4. वस्तु की कीमत पर नियन्त्रण (Control over Price)-बाज़ार में एकाधिकारी अकेला ही उत्पादक होता है। इसलिए वस्तु की कीमत पर उसका पूरा नियन्त्रण होता है। जब चाहे वस्तु की कीमत में वृद्धि अथवा कमी कर सकता है। देश में विभिन्न वर्ग के लोगों से वस्तु की विभिन्न कीमत भी प्राप्त की जा सकती है। 5. एकाधिकार फ़र्म उद्योग भी होते हैं (Firm is also an Industry) बाज़ार में वस्तु का उत्पादन करने वाला एक व्यक्ति अथवा एक फ़र्म होने कारण इसके उद्योग भी कहा जाता है। कोई अन्य फ़र्म इस उद्योग में शामिल नहीं हो सकती तथा एक फ़र्म होने कारण इसको छोड़ने का प्रश्न ही उत्पन्न नहीं होता। 6. कीमत विभेद (Price Discrimination) एकाधिकारी अपनी वस्तु की कीमत विभिन्न ग्राहकों से अलग-अलग प्राप्त कर सकता है। एकाधिकारी ही कीमत विभेद कर सकता है। 7. मांग वक्र (Demand Curve)-एकाधिकारी का कीमत पर नियन्त्रण होता है, परन्तु यदि एकाधिकारी कीमत अधिक रखता है तो मांग कम होगी। मांग में वृद्धि करने के लिए उसको कीमत घटानी पड़ती है। इसलिए मांग वक्र ऋणात्मक ढाल वाली होती है। 8. एकाधिकारी की संरचना (Formation of Monopoly)-एकाधिकारी बाज़ार
प्रश्न 3. उस नाम पर कोई अन्य उत्पादन वस्तु की उत्पादकता नहीं कर सकता जैसे कि टैक्सला टेलीविज़न रजिस्टर्ड नाम है, परन्तु बाजार में अन्य टेलीविज़न जैसे कि बी० पी० एल०, ओनीडा, एल० जी०, अकाई, थामसन, फिलिप्स इत्यादि की प्रतियोगिता भी होती है। इसलिए इस बाज़ार में एक ओर एकाधिकारी पाई जाती है तथा दूसरी ओर प्रतियोगिता पाई जाती है। जिस कारण इस बाज़ार को एकाधिकारी प्रतियोगिता का बाज़ार कहा जाता है। एकाधिकारी प्रतियोगिता की विशेषताएं (Characteristics of Monopolistic Competition) – 2. खरीदने वालों की अधिक संख्या (Large Number of buyers)-एकाधिकारी प्रतियोगिता में खरीदने वालों की संख्या बहुत अधिक होती है। प्रत्येक खरीदने वाला वस्तु की कीमत पर वस्तु के गुणों को ध्यान में रखकर इसकी खरीद करता है। 3. वस्तुओं में भिन्नता (Product Differentiation)-इस बाज़ार की सबसे महत्त्वपूर्ण विशेषता वस्तुओं में भिन्नता होती है, प्रत्येक उत्पादक अपनी वस्तु को हटकर बनाने का प्रयत्न करता है। इसलिए वस्तुओं का उत्पादन करते समय इनके रंग रूप, गुण आकार, पैकिंग, नाम इत्यादि में अन्तर पाकर वस्तु को अलग बनाने का प्रयत्न किया जाता है। यह वस्तुएं एक-दूसरे की नज़दीकी स्थानापन्न होती है। जैसे कि बाज़ार में टैक्सला, बी० पी० एल०, ओनीडा, फिलिप्स, एल० जी० इत्यादि टेलीविज़न एक-दूसरे के स्थानापन्न हैं। 4. बाज़ार में प्रवेश करने तथा छोड़ने की स्वतन्त्रता (Freedom of entry and exist)-एकाधिकारी प्रतियोगिता में फ़र्मे बाज़ार में जब चाहे प्रवेश कर सकती है अथवा फ़र्मे बाज़ार को छोड़कर कोई अन्य कार्य भी कर सकती हैं। इस बाज़ार में प्रवेश करना बहुत कठिन होता है, क्योंकि कार्य आरम्भ करने से पहले वस्तु का नाम इत्यादि रजिस्टर्ड करवाने पड़ते हैं तथा सरकार से आज्ञा लेकर कार्य आरम्भ किया जाता है। परन्तु हानि होने की स्थिति में फ़र्म उत्पादन बन्द कर सकती है। 5. बिक्री लागतें (Selling Costs)-बिक्री लागतों को प्रचार की लागतें भी कहा जाता है। प्रत्येक उत्पादक अपनी वस्तु की बिक्री को बढ़ाने के लिए वस्तु का प्रचार करता है। इसका मुख्य उद्देश्य ग्राहकों को वस्तु सम्बन्धी जानकारी देना होता है, ताकि लोग अधिक से अधिक वस्तु की खरीद करें। इस उद्देश्य के लिए अखबार, रसाले, टेलीविज़न, रेडियो, सिनेमा इत्यादि द्वारा अपनी वस्तु के गुण बताकर मनचाहे फिल्मी कलाकारों से प्रचार करवाया जाता है ताकि वस्तु की अधिक बिक्री हो सके। 6. अपूर्ण ज्ञान (Imperfect Knowledge)- अपूर्ण प्रतियोगिता में खरीददारों को वस्तु की कीमत वस्तु के गुणों तथा प्रकार के प्रति पूर्ण ज्ञान नहीं होता। सभी बाज़ार में बिकने वाली वस्तुओं में इतनी समानता होती है कि वस्तु सम्बन्धी पूर्ण जानकारी प्राप्त करनी असम्भव नहीं होती। इसलिए प्रचार, रीति-रिवाज, फैशन इत्यादि तत्त्वों से प्रभावित होकर वस्तु की खरीद की जाती है। 7. अपूर्ण गतिशीलता (Imperfect Mobility) -अपूर्ण प्रतियोगिता में उत्पादन के साधनों में पूर्ण गतिशीलता नहीं होती अर्थात् इनको एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाना सम्भाव नहीं होता। विशेष तौर पर मजदूरों में कम गतिशीलता पाई जाती है, बोली, खान-पीन, पहरावा इत्यादि तत्त्व गतिशीलता के मार्ग में रुकावट बन जाते हैं। 8. कीमत प्रतियोगिता का अभाव (Absence of Price Competition)-इस बाज़ार में विशेष तौर पर फ़र्मों में कीमत प्रतियोगिता नहीं होती, क्योंकि फ़र्मों को यह ज्ञात होता है कि कीमत घटाने से न केवल विपक्षीय फ़र्मों को ही नुकसान होगा, बल्कि उनको स्वयं भी हानि सहन करनी पड़ेगी। इसलिए लाभ बढ़ाने के लिए फ़र्मे गुटबन्दी बना लेती हैं। पूर्ण प्रतियोगिता और एकाधिकार में क्या अंतर है?पूर्ण प्रतियोगिता में सभी फर्मों का सहजातीय उत्पादन रहता है। जबकि एकाधिकार में वस्तु का कोई निकट स्थानापन्न नहीं होता है। पूर्ण प्रतियोगिता में विक्रेताओं एवं क्रेताओं को बाजार का पूर्ण ज्ञान रहता है एकाधिकार में क्रेताओं को वस्तुओं की लागत का पूर्ण ज्ञान नहीं होता है।
एकाधिकारी प्रतियोगिता क्या है ?`?एकाधिकार प्रतियोगिता (monopolistic competition) बाजार की वह स्थिति है जिसमें किसी वस्तु के बहुत से विक्रेता होते हैं परंतु प्रत्येक विक्रेता की वस्तु दूसरे विक्रेताओं की वस्तुओं से किसी न किसी रूप में भिन्न होती है। अतएव वस्तु विभिन्नता एकाधिकार प्रतियोगिता की मुख्य विशेषता होती है।
एकाधिकार से आप क्या समझते हैं एकाधिकार के प्रकार और मुख्य विशेषताएं क्या हैं?अन्त शब्दों मे," एकाधिकार एक ऐसी दशा है, जिसमे वस्तु के कोई निकट स्थानापन्न नही है, पूर्ति पर एक अकेले उत्पादक या फर्म का पूरा-पूरा नियंत्रण है और एकाधिकारी क्षेत्र मे अन्य फर्मों पर प्रभावपूर्ण रूकावटें है। ऐसी दशा मे पूर्ति मे परिवर्तन करने से वस्तु का मूल्य प्रभावित होता है।
एकाधिकार क्या है विस्तार से?परिभाषा – जब कोई कंपनी या संगठन किसी भी सामान और सेवाओं पर नियंत्रण प्राप्त कर लेता है और वो अपनी इच्छा के अनुसार उस उत्पाद की कीमत को नियंत्रित करने में सक्षम होता हैं, इस परिस्थिति को एकाधिकार कहा जाता है।
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